गुरु की जरुरत

एक बार गाय घास चढ़ते चढ़ते कब जंगल की बीच में चली गयी उसे पता नहीं चला, दोपहर खत्म होने को थी, शाम शुरू होने को थी, गाय रास्ता ढूंढ रही थी बाहर निकलने का, अपने मालिक के पास जाने का। लेकिन उसे रास्ता नहीं मिल रहा था, तभी उसे आहत सुनाई दी, तो उसने धीरे से पीछे देखा तो एक सेर दबे पाँव उसका पीछा कर रहा था, शिकार करने की तैयारी में था।

अब गाय के पास में सिर्फ एक रास्ता था, की वो जंगल के और अंदर जाये, पीछे मुड़ती तो शिकार हो जाता। धीरे धीरे गाय आगे बढ़ने लगी। जंगल के बेचो बीच एक तालाब था, तालाब के किनारे जाकर गाय खड़ी हो गयी।

सेर ने देखा की गाय तालाब की किनारे तक पहुँच चुकी है, सेर आराम से जहाँ था, वही बैठ गया, और सेर इंतजार करने लगा, की जैसे ही गाय तालाब में जाएगी, वैसे ही उसके पीछे जाऊंगा और जा करके शिकार कर लूंगा और तो गाय के रास्ता नहीं बचा।

गाय ने भी सोचा कोई रास्ता नहीं हैं, तो वो धीरे धीरे तालाब में जाने लगी, तालाब में पानी कम था, कीचड़ ज्यादा था, थोड़ी दूर जाने के बाद गाय फंस गयी।

अब सेर ने देखा की गाय एक जगह पर रुकी हुई हैं, सेर धीरे-धीरे-धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा, तालाब की अंदर जाने लगा।

सेर को मालूम नहीं था, की उस तालाब में पानी कम था और कीचड़ ज्यादा था, थोड़ी दूर जाने की बाद सेर भी फंस गया।

अब थोड़ी दूर पर गाय थी, और थोड़ी दूर पर सेर था, दोनों की बीच में Distance नहीं थी, लेकिन दोनों चाहा कर के भी कुछ नहीं कर पा रहे थे।

न तो गाय हिल पा रही थी, न सेर शिकार कर पा रहा था, थोड़ी देर जंगल में सन्नाटा रहा।

उसके बाद गाय ने सेर से पूछा – “क्या आपका कोई गुरु या मालिक हैं ?”

तो सेर जोड़ से दहरा और कहने लगा की – “मैं ही इस जंगल का राजा हूँ, मैं ही यहाँ का मालिक हूँ, मैं ही यहाँ का गुरु हूँ, मेरा कौन गुरु या मालिक होगा !”

“वैसे पूछ क्यों रही हो ?” – सेर ने गाय से पूछा।

गाय ने बोला – “आप अपने खुद का राजा या मालिक होने का फायदा क्या हैं, आप तो हिल भी नहीं पा रहे हो”

तो सेर ने कहा – “जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दो मुझे, पूछ क्यों रही हो ? और तुम भी हिल नहीं पा रहे हो, तुम भी तो फंसी हुई हो !”

तो गाय ने कहाँ – “मालूम है क्या, अभी थोड़ी देर बाद शाम हो जाएगी, मेरा मालिक मेरा घर जायेगा और घर जाकर देखेगा की मैं वहां पर नहीं पहुंचा, तो मुझे ढूंढता ढूंढता जंगल में जरूर आएगा और मुझे यहाँ से निकाल करके वापस ले जायेगा”

वाकई में थोड़ी देर के एक आदमी वहां आता है और देखता हैं की तालाब के बीच में गाय फंसी हुई है।

वो धीरे धीरे गाय की पास तक जाता हैं, सेर से दूर रहते हुए, और गाय को बाहर निकाल लाता हैं।

उसके बाद में गाय और वो आदमी दोनों एक दूसरे को देख रहे होते हैं, और फिर सेर की तरफ देख रहे होते है।

वो आदमी चाहा करके भी सेर को नहीं बचा पा रहे हैं, क्यूंकि जैसे ही मदद करेंगे तो सेर उनका शिकार कर लेगा।

दोस्तों ये छोटी सी कहानी जिंदगी में बहुत बड़ी बात सीखाती हैं, जो गाय है वो आपके Heart का symbol हैं, आप जितने Humble रहेंगे, जितना Guidance फॉलो करेंगे उतना आगे बढ़ेंगे,

और ये जो सेर हैं ये आपकी सर का Symbol हैं, जितना आप अहंकार में दुबे रहेंगे, बस ये सोचेंगे की आप ही आप है, घमंड तो राजा रावण का नहीं टिका, हम लोगों का क्या टिकेगा!

ये छोटी सी कहानी जिंदगी में एक बात सीखाती है सही Guidance को Follow कीजिये, आप कमाल कर दिखाएंगे, और Life में गुरु का होना बहुत जरुरी है, क्यूंकि बिना गुरु के इस दुनिया की संसार को कोई पार नहीं कर सकता।

जिंदगी में खुद पर Depend रहना अच्छी बात है, लेकिन सिर्फ खुद पर ही Depend रहना गलत बात भी है।

“तो सही Guidance के साथ कर दिखाओ कुछ ऐसा, की दुनिया करना चाहे आपके जैसा”

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