इस समरी को फिनिश करने के बाद आपको इन सारे सवालों का ज़वाब मिल जाएगा:
1) आप ऐसा क्या करे कि आपके कस्टमर को आपका मैसेज या आपका प्रोडक्ट याद रहे ?
2) आप क्या करे कि आपका कस्टमर आपके मैसेज पर एक्ट करे ?
3) अपने कस्टमर का ध्यान खीचने के लिए आप क्या करें ?
तो चलो मानते है कि मेरा एक दोस्त है डेव। तो एक बार मेरा दोस्त डेव बिजनेस ट्रिप के लिए न्यू यॉर्क जा रहा था। उसकी फ्लाईट में अभी टाइम था तो ऐसे ही वक्त काटने के लिए वो एक bar में पहुंचा।
तभी एक खूबसूरत लड़की वहां आई और उसने डेव को एक ड्रिंक ऑफर की। एक खूबसूरत लड़की की इस पेशकश को डेव भला कैसे ठुकराता। उसने ख़ुशी ख़ुशी ऑफर एक्स्पेट कर लिया।
उस लड़की ने दो ड्रिंक्स आर्डर किये, एक अपने लिए और एक डेव के लिए.उसके बाद क्या हुआ डेव को कुछ भी याद नहीं था। जब उसे होश आया तो उसने देखा कि वो एक बाथटब में लेटा हुआ था जिसमे बर्फ भरी हुई थी।
पास में ही एक पर्ची पड़ी थी जिसमे लिखा था – ”हिलना मत, 100 पर police को कॉल करे। जब उसने पास ही रखे एक फ़ोन से 100 नंबर डायल किया तब उसे मालूम पड़ा कि उसकी किडनी निकाल ली गयी है।”
अब मान लो कि आप इसकी जगह एक न्यूज़ पेपर में एक खबर पड़ते है जो कुछ इस तरह है “व्यापक अर्थ में, मुद्रा प्रगति को कुछ इस तरह देखा जा सकता है कि “किसी भी माध्यम से प्राप्त पर केपिटा उचित तनख्वाह में होने वाली प्रगति” कुल प्राप्त वस्तु और आर्थिक क्षेत्र में व्यापार की बढोत्तरी”.
अब आपने दोनों स्टोरीज को सुना और अपने एक दोस्त को फ़ोन करके बताया कि आपने क्या पढ़ा। तो क्या आप बता सकते है कि आपको कौन सी स्टोरी ज्यादा याद रहेगी ? ज़ाहिर है आप कहेंगे कि पहली वाली क्योंकि वो ज्यादा इंट्रेस्टिंग है जो हमेशा याद रहेगी।
एक स्टोरी को यादगार बनाने के 6 प्रिंसिपल है जिसे SUCCESS word से याद किया जा सकता है। यानि आप ‘S’ से अपने मैसेज को सिंपल बनाये, ‘U’ से अपने मैसेज को unexpected रखे, ‘C’ से अपने मैसेज को कोंक्रीट, अगले ‘C’ से क्रेडीबल, ‘E’ से मैसेज को इमोशनल रखे और ‘S’ से अपने मैसेज में स्टोरी डालें।
SUCCESS word में वैसे तो एक और ‘s’ आता है लेकिन last वाले ‘S’ से कोई principle नहीं है।
एक आर्मी के पास लड़ाई के मैदान में जीतने के लिए एक शानदार प्लान हो सकता है फिर भी वो हार सकती है लेकिन ऐसा क्यों होता है ? वो इसलिए क्योंकि ये प्लान काम नहीं करते है।
प्लानिंग से सोल्ज़ेर्स को एक फील मिलती है कि कुछ तो प्लान किया गया है मगर सिर्फ इसके सहारे वो लड़ाई नहीं जीत सकते है। इसके पीछे वजह ये है कि बेशक उनके पास कोई परफेक्ट प्लान होगा मगर असली मायने में जब लड़ाई होती है तो उस वक्त कभी भी कुछ ऐसा हो सकता है जो उनके प्लान की धज्ज़िया उड़ा सकता है।
जैसे कि उनका कोई बड़ा ज़रूरी एस्सेट डिस्ट्रॉय हो गया या फिर दुश्मन ने कोई सरप्राइज़ चाल चल दी। तब सोल्जेर्स प्लान इग्नोर करके अपने इंस्टिंक्ट के हिसाब से एक्ट करेंगे।
वैसे किसी भी अनप्रेडिक्टेबल खतरनाक हालात में कोई प्लान मुश्किल से ही काम करता है। कहने का मतलब है कि आपको अपने message को सिम्पल रखना पड़ेगा दुसरे शब्दों में कहे तो आपको आईडिया का Main message, core message मालूम होना चाहिए ताकि जिसे भी वो core message पता हो वो उस core message के according अपने PLANS change करता रहे।
अब आईडिया का कोर पता करने के लिए आपको फ़ालतू के आईडियाज़ हटाने पड़ेंगे, जो कि आसान है…….
मुश्किल है तो उन इम्पोर्टेंट आईडियाज़ को रिमूव करना जो मोस्ट इम्पोर्टेंट नहीं है। मगर आपको केयरफुल रहना पड़ेगा कि आप मोस्ट इम्पोर्टेंट आईडिया को ना हटा दे। अब कोर message तैयार करने के लिए दो स्टेप्स ये है :
साउथ वेस्ट एयरलाइन एक सक्सेसफुल कम्पनी है, कैसे वे इतने सक्सेस फुल बने ? वे अपने आईडिया के कोर तक पहुंचे जो था “द लो फेयर एयरलाइन यानी सबसे सस्ती airline, 1996 में उनको 5,444 ओपनिंग्स के लिए 124,000 अप्लिकेशन्स मिली,
अब सवाल ये है कि कोई भी ऐसे कंपनी में क्यों काम करना चाहेगा जिसका मेन आईडिया ही कोस्ट रीड्युस करना हो ?
इसका ज़वाब ये है कि उनका मेन आईडिया कोस्ट रीड्युस करना है मगर उनका सेकंड आईडिया है कि उनके एम्प्लोयीज़ हंसी-ख़ुशी काम करे, एम्प्लोयीज़ को पूरी छूट है कि वे अपने इंस्टिंक्ट के हिसाब से चले जैसे कि अगर किसी फ्लाईट अटेंडेंट के बर्थ डे वाले दिन उसके साथ थोडा सा हंसी मज़ाक कर लेना।
क्योंकि इस सबसे कम्पनी की लो फेयर वाली एयरलाइन की इमेज को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। तो क्या उस पर थोडा colored papers वगैरह फेंकना ठीक है ? बिलकुल नहीं,
क्योंकि इससे क्लीनिंग में एक्स्ट्रा टाइम बर्बाद होगा जिसका मतलब होगा हायर फेयर और ये उनके core message से मेल नहीं खाता क्यूंकि उनका core message है – ”सबसे सस्ती airline.”
तो मेरे दोस्त ऐसे साउथ वेस्ट को अपना कोर आईडिया मिला। ज्यादा कोम्प्लेक्सिटी से लोग बेकार की चीज़े चुन लेते है और क्रिटिकल चीजों को छोड़कर उन्हें अपनी प्रायोरिटी बना लेते है।
दूसरा स्टेप होगा कि सक्सेस की चेकलिस्ट को यूज़ करके कोर को ट्रांसलेट किया जाए। किसी पैराग्राफ को चेक करे जो आपने लिखा हो और 6 प्रिंसिपल को लेकर एक चेकलिस्ट बनाये जिसके बारे में हमने पहले बात की।
पैराग्रफ को फिर से पढ़े, उसे इवेल्युवेट करे और अगर आपको लगता है कि अगर आपने कोई principle छोड़ दिया है तो पैराग्राफ फिर से लिखे।
“डैनियल मेरी तरफ देखो”! फादर ने अपने बच्चे से कहा, बच्चो की अटेंशन पाने के लिए परेंट्स ऐसा ही करते है। हालांकि अटेंशन कभी मांगी नहीं जाती।
अटेंशन ऐसी कीमती चीज़ होती है जिसे आप मांग नहीं सकते, ये आपको खुद ही मिलती है, और इसे पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। मगर सिर्फ हमेशा अटेंशन पाने की कोशिश में ना लगे रहे, इसमें कुछ फन भी होना चाहिए, इसे एंटरटेनिंग और अटेंशन ग्रेबिंग दोनों होना चाहिए।
मान लो जैसे कि आप अपनी क्लास में प्रेजेंटेशन देने की कोशिश कर रहे है, आप खड़े होते है एक बैकफ्लिप करते है और अपना प्रेजेंटेशन देना शुरू करते है। बेशक सब आपको अटेंशन दे रहे है मगर कितनी देर तक ?
अगर आपकी प्रेजेंटेशन अटेंशन ग्रेब नहीं करेगी तो ? या फिर आपकी प्रेजेंटेशन इतनी इंट्रेस्टिंग नहीं हुई तो ? लोग बोर होके अपने-अपने फोन निकाल लेंगे और आपकी प्रेजेंटेशन भूल जायेंगे।
यहाँ हम दो सिंपल सवालों पर फोकस करेंगे, पहला ये कि कैसे मुझे लोगो का अटेंशन लेना है और दूसरा कि कैसे वो अटेंशन बनाये रखना है। सरप्राइज़ और इंटरेस्ट ये दो इमोशन हमारे सवाल का ज़वाब है। सरप्राइज़ से हमें अटेंशन मिलती है जबकि इंटरेस्ट से इसे बनाए रखा जा सकता है।
अब सरप्राइज़ का एक्जाम्पल लेते है। क्या आपको car की seat belt की ये ad याद है, वैसे याद नहीं होगी क्यूंकि ये Americans की ad थी,
anyways, Seat belt को पहनने के लिए ad तैयार की थी जिसमे एक फेमिली को कार में बैठकर घुमते हुए दिखाया जाता है……….., कि तभी अचानक कहीं से एक ट्रक आता है और उनकी कार से टकराता है।
ये एड इस लाइन से खत्म होता था – ”क्या आपको मालूम था कि ये होगा ? नहीं, कभी नहीं?” इस एड को देखकर पहले लगा कि ये किसी कार का एड है।
मगर इस एड का असली मकसद था लोगो को ये रीमाइंड कराना कि हर बार जब आप कार में बैठे तो अपनी सीट बेल्ट पहनना ना भूले। ये एड सबकी इसलिए याद है क्योंकि इसमें सरप्राइज़ और इंटरेस्ट दोनों ही है।
अगर सरप्राइज़ में कोई काम की बात ना हो तो ये बेकार है।
2000 में एक एड आता था जिसमे सुपर बाउल की टीम को एक फील्ड में दिखाया जाता था बहुत बढ़िया तरीके से खेलते हुए कि तभी कैमरा ज़ूम्स आउट करता है और भेड़ियों का एक बड़ा सा झुण्ड नज़र आता है जो अचानक से आकर टीम पर अटैक करता है और पूरी टीम के टुकड़े-टुकड़े कर देता है।
बेशक ये एड बड़ा सरप्राइज़इंग था मगर इसका कोई मतलब नहीं बनता था। लोगो को ये एड आज तक याद है मगर इस एड का मतलब क्या था ये किसी को समझ नहीं आया क्योंकि इसमें कोई कोर मैसेज नहीं था।
एक behavior इकोनोमिस्ट जोर्ज लोविन्स्टन ने कहा था कि किसी चीज़ को किसी के लिए इंट्रेस्टिंग बनाना बहुत सिंपल है, आपको बस उस इंसान को क्यूरियस करना है यानी एक mystery create करनी है,
और वो इंसान तभी क्यूरियस होगा जब उसे फील होगा कि उसकी नॉलेज में कोई गेप है और इसी को उन्होंने गेप थ्य्रोरी ऑफ़ क्यूरियोसिटी का नाम दिया है।
इसी गेप थ्योरी ऑफ़ क्यूरियोसिटी की वजह से हमें मूवीज इंट्रेस्टिंग लगती है क्योंकि लोग यही सोचते रहते है कि “अब क्या होगा?” इसी वजह से ही लोगो को मिस्ट्री नॉवेल्स अच्छे लगते है क्योंकि नॉवेल उनसे पूछता है कि “ये किसने किया?” Mystery एक खुजली की तरह है जिसे खुजाए बिना आपको चैन नहीं पड़ता है।
एक्जाम्पल के लिए किसी बुक को समराइज़ करने में अगर आप अपने audience को सब कुछ बिना mystery के बता देंगे तो आपका message उन्हें नहीं याद रहने वाला।
अब अगर आप चाहते है कि ये उनके दिमाग में चिपक जाये तो आपको उनकी नॉलेज में ये गैप उन्हें फील कराना पड़ेगा ताकि वो और ज्यादा जानने के लिए क्यूरियस हो जाए।
क्यों एशियन स्टूडेंट्स हर चीज़ में अमेरिकन स्टूडेंट्स को पीछेछोड़ देते है क्यूंकि उन्हें बचपन में हर चीज असली जिंदगी में दिखा कर समझायी जाती है।
आइये इसे समझते है –
अमेरिकन और एशियन दोनों स्टूडेंट्स अपने concepts को मेमोराइज़ करने के लिए इस्तेमाल करते थे, और वो था रट्टा।
बेशक ये इम्पोर्टेंट है और बेशक ये स्टैण्डर्ड प्रोसीज़र भी है जोहर जगह इस्तेमाल होता है, मगर एशियन स्टूडेंट्स में जोडिफरेंट बात थी वो ये की उन्होंने रट्टा के अलावा भी अलगटेक्निक्स यूज़ कि थी।
जैसे की वो अगर टेबल पर 10 स्टिक्स रखते है और उसमे से 4 हटा लेते है तो कितने बचेंगे तो स्टूडेंट्स कहेंगे कि 6, ये टेक्नीक स्टूडेंट्स के लिए एक कोंक्रीट फाउंडेशन बिल्ड करती है यानी students देख सकते है की ये concepts real life में कैसे इस्तेमाल होते है।
और इसी concrete foundation पर वे अपनी नॉलेज बिल्ड कर सकते है।
जब अमेरिकन स्कूल्स को सेम चीज़ के लिए एक्जामिन किया गया तो पता चला कि इस टेक्निक को यूज़ करने वाले अमेरिकन टीचर्स का परसेंटेज काफी कम था। शायद यही वजह थी कि एशियन स्टूडेंट्स हर चीज़ में आगे थे खासकर मैथमेटिक्स में।
चलो दो मैसेज को एक्जामिन करके देखते है कि जिससे आपको concrete principle और अच्छे तरीकेसे समझ आ जायेगा।
डायरिया से हर साल लाखो बच्चो की मौत होती है ये गरीब देशो में सबसे ज्यादा मौत की वजह है। इससे मरने वाले बच्चे डीहाईड्रीशन से मर जाते है जो लम्बे टाइम से होने वाले डायरिया की वजह से होता है।
इससे बचने के लिए एक स्पेशल सोल्यूशन है जिसमे इलेक्ट्रोलेट्स, मिनरल्स और वाटर से बनता है जिसे ओआरएस के नाम से जाना जाता है।
आपको ये पता चला की डीहाईड्रीशन खतरनाक है जिस से लोग मर सकते है, लेकिन इससे बचा कैसे जाये ये उतना clear नहीं हुआ।
डेव कुछ डेवलपिंग कंट्रीज के प्राइममिनिस्टर से मुलाकात करने गए उनकी पॉकेट में नमक और चीनी के 8 पेकट्स थे।
मीटिंग में उन्होंने अपनी जेब से ये पैकेट्स निकाल कर दिखाए और प्राइम मिनिस्टर्स को बताया कि ये डायरिया का सोल्यूशन है। नमक और चीनी के इन पैकेट्स को इजीली पानी में घोला जा सकता है आसानी से एक solution तैयार किया जा सकता है जो की डायरिया की प्रॉब्लम को सोल्व कर सकता है और इसकी कीमत चाय के एक कप से भी कम है और इतना ही नहीं ये लाखो लोगो की जान बचा सकता है।
इस message में आपको डायरिया की problem के बारे में भी पता चला और साथ में ये भी पता चला की इससे हम कैसे बच सकते है।
बस आपको घर में पड़े नमक और चीनी को मिलाना है और ORS solution तैयार जिससे हम डायरिया से बच सकते है।
अब हमे ये दूसरा message इसलिए याद रहेगा क्यूंकि ये concrete है। यानी इसमें जो चीजें दी गयी है वो आप real life में use करते हो। यानी CONCRETE चीज़े।
ड्यूओडेनल उल्सर सबसे कॉमन टाइप का अल्सर है, ये उतना जानलेवा तो नहीं है मगर बहुत पेनफुल होता है। जब आप… एक मिनट, हम यहाँ अल्सर के बारे में क्यों बात कर रहे है ? चलो मै एक्प्लेन करता हूँ।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब लोगो को लगता था कि पेट में ज्यादा एसिड बनने की वजह से अल्सर होता है। पेट में तेज़ दर्द का उठना इसका एक सिम्प्टम है और लोग इसके लिए पेन रीलिवर ले लेते है मगर इसका कोई पक्का इलाज नहीं होता था।
कुछ सालो बाद दो रीसर्चेर्स ने एक डिस्कवरी करके पता लगाया कि अल्सर एक खास तरह के बैकटीरिया से होता है। ये एक बड़ी खोज थी जिसका मतलब था कि कोई भी सिम्पल एंटी-बायोटिक अल्सर को ठीक कर सकती है। राईट ?
लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल साइंटिफिक कम्युनिटी ने उनकी रिसर्च पर यकीन करने से इंकार कर दिया। ऐसा क्यों हुआ ? इसका जवाब आपको आगे के पैराग्राफ में मिलेगा।
पहली प्रॉब्लम तो ये थी कि साइंटिस्ट ये बात जानते थे कि हमारे पेट का एसिड इतना स्ट्रोंग होता है कि एक मीट के टुकड़े को भी गला दे तो भला इसमें बैक्टीरिया कैसे सर्वाइव कर सकते है ?
दूसरी प्रॉब्लम थी सोर्स, जब ये रिसर्च की गयी उस टाइम ऐसा कोई तरीका नहीं था कि ये दो रीसर्चेर पूरी क्रेडिबिलिटी के साथ लोगो को यकीन दिला सके, और फाइनली तीसरी बात थी उनकी लोकेशन।
दोनों रीसर्चेर्स आस्ट्रेलिया के पर्थ के रहने वाले थे और उन दिनों ये जगह इतनी क्रेडिबल नहीं मानी जाती थी यानी वो इतनी trustworthy नहीं थी कि लोग ये मान ले की यहाँ पर कोई इम्पोर्टेंट रीसर्च करके किसी बीमारी का इलाज़ ढूंढ सके।
तो साइंटिस्टस को इस रीसर्च पर ज़रा भी यकीन ना करने की काफी वजहे थी। उनकी ये डिस्कवरी इस रीजन पर थी कि अल्सर का कनेक्शन पेट के बैक्टीरिया से है। लगभग हर इंसान जिसको अल्सर था उसके पेट में ये बैक्टीरिया था मगर जिनके पेट में ये बैक्टीरिया था उनमें से सबको अल्सर नहीं था।
दोनों रीसरचेर्स ने हार मानी ली थी मगर एक दिन उनमे से एक जब सुबह उठा तो उसने अपने साइंटिस्ट दोस्त को अपने साथ लैब में चलने के लिए कहा। उसने बैक्टीरिया से भरी हुई एक बोतल उठाई और गट-गट करके पी गया।
तीन दिन बाद उसके पेट में किसी अल्सर के पेशेंट की तरह ही जानलेवा दर्द उठा, जब उसका स्टमक चेक किया तो वो जल रहा था और लाल हो गया गया था, अपनी इस तकलीफ को दूर करने के लिए उसने बस सिंपल एंटी-bacteria की गोली ली और बिलकुल ठीक हो गया !
लेकिन unfortunately फिर भी उस पर कई सालों तक विश्वास नहीं किया गया क्यूंकि ये information credible नहीं थी।
एक बार ऐसे ही एक रयुमर फैला था कि किसी कंट्री से शिपमेंट में आने वाले केले एक ख़ास तरह के बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड है जिन्हें खाने से फ्लेश ईटिंग डीजीज होती है।
ये अफवाह शुरू में इमेल के ज़रिये फैलाई गयी मगर ये क्रेडिबल नहीं लग रही थी तो इसे ज्यादा क्रेडिबल बनाने के लिए इसमें एक सेंटेंस एड कर दिया गया।
क्या आप गेस कर सकते है कि वो सेंटेस क्या होगा ? जी हाँ सही कहाँ आपने, इस खबर को क्रेडिबल साबित करने के लिए मैसेज में एक सोर्स एड कर दिया गया।
उन्होंने इसमें ये सेंटेंस एड किया था ”एप्रूव्ड बाई द government of AMERICA” बस आपका काम बन गया। ज़्यादातर लोग किसी भी क्रेडिबल सोर्स पर तुरंत आँख मूँद कर बीलीव कर लेते है फिर चाहे कोई भी सच्ची झूठी खबर फैला दो।
यहाँ पर पॉइंट ये बताना है कि क्रेडिबिलिटी पर ही लोग बीलीव करते है तो आप कैसे खुद को क्रेडिबल साबित करेंगे ? हम आगे कुछ ऐसे पॉइंट बताएंगे जो आपके काम आ सके।
पहला अथॉरिटी : जितनी अथॉरिटी आप अपनी स्टोरी में डालेंगे उतनी ही वो बीलीवेबल बनेगी।
दूसरा डीटेल्स: लोगो को डिटेल्स अच्छी लगती है, जितनी ज्यादा डीटेल्स होगी आपको स्टोरी में क्रेडिबिलिटी उतनी ज्यादा आएगी।
तीसरा STATISTICS : STATISTICS के नंबर कोई ख़ास मैटर नहीं करते मगर उसके पीछे की स्टोरी और कोंटेक्टस आपकी स्टोरी में क्रेडिबिलिटी लाता है।
चौथा टेस्टेबल एक्पीरियेंस : इससे पहले की आप लोगो को कुछ बेचे पहले उन्हें उसका एक्पीरियेंस लेने दे। अगर आपका प्रोडक्ट वाकई में डीज़र्विंग है तो उनका एक्सपीरिएंस आपके प्रोडक्ट की क्रेडिबिलिटी बढ़ा देगा।
एक बार लोगो के एक ग्रुप पर एक एक्सपेरिमेंट किया गया जहाँ उन्हें बोला गया कि उनको सर्वे करना है जिसके बदले में उन्हें 5$ मिलेंगे। (ये सर्वे बस एक बहाना था ताकि उन सबके हाथ में पैसे आये) सर्वे खत्म होने के बाद उन सबको 5$ डॉलर दिए गए और साथ ही एक एनवलप भी जिसमे ये लिखा था – ”जाम्बिया में भारी बारिश हो रही है जिसके चलते 3 मिलियन जाम्बियंस भुखमरी से मर रहे है। आप चाहे तो इन्हे कुछ पैसा donate कर सकते है ”.
उन्होंने ये एक्सपेरिमेंट दुबारा किया मगर इस बार लैटर में लिखे वर्ड्स चेंज कर दिए – ”सात साल की इस लड़की जेन को डोनेशन देकर आप इसे एक बेहतर जिंदगी जीने का मौका दे सकते है”, और फिर जो रिजल्ट मिले वो हैरान करने वाले थे।
1.14$ उन लोगो ने डोनेट किये जिन्होंने पहला मैसेज पढ़ा था जबकि दूसरा मैसेज पढने वाले लोगो ने करीब 2.38$ डोनेट किया। ये रकम पहले ग्रुप के लोगो से डबल थी।
कहने का मतलब है कि लोगो को कोई प्रॉब्लम बता कर उसे ANALYZE करवाना और उस पर analytically एक्ट करवाने से ज्यादा आसान है कि उनके इमोशन को इस्तेमाल किया जाये।
जब लोगो ने पहले वाला मैसेज पढ़ा तो उन्होंने सिचुएशन को ऐनालाइज किया और उसमे एक बड़ी प्रॉब्लम उन्हें नज़र आई। उन्हें लगा कि उनकी थोड़ी सी रकम डोनेट करने से सिचुएशन में ज्यादा फर्क नहीं आने वाला।
मगर जब दुसरे मैसेज में छोटी लड़की जेन का इस्तेमाल किया गया तो वो लोगो के इमोशन को छू गया, इसने उन्हें सिचुएशन को ऐनाटिकली के बाजए इमोशनली सोचने पर मजबूर कर दिया और इमोशन हमेशा लोजिक से स्ट्रोंग होते है।
लोग सबसे ज्यादा किस बात की फ़िक्र करते है ? फेमिली ? फ्रेंड्स ? नहीं, खुद की। चाहे कोई कितना भी छुपाने की कोशिश करे मगर सच यही है कि हम सब सबसे पहले अपने बारे में सोचते है फिर बाकी चीजों की फ़िक्र करते है।
ये उन दिनों की बात है जब टीवी हर घर में नहीं होता था। तो एक एक्सपेरिमेंट किया गया जिसमे लोगो के एक ग्रुप को टीवी बेचकर ये मैसेज देने की कोशिश की गई।
टीवी को अगर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो ये लोगो को बेहतर लाइफ जीने की प्लानिंग में मदद कर सकता, टीवी से लोग ज्यादा पैसा बचा सकते है और लोग ज्यादा टाइम अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के साथ स्पेंड कर सकते है।
“टीवी को अगर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो ये आपको बेहतर लाइफ जीने की प्लानिंग में मदद कर सकता, टीवी से आप ज्यादा पैसा बचा सकते है और आप ज्यादा टाइम अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के साथ स्पेंड कर सकते है टीवी आपकी लाइफ और भी बेहतर करने में मदद कर सकता है”.
कुछ लोग शायद कहेंगे कि उन्हें दोनों मैसेज में कोई खास डिफ़रेंस पता नहीं चल रहा मगर आप अगर गौर से देखे तो आप देख सकते है कि दुसरे वाले मैसेज में कितनी बार “आप” शब्द का इस्तेमाल हुआ है, और सच में जिन लोगो के ग्रुप को दूसरा मैसेज मिला उन्होंने टीवी खरीदने में ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया।
इस चैप्टर में हम सीखेंगे कि किस तरह स्टोरीज़ से लोगो को इन्फ्लुयेंश किया जा सकता है. यहाँ हम आपको एक फेमस नर्स की स्टोरी बता रहे है जो एक हॉस्पिटल के आईसीयू मे न्यू बोर्न बेबीज़ की देखभाल करती थी।
एक बार जब वो अपने काम के दौरान एक बेबी का ध्यान रख रही थी तो अचानक उसने देखा कि बेबी का कलर ब्लू पड़ गया है, जिसका मतलब था कि उसे सांस लेने ने परेशानी हो रही थी।
ये ब्रीदिंग प्रॉब्लम का एक कॉमन सिम्पटम होता है। उस नर्स ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया और डॉक्टर ने लंग्स ट्रीटमेंट के लिए स्टैण्डर्ड प्रोसीज़र शुरू कर दिया।
तभी उस नर्स को पहले का एक सेम केस याद आया जिसमे सिम्पटम्स सेम थे मगर लंग्स की नहीं हार्ट की प्रॉब्लम थी। नर्स ने देखा कि वो डॉक्टर उस बेबी के हार्ट के बजाये लंग्स का ट्रीटमेंट कर रहा था।
नर्स ने तुरंत एक्शन लिया और डॉक्टर से कहा कि सब कुछ छोड़कर जल्दी से बेबी के हार्ट का ट्रीटमेंट शुरू करे। हालाँकि हार्ट मोनिटर नार्मल प्लस दिखा रहा था फिर भी वो हार्ट के ट्रीटमेंट के लिए इंसिस्ट करती रही।
डॉक्टर ने जब उस बेबी के हार्ट का ट्रीटमेंट किया तो उन्हें पता चला कि नर्स एकदम ठीक बोल रही थी, उसके हार्ट में ही प्रॉब्लम थी और ट्रीटमेंट के बाद बेबी का कलर फिर से नॉर्मल हो गया था, और उन्हें ये भी पता चला कि दरअसल हार्ट मोनिटर में ही गड़बड थी।
इस STORY की मदद से कई लाखों जाने बच चुकी है, क्यूंकि जब भी कोई नयी नर्स ये STORY सुनती है तो ये स्टोरी उसके दिमाग में छप जाती है और जब उसके साथ ये SITUATION होती है तो वो इस स्टोरी से इन्फ्लुयेंश होकर एक्ट करती है, और एक और बच्चे की जान बच जाती है।
इस समरी के कनक्ल्यूजन में आपने सक्सेस के 6 प्रिंसिपल सीखे. ट्रिक बस यही है कि अपना मैसेज इतना ईजी रखे कि वो आसानी से एब्ज़ोर्ब हो सके और सबको समझ आ सके। आपको इसे UNEXPECTED रखना है ताकि लोग आपके मैसेज को अटेंशन दे।
आपको इसे CONCRETE बनाना है ताकि लोगो को आपका मैसेज हमेशा याद रहे, आपको इसे CREDIBLE बनाना है ताकि लोग आपके मैसेज पर बीलीव कर सके और उन्हें ये ट्रस्टवर्थी लगे।
आपको इसे INTERESTING बनाना है ताकि लोग आपकी बातो को ध्यान से सुने और साथ ही आपको इसे इमोशनल बनाना है ताकि वो आपके message की परवाह करे और फाइनली लोगो को अपने मैसेज पर एक्ट करवाने चाहते है तो आपको उन्हें एक स्टोरी सुनानी पड़ेगी।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा ये आर्टिकल Made To Stick Book Summary in Hindi कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये। और इस बुक समरी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करे।