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माँ-बाप के लिए आधार कार्ड

कहानी1 year ago2 Views

किसी ने बड़े कमाल की बात कही है की अगर माँ-बाप हमारे लिए ATM card बन सकते हैं तो हम उनके लिए आधार कार्ड तो बन ही सकते हैं।

ये प्रेरणादायक कहानी एक ऐसे बिजनेसमैन की है जिनकी लाइफ में सब कुछ ठीक चल रहा था, ऊपरवाले का आशीर्वाद था, उनकी पर्सनल relationship हो, professional relationship हो, पर्सनल लाइफ, प्रोफेशनल लाइफ सब कुछ बढ़िया।

बेटा उनका foreign में पढ़ाई कर रहा था।

एक दिन उनकी Wife की एक बहुत बड़ी Accident हुई और उसकी death हो गयी। उन्हें ऐसा लगा की उनकी लाइफ में सब कुछ खत्म हो गया।

बेटा जब foreign से वापस आया, तो इन्होंने अपने बेटे से एक request की “कि बेटा अब वापस मत जाना, तुम मेरे साथ रहना, मेरे साथ रह कर यही इसी शहर में पढाई करना, सब कुछ अच्छा हो जायेगा”

अब आसपास लोग होते हैं जो राय देने लगते हैं, इन्हें काफी लोगों ने राय देने लग गए रिश्तेदारों ने कहा, दोस्तों ने कहा की “भाई साहब, दूसरी शादी कर लीजिये, आपकी लाइफ फिर से पत्री पर आजायेगी”

लेकिन इन्होंने उन लोगों से कहा की “मेरी wife, मेरे ऊपर बहुत उपकार करके गयी है, मेरा बेटा मेरे साथ छोड़के गयी है। जब मेरा बेटा मेरे साथ है, मुझे दूसरी wife की जरुरत नहीं है”

इन्होंने दूसरी शादी नहीं की। ये इंतज़ार करते रहे की बेटा बड़ा हो जाये, बिज़नेस संभालने की लायक हो जाये।

जब बेटे ने पढ़ाई पूरी कर ली तो बेटे को अपना बिज़नेस सौंप दिया।

उसके बाद ये office कभी कभी चले जाते थे, दोस्तों के साथ मिलने के लिए, बात करने के लिए बैठा करते थे।

लग रहा था की वापस से लाइफ पत्री पर आ रही थी।

इन्होंने अपने बेटे से कहा “बेटा मैं चाहता हूँ की अब तुम शादी कर लो, घर में बहु आ जाये”

बेटा पापा की बात ताल नहीं सकता।

उपरवाले का आशीर्वाद था, जो मन ख्वाईश करि वो पूरी हो गयी।

शादी हो गयी बेटे की, बहु आ गयी।

बेटे की शादी के एक साल बाद में एक दिन ऐसे ही जब ऑफिस से घर आये थे, लंच करने के लिए बैठे थे, तो उन्होंने अपनी बहु से एक request की “कि बेटा आज खाने के साथ में दही लगा देना”

और बहु ने कहा की “पिताजी दही तो खत्म हो गया”

पिताजी बिना दही खाये सिर्फ खाना खा करके चले गए, उसके बाद में बेटा, बहु के साथ में खाना खाने के लिए बैठा, तो पता नहीं कहा से कटोरी में दही आ गया।

बेटे ने वो देख लिया। लेकिन बेटे ने अपनी wife से कुछ नहीं कहा।

बेटा भी चुपचाप ऑफिस चला गया।

कुछ दिन बाद बेटे ने अपने पापा को जल्दी से फ़ोन करके बोला “पापा आप जल्दी से ऑफिस से आ जाइये, मुझे आपको लेके court चलना है और आपकी दूसरी शादी करवानी है”

तो पिताजी को गुस्सा आगया, उन्होंने कहा की “बेटा क्या जरुरत है, मतलब मुझे समझ में नहीं आ रहा है। सब कुछ तो ठीक चल रहा है, मेरे घर में बेटा है, बहु है, जल्दी पोता-पोती आ जायेंगे, तुम क्यों परेशान हो रहे हो, तुम्हे क्या माँ की जरुरत है, मैं तो हूँ ही ना, तुम्हे इतने सालों से प्यार देते आ रहा हूँ”

इसको ध्यान से पढ़े –

बेटे ने कहा “ना मैं अपने लिए माँ लेने जा रहा हूँ, ना आपके लिए wife लेने जा रहा हूँ, मैं तो आपके लिए दही का इंतजाम करने जा रहा हूँ”

पापा की दूसरी शादी करवाने के बाद बेटे ने वो घर छोड़ दिया और पापा की उस कंपनी में जो वो संभाल रही थी, उसने फिर से employee की तरह नौकरी करने लगा ताकि उसकी wife को दही के इंतजाम के बारे में मालूम चले।

उसकी वाइफ को दही की value मालूम चले, उसकी wife को दही की price मालूम चले, उसकी wife को life का price मालूम चले, relationship का price मालूम चले।

ये छोटी सी कहानी लाइफ में बहुत बड़ी बात सिखाती है की Family है तो सब कुछ है, अपने है तो सब कुछ है।

आज हर कोई अपनी Family से भागना चाहता है, अलग होना चाहता है, अलग होने लग गए है लोग, यहाँ तक की अपने माँ-बाप को अनाथ आश्रम में छोड़ने लग गए हैं लोग।

तो मेरा छोटा सा Request यही है अगर आप Family के साथ रहेंगे तो मजा आ जायेगा, एक बात हमेशा याद रखिये की अगर माँ-बाप हमारे लिए ATM कार्ड बन सकते है तो हम उनके लिए आधार कार्ड बन ही सकते हैं। 

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