अरमानों को काबू करो
महामारी का ये जो दोर हैं |
पैसे कमा लेना फुर्सत से
आज मोत चारों ओर हैं ||
क्यों दोष दें हम किसी ओर को
क्या पाई हमनें शिक्षा हैं ?
दूसरों की बातें छोड़ो
फ़कत जरूरी आत्मरक्षा हैं ||
जिम्मेदार नागरिक है हम भी
महामारी से हमें बचना हैं |
मास्क, दूरी दोनों ही जरूरी
क्योंकि हम भी किसी का सपना हैं ||
आत्मरक्षा की मुहिम से
यदि जिन्दगी कोई बच जाती हैं |
तो ये मुहिम हम छेड़ देंगे
यही सोच आत्मनिर्भर बनाती हैं ||
महामारी के प्रतिरोध में
यह कलम उठा रहा हूँ |
वायरस को जो बढावा दें
उन दरिंदों को ललकार रहा हूँ ||
आत्मरक्षा न हो सके तो ठीक हैं
दूसरों की जिंदगी अमुल्य हैं बता रहा हूँ |
यह मुमकिन नहीं हर जरूरत पूरी होगी
शब्द कड़वे हैं किन्तु समझों दर्द जता रहा हूँ ||
दर्द है और गम है, आँखे भी मेरी नम है,
ये उम्मीद है ये विश्वास है, मैं फिर मुस्कुराऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा;
तूंफा दुखों का आता है, जिंदगी बिखेर के जाता है,
मैं फिर से नयी दुनिआ बनाऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा;
न राह दिखती है, न कोई मंजिल,
मझधार में है नया, दीखता नहीं है हासिल,
लेकिन अब मैं नया रास्ता बनाऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा;
मिली जिंदगी में हार है, दिल टुटा बार बार है,
फिर उठूंगा फिर लड़ूंगा, पहचान अपनी बनाऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा;
साथ दोस्तों ने छोड़ा है, मुंह अपनों ने भी मोड़ा है,
गम नहीं है अब मुझे, मैं प्यार लुटाता जाऊंगा,
हर दर्द से मैं जित के दिखाऊंगा;
खुशियों की चाहतों में, मैंने जिंदगी को खो दिया,
फिर चलूंगा, फिर जीऊंगा नयी जिंदगी बनाऊंगा,
हर दर्द से मैं जीत के दिखाऊंगा।
ये शब्द जो कभी हस्ते कभी रुलाते है,
कभी लगते फूल से कोमल है,
जो कभी कांटे शुभ जाते है ये शब्द,
कभी बनते मरहम दिलो की ये
कभी घाव बड़े दे जाते है ये शब्द,
जो कहने सुनने दिखने में
सपने में या फिर लिखने में,
लगते तो बिलकुल छोटे से
पर काम बड़े कर जाते है ये शब्द,
जो शांति के कभी दूत भी है,
कभी युद्ध भी ये करवाते है,
कभी जख्मों को ये भर जाते,
कभी चिढ़ ये दिल को जाते है ये शब्द,
कभी शुभते कड़कती धूप से है
कभी छाया ये बन जाते है ये शब्द,
कभी दर्द ये बनते है जीवन का,
कभी सुख से गुड गुडाते है,
जिन्हे छू नहीं सकते हाथों से,
पर दिल को ये छू जाते है ये शब्द,
कभी उलझें उलझें जीवन को
कुछ अर्थों से सुलझाते है,
कभी सरल से चलते जीवन को
बस अर्थों में उलझाते है ये शब्द,
कभी प्राथना कभी गुरुवाणी,
कभी यही आजान बन जाते है,
कभी धर्म के ठेकेदार यहाँ इन शब्दो से भड़काते है,
इन शब्दो की ही ताकत से
कभी दंगे ये करवाते है ये शब्द,
कभी प्रश्न बनके ये उलझाते,
कभी उत्तर ये बन जाते है ये शब्द,
जो कभी हस्ते कभी रुलाते है,
कभी फूल से कोमल लगते है ये शब्द।
मन की मनोव्यथा सुना
दिल के भेद बता देना
आंसूओं को आवाज
व होठों को आभास देना
जबान की जवानी होती हैं |
लक्ष्य को राह देना
काम पर ध्यान देना
मजबूरी में मौन
व भाव का गौण होना
जबान की जवानी होती हैं |
मन मचल करके
भावना को कुचलकर
बात के लहजे में रहना
व बिना बोले सब कह देना
जबान की जवानी होती हैं |
विचारों में तालमेल करके
दो लब्ज़ प्रेम से कहके
वचनों की अहमियत
व जीवन पर जीभ का प्रभाव होना
जबान की जवानी होती हैं।
आभा हैं अनेक अन्दर
अवगुण मानों गोण हैं।
होठ उछलते नाक तक
किन्तु जुबां से मौन हैं।
कोई बताओ इनमें से राधा कौन हैं ?
शालीनता है सावित्री सी
सदाचार व संकोच हैं।
गली-2 में बसी ये उर्वशी सी
रूप-रंग समायोजक कौन हैं ?
कोई बताओ इनमें से राधा कौन हैं ?
पेट में चाहे जितना भी हो अन्न
किन्तु पर्याप्त रहे श्रंगार प्रसाधन
परिचित हैं कुछ अपरिचित सी
ये मेरी लगती कौन हैं।
कोई बताओ इनमें से राधा कौन हैं ?
पीठ पर तरकस सा कुछ लदकर
हाथों में कोई यंत्र सुसज्जित कर
केस झटकाती व कमर मटकाती
दीपक की बाती सम ये नारी कौन हैं ?
कोई बताओ इनमें से राधा कौन हैं ?