117 Akbar Birbal Stories in Hindi | सम्पूर्ण अकबर-बीरबल की कहानियां

जहाँ के तहाँ

एक दिन एक ज्योतिषी ने अकबर के दरबार में आकर सौर प्रणाली और पृथ्वी के आकार के विषय में बताया। अकबर ने कहा, ” चूँकि पृथ्वी गोल है, यदि एक व्यक्ति एक ही दिशा में चलता जाए तो जहाँ से उसने यात्रा शुरू की थी वहीं पहुँच जाएगा।” ज्योतिषी ने कहा, “यह संभव नहीं है।” “क्यों नहीं संभव है?” “यात्री को सीधे रास्ते पर चलने के लिए पर्वत, जंगल और समुद्र को पार करना पड़ेगा।” अकबर ने कहा, “वह समुद्र में जहाज से जा सकता है, पर्वत में सुरंग बना सकता है और हाथियों पर जंगल पार कर सकता है।” ज्योतिषी ने कहा, “पर इसमें तो वर्षों लग सकते हैं।” अकबर ने पूछा, “अंदाजन कितने वर्ष लग सकते हैं?” “मुझे सही अनुमान नहीं है।” “मेरे मंत्री विद्वान् हैं, वे बता सकते हैं।” पर मंत्रियों के पास भी इसका कोई उत्तर न था। तभी बीरबल ने खड़े होकर कहा, “मैं एक दिन में पहुँच जाऊँगा।” ज्योतिषी ने पूछा, “केवल एक दिन? यह कैसे संभव है?” मुस्कराते हुए बीरबल ने कहा, “यह संभव है। यदि सूर्य की गति से यात्रा की जाए तो।

सच्चा मालिक कौन?

एक बार एक आदमी बहुत दूर से घोड़ा गाड़ी में यात्रा करता हुआ दिल्ली जा रहा था। रास्ते में उसे एक लंगड़ा व्यक्ति मिला। उस लंगड़े व्यक्ति ने दिल्ली साथ ले चलने का अनुरोध किया। दोनों दिल्ली पहुँचे। यात्री ने उतरने में लंगड़े की सहायता करनी चाही पर लंगड़ा चिल्लाया, “मुझे गाड़ी से उतारने का तुम्हारा साहस कैसे हुआ? मैंने तुम पर दया कर तुम्हें दिल्ली तक अपने साथ आने दिया। अब तुम उतरो और जाओ।” झगड़े को सुलझाने में असमर्थ दोनों बीरबल के पास गए। बीरबल ने दोनों की बातें सुनीं। फिर उनसे घोड़ा लेकर शाही अस्तबल में बाँध दिया और उन्हें अगले दिन बुलाया। अगली सुबह बीरबल ने लंगड़े आदमी को अस्तबल जाकर अपना घोड़ा लाने के लिए कहा। अस्तबल में ढेरों घोड़े थे। वह घोड़े को पहचान ही नहीं पाया। अब उस यात्री की बारी आई। उसने तुरंत अपने घोड़े को पहचान लिया। घोड़े ने अपना चेहरा यात्री के कंधे से रगड़ा। बीरबल समझ गया कि वही यात्री घोड़े का सच्चा मालिक है। उसने लंगड़े व्यक्ति को झूठ बोलने के लिए सजा दी। वस्तुतः वह यात्री सुदूर देश का राजा था। उसने अकबर और बीरबल को उनके सही न्याय के लिए धन्यवाद दिया।

अशुभ चेहरा

एक बार की बात है अकबर ने एक गरीब ब्राह्मण के विषय में सुना। लोगों का विश्वास था कि सुबह-सुबह उसका चेहरा देख लेने से उनका दिन दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है। सच का पता लगाने के लिए अकबर ने ब्राह्मण को महल में रात बिताने के लिए बुलाया। सुबह-सुबह उठते ही अकबर के भोजन करते समय उसकी कुर्सी टूट गई और वह गिर पड़ा। तब अकबर को सुबह – सुबह ब्राह्मण का चेहरा देखना याद आया। अकबर ने तुरंत ब्राह्मण को फाँसी की सजा दे दी। बीरबल को इस बात का पता चला। उसने ब्राह्मण से कहा कि वह उसके सुझाए अनुसार ही करे। फाँसी से पहले ब्राह्मण की अंतिम इच्छा पूछी गई। ब्राह्मण ने अकबर से बात करने की इच्छा जताई। अकबर आया। ब्राह्मण ने कहा, “हे महाराज! आपने मेरा चेहरा देखा तो आप का दोपहर का भोजन छूटा, किन्तु आपका चेहरा देखने से मेरा तो जीवन ही छूट रहा है।” अकबर को अपनी मूर्खता समझ में आ गई। उसने ब्राह्मण को बुलवाकर उससे क्षमा याचना की तथा सिक्कों से भरा थैला उसे उपहार में दिया।

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