हीरा और उसकी परख

बहुत साल पहले की बात है एक व्यक्ति को उसके पिता ने मरते समय 2 बड़े हीरे देते हुए कहा कि – ‘इनमें से एक असली हीरा है और एक कांच का टुकड़ा है, परंतु आज तक कोई भी इंसान ही पहचान नहीं पाया है कि इनमें कौन असली है और नकली है, यह मेरा स्वर्गीय पिता जी की दी हुई निशानी है जिसे आज मैं तुम्हें सौंप रहा हूं’,

उस व्यक्ति की पिता ने यह कहकर अपने प्राण त्याग दिए थे, उस व्यक्ति का नाम था – गोपाल।

पिता के मरने की कुछ दिन बाद गोपाल अपने राज्य के राजा के पास गया, और उनसे कहा कि – ‘मेरे पास एक जैसे दो हीरे है, जिसमें एक असली है और एक कांच का है, यदि कोई उन हीरो को परख कर असली और नकली के बारे में बता देगा तो मैं यह हीरा राज्य के राजकोष में जमा कर दूंगा, और यदि कोई उसके बारे में सही सही नहीं बता पाएगा तो ऐसी स्थिति में आप को मुझे राजकोष में से हीरे की कीमत का धन देना पड़ेगा’,

राजा ने गोपाल की शर्ट मान ली और कई पारखीयों को उन हीरो को पहचान की कार्य में लगा दिया, परंतु राज्य का कोई भी पारखी उन हीरो में से असली और नकली हीरे के बारे में नहीं बता पाया, अतः राजा को गोपाल को उसके हीरे की कीमत का धन अपने राजकोष से देना पड़ा।

इसी तरह गोपाल दूसरे कई बड़े राज्य में गया वहां की राजाओं से भी इसी प्रकार की शर्त रख कर जीतता आया, और अपने हीरे को बिना बेचे ही बहुत सारी धन एकत्र कर लाया।

गोपाल अपने उस धन को लेकर खुशी-खुशी अपने घर वापस आ रहा था कि रास्ते में उसे एक छोटा सा राज्य और मिला।

गोपाल ने उस राज्य के राजा से भी जाकर भेद की जाड़े का समय था, इसलिए उस छोटे से राज्य के राजा ने अपने दरबार खुले मैदान में लगा रखा था, जिससे सभी दरबारी और राज्य की जनता धूप सेकते हुए राज दरबार का काम निपटा रही थी, तभी गोपाल भी राजा से इजाजत लेकर वहां आया, और उसने राजा से कहा कि – ‘मेरे पास दो हीरे है, जिसमें एक असली और एक नकली है, मैं हर राज्य के राजा के पास जाता हूं और दोनों हीरो को परखने के लिए कहता हूँ, पर आज तक मेरे उन दो हीरो को कोई परख नहीं पाया है, इसलिए मैं विजेता बनकर घूम रहा हूं, और अब आपके राज्य में अपनी वही शर्ट लेकर आया हूं’,

गोपाल ने अपने दोनों हीरे राजा के सामने table पर रखकर कहां – ‘अगर आपके राज्य में किसी ने मेरे असली और नकली हीरे को परख लिया तो मैं हार जाऊंगा, और अपना यह कीमती हीरा आपके राज्य के राजकोष में जमा करवा दूंगा, यदि आपके राय में कई इन्हें परख नहीं पाया तो इस हीरे की जो कीमत है इतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी’,

राजा और राजा की दरबारियों ने उन हीरो को देखकर कहा कि – ‘हम नहीं परख सकते हैं, कि इसमें कौन असली है और कौन नकली है’,

तभी प्रजा के बीच में से एक अंधा आदमी उठा और उसने कहा कि – ‘मुझे इन हीरो को परखने का एक अवसर दिया जाए’,

बात राज्य की प्रतिष्ठा का था, इसलिए राजा ने उस अंधे आदमी को नहीं रोका, उसको हीरे को परखने की इजाजत दे दी, उस अंधे आदमी ने उन दोनों हीरो को हाथ से छुआ और तुरंत ही कह दिया कि यह असली है और यह कांच का टुकड़ा है।

अंधे की बात सुनकर गोपाल ने बोला – ‘सही परखा आपने, परंतु में हारने से पहले यह जरूर जानना चाहूंगा कि बिना आंखों के हीरे और कांच को कैसे पहचाना आपने ?’

उस अंधे आदमी ने कहा कि – ‘हम सभी लोग धूप में बैठे हुए हैं और तुम्हारे हीरे भी इन धूप में ही रखे हैं, जो इस धुप में भी ठंडा बना रहा है वो हीरा है और जो गर्म हो गया वह कांच है’,

दोस्तों हमारे जीवन में भी आप इस बात को देखना कि – ‘जो इंसान बात बात पर गर्म हो जाए, किसी से उलझ जाए वह इंसान कांच है और जो इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी ठंडा रहे वो इंसान हीरा होता है।’

तो अगर कुछ बनना है तो हीरा बनो फालतू के कांच नहीं।

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