Difference Between Love & Attachment. Hello दोस्तों, प्यार जो आप सोचते हैं वो शायद नहीं है और उसको attachment बोलते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि प्यार और attachment में क्या फर्क है तो इस article को आगे जरूर पढ़िए।
Difference Between Love & Attachment
Actual में प्यार और Attachment क्या है?
जिसको हम लोग प्यार-प्यार बोलते हैं कि हमें अपने बच्चों से बड़ा प्यार है, क्या actual में वह प्यार है?
सबसे पहले तो हमको यह जानना जरूरी है कि प्यार क्या होता है, और attachment क्या होती है?
Attachment मतलब क्या – कि मैं उस बच्ची की मां/बाप हूँ, तुम मुझे उस को खिलाते रहना है। उसका पेट भर गया है, लेकिन जबरदस्ती उसको और खिलाने की कोशिश कर रहे हैं, और हम सोच रहे हैं कि यह बच्चे के लिए अच्छा है।
आप सोचो कि क्या यह सच में अच्छा है!!!
अभी से हमने अगर अपने बच्चों को overeating की आदत डाल दी तो आगे जाकर के वह बच्चे जिंदगी भर के लिए रोता ही रहेगा। फस गया ना वो बिचारा।
आदत तो पर गयी की जितनी भूख है उससे ज्यादा भी खा लो तो चलता है। taste के लिए भी खा लो तो चलता है, मम्मा ने tasty बनाया है तो चलता है, खा लो….. फस गए ना वह……
Attachment में क्या होता है कि हम हमेशा वह करना चाहते हैं उसके साथ में जो हमें सही लगता है, जो हमें अच्छा लगता है।
यहां सही तक भी बहुत कम लोग पहुंचता है, सही और अच्छा में बहुत फर्क है।
हमें करने में अच्छा लगता है – यहां अच्छा मतलब हमें मजा आता है उस काम को करके। अच्छा लगता है कि बच्चा रो रहा है, चीख रहा है, चिल्ला रहा है कि मुझे यह खिलौना चाहिए, चाहिए…….
तो बच्चे को रोते हुए देख कर के हमें बुरा लगता है ना, तो उस टाइम हम क्या कहते हैं उसको की चल तूने दो खिलौने ले लिए, तीसरा भी ले ले।
तो बच्चा हंसने लग गया, हम खुश हो गए।
क्या ज्यादातर काम, जो हम कर रहे है वो गलत कर रहे है ?
इसमें हमें तो अच्छा लगा, लेकिन आप सोचो क्या यह उस बच्चे के लिए सही है? नहीं ना……, और ऐसा तो हमने सोचा ही नहीं।
तो अब हमें यह जानना चाहिए कि actual में क्या करना चाहिए वहां पर – कि आपको देखना है कि उस बच्चे के लिए क्या सही है।
क्या सही है – कि उसको यह समझ आए, अगर हम किसी mall में toy shop में जाएंगे कभी भी तो एक toy खरीदना है तो मतलब सिर्फ एक toy ही तुम्हें मिलेंगे।
तो अब क्या होगा कि उसको यह समझ आ जाएगा कि मेरे रोने से, चीखने से, चिल्लाने से मेरी बात नहीं मानी जाती है। यह उस बच्चे के लिए बिल्कुल सही है।
लेकिन इस सच्चाई तक पहुंच नहीं पाते है। इसके लिए हम को क्या चाहिए कि हमें बड़ा patience चाहिए, उस चीज को देखने के लिए।
तो इसमें प्यार को सामने लाना है मतलब प्यार को समझना है, प्यार हमको patience देता है।
Attachment हमको impatience बनाता है।
Patience कितना जरुरी है?
जैसे – बच्चे की किसी से लड़ाई हुई, उसने आकर के कुछ भी बोला आपको, आपको पता नहीं है कि गलती आपके बच्चे की है या सामने वाले बच्चे की है। और आप पहुंच गए लड़ने के लिए।
तो आप क्या बन गए impatient बन गए।
किसकी वजह से – जिसको आप प्यार कह रहे हो, वह असल में Attachment है।
प्यार अगर होगा तो क्या करोगे बरे patience से, आराम से आप पहले पूरी situation को समझेंगे, यानी जो असल में हो रहा है उसको समझोगे, यह नहीं कि जो अंदर आपके feelings हो रहा है वह सुनकर के reaction trigger हो रहे हैं, और आप react कर जाओगे।
तो you will not react, you will respond. यह हम कब कर सकते हैं – जब हम actual में उस बच्चे से प्यार करते हैं।
हम कहते हैं कि बच्चे से प्यार करते हैं, actual में हम अपने आपसे प्यार करते हैं। क्योंकि बच्चे को गले लगाकर बड़ा मजा आता है, बड़ी कमाल की feeling होती है। तो आपको लग रहा है कि मैं उस बच्चे से प्यार कर रहा हूं।
हो सकता है बच्चा irritate हो रहा हो। दोनों में फर्क समझ आया आपको…… Attachment और Love के अंदर।
Attachment क्या है – बच्चे को पकड़ा, उसकी बाल पूरी घुचेर-पुछेर कर दिया, पप्पिया ले रहे हैं। ऐसा हर कोई लोग करता ही है।
आप सोचो आपको कोई ऐसा करें तो कैसा लगेगा आपको!!!! यही बच्चों की हालत होती है।
यह Attachment है, यह प्यार नहीं है। प्यार मतलब क्या है उस बच्चे को कैसा feel हो रहा है।
Actual में प्यार का मतलब क्या है?
अगर आपको actual में उस बच्चे से प्यार है तो आप हमेशा वह करोगे –
- जिसमें उस बच्चे की खुशी है;
- जो उसके लिए सही है।
अगर इन दोनों में से किसी एक को choose करना पड़े तो आपको वो करना है जो बच्चे के लिए सही है। क्योंकी ख़ुशी उसकी गलत चीजों में भी तो हो सकती है।
अगर इंडिया में हर मां-बाप को यह Attachment और Love को अच्छे से समझ में आ गया ना तो इंडिया में कभी बच्चे suicide नहीं करेंगे।
ज्यादातर 15-17 साल के बच्चे जो suicide करते है माँ-बाप की इन्ही Attachment की वजह से ही suicide करते है। सुनने अच्छा नहीं लगता लेकिन यही सच है।
Conclusion
बच्चे को compare करते है और इसी comparison के कारण बच्चे का कोई school में marks कम आया या बच्चे पढाई में अच्छा भी है तो भी उसको pressure डालते जाते है की और ज्यादा अच्छा हो रट्टा मारने में, ये प्यार की वजह से नहीं Attachment की वजह से। प्यार अगर होता तो माँ-बाप बच्चे को कहता की तू जो है लेकिन unique है, तू कभी भी किसी से कम नहीं है न किसी से ज्यादा है।
ऐसा कुछ motivational बाते करता, लेकिन नहीं, जो Attachment है न मेरे बच्चे ने ये नहीं किया तो मैं उस _ बच्चे की माँ के सामने मुँह कैसे दिखाऊंगा। और इसी के कारण बच्चो को दिन रात mentally torture किया जाता है अपने माँ-बाप के द्वारा ही।
तो ऐसा आपको नहीं करना है…. क्या होगा आज स्कूल में किसी बच्चे से 20 marks ज्यादा पा ले, तो आगे जाके तो वो कही पर नौकरी ही करेगा ना…… तो बच्चे को Attachment के साथ मत जुडो उसको प्यार करो।
अगर आपको बच्चे से प्यार है तो उसको ऐसा क्यों नहीं बनाते उसको, की वो रट्टा नहीं सिर्फ ज्ञान प्राप्त कर सके। ताकि वो positive thoughts और बिना mental pressure के वो जिंदगी को ख़ुशी से साथ आगे ले जाये……..
तो आपको Love और Attachment को अच्छे से समझना है….. तभी हमारे जिंदगी में ख़ुशी आ पायेगी।