एक बार स्वामी विवेकानंद जी एक जंगल के रास्ते से जा रहे थे किसी गाँव में, तभी वहां कुछ बन्दर उनके पीछे पर जाते हैं, कोई बन्दर उनपर लपक रहा था, कोई उनका प्रसाद छीनने की कोशिश कर रहा था।
और स्वामी जी उन बंदरों से पीछा छुड़ाने के लिए वहां से भागने लगे।
स्वामी जी भागे जा रहे थे और वो सारे बन्दर भी उनके पीछे पीछे भागने लगे, तभी एक आदमी ने स्वामी जी से कहा की आप डरो मत, इतना सामना करो, आप जितना ज्यादा इनसे डरोगे, ये आपको उतना ज्यादा डराएंगे।
तभी उस आदमी की बात सुनकर स्वामी जी पीछे मुड़ते हैं और ऑंखें निकाल कर उन बंदरो पर जोर से चीखते हैं और तभी सारे बन्दर वहां से दुम दबाकर भाग जाते हैं।
दोस्तों उन्हीं बंदरों की तरह होते हैं हमारे नेगेटिव विचार, जिनसे हम डरते हैं।
जितना ज्यादा हम अपने नेगेटिव विचारों से डरेंगे ये हमें उतना ही ज्यादा डराएंगे।
इसलिए नेगेटिव विचार और डर से डरो मत बल्कि उनका सामना करो, इनसे तुम जितना ज्यादा डरोगे, ये तुम्हें उतना ही डराएंगे, अगर तुम इनका सामना करते हो, तो नेगेटिव थॉट्स और डर भी एक तुमसे डर जायेगा।