15 फरवरी,1564 में पीसा में पैदा हुए गैलीलियो गैली एक ग्रेट इटेलियन एस्ट्रोनोमर, फिजिशियन और इंजीनियर थे जिन्हें फादर ऑफ मॉडर्न फिजिक्स भी कहा जाता है. उन्होंने थर्मोस्कोप और कई सारे मिलिट्री कम्पास इन्वेंट किये थे जो उनके टाइम की एक ग्रेट अचीवमेंट मानी जाती है. वैसे तो उनकी अचीवमेंट्स की लिस्ट काफी बड़ी है लेकिन मॉडर्न एस्ट्रोनोमी में उनका बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन रहा है. उनकी कुछ महान अचीवमेंट्स में से टेलीस्कोपिक ओब्ज़ेरवेशन ऑफ़ फेसेस ऑफ़ वीनस, फोर लार्जेस्ट सेटेलाईट ऑफ़ ज्यूपिटर, ओब्जरवेशन ऑफ़ सैटर्न रिग्स और सनस्पॉट्स ऐनालिसिस • शामिल है. ये बुक उनकी बायोग्राफी है जिसमे हमे उनके टाइम और उनकी लाइफ के बारे में काफी कुछ सिखने को मिलता है.
इस बुक से हम क्या सीखेंगे?
- इटेलियन रेनेसिस में लाइफ कैसी थी?
- कैसे स्टूडेंट मास्टर बना?
- चर्च का अपोजिशन
- कंट्रोवर्शियल थ्योरीज़
- गैलीलियो गैली का ट्रायल
और इसके अलावा बहुत कुछ इस बुक में है जिससे आपको पता चलेगा कि उस टाइम के साइंटिस्ट और प्रोग्रेसिव थिंकर किस तरह हर चीज़ को साइंस के व्यूपॉइंट से देखते थे और अपनी न्यू डिस्कवरीज के थ्रू वर्ल्ड में चेंजेस लाना चाहते थे. हालाँकि इसके लिए उन्हें चर्च और किंगडम की नाराज़गी भी झेलनी पड़ती थी और कई बार तो उन्हें पनिशमेंट भी मिलती थी. लेकिन ये ग्रेट पर्सनेलिटीज सदियों की घिसीपिटी सोच से आगे बढकर अपना काम करते रहे.
ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?
हर वो इंसान जो इस महान एस्ट्रोनोमर की लाइफ से इन्फ्लुएंश है और गैलीलियो की लाइफ को करीब से जानना चाहता है उसे ये बुक पढनी चाहिए. ये बुक स्टूडेंट्स को भी काफी इंस्पायर करती है.
विज्ञान ने हमे ढेर सारे साईटिसंट दिये हैं या फिर यू कहें कि इन ढेर सारे साईटिंसंट ने मिलकर हमे विज्ञान दिया है। उन सभी योगदानो के बाद भी आखिर हम उनमें से कितने वैज्ञानिको को याद रख पाते हैं? इन्ही साईटिंसटस में एक नाम ऐसा भी है, जिन्होने विरासत में हमें अपनी सोच सौपी दी, जिन्होने पहली बार टेलिस्कोप का अविष्कार कर दुनिया को चौकाया था, एक ऐसे गुरु जिनकी शिक्षा के कारण उनके मरने के 250 साल बाद भी उन पर बैन लगा रहा। अन्तः एक ऐसे व्यक्ति, सर इसाक न्यूटन को जिनका पुनर जन्म कहा जाता था।
गिलिलियो गैलीली ये वो 2 शब्द है जिनकी कहानी उनकी सफलता की तरह लम्बी तो नही लेकिन रोंमाच से बढकर है। कुछ यू.. कि इस कहानी के अन्त तक जिन्दगी के कुछ ऐसे पलासपे सिखने को मिल जाने है जो अकसर रोज-मर्रा की किताबो में नही मिला करते।
Galileo Galilei Book Summary in Hindi by Estefania Wenger
गिलिलियो गैलीली आज भले ही इतिहास के पुराने पन्नो में खो गये हो लेकिन 15वीं शदी में सुर्खिया बटोरने के लिये ये नाम काफी था। वो सन् था 1564, जब इटली के पिसा शहर में, एक गरीब दम्पति ने अपनी पहली सन्तान को जन्म दिया। वो गैलिलयो थे जिनका जन्म भी अपने आप में किसी भी अजूबे से कम नही था, फिर आप चाहे इस हैरतगैंज कहे या कुदर्त का करिश्मा। गैलिलयो का जन्म ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन रेनिसेनस के आखिरी दिग्गज माईकल एंग्लो की मौत हुई थी। नन्हे गैलिलयो उस जमाने में आ चुके थे जहाँ बाईबल लोगो की सोच को आकार दे रहा था। बाईबल को अपनी जागीर बताने वाले चर्च के कुछ सदस्य, लोगो के जीने और मरने के फैसले भी खुद ही करने लगे थे। आगे चलकर गैलिलयो को भी इसी नियम से संघर्ष करना था, एक ऐसा सघर्ष जो मौत के बाद भी उनके माथे से किसी कलंक की तरह रहा।
यूरोप में हालत बद-से-बदतर ही जा रही थी। अन्धविश्वास अपनी बाँहे दिन-बा-दिन फैला रहा था, वहीँ दूसीर ओऱ फ्लेग की बिमारी भी आधी आबादी को निगर चुकी थी। इसी वजह से लोगो को विश्वास अब चर्च पर से उठ रहा था, बगावत के किसी माहोल ने जन्म दिया साईंस और फिलोस्पी के नये दौर को, जो कुछ समय बाद कहलाया गया “द अरा आफ मोर्डन साईंस”
आश्चर्य की बात है, कि जो चर्च साईंस और एस्टरोनोमी पर बन्दिशे कसता था, मोर्डन साईंस की ज्यादातर फिलोस्पीस और इनवेनशन ने उसी चर्च में जन्म लिया था। जिसमें एक अहम किरदार निभाया था निकोलश कोपरनिकस ने। इनकी मृत्यु गैलिलयो गैलीली के जन्म से 20 साल पहले ही हो गयी थी। कोपरनिकस एक केथोलिक प्राईसट थी जिनकी थ्योरीस को गैलिलयो , अपने उल्लेखो के जरिये साबित करने की कोशिश करते थे। कोपरनिकस की थ्योरिस को दिये गये इसी सपोर्ट ने गैलिलयो अपने समय के सबसे कोन्टरोवर्शियल फिगर में से एक बना दिया।
गैलिलयो का शुरुवाती जीवन 10 साल की उम्र तक अपने परिवार से अलग रिश्तेदारो के साथ पेसा में ही बीता। यहाँ पेसा में नन्हे गैलिलयो की दिलच्सपी मेथ में बढने लगी। लेकिन उनकी परिवार वालो के ये बात मजूंर नही थी। पिता विनचेनशो चाहते थे कि उनका होनहार बेटा मेडिकल कर अपने घर के लिये कुछ पैसे कमाये। इसलिये महज 11 साल की उम्रमें ही गैलिलयो को वलमबरोसा में स्थित एक जेसट मोनस्टरकी में भेज दिया गया। फ्लोरेन से 33 किमी0 दूर यही मोनसटरी हरी पहाँडियो के बीचो-बीच बसी हुई थी। ये जगह गैलिलयो को इतनी पसन्द आयी की उन्होने यही पर मोन्सटरी में सन्यासी बनने का फैसला ले लिया।
अब जैसे-तैसे हिम्मत जुटा कर नन्हे गैलिलयो ने अपने पिता को बताया कि वो एक मंक बनना चाहते हैं। ये बात सुनते ही पिता विनसेनजो के पैरो तले जमीन खिसक गयी। बिना एक पल गवाँये पिता विनसेनजो ने गैलिलयो को तुरन्त ही मोन्सटरी से लौट आने के लिये कह दिया। इसी के साथ गैलिलयो को मजबूरन फ्लोरेन्स लोटना पडा। जहाँ उन्होने अपनी स्कूलिंग की शुरुआत की। और अपनी कहाने के पहले पडाव को भी पूरा किया।
देखते ही देखते गैलिलयो ने अपने बचपन को अलविदा कर चुके थे ओर अव वो यूनिवर्सटी आफ पिसा में एक नौजवान विद्यार्थी थे, पिता की इच्छा अनुसार अपने दिल पर पत्थर रख कर उन्होने मेडिसन की पढाई शुरु कर दी। समय के साथ गैलिलयो का मन भी मेडिकल की पढाई से उब चुका था। नतीजा यही रहा की अब मेथमेटिक्स के लिये
गैलिलयो , पिता से बगावत करने को तैयार थे।
अब समर वेकेशन सर पर थी और बागी बनने की तैयारियां भी हो चुकी थी फैसला आर पार का था किसी भी हाल में पिता विनसेनो को मैथमेटिक्स की पढ़ाई के लिए राजी करना था एक बात तो गैलीलियो को साफ साफ पता थी कि उनके कहने से तो उनके पिता मानने से रहे इसलिए समर वेकेशन में गैलीलियो ने ओसटिलो रिचि को अपने घर फ्लोरेंस आने का न्योता भेजा जोकि टस्कन कोर्ट के बडे मैथमेटिक्स थे और कहीं हद तक गैलीलियो के हमदर्द भी, दोनों ने मिलकर पिता विनसेनो को मनाने की कोशिश की अंत में अपने बेटे की जिद के आगे विनसेनो का दिल थोड़ा सा ही सही लेकिन पिघला जरूर और उन्होंने गैलीलियो को इजाजत दे ही दी पर शायद यह भी गैलीलियो के लिए काफी नहीं था एक बार फिर अपने पिता को निराश कर गैलीलियो खुद ही यूनिवर्सिटी से बेदखल हो गए और ग्रेजुएशन करने से पहले ही एक कॉलेज ड्रॉपआउट बन गए।
कॉलेज अधूरा छोड़ने के बाद गैलीलियो को अपने गुजारे के लिए पैसे कमाने थे। इसलिए अब गैलीलियो ने मैथमेटिक्स की प्राइवेट ट्यूशन देना शुरू कर दिया पहले तो वो प्राइवेट ट्यूटर के रूप में फ्लोरेंस में सिखाया करते थे कुछ समय बाद उन्होंने सेना में पब्लिक अपॉइंटमेंट लेना शुरू कर दिया।
साल 1556 में गैलीलियो, वेलामबरोसा में पढ़ाया करते थे जहां उन्होंने अपनी पहली साइंटिफिक बुक “ला बालनसिटा” लिखी। इस किताब में बैलेंस की मदद से रिलेटिव डेंसिटी को ढूंढने के आर्कमिडिज के मेथड की जानकारी दी गई है जिसके लिए गैलीलियो ने फ्लोटिंग ऑब्जेक्ट के साथ एक्सपेरिमेंट शुरू किए। इस किताब के बाद गैलीलियो अपने एम्बिशन को लेकर और भी ज्यादा सीरियस हो गए उन्हें किसी मेजर यूनिवर्सिटी में मैथमेटिक्स सब्जेक्ट की एक बड़ी उपाधि हासिल करनी थी उस वक्त तक शहर के काफी लोग गैलीलियो और उनकी प्रतिभा से वाकिफ हो चुके थे।
बहुत ही जल्द गैलीलियो की किस्मत उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लाने वाली थी लिटरेचर पर दिए गए उन्हें एक लेक्चर ने उन्हें एक दिन में फेमस बना दिया अकादमी ऑफ फ्लोरेंस में एक लंबे समय से डानटे इनफरनो नाम की एक 100 साल पुरानी कॉन्ट्रोवर्सी चर्चा का विषय थी और जब गैलीलियो को इस विषय पर लेक्चर देने का न्योता दिया गया तो उन्होंने अपनी सोच और अपने जवाब से सभी को इंप्रेस कर दिया था। उस इंसीडेंट के बाद से ही लोग उन्हें सम्मानजनक नजरों से देखने लगे गैलीलियो की पॉपुलरटी और रेपुटेशन का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस यूनिवर्सिटी ऑफ पिसा से वह अपनी एजुकेशन पूरी नहीं कर पाए थे उसी यूनिवर्सिटी ऑफ पेसा से उन्हें 3 साल के अपॉइंटमेंट का ऑफर दिया गया आखिरकार गैलीलियो का वर्षो पुराना सपना पूरा हुआ और उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ पेसा के मैथमेटिकल फैकल्टी में अच्छी खासी पोजीशन हासिल हुई इन 3 सालों में गैलीलियो ने “डे मोटू“ नामक अपनी दूसरी किताब लिखी जो की थ्योरी ऑफ मोशन पर आधारित थी। भले ही गैलीलियो की कभी पब्लिश नहीं होने वाली किताब में मॉडर्नफिजिक्स की सबसे इंपोर्टेंट थ्योरी में से एक कहीं जाने वाली. द मोशन ऑफ फॉलिंग बॉडी भी शामिल थी।
सफलता की सीढ़ियां तो चढ रहे थे वो, पर अभी डगमगाना बाकी था. कुछ सालों बाद पिता के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारियां गैलीलियो के कंधे पर आ गई थी। जिनमें अपनी अपनी छोटी बहनों की शादी के लिए दहेज जमा करना भी शामिल था । गैलीलियो के सर जिम्मेदारियों को बोझ बढ़ तो गया था लेकिन पिसा में उनकी कमाई कुछखास नहीं थी इसलिए अब गैलीलियो नए मौके की तलाश में जुट गए। बहुत ही जल्द उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ पदुआ में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर के रूप में अपॉइंटमेंट किया गया। यहां उनकी सैलरी भी पेसा से 3 गुना ज्यादा थी पदुआ में गैलीलियो काफी खुश थे समय बीतता गया और अब पदुआ में बिताए हुए 18 साल गैलीलियो की जिंदगी के सबसे खुशनुमा पलों में से एक बन गए थे।
एक वक्त ऐसा भी आया जब गैलीलियो को पैसों की सख्त जरूरत थी उनके सर कर्ज का बोझ और अपनी छोटी बहन की शादी की जिम्मेदारी भी आन पड़ी थी। उस जमाने में दहेज 1000 क्राउंस तक दिया जाते थे और गैलीलियो की सालाना कमाई महज 180 क्राउंस तक सीमित थी यदि गैलीलियो फ्लोरेंस वापस चले जाते तो अपने कर्जदारो की वजह से उन्हेंजेल भी जाना पड़ जाता तो अब गैलीलियो की आंखों के सामने बस एक आखरी रास्ता बचा था यह रास्ता था किसी नई चीज को अविष्कार करना। गैलीलियो को यह बात मालूम थी कि यदि वह किसी एक समाधान के साथ कोई नया आविष्कार करेंगे तो वह उससे अच्छी-खासी रकम कमा सकते हैं। बढ़ी हुई मुश्किलों के बाद गैलीलियो ने एक रुडिमेंटरी थर्मामीटरका आविष्कार किया पर अफसोस कि उने कोई खरीद नहीं रहा था लेकिन इसके बावजूद गैलीलियो ने हार नहीं मानी और फिर गैलीलियो ने मिलिट्री कंपास का एक मोडिफाइड वर्जन इन्वेंट किया जिसके सहारे आर्मी सही निशाना भी साध सकती थी। यह अविष्कार एक इंसटेंट हिट रहा और गैलीलियो को इससे काफी हद तक फायदा भी मिला।
कहते हैं हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी महिला का हाथ होता है लेकिन अपने आविष्कारों में व्यस्त गैलीलियो ने अपने जीवन में कभी शादी नहीं की। पर पदुआ में समय बीतते वक्त उन्होंने मैरीना गामबा नामक एक महिला से रोमांटिक रिलेशनशिप शेयर की थी। मैरीना, वेनिस में रहने वाली एक आम महिला थी वेनिस में अपने एक ट्रिप के दौरान गैलीलियो की मुलाकात मैरीना से हुई थी गैलीलियो और मैरीना एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे भले ही पैसों की तंगी के कारण उन्होंने शादी ना की हो लेकिन मैरीना ने गैलीलियो के साथ अपनी तीन संतानों को जन्म दिया जिनका नाम रखा गया वरजीनिया. विनसेंजा और लिव्या।
गैलीलियो की मां अभी उसके इस छोटे से परिवार से अनजान थी सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन गैलीलियो की मां गुलिया उनसे मिलने आई गैलीलियो की मां यह सब देख कर चौक हो गई थी क्योंकि गैलीलियो को उनके मिसल रिकॉर्ड में एक फादर का दर्जा दिया गया था उन्होंने पदुआ को जल्द ही छोड़ दिया और एक अच्छी जॉब की खातिर अपनी दोनों बेटियों को लेकर फ्लोरेंस चले आए उस जमाने में जो लोग अपने बच्चों को देखभाल में सक्षम नहीं होते थे वह अपने बच्चों को चर्च के हवाले सौंप देते थे। यह जानना भले ही निर्दय लगे लेकिन खुद गैलीलियो ने भी ऐसा ही किया।
मैरिना ने किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शादी कर ली थी क्योंकि गैलीलियो की संताने समाज की नजरों में नाजायज थी इसलिए गैलीलियो को लगने लगा कि कोई भी उनकी बेटियों से शादी नहीं करेगा। इसीलिये उन्होने अपनी दोनों ही बेटियों को उम्र भर के लिए सैन मेटो आर्टरी भेज दिया और एक मजबूर पिता के रूप में हार गए।
हर वक्त मानो गैलिलियो के लिए सफलता का नया पल था गैलिलियो अपने अविष्कारों को लेकर इतने पॉपुलर हो चुके हैं कि अब उनके कारण स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी आने के लिये आकर्षित हो रहे थे ये समय गैलिलियो के लिए अहम था उन्होंने मजे के साथ अपने एक्सपेरिमेंट को शुरू भी कर दिया था कुछ समय बाद गैलिलियो लिए अपनी छुट्टियां बिताने दोबारा वेनिस लौटे यहां आते ही उनके कानों में एक चौकाने वाली खबर पढ़ी गैलिलियो को यह खबर पता चली कि लिपरसे नामक एक डज आप्टेशियन ने एक बड़ा ही अद्भुत अविष्कार किया है जिसे सभी लोग इसे स्पाईग्लास बुला रहे थे।
यह इन्सटूमेन्ट किसी भी दिशान्त ओबजेक्ट को मेगनेफाई करने की क्षमता रखता था , जी हां यह अविष्कार था टेलिस्कोप का। इस नये नवेले आविष्कार की बनावट को एक सीक्रेट ही रखा गया। हॉलेंड जैसी देश के लिए ये इन्सटूमेन्ट एक बड़े मिलेक्ट्री वेपन की तरह था जिसके इस्तेमाल से उनकी आर्मी अपनी दूर दराज के दुश्मनों पर नजर रख सकती थी।
एक बात साफ थी कि अब एक अविष्कार गैलिलियो के सामने था और उन्हे यह बात मालूम हो चुकी थी कि यह स्पाईग्लास वेनिस के लिये काफी कीमती होने वाला था। गैलिलियो को किसी हाल मे ऐसा ही एक अविष्कार करना था। आगे जो कुछ हुआ वो इतिहास के सबसे दिलचस्प किस्सों में से एक बन गया महज 24 घंटो के अन्दर एक बेहतर तरीके के स्पाईगल्स को तैयार कर लिया। हैरानी की बात ये थी कि गैलिलयो ने एक मेगनीफाई स्पाईग्लास के बारे में महज सुना ही था, कभी उसे देखा नही था। गैलिलियो का ये बडा अविष्कार मुमकिन हो पाया उनके मेथमेटिक्स ओर उनकी रेफिरेक्श थ्योरि से। काफी सारे मोडिफिकेशन के बाद गैलिलयो ने एक 10 पावरड टेलिस्कोप को सभी के सामने रखा ।
गैलिलयो का ये काम सीनेट को बेहद पसन्द आया और उन्होने गैलिलयो की रकम को ओर भी ज्यादा बढा दिया। अब गैलिलियो गैलीली विनस के मशहूर साईटिसट बन चुके थे. गैलिलियो ने अपने 10 पावर टेलिस्कोप की सारी राईटर सीनेट को बेच दी। और यही से शुरु हुई अन्तरिक्ष के अनसुरक्षे पहलुओ की नयी खोज।
टेलिस्कोप के अविष्कार से पहले ,लोग यही समझते थे कि चांद एक समूथ और पॉलिश्ड सेटेलाइट है लेकिन अब गैलीलियो की वजह से लोगों का यह भ्रम बहुत ही जल्द टूटने वाला था एक रोज गैलीलियो ने इस बात का चौका देने वाला खुलासा किया कि किस तरह टेलिस्कोप से देखने पर यह मालूम पड़ता है कि चांद की सतह स्मूथ और पॉलिश्ड नहीं बल्कि बेहद ही खुरदरी और कैविटीज से भरी है उस वक्त सोलवीं सदी में लोगों के लिए इस बात पर भरोसा कर पाना इतना मुश्किल था कि कई लोगों ने गैलीलियो की बात पर यकीन करने से साफ इनकार कर दिया पर भले ही माने या ना माने।
टेलिस्कोप से देखने के बाद इस सच पर यकीन करने के अलावा उनके पास कोई और चारा भी नहीं था जैसे-जैसे समय बीतता गया गैलीलियो ने अपने टेलीस्कोप को और भी ज्यादा आधुनिक बना दिया और फिर 1 दिन गैलीलियो ने अपने 30 पावर टेलीस्कोप को जुपिटर प्लानेट की तरफ केंद्रित किया। गैलीलियो को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हुआ उन्होंने जुपिटर प्लानेट के तीन बड़े मून को खोज निकाला था। गैलीलियो ने इन्हे नाम दिया था मेडिसन स्टार्स, इस उम्मीद कि अब खोज के बाद फ्लोरेंस में एक अच्छी पद हासिल होगी। कुछ महीने बाद अंतरिक्ष में सैटेलाइट को ओबजर्व करके, गैलीलियो के जेहन में एक बात आई।
अगर प्लानेट अर्थ के आसपास ऐसी सैटेलाइट का रोटेशन नहीं होता है तो इसका मतलब यह है कि अर्थ पूरे सोलर सिस्टम का सेंटर नहीं है।
गैलीलियो खुद यह बात नहीं जानते थे कि उनकी यही ऑब्जर्वेशन और थ्योरी उनके लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत पैदा करने वाली है। गैलीलियो अब यह जान चुके थे कि चर्च में प्लानेट अर्थ के बारे में जो विचारधारा है वह सही नहीं है। उन्हें यह पता चल चुका था कि अर्थ सोलर सिस्टम का सेंटर नहीं है जिससे कॉपरनिकस की सबसे बड़ी थ्योरी सच साबित हो रही है, 100 वर्ष पहले ही निकोलस कोपरनिकस यह थ्योरी बना चुके थे की सन ही सोलर सिस्टम का हेड है और अर्थ बाकी सभी प्लानेट की तरह महज सन के चक्कर काटता है लेकिन चर्च की कड़ी मान्यता के चलते ना तो कोपरनिकस को और अब इतने सालों बाद ना गैलीलियो की इस थ्योरी पर भरोसा रखा गया।
इतनी सारी कंट्रोवर्सीज ने गैलीलियो के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया था , बिना वक्त गवाये उन्होंने अपनी सारी डिस्कवरीज को अपनी अगली किताब यानी द स्टेरी मैसेंजर में छाप दी। इस किताब की 550 कॉपीज पब्लिश की गई। और यह एक इनंसटांट हिट रही। ज्यादा से ज्यादा लोग गैलीलियो की इस किताब को पढ़ रहे थे। जिसके बाद तो मानो गैलीलियो अपने टेलिस्कोप की मदद से हर रोज एक नई एस्टॉनोमिकल डिस्कवरीज कर रहे थे।
इस किताब की सफलता के बाद गैलीलियो एक पब्लिक फिगर बन चुके थे उन्हें लोग जगह-जगह सम्मानित कर रहे थे यह वक्त था ऊंची उड़ान भरने का, गैलीलियो ने यूनिवर्सिटी आँफ पदुआ से अपना रेजिग्नेशन देकर यूनिवर्सिटी ऑफ पीसा में चीफ मैथमेटिक्स उपाधि संभाल ली थी। इतना ही नहीं गैलीलियो अब द ग्रैंड ड्यूक ऑफ़ टसकन के मैथमेटिशियन और फिलोस्पर भी बन चुके थे उनके सम्मान में रोम में एक आयोजन रखा गया जहां गैलिलियो के काम और योगदान की खूब तारीफ है इसी सम्मेलन में गैलीलियो को एकडमिया दी लिनसी का मेंबर बनाया गया यह अपने आप में कितनी बड़ी बात थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है उस दिन से गैलीलियो अपने साइन भी गैलीलियो गैलीली लिनसो नाम से किया करते थे।
लेकिन शोहरत मिलते ही गैलीलियो की फितरत भी बदल चुकी थी। लोगों का मानना था कि अब उनमें गुरुर आ चुका था, जिसने उनके लिए दुश्मनों की फेहरिस्त भी तैयार कर ली थी। गैलीलियो ने भले ही अब ग्राउंटब्रेकिंग डिस्कवरीज की थी। लेकिन वे हमेशा सही साबित नहीं हो पाते मसलन, जब तीन धूम केतु अर्थ के पास से गुजरे तो गैलीलियो ने दावा किया कि यह धूम केतु नहीं बल्कि ऑप्टिकल रिफ्लेक्शन है।
गैलीलियो का यह दावा एक गर्म मुद्दा बन गया चर्च और उनके जस्टिस को गैलीलियो से खतरा महसूस होने लगा और अब देखते ही देखते उनकी थ्योरीस का विरोध शुरू हो चुका था।
गैलीलियो गैलीली अब चर्च की नजरों में किसी शूल की तरह चुभ रहे थे। वजह थी गैलीलियो कोपरनिकस थ्योरी के सपोर्ट करना। चर्च ने यह तय कर लिया था कि गैलीलियो चर्च से बगावत कर रहे थे भले ही चर्च के अपने ही कुछ मैथमेटिक्स गैलीलियो की थ्योरी को सपोर्ट कर ये मानने लगे थे कि अर्थ सोलर सिस्टम का सेंटर नहीं है लेकिन फिर भी विचार उनके खिलाफ थे वहां बात यहां तक बढ़ गई के फ्लोरेंस के एक यंग डोमिनेशन परिस्ट ने गैलीलियो को चर्च और धर्म का दुश्मन घोषित कर दिया। पर इन बातों का गैलीलियो के विचारों पर कोई असर नहीं हुआ। वह कॉपरनिकस थ्योरी के बारे में लिखते रहें और अपने विचार सभी के सामने रखते गए। अपनी दलील पेश करते हुए गैलीलियो ने
यह भी कहा था कि वह बाइबल या चर्च के खिलाफ कभी नहीं थे और ना ही कभी होंगे। वह खुद एक सच्चे क्रिश्चियन हैं लेकिन जिस तरह बाइबल की वर्सेस को इंटरप्रीएट किया जा रहा है वह गलत है अब सवाल यह खड़ा हो गया के क्या चर्च यह बर्दाश्त कर पाता?
गुस्से में गैलीलियो ने ग्रांड डच क्रिश्चियन को एक बहुत ही कंट्रोवर्शियल लेटर लिखा। जिसके बाद गैलीलियो के खिलाफ चर्च का शिकंजा और भी ज्यादा कस गया। दबाब बनाने पर गैलीलियो को मजबूरन अपनी हार माननी पड़ी। वे इस बात पर मंजूर हो चुके हो गए कि वह आज के बाद बाइबल या चर्च के खिलाफ कुछ नहीं कहेंगे।
उनके लिए अगर सभी रास्ते बंद हो चुके तो गैलीलियो अपना रास्ता खुद बनाने में विश्वास रखते थे। चर्च के खिलाफ होकर गैलीलियो मानो एक बागी बन चुके थे और अब गैलीलियो ने जवाब देने का एक नया और मजेदार तरीका भी ढूंढ लिया था। गैलीलियो ने अपने पुराने लिखने की तरीके को छोड़ एक नया तरीका अपनाया इस बार उन्होंने अपने ओसियन टाइड्स की थ्योरी को बड़े ही नोवलिस्ट अंदाज में लिखा, इस किताब में उन्होंने किरदार ऐसे बनाए जो उनकी थ्योरीस को बड़े ही चालाकी से चर्च के खिलाफ जाकर पेश करें।
जहां लोगों को ये किरदार और गैलीलियो का यह नया अंदाज पसंद आया तो वही चर्च के पोप को लगा कि गैलीलियो का एक किरदार उन पर आधारित है, और यह उनकी इंसल्ट है जिसे
चर्च बर्दाश्त नहीं करेगा। आक्रोश में आकर पोप ने 68 साल के गैलीलियो को रोम बुलाकर सभी के सामने अपनी गलती मानने को कहा, वरना उन्हें यह अंजाम भुगतना होगा। गैलीलियो ने ठीक ऐसा ही किया और चर्च ने गैलीलियो को अपनी सजा सुनाई। गैलीलियो पर चर्च से खिलाफत करने का इल्जाम लगा। लेकिन क्योंकि गैलीलियो एक पब्लिक फिगर उन्हें बाकी प्रिरसनर्स की तरह ट्रीट नहीं किया जाता था। बल्कि उन्हें किसी कैदीखाने की जगह अपने ही घर में रहने की इजाजत दी गई थी। लेकिन चर्च की बंदिश के साथ।
समय के साथ गैलीलियो गैलीली की उम्र भी ढल रही थी, बीमारियां गलियों को अपनी गिरफ्त में ले रही थी। सदी के सबसे बड़े साइंटिस्ट अब कमजोर पड़ चुका था जिन आंखों ने विज्ञान की नई खोज की थी अब बूढ़ी हो गई थी बेटी वरजीना जो अब तक उन काँपते हुए हाथों की सहारे बनी हुई थी वक्त ने उसे भी गैलीलियो से छीन लिया। वर्जिनियां उर्फ सिस्टर मारिया केल्सटी का देहांत हो गया, बेटी की मौत के बाद तो मानो पिता गैलीलियो ने जीना छोड़ दिया था।
कमबख्त बुढ़ापे ने पहले सेहत चीनी और अब 72 वर्ष के होते होते गैलीलियो पूरी तरह से नेत्र हीन हो चुके थे उनकी आंखों की रोशनी अब जा चुकी थी कुछ इस तरह एक उम्र बिताने के बाद सन 1642 में द लीजेंड ऑफ गैलीलियो गैलीली की मौत हुई। लेकिन चर्च की नाइंसाफी का आलम कुछ ये रहा कि मरने के बाद अपनी कब्र को अपने पिता के पास रखने की गैलीलियो की आखिरी इच्छा भी पूरी ना हो पाई। क्योंकि उनके सभी रिश्तेदारों को चर्च और उनकी बदसलूकी का खौफ था।
पर गैलीलियो की मौत के बाद ठीक उसी साल द रेवुलेशनरी साइंटिस्ट सर इसाक न्यूटन का जन्म हुआ और वो न्यूटन ही थे जिन्होंने गैलीलियो की कल्पनाओं को और उनकी थ्योरीस को किसी लीगेसी की तरह आगे बढ़ाया। मानो के वह उन्हीं का एक अंश हो तभी तो लोग कहते हैं ये भी मानते है कि इसाक न्यूटन, गैलीलियो का ही दूसरा रूप थे, एक पूर्नजन्म की तरह।
ताज्जुब की बात है कि गैलीलियो गैलीली कि जिन थ्योरीस पर बगावत मानकर चर्च ने बैन लगाया था गैलीलियो मरने के लगभग 250 साल बाद उन पर लगाए गए सभी बैन हटा दिए गए और उन्हें की बताई हुई थ्योरी सही साबित हुई। कई इतिहासकारों और साइंटिस्ट को भी इस बात पर अफसोस होता है कि जिस व्यक्ति ने अपनी पूरी जिंदगी दुनिया की सबसे नायाब डिस्कवरीज पर लगा दी वही इंसान मॉडर्न साइंस की ही खातिर चर्च के बनावटी सिद्धांतों और डकियानूसी सोच का शिकार हो गया फादर ऑफ मॉडर्न साइंस और फादर ऑफ मॉडर्न फिजिक्स जैसी किताबो अपने नाम करने वाले द लीजेंड ऑफ गैलीलियो गैलीली की कहानी हमें रूबरू कराती है ,
विज्ञान और धर्म के बीच कभी ना खत्म होने वाली जंग से। पर जनाब यही तो वह जंग है, जो दुनिया को विश्वास और अंधविश्वास के तराजू में तोलती है।