Sundar Pichai की ज़िद

Sundar Pichai का इतनी ज्यादा intelligence का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हो की जब उनके घर में नई टेलीफोन आया था तब उसने जो जो नंबर dial किये थे वो आज भी उनको अच्छे से याद है।

उन दिनों में जब वो टीनएजर्स थे तब मोबाइल फ़ोन नहीं हुआ करते थे। जब उनकी फॅमिली में किसी का नंबर चाहिए होता था, तब वो Sundar Pichai से पूछते थे।

आप शायद जानते ही है की नाम तब होता है जब कोई नार्मल या मिडिल क्लास इंसान एक्सपेक्टेशंस से ज्यादा कुछ अचीव करते हैं। और वही नाम Sundar Pichai की भी है।

इस दुनिया में बहुत कम लोगों ने ही आज इतने ऊँचे मुकाम पर पहुंचा है। और उतनी ऊंचाई पर पहुँचने के बाद भी एक साधारण या आसान सा जिंदगी जीते है।

चेन्नई की एक मिडिल क्लास फॅमिली में जन्म लेने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Alphabet यानी Google के पैरेंट कंपनी में CEO बनने तक उसकी ज़िद आपको एक कदम आगे चलकर सोचने के लिए मजबूर कर देगा।

Sundar Pichai इस दुनिया के TOP PAID CEO में से एक है। 2020 के एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके सालाना सैलरी 20 Lakh USD थी।

अक्टूबर 2015 में Sundar Pichai को Google की पैरेंट कंपनी Alphabet का भी CEO बना दिया। और गूगल के भी CEO हैं।

असल में उनका सफर इतना आसान नहीं था। क्यूंकि वो मिडिल क्लास से उठ कर आज जो बना है वो आसान नहीं है।

आपको पता ही होगा जितने भी लोग मिडिल क्लास से हैं की कितनी दिक्कते होती है जब आपको बड़ा बनना होता है। ये बात कीचड़ में कमल की फूल की तरह ही है। Sundar Pichai को भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

दुनिया में गूगल की जितनी बड़ी और भी कम्पनीज है लेकिन सभी के CEO इतने फेमस नहीं हैं।

Sundar Pichai एक शांत और शर्मीले स्वभाव के इंसान है। Sundar Pichai को हिंदी बोलनी नहीं आती है। क्यूंकि उनका जन्म साउथ इंडियन फॅमिली में हुआ था।

Sundar Pichai को पहली बार पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजने के लिए उनके फादर को एक साल की सैलरी खर्च करनी पड़ी थी।

Sundar Pichai ने इतनी प्रॉब्लम फेस करि है और आज उन्होंने जिस मुकाम को हासिल किया है, एक मिडिल क्लास से ऊपर उठकर, तो वो उसका हक़, वो उस फेम की लायक है। क्यूंकि भारत की कुल आवादी में से 28% लोग मिडिल क्लास है और लेकिन उतने लोगों में सिर्फ एक Sundar Pichai बनते हैं।

सब उस मुकाम पर पहुँच ही नहीं पाते हैं।

Sundar Pichai है ही इतने मेहनती, इतने जिद्दी, इतने अलग तरीकेसे सोचने वाले इंसान। बाकि लोग उनके जैसे मेहनती है ही नहीं, अलग तरीकेसे सोचते ही नहीं। हम सभी ऐसे ही हैं। वैसे तो Sundar Pichai ने Metallurgical Engineering की पढाई की थी। लेकिन उनका इंटरेस्ट टेक्नोलॉजी में ही आय गया। और उसका भी एक कहानी है।

उनके घर में जब पहली बार उनके फादर ने फ्रिज लाया, तब उन्होंने देखा की घर में जो खाना बनती है, वो खाना मम्मी फ्रिज में स्टोर करके रखते हैं।

जिसे बाद में खाते है, बिना ख़राब हुए रखते है। और फ्रिज को लाने से उनके घर में खाना ख़राब भी नहीं होते थे, और उनकी मम्मी को घर के खाना बनाने के काम में ज्यादा आसानी हुई। बस इसी चीज को देख कर वे टेक्नोलॉजी की तरफ आकर्षित हुए। उनकी सोच में बहुत बदलाव आया की टेक्नोलॉजी से इंसान की लाइफ बहुत ही आसान कर सकते हैं।

सिर्फ एक ही बातों ने उनकी लाइफ बदल दिया।

हर सक्सेसफुल इंसान के साथ में यही होता है, वो कोई एक इंसिडेंट देख लेता या कोई एक बात सुन लेता है, कोई कहानी पढ़ लेता है, कोई बुक्स पढ़ लेता है और उनसे उसकी पूरी लाइफ चेंज हो जाती है।

क्यूंकि हमे पता नहीं चलता है की कौन सी चीज हमें चेंज कर देगा।

बिलकुल इसी तरह से Sundar Pichai ने देखा की फ्रिज में खाना रखने से लाइफ पहले से आसान हो रही है और इसी आसान करने की वजह से उनके अंदर आया की मुझे भी ऐसा लाइफ आसान करनी हैं टेक्नोलॉजी के अंदर।

2004 में Sundar Pichai ने Google में एक Product Manager के तौर पे ज्वाइन किया था। इससे पहले वे Mckinsey & Company में management & consultancy firm में काम करते थे।

2006 में गूगल में कुछ खोजने के लिए ब्राउज़र में Google.com लिखना पड़ता था। लेकिन अभी ब्राउज़र में कुछ भी टाइप करो वो गूगल सर्च इंजन में ही ओपन होता है।

तो जब लोग google.com लिख करके गूगल पे जा रहे थे, तब उस वक़्त जो ब्राउज़र चल रहा था, internet explorer (ये एक ज़माने में बहुत बड़ा वेब ब्राउज़र हुआ करता था।) ने उस वक़्त Bing को अपना सर्च इंजन बना दिया।

तो लोग डायरेक्ट bing से सर्च करने लगे थे। तो लोगों ने Google.com पर जाना बंद कर दिया। क्यूंकि लोगों को गूगल यूज़ करने में परेशानी हो रही थी। क्यूंकि Internet Explorer पर Google.com लिखना पड़ता था, उसके बाद ही लोग कुछ सर्च कर पाते थे। और एक दिन गूगल को हटाकर माइक्रोसॉफ्ट का Bing सर्च इंजन को डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बना देने से Internet Explorer में लोग सिर्फ और सिर्फ Bing के थ्रू ही सर्च करने लगे।

उस वक़्त गूगल को उनके 300 Million कस्टमर्स को खोना पड़ा। ये बात Sundar Pichai ने एरिक इमर्सन श्मिट को पहले ही बता दी थी, लेकिन एरिक ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। Sundar Pichai ने उस प्रॉब्लम का सलूशन के लिए Google Toolbar बनाया।

Google के को-फाउंडर Larry Page ने से इस vision को पहचान लिया, उनको समझ आ गया की ये बंदा अलग है। और Larry Page ने Google का खुद Web Browser बनाने का प्रोजेक्ट दिया और 2 सितम्बर 2008 में Sundar Pichai की मदद से Google ने खुद का Chrome Web Browser लांच किया। ये सिर्फ और सिर्फ Sundar Pichai की वजह से ही बना है। और Sundar Pichai की वजह से लोग आज भी Google Chrome में कुछ भी लिख कर सर्च करते हैं तो सीधा Google सर्च इंजन में ही लोगों को रिजल्ट्स दीखता है।

जब 2 सितम्बर 2008 में Google Chrome launch हुआ, उसके बाद ही Google ने अपने 80% कस्टमर्स फिर से खींच लिए। और ये सिर्फ और सिर्फ Sundar Pichai की वजह से ही हुआ था। और उसके बाद में स्मार्ट फ़ोन में भी Chrome Browser बहुत ज्यादा फेमस हो गया।

आज अकेला Google का Chrome Browser 63% से ज्यादा का Market Share लेकर बैठा है। जब की Microsoft का Internet Explorer जो की अब बदलकर Microsoft Edge बन गया है उसका मार्किट शेयर सिर्फ 2-3% ही रह गया है। और बाकि Apple का Safari Browser 19%, Firefox Browser सिर्फ 3.7 % और Opera Browser 2% का शेयर लेकर बैठे है।

और इसी में Google का Chrome Browser आज मार्किट लीडर है, सिर्फ Sundar Pichai की वजह से।

दुनिया की हर बड़ी कंपनी या आर्गेनाइजेशन में पॉलिटिक्स तो होती ही है। स्टीव जॉब्स जैसी जीनियस भी उस पॉलिटिक्स से नहीं नहीं बच पाए। जो इतने सीधे इंसान थे वो भी नहीं बच पाए। लेकिन Sundar Pichai की पर्सनालिटी और काम करने का तरीका, शांतिप्रिय जीवन की वजह से आज तक गूगल पे उनका कोई दुश्मन नहीं बना।

उनके खिलाफ पॉलिटिक्स कोई खेल नहीं सका। क्यूंकि वे किसी भी प्रोजेक्ट्स पर ऐसे काम करता था की सामने वाले को competition वाली फील ही नहीं आने देते। वो बहुत हम्बल (नम्र) इंसान हैं।

दोस्तों हम जब किसी भी बड़े इंसान के बारे में पढ़ते हैं, जानते हैं, तो हमे भी हिम्मत मिलती है की हमे भी बड़ा बनना है। हमे उनसे इंस्पिरेशन (प्रेरणा) मिलती है।

आपको महान लोगों के बारे में इसलिए जानना चाहिए क्यूंकि इससे इंस्पिरेशन या प्रेरणा मिलती है और इंस्पिरेशन हमे वो ताकत देती है जिसकी कोई हद नहीं हैं।

जब किसी इंसान की कोई आदत या किसी बात से हम inspire हो जाते हैं की मुझे भी ऐसा करना है, और अंदर तक बैठ गया की मुझे भी लाइफ में कुछ बड़ा करना है तो फिर वो एक न एक दिन होकर ही रहता है।

हम कैसे भी करके वो सब कुछ हासिल कर ही लेते हैं, हमे असल में वो करना नहीं होता है, वो हमारे से हो जाता है।

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