भगवान श्री कृष्ण से यह 5 बातें जरूर जानना चाहिए

Hello दोस्तों, आज मैं भगवान श्री कृष्ण की कही हुई कुछ 5 सबसे महत्वपूर्ण बातें, जिसमें उन्होंने Character, Work(कर्म – अच्छा कर्म/बुरा कर्म), Fear(डर का सामना), Problems(जीवन के समस्या) और Friendship के बारे में बताते हुए क्या कुछ बातें हमें सीखाया है वो सब आप जानेंगे इस आर्टिकल में जानेंगे। तो बिना देरी के चलिए शुरू करते हैं –

भगवान श्री कृष्ण से यह 5 बातें जरूर जानना चाहिए

Importance of Good Character

संतानो की भविष्य को सुख से भरने का प्रयत्न करना यही हर माता पिता का प्रथम कर्तव्य होता है। जिन्हें आपने इस संसार में लाये हैं और जिनके कर्मों से ये जगत आपका भी परिचय पायेगा भविष्य में। उसकी भविष्य में सुख की योजना करने से अधिक महत्व और हो भी क्या सकता है ! किन्तु सुख और सुरक्षा क्या ये मनुष्य के कर्मों से प्राप्त नहीं होते ?

माता-पिता की दिए हुए अच्छे या बुरे संस्कार, उनकी दी हुई योग्य अथवा अयोग्य शिक्षा क्या आज के सारे कर्मों मोल नहीं ! संस्कार और शिक्षा से बनता है मनुष्य का भविष्य। अर्थात माता-पिता अपनी संतानो का जैसा चरित्र बनाते हैं, वैसा ही बनता है उनका भविष्य।

किन्तु फिर भी अधिकतर माता-पिता अपनी संतानो का भविष्य सुरक्षित करने की चिंता में उनका चरित्र निर्माण का कार्य भूल ही जातें हैं। वस्तुतः जो माता-पिता अपनी सन्तानो की भविष्य की चिंता करते हैं, उनकी सन्तानो का कोई लाभ नहीं होता। किन्तु जो माता-पिता अपनी सन्तानो की भविष्य की नहीं उनके चरित्र का निर्माण करते हैं उन सन्तानो प्रशस्ति समस्त संसार करता है। सयं विचार कीजिये।

कर्म

मनुष्य सदैव कर्म करता है, पर इन्हीं कर्मों के कारण उसे पद, धन, प्रतिष्ठा मिलते हैं। मनुष्य सदैव प्रयास करता है की वो अच्छे कर्म ही करता जाये। आपको बता दूँ की अच्छे कर्म करना ही आवश्यक नहीं है, उससे अधिक आवश्यक है, इन बुरे कर्मो को समझना और इनसे दूर रहना।

आप जब कोई उचित कर्म करते हैं, कोई अच्छा कर्म करते हैं कोई स्मरण नहीं रखता। किन्तु संसार में बात कुछ ऐसी है आप एक अनुचित कर्म कीजिये और वो सभी को स्मरण रहता है। ये बुरे कर्म काजल की कोठरी की भाटी होते हैं। आप कितना भी प्रयास कर लो बच बच के भीतर निकल जाने का ये कालिक कही न कही लग ही जाते हैं। इसलिए जीवन में आप अच्छे कर्म अवश्य करें किन्तु उससे अधिक महत्वपूर्ण है इन बुरे कर्मों से दुरी बनाये रखना।  

Is Fear Natural?

मनुष्य के ह्रदय में भय का साम्राज्य रहता है सदा। कभी संपत्ति के नाश का भय, कभी अपमान का भय, कभी अपनों से छूट जानने का भय, इसलिए भय का होना सबको स्वाभाविक ही लगता है। क्या कभी विचार किया है आपने की जो स्थिति अथवा वस्तु भय को जन्म देती है, क्या वही से वास्तव में दुःख आता है?

नहीं ! ऐसा तो कोई नियम नहीं और सबका अनुभव तो ये बताता है की भय धारण करने से भविष्य के दुःख का निवारण नहीं होता। भय केवल आने वाले दुःख की कल्पना मात्र ही है, वास्तविकता से इसका कोई सम्बन्ध नहीं हैं। तो क्या ये जानते हुए भी की भय कुछ और नहीं केवल कल्पना मात्र ही है, इससे मुक्त होकर निर्भय बन पाना क्या बहुत कठिन हैं??? अवश्य विचार कीजिये !

How to Face Problems?

संकट का नाम सुनते ही हम सचेत हो जाते हैं। इस संसार में ऐसा कोई जीव नहीं जिसने संकट का सामना ना किया हों, जो संकट से घिरा ना हों। अब कुछ लोग संकट का सामना करते हुए उसपर विजय प्राप्त कर लेते हैं और कुछ नहीं कर पाते हैं। किन्तु अधिकतर लोग संकट का ये समय बीत जाने पर, संकट के विषय में भूल जातें हैं और यही उनकी सबसे बड़ी भूल होती हैं। संकट से जुड़ी ये तीन बातें सदैव स्मरण रखना –

पहली – जिन्होंने आपको संकट में डाला, उन्हें कभी मत भूलियेगा और भविष्य में सदैव उनसे सावधान रहिएगा।

दूसरी – जिन्होंने संकट के समय पर आपका साथ छोड़ दिया वो आपके मित्र नहीं हैं, परजीवी हैं और कभी भी भविष्य में उनसे कोई आशा मत रखियेगा।

तीसरी – जिन्होंने संकट के समय पर आपका साथ निभाया, आपका मनोबल बढ़ाया, ये आपके सच्चे मित्र हैं इन्हें कही मत जाने दीजियेगा। तो संकट से जुड़ी ये तीन बातें यदि आप सदैव स्मरण रखते हैं तो संकट भूल कर भी कभी आपके जीवन में पुनः नहीं आएगा।

Friendship is The World’s Largest Relationship – Lord Krishna

Friendship is The World's Largest Relationship

मित्रता

संसार का सबसे बड़ा सम्बन्ध है ये मित्रता। जीवन में माता, पिता, भाई, बहन ये सम्बन्ध हम चिढ़ या छीन नहीं सकते, क्यूंकि ये जन्म से हमारे साथ आते हैं। किन्तु मित्रता एक ही ऐसा सम्बन्ध है जिसका चयन हम करते हैं। जिसे हम बनाते हैं और जिसे हम बढ़ाते हैं और निभातें भी है। तो इस मित्रता पर गर्व कीजिये।

जैसे आपने मित्र चुना उसपर गर्व कीजिये। यदि आप दोनों साथ है उसपर गर्व कीजिये। यदि आपका मित्र जीवन में आगे निकल जाये, सफल हो जाये तो गर्व के साथ कहिये की ये सफल व्यक्ति मेरा मित्र है।

यदि आपका मित्र किसी कारणवश पीछे रह जाये, किसी विपदा में फंस जाये तब भी गर्व के साथ खड़े रहिये और कहिये की ये मेरा मित्र है। मित्र के साथ एक जुट होकर खड़ा रहना किसी भी परिस्थिति में चाहे अच्छी हो चाहे बुरी, ये मनुष्य की सबसे बड़ी परीक्षा है। और जो इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ, समझ लीजिये ये विपदा उनकी जीवन में कही आ ही नहीं सकतें, ना उसके, ना कभी उस मित्र के।

Leave a Comment