Overthinking से कैसे बचे | ज्यादा सोचने से कैसे बचे

Hello दोस्तों, दोस्तों क्या आप भी किसी भी चीज को लेकर हर वक्त overthinking करते हो, और उस वजह से परेशान भी होते होंगे कि इस overthinking की प्रॉब्लम को खत्म कैसे करें, तो आज मैं आपके लिए इसका solution लेके आया हूं, जिसे पढ़के आपको overthinking के बारे में सबकुछ क्लियर हो जायेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं –

Overthinking से कैसे बचे?

1. क्या Overthinking बुरी है?

इसका जवाब है NoOverthinking कोई बुरी नहीं है, जितने भी Scientist हुए हैं past में, क्या वो आपसे ज्यादा सोचती थी या आपसे कम सोचते थे? आज तक मैंने इतने ब्लॉग पोस्ट लिखा है क्या आपने सोचा है कि मैं आपसे कम सोचता हूँ या फिर ज्यादा सोचता हूँ? इसका जवाब तो यही है कि मैं आपसे तो ज्यादा ही सोचता हूँ ना दोस्त, आप मुझे कोई भी टॉपिक के बारे में पूछो, मैं आपको हर हाल में उसका कुछ न कुछ जवाब दे सकता हूं।

तो ज्यादा सोचना कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है। सोचना प्रॉब्लम नहीं है, क्योंकि अगर आप सोचना ही बंद कर दोगे तो आपमें और जानवरों में क्या फर्क है? फर्क यही है कि हम कुछ भी सोच सकते हैं लेकिन जानवर ज़्यादा कुछ सोच नहीं पाता है।

हम सोच सकते हैं तो इसलिए तो हर काम को कर भी सकते हैं, लेकिन जो जानवर है वो कुछ भी सोच कर के कुछ भी कर नहीं सकते।

जैसे हम लोग सोच कर के जानवर से अपने आपको बचा सकते हैं, लेकिन जानवर सोच कर के हम से नहीं बच सकते, उनके पास कोई plan नहीं है कि इंसान से कैसे बचे।

2. सोच में प्रॉब्लम कहां पर है?

सोचना प्रॉब्लम नहीं है, गलत सोचना प्रॉब्लम है। नेगेटिव थिंकिंग में प्रॉब्लम है। क्या अच्छा सोचना कभी किसी का बुरा हो सकता है? नहीं ना। लेकिन बुरा या गलत सोच ही हमें जानवर बना देते हैं। राइट thinking बहुत अच्छा है क्योंकि उससे तो आप solution निकाल सकते हो अपने लाइफ की। तो यहाँ आपको एक बात तो क्लियर हो गया होगा की ओवर्थिंकिंग ग़लत नहीं है, लेकिन ग़लत या नेगेटिव सोच करके जो आप ओवर्थिंक करते हो वहीं प्रॉब्लम है और ऐसे में आप फ़िज़िकली और मेंटली वीक होते चले जाते हो।

3. Right और Wrong Thinking क्या है?

तो अब यह Right Thinking है और या यह Wrong Thinking है वह कैसे decide करें ताकि क्या wrong thinking है और क्या right thinking है उसको पता करके हम सही से सोच पाये, किसी प्रॉब्लम का सही तरीक़े से सोच करके उसका सलूशन निकाल पाये। हो सकता है कुछ चीजें आपको wrong लग रही हो लेकिन मेरे लिए वही चीज right हो। तो right thinking मतलब आपका thinking clear है, मतलब सीधीसाधी thinking है और wrong thinking का मतलब टेढ़ीमेढ़ी, जहां उस थिंकिंग के अंदर खुद ही फंसे पड़े हैं। जिसे सोच-सोच के आपका ब्लड प्रेशर बढ़ रहे हैं, headache हो रहे हैं, मन अच्छा नहीं लग रहा होता है, स्ट्रेस हो रहे हैं etc.

तो इसमें समझने वाली एक और बात है कि जो भी आपके Believes के ऊपर based है वह wrong thinking है और जो Reality  और रिसर्च के ऊपर based है वह right thinking है। Believes हमारे किसके ऊपर based है – illusion के ऊपर based है और जो Reality है वहां पर किसी भी believes की जरूरत नहीं है, मतलब reality में believes की कोई जगह नहीं है।

Believes क्या है?

Believes वह चीज है कि किसी ने आपको कुछ भी बोल दिया है और आपने वह मान लिए हैं और उसके base पर कुछ भी सोच रहे हो। कभी अपने अंदर झांक करके देखो जो भी आप सोचते हो वह believes के base पर सोचते हो या reality के base पर सोचते हो। 99% जो भी कुछ अपने दिमाग में सोच रहे हो वो सब believes के base पर सोच रहे हो। भगवान है या नहीं है यह तो सभी के मन में question आता ही होगा, कोई कहता है कि भगवान है और कोई कहता है कि नहीं है। तो यह जो thinking है वो reality के base पर है।

वहां पर अगर हम सोचे तो हमारा mind clear हो जाता है। चीजों को हम देख सकते हैं, समझ सकते हैं, confusions नहीं होते हैं ऐसे mind में, ऐसे mind में अंदर conflicts नहीं होते हैं। लेकिन believes के base पर conflicts होते हैं, क्योंकि जैसे believes आप एक किताब के base पर कर रहे हो या आपके parents ने आपको कुछ कहा उसके base पर आप believe कर रहे हो।

दूसरा कोई बंदा आ जाएगा, जिसने किसी और religion की किसी और किताब में कुछ पढ़ा है उसी के base पर कुछ कह रहे हैं, तो वहां पर लड़ाई झगड़ा हो जाएगा। conflicts हो जाएगा। तो जब बाहर conflicts होगा तो अंदर भी conflicts होगा, conflict वाले mind को ही problematic mind बोलते हैं। जिस mind में कोई conflict ही ना हो उसको clear mind बोलते हैं।

4. Clear Mind कैसा होता है?

तो अब आपको एक और चीज तो क्लियर हो ही गया होगा कि जो भी बोलना है, जो भी सोचना है reality के base पर सोचना है। तो reality क्या है – भगवान है या नहीं है, reality तो यही है कि पता नहीं। अभी आपके लिए या पूरी दुनिया के लिए यही reality है।

लेकिन किसी दिन भगवान आपकी experience पर उतर आए तब आप बोल सकते हैं कि भगवान है, तब आपको बोलना भी नहीं पड़ेगा, आपकी आंखों में दिख जाएगा कि भगवान आपके आसपास में है, आपके अंदर है या नहीं है। लेकिन आप believe कर रहे हो कि भगवान आपके अंदर है क्योंकि कहीं पर लिखा हुआ है या आपको पता है कि भगवान मेरे अंदर है, तो believe और reality की फर्क को हमें अच्छे से समझना है।

यदि आप इसको अच्छे से समझ गए होंगे तो यह जो overthinking जो प्रॉब्लम है, जो आप सबकी है, सुबह brain activate हो जाता है, रात तक जब तक सोने की कोशिश कर रहे होते हैं वह activated रहता है, कुछ भी thoughts आ रहे होते हैं दिमाग में। या फिर आप यह भी कह सकते हो कि जब तक हम ज़िंदा है तब तक हर वक़्त हम कुछ ना कुछ सोचते ही रहते हैं। में कहा सुबह से रात तक लेकिन भी सोने के बाद भी हमारा दिमाग़ कुछ ना कुछ सोचते ही रहते हैं।

जैसे कोई भूत की फिल्म देखी अब रात को नींद नहीं आ रही है, क्यों? क्योंकि डर लग रहा है भूत-प्रेत दिमाग में घूम रहे हैं। तो क्या यह believes नहीं है? या फिर आप इसको reality कहेंगे? यह तो believes ही है ना! अब यह thinking कैसे खत्म होगी – सिर्फ ये समझने से होगी कि यह कोई reality नहीं है, यह सिर्फ illusion है, believes है।

5. लोगो के बारे में हमारी thinking को समझो

हमारे साथ में जो लोग रहते हैं उसके बारे में हम सोचते रहते हैं कुछ भी कि वह से है वैसे हैं, लेकिन वह अच्छे भी है और बुरे भी है। दुनिया में ऐसे कोई नहीं है जो सिर्फ अच्छा हो या सिर्फ बुरा हो। बुरे से बुरे में भी अच्छाई होती है, अच्छे से अच्छे में भी बुराई होती है, लेकिन जिस base पर आप उनके बारे में अच्छा या बुरा सोच रहे हो, जरूरी नहीं है कि वही सच है। वो illusion भी हो सकता है ना। तो reality है या illusion है वह कैसे पता लगेगा – उनके साथ बैठ करके पता लगेगा, चाहे उनसे directly पूछो या indirectly पूछो,  depending upon on your relationship, तो mind में कभी चीजों को परे मत रहने दो, यह जो चीजें परी रहती है ना, बाद में यह चढ़ने लग जाती है टाइम के साथ साथ, किसी के लिए आपके दिल में कुछ बुरा है कोई नफरत है, निकाल दो ना उसको, खत्म करो, मतलब बंदे को खत्म नहीं, खत्म करो मतलब उस दिमाग में पड़े हुए बात को खत्म करो।

या तो उससे बात करके उस प्रॉब्लम को करो solve करो, उसको दबाकर के मत रखो अपने अंदर, किसी के लिए भी अगर आपके मन में किसी भी तरह की कोई बुरी feelings है, कोई बुरा सोच है, कोई किसी को नुकसान पहुंचाने की चाह है तो समझ जाओ आप खुश नहीं रह सकते। उसका कुछ नहीं जाएगा, मतलब आपको अपने mind को clear करना है, पहले यह अच्छे से समझ लो, ये हम लोग बड़ी गलती करते हैं।

हम क्या करते हैं – उसको convince करने की कोशिश कर रहे हैं, हो सकता है आपकी किसी के साथ लड़ाई हो, लेकिन वह end तक आपसे लड़ता ही रहे, मरते दम तक आप से नाराज ही रहे। आपने कोई गलती कर दी आप उससे माफी मांग रहे हो लेकिन फिर भी वह आपको माफ नहीं कर रहा है। तो आपको अपने mind को clear करना है, आपको अपने आपको माफ करना है – ”I am just a human being, मेरे से कोई गलती हुई मैंने खुद को माफ कर दिया।”

अब उसने नहीं किया तो वह उसकी प्रॉब्लम है, वो मरेगा पूरी जिंदगी के लिए, कोई आपसे jealousy कर रहे हैं तो आपको वहां पर उसके mind को clear नहीं करना है, कि आपसे jealousy ना करें, उसको आप कैसे clear करोगे? आपको अपने mind को clear करना है कि मेरे अंदर jealousy पैदा ना हो, कोई अगर अपने आपको आप से compare कर रहे हैं तो कोई बात नहीं जी करने दो, उसकी अपनी प्रॉब्लम है, आपको खुद को किसी से compare नहीं करना है, जहां आप compare करते हो वही आप फंस जाते हो, या तो आपकी ईगो बढ़ेगी या अपने आपको ही नीचे गिराओगे।

तो आपकी self-esteem की धज्जियां उड़ जाएगी, कहीं का नहीं रहेगे आप। तो ना आपको अपने आपको किसी से कम समझना है, ना ज्यादा समझना है, यह कुछ basics है लाइफ के, अगर यह हम समझ पाए ना और इस तरह चल पाए तो जिंदगी जीने में बहुत ही आएगा। मतलब हमारा ultimate goal क्या है – Thinking को सुधारना। अगर आप इसको समझते हो, क्योंकि इससे कोई बड़ी चीज नहीं है लाइफ में, इसकी value क्या है?

अगर आपके जो अंदर की दुनिया है वह बिल्कुल clear हो जाए, इसी को तो खुशी कहते हैं, और खुशी क्या है? लोग कहते हैं कि हम किसी से कुछ सीख रहे हैं वह comparison है, क्या सीखना comparison है? नहीं, किसी से कुछ सीख रहे हो वह comparison नहीं है, लेकिन आप अपने आप को compare करते हो किसी से, तो आप अपने आप को ही नीचा दिखा रहे हो और आप जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकते खुशी के साथ। अगर आप अपने mind ठीक रखोगे ना तो किसी को भी कुछ भी कहने दो सोचने दो क्या फर्क पड़ेगा आपको, सोचो !!!

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ज्यादातर लोगों को अपने parents ही किसी के साथ compare करते हैं, कि वह देखो इतना marks लेकर pass हुआ तुम इतने कम marks लेकर आए हो, ऐसा कुछ…, तो आपको अपने mind को पहले ठीक रखना है। अपने parents के mind को नहीं। आपके parents अपने mind को ठीक रखना चाहते हैं या नहीं चाहते हैं यह उनकी प्रॉब्लम है। तो अब यह इतनी सारी बात मैंने आप लोगों के साथ शेयर किया है इससे आपने क्या समझा है, क्या नहीं समझा है, यह आपका प्रॉब्लम है, मेरा नहीं। मेरा जो काम है वह मैंने कर दिया है, आगे आपका काम है।

फिर भी आपको अगर कुछ पूछना है तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं मैं उसका जवाब जरूर दूंगा।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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