एक बार की बात है अर्जुन श्री कृष्ण से कहते है कि मैं लोगो के लिए इतना कुछ करता हूँ, मैं इतना दान करता हूँ, पर फिर भी दानवीर कर्ण को ही क्यों बोला जाता है।
बोला जाता है इस पूरी दुनिया में, कि जो इस दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर है वो कर्ण है, अर्जुन को क्यों नहीं बोला जाता, अर्जुन भी लोगो बहुत कुछ दान करते है।
अब कृष्ण, अर्जुन की इस बात को सुनकर मुस्कुरा जाते है। और अर्जुन को बोलते है – “चलो मेरे साथ”
अब श्री कृष्ण, अर्जुन को दूर एक जगह पर ले जाते है जहाँ पे एक बहुत बड़ा पहाड़ होता है।
अब श्री कृष्ण तो भगवान होते है, वो जैसे ही उस पहाड़ों को छूते है, वो पहाड़ पूरा का पूरा सोने का बन जाता है।
अब श्री कृष्ण, अर्जुन को बोलते है – “ये पहाड़ में तुम्हे देता हूँ, इस पहाड़ को तुम लोगो के बीच बाँट दो”
अब अर्जुन वहां पे खड़े हो जाते है और घोषणा करवा देते है आस-पास के सारे गांव में कि – “मैं अर्जुन सोना बाँटने वाला हूँ, आप सबकी जरूरते पुरे होनी वाली है, आप यहाँ आइए और सोना लेकर जाइये।”
और उसी time से अर्जुन रोज सुबह से शाम तक सोना बाँटने लग जाते है।
ऐसे ऐसे तीन दिन सोना बांटते ही रहे है और अर्जुन थक जाते है।
और अर्जुन जब थक जाता है तो श्री कृष्ण को बोलते है “मैं इतना सोना बांटता जा रहा हूँ, अब जिसकी जितनी जरुरत थी मैं उतना सोना तो दे ही रहा हूँ, फिर भी ये खत्म ही नहीं हो रहे है”
सभी को जितना सोना चाहिए होता है, वो तो अर्जुन देते ही जा रहे है, इसके अलाबा एक आदमी जो अर्जुन को बोलते है की मेरे घर में शादी है, तो अर्जुन उसको दोगुना सोना दे देते है।
कोई कहता है की मेरे घर में माँ बीमार है, तो अर्जुन तीन गुना सोना दे देते है।
अर्जुन, लोगो को सोना देते जा रहे है, वो देख रहे है लोगो की भीड़ खत्म ही नहीं हो रहे है, लोग आते ही जा रहे है।
जब लोगो को पता चलता है तो बहुत ही दूर दूर के गांव से लोग आना शुरू कर दिए है।
अब अर्जुन पूरी तरीकेसे थक जाते है, सोना बांटते बांटते।
अर्जुन, श्री कृष्ण को बोलते है कि “ये काम तो बहुत मुश्किल होता जा रहा है मेरे लिए, मतलब लोगो को देते ही जा रहा हूँ, लेकिन लोग तो खत्म ही नहीं हो रहे है”
श्री कृष्ण बोलते है “तुम अब रुको”
अब श्री कृष्ण, कर्ण को बुलाते है और कर्ण को बोलते है “ये पूरा सोने का पहाड़ मैं तुमको देता हूँ, इसे लोगो के बीच में बाँट दो”
कर्ण कहता है की “ठीक है, जैसी आपकी इच्छा”
अब वहां पे खड़े हो जाते है और एक घोषणा करते है – “ये पूरा का पूरा जो पहाड़ है सोने का, ये पहाड़ मैं आप सबको दान में देता हूँ, जितना चाहे उतना सोना आप ले सकते है”
और बोलके कर्ण वहां से चले जाते है।
अब कर्ण के जाने के बाद श्री कृष्ण बोलते है, अर्जुन से “जब तुम सोना दे रहे थे, तुम कौन होते हो ये Decide करने वाले की किसे कितना सोना देना है ? तुम जब सोना दे रहे थे, तुम अपनी वाह-वाही सुनने के लिए सोना दे रहे थे, की लोग तुम्हारे बारे में अच्छा बोलेंगे, की अर्जुन बहुत अच्छे इंसान है, वो तो हमारे लिए भगवान है”
फिर से श्री कृष्ण बोलते है अर्जुन को “जो सोना तुम दान में दे रहे हो, वो सोना तुम्हारा था ही तो तुम क्यों लोगो के लिए decide कर रहे थे कौन कितना सोना ले जा सकते है, और कर्ण को देखो की वो आया और उसने लोगो को बोला की जितना चाहे सोना ले जाओ, मतलब सब सोना ले लो और चला भी गया”
फिर से श्री कृष्ण बोलते है की “ये फर्क है कर्ण में और तुम में और इसीलिए कर्ण को पूरी दुनिया दानवीर कहते है, क्या अब तुम्हे समझ में आया!
तो दोस्तों इस कहानी से हमे क्या सीख मिला –
हम, लोगो के साथ अपने आपको compare करने लग जाते है, मैं उससे अच्छा हूँ, मैं उससे अच्छे अंग्रेजी बोलता हूँ ना, मैं उससे अच्छा दीखता हूँ ना, मेरी body उससे अच्छी है ना।
ऐसे हर चीज में आप comparison लाते हो, जब की आपका कोई Comparison है हो नहीं सकता किसी के साथ, क्यूंकि आप एकदम Unique हो।
इसके अलाबा आप ये जजमेंट लाना छोड़ दो की मुझे लोगो इतना कुछ करना है, जितना कर सकते हो, अगर आप करना चाहते हो ना तो उतना करो।
क्यूंकि एक ही जिंदगी मिली है और इस जिंदगी को आप जितना खूबसूरत बना सकते हो, लोगो के लिए करके, उतना खूबसूरत और किसी काम से नहीं बना सकते है अपनी जिंदगी को।
क्या आप जानते हो जब आप किसी से अपने आपको Compare करते हो, उसी दिन से आप अपनी खुशी से दूर चले जाते हो।
क्यूंकि जैसे ही आप किसी के साथ अपने आपको Compare शुरू कर देते, तो आप भी वही करने लग जाते हो जो दूसरे कर रहा है और हो सकता है की उसको, जिसके साथ आप अपने आपको compare कर रहे हो, वो किसी और चीज से खुश होते है और आप किसी और चीज से खुश होते हो, तो जब उस चीज को आप करना शुरू कर देते हो, हो सकता है उस चीज से आप बहुत नफरत करते हो और क्यूंकि आप किसी और से compare कर रहे हो तो आप भी वही कर रहे हो।
तो इससे आपकी खुशी आपसे दूर भागने लग जाते है। तो हमेशा दानवीर कर्ण की तरह बनो और भगवान श्री कृष्ण से सब कुछ सीखो, क्यूंकि वो जो बताते है वो परम ज्ञान है, उससे ऊपर ना कोई ज्ञान है ना कोई होगा।