सही गुरु कैसे ढूंढे? – Hello दोस्तों, आध्यात्म के जीवन में गुरु का क्या महत्व है? क्या बुद्ध तत्त्व के लिए गुरु को खोजना जरुरी है? या फिर बिना गुरु के ही काम चल जाता है! देखिये दोस्तों आध्यात्म की यात्रा के लिए गुरु तो होता ही है, अब वो चाहे जीवित गुरु हो या ये प्रकृति ही आपकी गुरु हो।
अब सवाल यह उठता है कि सच्चे आत्मज्ञानी गुरु को आखिर ढूंढे कैसे ? लेकिन आप गुरु को कहाँ ढूंढेंगे, अमेज़न पर या यूट्यूब पर या किसी वेबसाइट पर और ये कैसे पता लगाएंगे की कौन सच्चा और आत्मज्ञानी गुरु है और कौन झूठा !
क्या इसके लिए आपके पास कोई पैरामीटर है, जिससे की आप सच्चा vs ढोंगी गुरु के अंतर को झांस सके, तो आप कैसे खोजेंगे !
सही गुरु कैसे ढूंढे? How to Find Right Mentor?
तो सच्चे गुरु को ढूंढने का केवल एक ही तरीका है और वो है कुछ नहीं जानने का भाव।
हाँ आपके अंदर केवल यही भाव होना चाहिए की आप कुछ नहीं जानते, कुछ नहीं जानने का आपकी तलाश को और ज्यादा गहरा कर देता है।
खोजने का मतलब ये नहीं की आप किसी चीज को पाना चाहते हैं, इसका मतलब है की आप कुछ जानना चाहते हैं। असल में आपको खोजने का मतलब ही नहीं पता, आप जिसकी खोज में हैं उसके बारे में जानते ही नहीं हैं।
आप गुरु को क्यों ढूंढ रहे हैं क्यूंकि आप भगवान् का साक्षात्कार करना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं भगवान् कैसा दिखता है या फिर आपने भी औरों की तरह धारणा बना रखी है की भगवान् कही आसमान में बैठा होगा या ऐसा कुछ। मेरा यकीन है की ऐसा आप भी सोचते होंगे।
तब तो आपको भगवान् को खोजने की जरुरत है ही नहीं, क्यूंकि आपको तो पता है की भगवान् ऊपर बैठा हुआ है जो हम सबको देख रहा है, हम सबको चला रहा है, ये केवल आपका भ्रम है, आपका बनाया हुआ भगवान् असली हो ही नहीं सकता, वो केवल आप ही की तरह होगा।
आपके अंदर केवल प्यास होनी चाहिए, जानने की जिज्ञासा होनी चाहिए, लेकिन बिना किसी स्वार्थ के। आज कल तो लोग कुंडलिनी जागृत करने के लिए गुरुओं की तलाश कर रहे हैं, वो कुछ सुपर पावर्स चाहते हैं या कुछ शक्तियां।
आपको चाहिए खालीपन, आप जितने खाली होंगे यानी कुछ नहीं होंगे, उतनी ही जल्दी आपके गुरुओं के ढूंढने की तलाश खत्म हो जाएगी।
अगर आप अपनी बुद्धि से कुछ खोजते हैं तो आपकी समझ बहुत जराजीर्ण हैं, अगर आप खोजेंगे तो आप अपनी ही जैसे किसी इंसान को खोज लेंगे, आप वही खोजेंगे जो आपको सही लगता है, जिसमें आप कम्फ़र्टेबल हों, ऐसे इंसान को जो आपके अहंकार को भोजन दे सके और फिर हो सकता है बाद में उसमें भी कमियां निकालने लगें।
आज इन सभी का बाजार भी बहुत ही तेजी से चल रहा है। बहुत से चालाक लोग जानते हैं की इंसान को बेवकूफ कैसे बनाया जाये ! वो कुछ किताबें पढ़ लेते हैं और बन जाते हैं गुरु और बाद में आपका शोषण।
शायद आपने कभी ये भी सोचा होगा की मैं आपने लिए एक सही लाइफ पार्टनर चुनुँगा। और आपने बहुत खोजा होगा, और शायद आपको मनचाहा पार्टनर मिल भी गया हो और कुछ समय बाद आपको क्या पता चलता है, क्या वो आपका चुना हुआ पार्टनर बिलकुल सही था, क्या अब आप कमियां नहीं निकालते, इंसान जिसे चाहता, जिसे मानता है, और एक ना एक दिन उसे बुराई भी करता है, उसमें कमियां भी ढूंढता है।
तो अगर आप गुरु ढूंढेंगे तो ऐसा ही होगा, आपके द्वारा ढूंढा हुआ गुरु आपके कम्फर्ट के हिसाब से होगा। सच्चा गुरु तो ढूंढा नहीं जाता, वो मिल जाता है, बस आपकी खोज सच्ची होनी चाहिए। कुछ नहीं जानने वाली होनी चाहिए, निष्काम और निष्पाप होनी चाहिए और प्यास जितनी गहरी होती जाएगी गुरु उतने ही जल्दी उपलब्ध हो जायेगा।
बस आप यानी आपके अंदर बैठा हुआ “मैं”, उसे आपको खत्म करना होगा। बस अंदर के खालीपन से चीजों को होने दीजिये, सच्चा गुरु मिल जायेगा।
सच्चे गुरु को पहचानना हो तो एक तरीका बहुत अच्छा है – आपको हमेशा सच्चे गुरु के पास में जाते ही खतरा महसूस होगा, वो आपके अहंकार को भोजन नहीं देगा, वो आपको भीतर से हिलाकर रख देगा, आप डरेंगे उनके पास जाने में। लेकिन उसी के साथ ही आपके भीतर से एक प्रेम भावना ही जागेंगी, जो कभी नहीं बदलेगी।
मतलब सिंपल है अगर आप लगातार उनके साथ खतरा महसूस करते हैं और इसके बावजूद, आप उनके साथ होना चाहते हैं तो इसका सीधा मतलब है की वो आपके लिए परफेक्ट गुरु हैं।
इसके उल्टा अगर आप सोचते हैं की आप उनके साथ बहुत कम्फर्टेबल है, तो इसका मतलब है की वो गुरु आपके लिए नहीं हैं, मतलब वो आपको आत्मज्ञान नहीं करा पायेगा। और ये बिलकुल सच है।
और हाँ अक्सर एक सवाल आता है कुंडलिनी जागृत कैसे करें, इसके लिए गुरु कहाँ से ढूंढे ? तो देखिये ये कोई कोर्स नहीं हैं, की इसके लिए आपने फॉर्म भरा और किसी इंस्टिट्यूट में गए, वहां के टीचर ने आपको कोर्स कराया और आपके कुंडलिनी जागृत हो गयी। यह एक भीतरी चीज है, अंदरूनी चीज है।
आपको बाहरी चीज के लिए टीचर्स उपलब्ध हो जायेंगे, लेकिन भीतरी खोज के लिए ऐसा बिलकुल नहीं हैं, इसकी शुरुवात आपको अपने भीतर से ही करनी होगी और बाद में अगर आपको सच्चा गुरु मिल जाता है तो वहां से आपको काफी हेल्प मिलती है, लेकिन ये तभी संभव होगा जब आप निःस्वार्थ अध्यात्म के रास्ते पर चलेंगे, सुपरमैन बनने के लिए नहीं !