बहुत समय पहले किसी राज्य में एक बहुत ही क्रूर राजा था। वह इतना क्रूर था कि उसने अपने ही जनता के पैसों को लूट कर के अपना बड़ा सा खजाना बना लिया था।
राजा के सामने यह समस्या थी कि इन सारे खजानो को कहां छुपाया जाए। अतः एक मंत्री के सलाह पर उसने शहर से दूर एक सुनसान जंगल में तहखाना बनवाया और उसमें सारे खजाने को छुपा दिया।
उस तहखाने तक पहुंचने का रास्ता और उसकी चाभी सिर्फ दो लोगों को मालूम थी: एक राजा और दूसरा उसका बहुत ही भरोसेमंद मंत्री। राजा को लगता था कि अगर मैं कभी नही जा पाया तो मंत्री को भेजकर यह सुनिश्चित कर लूंगा कि सब कुछ सुरक्षित है या नहीं।
कुछ दिनों के अंतराल पर राजा खजाने की जांच करने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद मंत्री को भेज दिया करता था। मंत्री भी राजा के आज्ञा का पालन करते हुए खजाने के सुरक्षित होने की खबर देता था। जो भी नया धन लुटा जाता था उसे भी मंत्री के द्वारा तहखाने तक पहुँचा दिया जाता था।
धीरे-धीरे तहखाने में बहुत सारा खजाना जमा हो गया। तहखाने के अंदर ऐसे ऐसे हीरे, जवाहरात और रत्न थे जिसके बारे में राजा और उसके मंत्री के अलावा दुनिया का कोई दूसरा आदमी नही जानता था। पुरा तहखना बहुत सारे अनमोल रत्नो से भरा पड़ा था।
कुछ दिनों के बाद राजा को रात मे सोते वक्त तहखाने मे जमा किए गए खजाने की याद आई। उसे तहखाने में जमा किए गए हीरे, जवाहरात और रत्नों को देखने का मन हुआ। अगले दिन सुबह-सवेरे वह अपने घोड़े पर सवार हुआ और बिना किसी को बताएं चुपचाप अपने राजमहल से निकला और जंगल में स्थित तहखाने तक पहुंच गया।
तहखाने की एक चाभी राजा के पास थी। उसने दरवाजा खोला और तहखाने के अंदर मौजूद खजाने को देखने लगा और मंत्रमुग्ध हो गया। वह बहुत खुश था और मन ही मन सोच रहा था की मुझसे ज्यादा अमीर इस दुनिया में दूसरा कोई नहीं है।
हीरे, मोती और रत्नों को देखने में राजा बहुत व्यस्त हो गया। वह अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था तभी वहां से वह मंत्री निकला जिसके पास तहखाने की दूसरी चाभी थी। तहखाने का दरवाजा खुला देख कर वह डर गया। उसे लगा कि दो दिन पहले जब मैं आया था तो शायद मुझसे गलती से दरवाजा खुला तो नहीं रह गया। उसने जल्दी से तहखाने का दरवाजा बंद किया और राजमहल की तरफ चला गया।
राजा अभी भी हीरे जवाहरात और आभूषणों को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहा था। कुछ देर बाद राजा को लगा कि अब महल की तरफ चलना चाहिए। जब तहखाने से बाहर निकलने के लिए दरवाजे पर आया तो दरवाजा बंद देखकर बहुत परेशान हुआ। दरवाजा बाहर से बंद था। राजा के पास चाभी थी लेकिन उस चाबी का होता क्या? दरवाजा खोलने के लिए राजा ने बहुत कोशिश की लेकिन सारी कोशिश बेकार हो गई।
राजा बहुत देर तक इस उम्मीद मे दरवाजे पर बैठा रहा की शायद मंत्री आए और दरवाजा खोल दे। लेकिन दरवाजे के पास बहुत देर तक बैठने के बाद भी जब मंत्री नही आया तो राजा वापस हीरे के पास आया और कहने लगा ऐ नायाब हीरे, क्या मुझे एक घूंट पानी पिला दोगे? उन रत्नों को हाथ में लेकर कहने लगा, मुझे बहुत भूख लगी है। मेरी मदद करो और दरवाजा खोल दो।
राजा को लग रहा था कि यह खजाने भी कह रहे हो कि गलत तरीके से कमाई गई जिंदगी भर की यह दौलत भी तेरी मदद नहीं कर सकते। ये सारे हीरे, मोती और आभूषण न एक घूंट पानी पिला सकते हैं और न ही भोजन का एक निवाला।
राजा भूख प्यास के कारण बहुत कमजोर हो गया और जल्द ही बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। जब होश आया तो उसकी हालत खराब थी। उसकी अंतिम सांसे चल रही थी। उसने हीरे के बक्से से बहुत सारे हीरे के टुकड़े निकाले और उस पर लेट गया।
राजा मरने से पहले एक संदेश देना चाहता है। उसका संदेश बहुत साधारण था लेकिन लिखने के लिए कोई चीज नहीं थी। उसने हीरे के टुकड़े से अपनी उंगली तोड़ ली। उंगली से खून बहने लगा। उंगली से बह रहे खून से उसने दीवार पर कुछ लिख दिया और मर गया।
दूसरी तरफ मंत्री अपने सेना के साथ राजा को खोजने के लिए निकल पड़ा। सभी सिपाही अलग- अलग दिशा मे महीनों तक राजा को ढूंढते रहे। लेकिन राजा का कुछ भी पता नही चला।
तमाम कोशिशों के बाद भी जब राजा नहीं मिला तो मंत्री के मन में दूसरा ख्याल आया। मंत्री ने सोचा कि हो सकता है राजा को किसी ने अगवा कर लिया हो। पता नहीं राजा वापस आएगा भी या नहीं। एक काम करते हैं, जंगल में जो खजाना है जिसके बारे में सिर्फ मुझे पता है उसमें से कुछ लेकर निकल लेता हूं। राजा का तो कुछ अता-पता नहीं है।
मंत्री के पास तहखाने की दूसरी चाभी थी। मंत्री ने ही उस तहखाने के दरवाजे को बंद किया था। वह चोर की तरह चुपचाप अकेला तहखाने तक पहुंचा। जैसे ही उस ने तहखाने का दरवाजा खोला तो सुन्न रहा गया। हीरो से बनी बिस्तर पर एक लाश पड़ी हुई थी और वह लाश राजा की थी। मंत्री ने जब आगे देखा तो दीवार पर खून से कुछ लिखा हुआ था। दीवार पर लिखा था मेरी जिंदगी भर की कमाई यह हीरे, मोती और आभूषण मरते वक्त मुझे एक घूंट पानी और एक निवाला नहीं दे सकी।
सीख – दोस्तों इस कहानी के माध्यम से अब आप समझ गए होंगे की लालच कितनी बुरी चीज है। लालची इंसान कभी भी अपने जीवन मे आगे नही बढ़ सकता। हमे अपने उपयोग से अधिक चीजों को नही रखना चाहिए। बल्कि इसके विपरीत हमे अपने जीवन मे त्याग और दान करना चाहिए। दूसरों की सेवा और परोपकार करने से जीवन खुशहाल होता है। दूसरों की भलाई मे जो खुशी है शायद वह किसी भी दूसरे चीज मे नही है।