आज से बहुत साल पहले एक गाँव में एक आदमी रहता था, मतलब उस गाँव में और लोग भी रहता था, तो जहा वो आदमी रहता था वहा पानी की बहुत बड़ी समस्या होती थी, तो वो आदमी गांव से दूर जाकर और लोगों के साथ ही मतलब सभी लोग अपना पानी एक नदी से भर भर के लाया करता था।
उस आदमी जो मैंने बताया उसका नाम था जीतेन्द्र, और वो बहुत गरीब थी, जो की रोज सुबह अपने घर से दो बाल्टी लेकर जाता और पानी भरके उसको वापस लाता।
जीतेन्द्र ने दोनों बाल्टी को एक डंडे के सहारे दोनों कोणों पर बांध लेता था, लेकिन अधिकतर दिन क्या होता था की उनमें से एक बाल्टी से पानी बहुत ज्यादा बह जाता था रास्ते में वापस लाते-लाते, ऐसा इसलिए होता था क्यूंकि एक बाल्टी पर एक हल्का सा hole था, जो की कई सालों से था।
तो कई सालो से वो जीतेन्द्र दोनों बाल्टी को पूरा भरता और जब वे वापस लाते-लाते उनमें से एक बाल्टी आधे से कम पानी रह जाती थी, मतलब जीतेन्द्र जब घर पहूँश्ते थे तब उसके सिर्फ 1 1/2 के आस-पास ही पानी उसको मिलते थे।
जीतेन्द्र की जो एकदम सही बाल्टी थी जो एकदम ठीक थी, उस बाल्टी को अपने आपको बड़ा ही गर्व होता था अपनी कामयाबी पर, की मैं एकदम ठीक हूँ, और मैं पूरा का पूरा पानी लेकर मालिक के घर पर आ जाती हूँ, और जिस बाल्टी में hole थी, उस बाल्टी को बहुत ही दुःख लगता था, उसको लगता था की मैं क्या कर रहा हूँ ये, क्यों मेरे से इतना भी नहीं हो पाता की मैं पूरा का पूरा पानी इस बिचारे मालिक के लिए उसके घर तक लाऊँ, ये मालिक जीतेन्द्र इतनी मेह्नत करके मुझे घर तक ले आता है लेकिन मैं तब भी इसकी आधी मेहनत बर्बाद कर देती हूँ।
तो एक दिन वो एक सोचते है की मैं अपने मालिक को sorry बोलूंगा, तो वो जीतेन्द्र को बोलती है – ‘ आप मुझे माफ़ करदे मालिक, की मैं इतनी भी सक्षम नहीं हूँ की में आपका पूरा का पूरा पानी लेकर आपके घर तक आ पाऊं, और मेरी वजह से आपको इतने कष्ट सहने परते है ‘,
तो मालिक मतलब जीतेन्द्र हस्ता है और हस्ते हस्ते उसको बोलता है की तू चिंता मत कर, तू इन सब बातों के बारे में बिलकुल भी मत सोच, तू एक काम कर – ‘ कल जब मैं तुझे पानी से भरूंगा, उसके बाद इस बात पे बिलकुल ध्यान मत दे की तुझ से पानी बह रहा है, तू खाली अपने बगल में कितने सुन्दर सुन्दर पेड़, फूल उगे हुए है उनको देख, की वो कितनी मस्ती करते है, कितने प्यारे है वो।’
तो वो बाल्टी कहती है कि ‘ठीक है मालिक।’
तो अगले दिन वह पानी लेने के लिए चला गया, नदी से एक बाल्टी में पानी भराया और अब दूसरे hole वाली बाल्टी में जितेंद्र ने पानी भरा कर वापस घर की तरफ आती है, उस hole वाली बाल्टी ने पेड़ दिखती है और वह बहुत खुश हो जाती है, क्योंकि वह आज तक ऐसा मनोरम दृश्य नहीं देखता था, वो देखता था लेकिन नहीं देखता था, और वह वैसा दृश्य देखते-देखते वह यह भूल जाते हैं कि उसकी बॉडी में एक hole है।
वे ऐसी ही जितेंद्र उन दोनों बाल्टी को लेकर घर पहुंच जाता है, और दोस्तों आपने सोचा होगा कि आज बाल्टी full होकर घर पहुंच गया है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वह बाल्टी उतना पानी ही लेकर आया जितना वह पहले ले आता था, और वो बाल्टी मालिक को कहने लगा कि – ‘ देखा मालिक, क्या हुआ यह nature को देखकर, आपने मुझे जो देखने को कहां मैंने तो वही देखा, बल्कि बहुत कुछ देखा, क्या हुआ अपना mind किसी और पर ध्यान लगाने से ? पानी तो मैं तब भी नहीं बचा पाई, आज भी वैसे ही पानी लेकर आया जितना मैं पहले लेकर आई थी ‘,
तो उसके मालिक मतलब जितेंद्र हंस के बोलता है कि देख अब पीछे मुड़कर देख, जिस तरफ से मैं तेरे को लेकर आता था वहां पर सुंदर सुंदर पेड़ पौधों, इतनी सुंदर सुंदर फूल उगे हुए हैं, लेकिन जहां से मैं इस बाल्टी को लेकर आता था मतलब जो मुझे पूरा पानी लाकर देता था, वहां उस side पर देख तू कोई भी पेड़-पौधों नहीं है।
मतलब जो तेरे अंदर कमी थी उस कमी से जहां से हल्के हल्के रोज पानी टपकता था और अपने आप ही पेड़-पौधों, फूल, घांस उग गया, यानी कि जो पूरी तरीके से इस काम में परफेक्ट था वो भी ये इतना बड़ा जो तूने किया है, वह तो थोड़ा सा भी नहीं कर पाया।
और उसके बाद जितेंद्र ने और एक बात बोली कि मैं तो तेरे को धन्यवाद करना चाहता हूं कि तेरी वजह से मैं दुनिया को इतनी सुंदर सुंदर पेड़ -पोधों, फूल दे पाया।
तो दोस्तों आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है कि – ”हर किसी यानी कि हम सब इंसान में कोई ना कोई कमी जरूर है, अगर हमें कोई ऐसी कमी है जिसको हम दूर कर सकते हैं, तो हमें उस पर काम करना चाहिए और उसे जितना हो सके दूर करना चाहिए, लेकिन अगर हमारे अंदर ऐसी कमी है जिसको हम नहीं दूर कर सकते मतलब कोई फिजिकल एबिलिटी है वगैरह-वगैरह, जो हमारे हिसाब से हमें कमी लगते हैं, तो उस कमी को आप positively देखो, मतलब कहते हैं ना कि जो होता है अच्छे के लिए होता है, इसी तरह से आप कोई भी negative चीज की तरह देख सकते हो, और उसी का फायदा भी उठा सकते हो।
जैसे राजपाल यादव को तो आप सब जानते ही हो अगर नहीं जानते हो तो गूगल में सर्च करके देख लीजिए, वह क्या करता है कि उन्होंने अपने छोटे पन का फायदा उठाया, अपने छोटे पन पर ही मजाक बनाया कि मेरी height छोटी है, उस type का ही acting किया और अपना ही मजाक उड़ाया, तो ऐसे ही वह बहुत ही फेमस हो गया।
तो ऐसी ही आप अनुपम खेर जी को देखिए, अनुपम खेर जी ने अपने गंजेपन का मजाक बनाया तो वह बहुत फेमस हो चुके हैं, तो आप अपनी कमी को positive direction में ढाल दीजिए, तो आप बहुत आगे तक जा सकते हैं, अपनी कमियों को कमिया मत समझिए।
आप Nick Vujicic के बारे में पढ़ो, बिना हाथ-पैर के भी उन्होंने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है।
पहले कमियों को देखिए, उसको अच्छे से समझें और उस पर काम करें, भले ही क्यों ना अपना ही मजाक उड़ाना पड़े तो भी आप मत रुकिए, धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहिए और बहुत ही कम समय में आपको सक्सेस जरूर मिलेगी, अगर आपकी कोई प्रॉब्लम हो तो मुझसे पूछ सकते हैं।