Hunger Book Summary in Hindi – दूसरों में कमियां निकालना या किसी के रूप-रंग पर टिप्पणी कर देना लोगों के लिए बड़ा आसान और पसंदीदा काम होता है। बोलने वाले तो बोलकर निकल लेते हैं पर जो ये सब सुनता है उस पर क्या बीतती होगी? लेखिका के जीवन में घटी ऐसी ही घटनाओं को ये किताब खुलकर हमारे सामने रखती है और एक सवाल छोड़ जाती है कि क्या हम वाकई खुद को सभ्य समाज का हिस्सा कह सकते हैं?
अगर आप एब्यूज और सेक्सुअल वॉइलेंस से गुजर चुके हैं, या अगर साइकोलॉजी और सोशल वर्क के स्टूडेंट्स हैं या फिर आपको ईटिंग डिसआर्डर हैं तो ये बुक आपके लिए है।
लेखिका
रोक्सेन एक लेखिका होने के साथ-साथ पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर भी हैं। उनके आर्टिकल अक्सर द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपते रहते हैं। Bad Feminist और Difficult Women उनकी लिखी बेस्ट सेलिंग किताबें हैं।
आपने बहुत से Memoirs पढ़े होंगे लेकिन बहुत कम हैं जो रोक्सेन की तरह हिम्मत दिखाते हुए अपने वो अनुभव आपके सामने रखते हैं जिसके बारे में कोई बात करना भी पसंद नहीं करता है। इसे पढ़कर शायद आपको अच्छा भी न लगे क्योंकि इन्ट्रोस्पेक्ट करना इतना आसान काम नहीं है। पर सच तो सच होता है।
और इस मेमॉइर का सच ये है कि इसके मुख्य किरदार रोक्सेन की तरह न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो अपनी जिंदगी की कड़वी यादों को भुलाने के लिए गलत तरीकों का सहारा लेते हैं। फर्क बस इतना है कि रोक्सेन ने इसे सबके सामने एक्सेप्ट करने की हिम्मत दिखाई है। ताकि लोग उनके नजरिए को भी समझ सकें और उनकी तरह जीने वाले लोगों को भी। आंकड़े साफ हैं कि यूएस में मोटापे से जूझ रहे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हो सकता है कि रोक्सेन की कहानी पढ़कर आपको ये समझने में आसानी हो कि ज्यादातर डाइट प्लान काम क्यों नहीं कर पाते।
हम उन लोगों को अजीब नजरों से क्यों देखते हैं जो समाज के बनाए फिटनेस, सुंदरता या ऐसे किसी भी क्राइटेरिया में फिट नहीं होते। हमारा रवैया इनकी परेशानी और बढ़ा देता है। शायद इसे पढ़कर हमें ये समझ आ जाए कि इनको प्यार और सपोर्ट की कितनी जरूरत है। इस समरी में आप जानेंगे कि कोई बुरी याद किस तरह सालों आपका पीछा करती रहती है? और लोग किस तरह दूसरों के जीवन में दखलअंदाजी करके उनकी परेशानियां बढ़ा देते हैं ।
तो चलिए शुरू करते हैं!
रोक्सेन हैती-अमेरिकन बैकग्राउंड से आती हैं। इनका परिवार ओमाहा, नेब्रास्का में रहा करता था। उनका पालन-पोषण एक आम कैथोलिक की तरह ही हुआ। वे खूब पढ़ाई करके डॉक्टर बनने की बात सोचा करती थीं। उनको इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि जिंदगी ने तो कुछ और ही प्लान किया हुआ है। 12 साल की उम्र में उनके प्रेमी और उसके कुछ दोस्तों ने रोक्सेन की इज्जत लूट ली।
इस दुर्घटना ने उनको तोड़कर रख दिया। उनको लगा ये जो कुछ हुआ है वो उनकी ही गल्ती की सजा है क्योंकि वो उस लड़के के साथ पहले इंटीमेट हो चुकी थीं। इसलिए ये बात उनके दिल में बैठ गई कि अपनी धार्मिक मान्यता के खिलाफ जाकर उन्होंने ऐसा किया जिसका ये नतीजा निकला। वे अपने घर पर किसी को ये सब नहीं बता सकीं। इन यादों को अपने अंदर दफ्न करने के लिए उन्होंने खाने का सहारा लिया और इस तरह वो ओवर ईटिंग करती रहीं।
कुछ सालों बाद उनको एक नामी बोर्डिंग स्कूल भेजा गया। अब तो उनके खान-पान पर माता-पिता की पाबंदी भी नहीं थी। वो जितना चाहें उतना खा सकती थीं। ये खुद को सजा देने का एक तरीका तो था ही और उनको ये भी लगता था कि उनका शरीर जितना भद्दा हो जाएगा, ऐसी किसी दुर्घटना से वो उतनी ही सुरक्षित हो जाएंगी। उनको ये बात अच्छी तरह समझ आती थी कि मोटी औरतों को कोई पसंद नहीं करता है। और जैसे-जैसे उनका वजन बढ़ता गया उनके मन में ये बात घर करती गई कि अब वो गंदी मानसिकता वाले आदमियों की नजरों से बचती जा रही हैं।
कुछ समय तक वो अच्छी तरह पढ़ाई में लगी रहीं। उनको येल यूनिवर्सिटी के प्री मेडिकल प्रोग्राम में एडमिशन भी मिल गया। लेकिन वो खुद को नियमों में और बांध नहीं पाईं और पढ़ाई छोड़ दी। अब वो उस लड़के के साथ भविष्य की कल्पना करने लगीं जो उनको ऑनलाइन डेटिंग पर मिला था।
येल पंहुचकर उनको ऐसा महसूस हुआ कि यहां तो दोहरी जिंदगी जीनी पड़ेगी और अपने अतीत को झुठलाना पड़ेगा। इस दोराहे से बचने के लिए वो एक नए सफर की तरफ चल पड़ीं जहां उनको उतनी ही चोट और दुत्कार मिला जिसके लायक वो खुद को मान बैठी थीं।
रोक्सेन अपने अतीत के लिए खुद को जिम्मेदार मानती थीं और इस गिल्ट की वजह से वो खुद को सजा देने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थीं। पढ़ाई छोड़ देने के बाद वो ऐसे लोगों के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगीं जो उनको उतनी ही बुरी तरह से ट्रीट करते थे जितना वो खुद को समझती थीं। उनको तरह-तरह के शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार से गुजरना पड़ा।
अपने लिए फिजिकल टॉर्चर का तरीका तो उन्होंने पहले से ही ढूंढ लिया था। उनको लगता था कि उनका शरीर तो पहले बारह साल की उम्र में ही बर्बाद हो चुका है। तो अब इसकी देखभाल करने की क्या जरूरत है? वो अपनी जिंदगी को बेकार समझती थीं और लगातार जंक फूड में डूबी रहती में थीं ताकि उनका शरीर बिगड़ता जाए। उनको लगा कि वो जिस भी रिश्ते में रहें वहां उनको एक गार्बेज बैग की तरह समझा जाए।
वो लोगों के करीब आतीं, उनका साथ पाकर खुद को खुशकिस्मत समझतीं, फिर उनकी नफरत सहतीं और अंत में उनको दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया जाता। बस यही साइकिल चलता रहता। एक बार वो अपने पार्टनर को इम्प्रेस करने के लिए उसके साथ कॉस्मेटिक शॉप पर गईं। वहां उन्होंने प्रोफेशनल आर्टिस्ट से मेकअप कराया। लेकिन उनकी उम्मीद के उलट उनको तारीफ के बदले मजाक सहना पड़ा। उस घटना की याद इतनी ताजा है कि वो आज भी मेकअप से दूर रहना पसंद करती हैं।
इस घटना से उनके मन में ये विचार आया कि अगर वो लेस्बियन होतीं तो ज्यादा अच्छा होता। उनको लगा कि महिलाएं शायद पुरुषों जितनी बुरी नहीं होती हैं। हालांकि अभी तक उनको ये समझ आ चुका था कि वो बाई सेक्सुअल हैं। वो जितनी महिलाओं के साथ रिलेशन में रहीं किसी से भी उतना इमोशनल सपोर्ट नहीं मिल पाया जितनी उनको जरूरत थी।
और वो इस बात को भी नहीं भूल पाती थीं कि उनको पुरुषों में भी इंट्रेस्ट है। चाहे महिला हो या पुरुष उनका हर रिलेशन एक ड्रामे की तरह था जहां उनको बस विक्टिम की भूमिका निभानी आती थी। इस वजह से हर रिश्ते का एक सा अंत होता था। लेकिन ऐसा नहीं था कि सिर्फ उनके पार्टनर्स ने ही उनका फायदा उठाया। जब भी जिसको भी मौका मिला उसने रोकसे को एक नया घाव दे दिया।
लोग मोटे लोगों की परेशानियों और मोटापे के पीछे छिपे मनोविज्ञान को समझने की कोशिश ही नहीं करते।
यूएस में मोटापे की दर सबसे ज्यादा है। मेडिकल साइंस में मोटापे की वजह को समझने के लिए बहुत स्टडी होती है पर मोटे लोगों के लिए बहुत कम सोचा जाता है। रोक्सेन ने हमेशा ये कोशिश की है कि वो किसी की जिंदगी में टांग न अड़ाएं लेकिन लोग उनसे टकराए बिना मानते ही नहीं हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं और उनको परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। और ये रवैया सिर्फ पब्लिक डीलिंग में ही नहीं हर जगह होता है।
ऐसा लगता है जैसे उनका वजन दूसरों पर भार डाल रहा है। न तो उनकी साइज के अच्छे कपड़े मिलते हैं और न ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बैठने की इतनी जगह होती है। होटलों में आर्मरेस्ट वाली कुर्सियां होती हैं जिस पर बैठना बड़ा मुश्किल हो जाता है। और अगर खुली कुर्सियां मिल भी जाती हैं तो रोकसे डर के मारे ज्यादा टिककर नहीं बैठती कि कहीं वो कुर्सी टूट ही न जाए।
समाज में मोटे लोगों की प्रेजेंस को तभी महसूस किया जाता है जब उनको अपमानित करना हो। वरना तो लोग उनको इग्नोर ही करते हैं। रोक्सेन को ये समझ आ गया था कि अगर उनको सोसाइटी में अपनी जगह बनानी है तो खुद को बदलना ही होगा। द बिगेस्ट लूजर जैसे लोकप्रिय रियालिटी शो में भी यही दिखाया जाता है कि पतला होना जरूरी है चाहे इसके लिए जो भी करना पड़े।
इस शो को जीतने के लिए पार्टिसिपेंट्स में वजन घटाने की होड़ लगी रहती है। पर वहां कोई भी इस बात पर ध्यान नहीं देता कि आखिर इनका वजन बढ़ा कैसे? दर्शकों को भी ये देखकर बड़ा मजा आता है कि किस तरह ये लोग पसीना बहाकर, गिरते-पड़ते और हालत खराब करते हुए भी सोसाइटी में फिट होने की कोशिश कर रहे हैं। सच तो ये है कि मोटापे की अकेली जड भोजन नहीं है। इसमें सालों से असर डाल रहे बहुत से इमोशनल फैक्टर भी शामिल होते हैं। इसलिए इससे छुटकारा पाना भी कोई चुटकियों का खेल नहीं है।
रोक्सेन के लिए वजन बढ़ाना बुरे आदमियों की नजरों से खुद को बचाने का तरीका था पर इसकी वजह से वो लोगों की नजरों में और भी ज्यादा आने लगीं। उनके वजन को निशाना बनाकर अनजान लोग भी उनकी लाइफ में दखल देते हुए उनको तरह-तरह की एडवाइस करने लगते थे।
जब वो शॉपिंग करने जाती तो लोग उनके हाथ से ये कहकर सामान खींच लिया करते कि ऐसी चीजें उनको नहीं खानी चाहिए। असल में लोगों के लिए मोटापे और मूर्खता में कोई फर्क नहीं है। यानि उनके हिसाब से मोटे लोगों को इस बात की समझ ही नहीं होती कि क्या खाएं और क्या न खाएं। इस वजह से उन सबको मोटे लोगों लाइफ कंट्रोल करने का अधिकार है जो थोड़े से भी फिट हैं।
एक बार किसी पब्लिक इवेंट में भी उनको शर्मिंदा होना पड़ा था। स्टेज की ऊंचाई कम थी इस वजह से उसमें सीढ़ी नहीं लगाई गई थी। बाकी लोग तो आसानी से ऊपर चढ़ गए पर रोक्सेन पांच मिनट तक वहीं अटकी रहकर किसी तरह स्टेज पर पंहुची। जैसे ही वो कुर्सी पर बैठीं उनको लगा कुर्सी चटकने लगी है। इस बात से उनका दिल कांप गया कि उनको तो अगले दो घंटे यहीं बैठना है।
उनका वजन तो लोगों को खटकता ही था उस पर उनका काला होना आग में घी का काम करता था। रोक्सेन ने हमेशा छोटे शहरों में रहना पसंद किया। इस तरह उनको ज्यादा प्राइवेसी मिल जाती थी और बड़े शहरों के सुंदरता के पैमाने पर खरा उतरने का दबाव भी नहीं रहता था।
हालांकि इन इलाकों में गोरों की संख्या ज्यादा होती थी। इस वजह से उनको रेसिज्म जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता था। दुनिया से बचने के लिए रोक्सेन को अब तक कोई सही जगह नहीं मिल पाई है। हालांकि अब वो अपनी लाइफ और खास तौर से अपने शरीर को पहले से ज्यादा सकारात्मक ढंग से स्वीकार करने लगी हैं।
रोक्सेन के सामने दो चुनौतियां हैं। एक है उनका वजन जिसे वो कम नहीं कर पाती हैं और दूसरी चुनौती ऐसे लोग हैं जो उनके वजन को लेकर उनको नसीहतें देते रहते हैं। इन सबके बीच रोक्सेन इस बात को फॉलो करने लगी हैं कि खुद को एक्सेप्ट और प्यार करना सबसे जरूरी है।
अब वे वजन घटाने पर सही तरह से ध्यान दे रही हैं। कुछ सालों तक रोक्सेन बुलीमिक होकर जी रही थीं। इसमें पहले बहुत सारा खाना खाया जाता है और फिर वॉमिट करके उसे बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन अब उन्होंने सही रास्ता पकड़ा है और जंक फूड कम करके होम मेड हेल्दी फूड खाना शुरु कर दिया है।
वो अपने परिवार के साथ भी रिश्ते सुधार रही हैं। उनका परिवार फिटनेस पर बहुत ध्यान देता है, सभी लोग देखने में आकर्षक हैं और रोक्सेन को भी वजन कम करने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए सपोर्ट करते हैं। हालांकि उनकी बातें हमेशा रोक्सेन के वजन के आसपास ही घूमती हैं पर रोक्सेन को उन लोगों का इस तरह चिंता करना बड़ा प्यारा एहसास लगता है।
लेकिन वो ये सोचकर उदास भी हो जाती हैं कि उनका परिवार भी उनको इस शरीर के साथ स्वीकार नहीं कर पा रहा है। रोक्सेन को पता है कि फिटनेस की तरफ बढ़ता हर दिन उनके उस डर को फिर जिंदा कर सकता है जिसकी वजह से वो ओवर ईटिंग की तरफ झुक गई थीं।
वजन कम करने पर उनको अपने मनपसंद कपड़े पहनने का मौका मिलेगा और अपने रूटीन वर्क करने में कोई परेशानी भी नहीं आएगी। पर जैसे ही उनका वजन कम होने लगता है उनपे असुरक्षा का डर हावी हो जाता है और वो वजन दुबारा बढ़ा लेती हैं। अब वो अपनी कमजोरी अच्छी तरह समझ चुकी हैं और खुद को ये यकीन दिलाने में लगी हैं कि उनको सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है।
रोक्सेन के लिए वजन कम करना जरूरी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है उनका स्वास्थ्य। लेकिन उनके दिल के किसी कोने से अब भी एक आवाज आती है कि किसी तरह से मोटे लोगों के लिए समाज की इस सोच को बदला जाए। वो चाहती हैं कि उनके जैसी दूसरी महिलाएं भी इस बात को समझें कि खुशियां आपके कपड़ों की मोहताज नहीं हैं। रोक्सेन जानती हैं कि यादों से पीछा छुड़ाना लगभग नामुमकिन है। इसलिए वे अपने अतीत और वर्तमान से संतुलन बना चुकी हैं। वे चाहती हैं कि अतीत में चोट खाए और लोग भी इस बात को समझें और अपना वर्तमान खराब न करें।
कोई भी व्यक्ति अपने रंग-रूप की वजह से ताने या दुर्व्यवहार सहने का हकदार नहीं हो जाता है। अगर कोई मोटा है तो हो सकता है कि उसके साथ कुछ ऐसा हुआ हो जिसने उसे ओवर ईटिंग के लिए मजबूर किया। एक अच्छा और सभ्य समाज वही हो सकता है जो ऐसे लोगों की तरफ संवेदना और प्यार की भावना रखे न कि उनको शर्मिंदा करके नीचा दिखाए।
दोस्तों आपने आज क्या सीखा ?
आपको आज का यह Hunger Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.