Mastery Summary in Hindi – साल 1992 में रिलीज हुई किताब ‘मास्टरी’ आपको ये बताएगी कि कैसे आप अपने दिमाग को सही दिशा में शिफ्ट कर सकते हैं. इसी के साथ ये किताब आपका ध्यान उस ओर भी लेकर जायेगी कि आखिर लॉन्ग टर्म सक्सेस होती क्या है?
इस सक्सेस को पाने के लिए हमें किस रास्ते की आवश्यकता होती है. क्या हमारे अंदर इतनी काबिलियत है कि हम लॉन्ग टर्म सक्सेस की तरफ बढ़ सकें. आपके तमाम सवालों के जवाब आपको इस किताब की इस समरी में मिल जाएंगे.
क्या आप एक एथलीट है जिसे बेहतर रिजल्ट चाहिए हो, क्या आप एक ऐसे रीडर है जो अपने करियर रिलेशनशिप को नेक्स्ट लेवल पर ले जाना चाहते हों, क्या आप ऐसे लोगो में से है जो अपने अंदर पॉजिटिव बदलाव लेकर आना चाहते हों तो ये बुक सिर्फ आपके लिए है।
लेखक
इस किताब के लेखक George Leonard हैं. पेशे से जार्ज अमेरिकन लेखक, विचारक, एजुकेटर रह चुके हैं. लोग इनको इनकी बेहतरीन लेखनी के लिए जानते हैं. इनकी लिखी किताब “The Transformation and The Way of Aikido” लोगों के बीच में काफी ज्यादा प्रचलित है.
Mastery Summary in Hindi – सक्सेस पाने की मूल मंत्र क्या है ?
‘मास्टरी’ कोई स्टेट नहीं है कि उसे अचीव कर लेंगे, ये लाइफ स्टाइल होती है
आज के दौर में आप देख ही रहे होंगे कि गोल्स तक ले जाने के लिए कई सारे आसान रास्ते दिखाने वाले घूम रहे हैं. कई लोगों को ठीक ठाक सफलता भी मिल ही जाती है. लेकिन एक बात आप याद रखिये कि अगर आपको जीवन में कुछ ग्रेट करना है तो उसमे समय लगेगा.
किसी भी काम में ‘मास्टरी’ हासिल करना इतना भी आसान नहीं है. अगर आप अपने गोल्स तक पहुंच भी गये हों तो इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आपको उस काम में मास्टरी हासिल हो चुकी है. किसी भी काम में मास्टरी हासिल करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है.
असल मायने में मास्टरी किसे कहते हैं? इसे हासिल करने के लिए आपको क्या करना पड़ेगा? आगे के अध्यायों में आपको इन सब सवालों का जवाब भी मिल जाएगा.
ज़्यादातर हम किसी भी नए काम को ये सोचकर शुरू करते हैं कि हम तो इसमें माहिर हो ही जायेंगे. भले ही वो कोई खेल हो या फिर रिलेशनशिप हो या फिर कोई जॉब हो. लेकिन कुछ समय बाद क्या होता है? हमें पता चल चुका होता है कि हम इस खेल में माहिर नहीं बन पायेंगे.
ये बात साफ़ तौर पर हमारे चेहरे पर भी नज़र आने लगती है. फिर हम एक आसान काम करते हैं. वो ये है कि हम उस काम को करना ही छोड़ देते हैं. ये एक गलत एटीटयूड होता है. अगर आप उस काम को नहीं छोड़ेंगे तो चांस बना रहेगा कि आप उस काम में माहिर हो सकते हैं.
सबसे पहले आपको उस जगह सोचना चाहिए. खुद से एक सवाल करना चाहिए कि जब मैंने इस काम को शुरू किया था तो क्यों किया था? मेरे शुरू करने के पीछे मोटीवेशन क्या था?
आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि किसी भी चीज़ का एक्सपर्ट बनने के लिए हमें उस पर समय लगाना पड़ता है. बिना समय लगाये आप किसी भी चीज़ में मास्टरी हासिल नहीं कर सकते हैं.
‘मास्टरी’ तक पहुँचने का दूसरा रास्ता आपका अप्रोच है. आप किसी भी काम को करने के लिए कैसा अप्रोच रखते हैं? ये बहुत ज्यादा मायने रखता है. अगर आपको मास्टरी हासिल करनी है तो आपको खुद से सीखने की आदत को अपने अंदर डेवलप करना पड़ेगा.
ये एक पूरी प्रोसेस होती है जिसपर काफी ज्यादा समय भी लगता है. याद रखिये अच्छी चीज़ें ज़िन्दगी में कभी भी आसानी से नहीं मिलती हैं. ग्रेट चीज़ों में समय भी लगता है और एफर्ट्स भी.
अपने नज़रिए को बदलकर आप अपने अंदर कई सारे बदलाव लेकर आ सकते हैं. अपने अंदर सीखने का नज़रिया पैदा करिए सीखना बस तब ज़रूरी नहीं होता है जब आप कहीं एंटर कर रहे होते हैं. सीखना तो एक सफर है जिसको आपको हमेशा जारी रखना है. अगर आप सफर करना ही बंद कर देंगे तो मंजिल तक कैसे पहुंचेंगे?
इसके लिए सबसे पहले आप अपने अंदर ‘मास्टरी’ माइंड सेट का जन्म करवाइए. जब आपके अंदर उस माइंड सेट का जन्म हो जाएगा तब आपको एक्सीलेंस की राह भी मिल ही जायेगी. इस टॉपिक को और बेहतर से समझने के लिए हम आगे के अध्यायों में चलते हैं.
मॉडर्न वर्ल्ड में मार्केटिंग कितनी सही और कितनी गलत?
अगर आप अमेरिकन सोसाइटी को देखते होंगे तो आपको समझ में आता होगा कि यहां भी बाकी वेस्टर्न सोसाइटी की ही तरह सलूशन पर फोकस किया जा रहा है. मतलब आपको कई तरह के स्लोगन देखने को मिल जाते होंगे. इन स्लोगन्स में लिखा हुआ होता है कि ‘आप दो हफ्तों में फिट हों’, ‘इतने हफ्तों में अपने लक्ष्य को प्राप्त करें.
आपको पता होना चाहिए कि इस तरह के स्लोगन्स प्रचार और मार्केटिंग का हिस्सा होता है. ये प्रचार आपको तुरंत की ख़ुशी तो दे सकते हैं लेकिन किसी भी काम में मास्टरी हासिल नहीं करवा सकते हैं.
आपको पता होना चाहिए कि किसी भी काम में ‘मास्टरी’ हासिल करना एक या दो दिन का खेल नहीं होता है, बल्कि ये पूरी प्रोसेस होती है. अगर आपको किसी भी चीज में मास्टरी हासिल करनी है तो आपको उस चीज़ की बार-बार प्रैक्टिस करनी ही पड़ेगी. जितनी दफा आप प्रयास करेंगे उतनी ही जल्दी आप किसी काम के एक्सपर्ट बन पायेंगे.
किसी भी चीज़ में मास्टरी हासिल करने के लिए सही दिशा और इंस्ट्रक्शन की ज़रूरत होती है. इंस्ट्रक्शन और प्रैक्टिस ‘मास्टरी’ हासिल करने के 5 महत्वपूर्ण पहलुओं में से दो हैं.
इस अध्याय में हम इन्ही दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर बात करेंगे.
इस बात में भी कोई शक नहीं है कि ज़िन्दगी में बहुत सी चीज़ों को आप खुद ही सीख सकते हैं. लेकिन किसी भी चीज़ में मास्टरी के लिए आपको किसी एक्सपर्ट के मार्ग दर्शन की ज़रूरत तो पड़ने ही वाली है. मार्गदर्शन या तो यूं कहें कि इंस्ट्रक्शन आपको कई तरीकों से मिल सकता है. ये आपको इन्टरनेट पर वीडियो से भी मिल सकता है. अब तय आपको ये करना है कि आपके लिए कौन सी दिशा सही है?
ये सभी तरीके सही हैं. लेकिन इनमें से सोशल कांटेक्ट का महत्त्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है. अगर आप लोगों से मिल सकते हैं. तो ज़रूर आपको सोशल कॉन्टेक्ट्स बनाने चाहिए.
अब यहां आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आप कैसे जानेंगे कि आप जिस व्यक्ति से मार्गदर्शन ले रहे हैं. वो आपके लिए सही है. इसके लिए आपको उस इंसान को ओब्सर्व करना पड़ेगा. सबसे पहले आपको देखना पड़ेगा कि वो आदमी अपने स्टूडेंट्स को ट्रीट कैसे करता है?
UCLA बास्केटबॉल कोच जॉन वुडन का एग्जाम्पल लेकर अगर हम समझने की कोशिश करें, जिन्हें “जादूगर” के रूप में जाना जाता है, उन्हें जादूगर के रूप में दुनिया इसलिए याद करती है क्योंकि वो अपने स्टूडेंट्स को ट्रीट बहुत अच्छे से करते थे. इसलिए उन्हें बास्केटबॉल की दुनिया में बेस्ट कोच के रूप में भी याद किया जाता है.
इंस्ट्रक्शन के बाद अब बारी आती है प्रैक्टिस की, ‘मास्टरी’ हासिल करने के लिए इस पहलू का महत्त्व भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है. प्रैक्टिस का वो मतलब बिल्कुल भी नहीं है जैसा आप उसे जानते हैं. आप सोचते हैं कि किसी भी चीज को बार-बार करना ही प्रैक्टिस कहलाती है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अगर आपको मास्टरी हासिल करनी है तो सबसे पहले आपको समझना पड़ेगा कि आखिर प्रैक्टिस होती क्या चीज है?
हमको अपने व्यवहार में थोड़ा बदलाव लाना पड़ेगा, सबसे पहले हमको प्रैक्टिस को एक सफर के तौर पर लेना पड़ेगा. जब हम प्रैक्टिस को एक सफर की तरह लेने लगेंगे तो हमारे अंदर उसके लिए शिद्दत आएगी. इस शिद्दत के बाद ही हमारे अंदर अपने काम को लेकर कमिटमेंट का जन्म होगा.
इसको समझने के लिए हमें एक पहलू पर नज़र दौड़ानी पड़ेगी. वो ये है कि क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों मार्शल आर्ट सीखने वाले लोग ब्लैक बेल्ट जीतने के बाद भी सीखना बंद नहीं करते हैं? वो जब ब्लैक बेल्ट जीत लेते हैं उसके बाद सीखने की उनकी रफ्तार और ज्यादा बढ़ जाती है.
इसका जवाब बड़ा सिंपल सा है. जवाब ये है कि ब्लैक बेल्ट तो बस उनके सफर का एक हिस्सा है. वो अपने सफर को ऐसे ही जारी रखना चाहते हैं. वो अपने सफर को कभी खत्म ही नहीं करना चाहते हैं. इसलिए, वो अपने आर्ट में इतने माहिर हो जाते हैं.
उनका आर्ट इतना कुछ उन्हें सीखा देता है कि उन्हें अपने सफर को खत्म करने का मन ही नहीं करता है. इसलिए इस किताब में लेखक ने कहा है कि आपको भी मास्टरी के महत्त्व को जल्द से जल्द समझ लेना चाहिए.
अपने गुरु के सामने सरेंडर के साथ ही आप मास्टरी तक पहुंच सकते हैं
हमने पिछले अध्याय में इंस्ट्रक्शन और प्रैक्टिस के बारे में समझने की कोशिश की थी. अब हम ‘मास्टरी’ की तरफ ले जाने वाले तीन और पहलुओं पर नज़र डालने वाले हैं. ये तीन पहलू हैं- सरेंडर, इंटेंशनैलिटी और एज कंट्रोल.
प्रैक्टिस और इंस्ट्रक्शन की तरह आप इन टर्म्स से इतना वाकिफ नहीं होंगे. तो फिर चलिए शुरू करते हैं और इन्हें समझने की कोशिश करते हैं.
मास्टरी हासिल करने में सरेंडर करने की क्या भूमिका होती है? इसका मतलब ये होता है कि आपको अपने गुरु के सामने खुद को सरेंडर करना पड़ता है. जब आप ऐसा करेंगे तो आपके अंदर जो एक क्वालिटी आएगी वो है डिसिप्लीन की, मास्टरी को हासिल करने के लिए डिसिप्लीन का होना बहुत ज़रूरी है.
मान लीजिये आपके टॉप के टेनिस कोच आपको कोई आदेश देते हैं, जिसका आप सम्मान करते हैं और विश्वास करते हैं. वो आपको एक पैर पर खड़े होने के लिए कहते हैं. इसी के साथ दूसरे पैर को एक हाथ से अपनी पीठ के पीछे पकड़ने को कहते हैं.
ये काम आपको पूरे महीने अपनी क्लास के शुरू होने से 5 मिनट पहले करना ही पड़ेगा. अब आपके पास दो ऑप्शन हैं. पहला कि आप उनका आदेश मानने से मना कर दें और दूसरा कि आप उनके आर्डर को फॉलो करें.
अगर आप अपने गुरु की बात को फॉलो करते हैं तो आपका बॉडी बैलेंस शानदार हो जाएगा. मतलब साफ़ है कि आपको स्वयं को अपने गुरु के प्रति सरेंडर करना पड़ेगा.
अब आते हैं दूसरे पहलू इंटेंशनैलिटी पर, ये पहलू आपको बताता है कि मास्टरी को हासिल करने के लिए दिमाग का क्या योगदान होता है? इसी के साथ ये ऑप्शन पॉवर ऑफ़ माइंड को भी दर्शाता है.
इंटेंशनैलिटी का मतलब साफ़ होता है कि आप कैसे अपने दिमाग को किसी काम को सीखने के लिए तैयार करते हैं. अगर आप अपने दिमाग पर काबू रखना सीख जाएंगे तो समझ लीजिये कि आधी जंग को आपने जीत लिया है. दिमाग की शक्ति बहुत ज्यादा होती है. बस ज़रूरत है तो इस बात की, कि आप इस शक्ति को पहचान लीजिये.
अब बात करते हैं एज कंट्रोल की, जब कभी आप कोई चैलेंज एक्सेप्ट करते हैं. उस चैलेंज को एक्सेप्ट करने के साथ ही साथ आप अपने आप के लिए एक गोल सेट करते हैं, उसी गोल की तरफ बढ़ने के एफर्ट को एज कहा जाता है. ये प्रोसेस भी एक जर्नी की ही तरह है.
अगली बार आप जब कभी आप ऐसी सिचुएशन में फंसे, जो आपके खिलाफ हो उस जगह आपके पास दो ऑप्शन रहेंगे. पहला कि आप गिवअप कर दें. दूसरा आप उस सिचुएशन से फाइट बैक करें.
अब सबकुछ आप के ऊपर डिपेंड करता है कि आप अपने आपको कैसे देखते हैं? अगर आप अपने आपको विनर के तौर पर देखना चाहते हों तो हमेशा स्ट्रगल के रास्ते को चुनियेगा. आज नहीं तो कल मास्टरी भी आपकी मुट्ठी में होगी और सफलता भी आपके कदम चूमेगी.
अपने आस-पास गुणवान व्यक्तियों को रखिये, अपने गोल के लिए हमेशा वफादार रहिये
इमेजिन करिए कि आपने रोज़ सुबह 5 किलोमीटर दौड़ने का फैसला किया है. कुछ दिन प्रैक्टिस के तौर पर आप दौड़ने जाते भी हैं. लेकिन फिर आपको एहसास होता है कि आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है. ये पहली रुकावट होगी जो आपकी बॉडी की तरफ से आएगी.
आपको बॉडी आपको सिग्नल दे रही है कि आप अपने आपको पुश कर रहे हैं. अभी तक आपकी बॉडी को जिस चीज की आदत थी आप उससे अलग काम कर रहे हैं. इस प्रोसेस को होमोस्टेसिस कहते हैं.
अब जानते हैं कि होमोस्टेसिस कहा किसे जाता है? आपको बता दें कि इसी प्रोसेस से शरीर अपने इंटरनल सिस्टम का ख्याल रखता है. अब यहां सवाल ये उठता है कि आप अपने गोल पर जमे कैसे रहें? ऐसा क्या करें जिससे आप अपने गोल को अचीव कर सकें?
अगर आपको किसी गोल को अचीव करना है तो आप तीन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. पहला कि आप कोशिश करिए ऐसे लोगों के साथ रहने की जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी ऐसे चैलेंज को पूरा किया हो. क्योंकि वो लोग आपको सही सलाह दे पायेंगे कि किस समय क्या करना चाहिए? उन्हें पता होगा कि बॉडी को उसकी लिमिट के आगे पुश कैसे करना है?
अगला तरीका है कि आप अपना अप्रोच सही रखिये. आपको पता होना चाहिए कि आपका गोल क्या है. कभी भी छोटा गोल ना रखिये. जितना बड़ा गोल होगा उतनी ही बड़ी आपकी स्ट्रगल भी होगी. ज़िन्दगी में कभी भी स्ट्रगल से घबराइयेगा नहीं, क्योंकि अगर आपने स्ट्रगल को देखते हुए अपने पाँव को पीछे खींच लिया तो आपका गोल भी आपसे दूर हो जाएगा.
आसान शब्दों में कहें तो अगर आपको पर्वत के शिखर पर पहुंचना है तो प्लीज पर्वत चढ़ने की शुरुआत कर दीजिये.
आपकी प्रैक्टिस और रिजल्ट के बीच में एक ज़रूरी पहलू आएगा. वो ये है कि आपका हार्ड वर्क कैसा है? अपनी मेहनत का साथ कभी ना छोड़िये. अगर आपका गोल कठिन है तो उसे आसान बनाने की कोशिश करिए. मतलब साफ़ है कि अपने टार्गेट को स्माल पार्ट में बाटने की कोशिश करिए. अपने टार्गेट की तरफ छोटे-छोटे कदम बढ़ाते रहिये. कभी भी डीमोटिवेट मत हो जाइएगा. आप जितना मोटिवेट रहेंगे आपका टार्गेट आपके उतना ही पास रहेगा.
मास्टरी की तरफ बढ़ने से पहले आपको जो आखिरी चीज़ को याद रखना है वो ये है कि अपने अंदर एनर्जी को बनाकर रखिये. लेखक ने इस किताब में इंसान की तुलना एक ऐसी मशीन से की है जिसके अंदर एनर्जी का भंडार है. दुःख की बात ये है कि इंसान अपने अंदर मौजूद एनर्जी का सही इस्तेमाल कर ही नहीं पाता है.
इस किताब में लेखक बताते हैं कि इंसान के अंदर ये एनर्जी बचपने से ही आ जाती हैं. लेखक ने कहा है कि आप गौर करिए कि इंसान के अंदर सबसे ज्यादा एनर्जी कब होती है? इसका जवाब है कि जब वो बच्चा होता है. बच्चे तब तक नहीं सोते हैं जब तक वो कुछ पा नहीं लेते हैं.
बच्चे हर कदम कुछ ना कुछ नया सीखते रहते हैं. अच्छी बात ये है कि हम उस एनर्जी को वापस पा सकते हैं. बस उसके लिए हमें कुछ नियम को फॉलो करना पड़ेगा.
उन नियमों में से सबसे ज़रूरी नियम है फिजिकल फिटनेस. इंसान को हर उम्र में फिट रहने की कोशिश करते रहना चाहिए. अगर आप शारीरिक तौर पर फिट रहेंगे तो आपके अंदर अपने आप एनर्जी का भंडार बना रहेगा.
दूसरा कदम है कि आपको अपनी प्रियोरटीज को सेट करना ही पड़ेगा. आपको पता होना चाहिए कि आपके लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कौन सी चीज़ सबसे ज़रूरी है? अगर आपको आपकी प्रियोरटीज पता है तो आपका पहला कदम सही है.
फाइनल कदम को याद रखना मत भूलियेगा. वो ये है कि आपको अपने काम के प्रति कमिटमेंट को फॉलो करना पड़ेगा. अगर आप अपने काम के प्रति कमिटमेंट रखेंगे तो रिजल्ट भी आपका मनचाहा ही आएगा.
Conclusion
मास्टरी हासिल करना एक स्किल की तरह है. आपने अभी तक क्या अचीव किया है ये उस पर बिल्कुल डिपेंड नहीं करता है. मास्टरी हासिल करना एक सफ़र की तरह होता है. जिसे आपको तय करना है. अगर आपने इस सफर में चलने की शुरुआत कर दी तो ये मान लीजिये कि खुशियों ने आपके दरवाज़े में दस्तक दे दी है. ख़ुशी तक पहुँचने का रास्ता ‘मास्टरी’ से ही होकर गुज़रता है.
अगली बार आप कोई भी काम करने की शुरुआत करें तो उसको जल्द से जल्द खत्म करने के लिए मत करियेगा. बल्कि उसको शुरू करने से पहले कुछ देर रुकियेगा और खुद से सवाल करियेगा कि इसे मैं और बेहतर ढंग से कैसे कर सकता हूँ? जब आपकी कोशिश रहेगी किसी भी काम में मास्टरी हासिल करने की तब जाकर आप सही राह में चलने को तैयार हो पायेंगे.
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Mastery Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज आपने क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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