The Intelligent Investor Book Summary in Hindi – बेंजामिन ग्राहम और जेसन ज्वीग द्वारा लिखी गयी किताब द इंटेलिजेन्ट इन्वेस्टर में हम देखेंगे कि इन्वेस्ट करते वक्त हम किस तरह कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर अपना भविष्य बना सकते हैं। इस किताब में बेंजामिन ने अपनी गलतियों से सीखी हुई बातों को आसान शब्दों में लिखकर समझने की कोशिश की है। इसका इस्तेमाल कर अपनी इन्वेस्टमेंट स्किल्स सुधार सकते हैं।
अगर आप एक इन्वेस्टर बनना चाहते हो, या अगर आप जानना चाहते हो की वैल्यू इन्वेस्टिंग क्या होती है, या अगर आप इन्वेस्ट करना चाहते हो लेकिन पर सब कुछ खोने का रिस्क नहीं लेना चाहते हो तो ये बुक सिर्फ आपके लिए है।
लेखक
बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) ने एक इन्वेस्टर की तरह अपना करिअर 1914 में शुरू किया था। इसके बाद 1920 के दशक में उन्हें इकनोमिक क्रैश की वजह से बहुत नुक्सान झेलना पड़ा। द इंटेलीजेंट इन्वेस्टर में उन्होंने अपनी गलतियों से सीखी हुई बातों को बताया है।
आप ने एक न एक बार तो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के बारे में ज़रूर सोचा होगा। लेकिन ज़्यादातर लोग इसमें फाइनेंशियल क्राइसिस और इकनोमिक क्रैश की वजह से इन्वेस्ट नहीं करते।
हालाँकि एक ऐसा तरीका भी है जिससे आप अपने सब कुछ खोने के डर से छुटकारा पा सकते हैं। इस तरीके को इंटेलीजेंट इंवेस्टिंग कहते हैं। ग्राहम ने इसे सबसे पहली बार 1949 में लोगों के सामने पेश किया था। ये आपको स्टॉक मार्केट में दूर तक देख कर इन्वेस्ट करने की कला सिखाता है।
पिछले कई सालों में कई लोगों ने ग्राहम के फॉर्म्युले को अपना कर अपनी किस्मत बनाई है। इसमें सबसे फेमस नाम है- वारेन बफ्फेट।
इंटेलीजेंट इन्वेस्टर्स कंपनी की लॉन्ग टर्म वैल्यू को समझते हैं। अगर आप इंटेलीजेंट नहीं है तो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना बहुत क हो सकता है। अगर आप इंटेलीजेंट इन्वेस्टिंग करें तो रिस्क लेना फायदेमंद हो सकता है।
हम सभी ने वारेन बफ्फेट जैसे कई लोगों को देखा है जिन्होंने स्टॉक मार्केट में बहुत सारा पैसा कमाया। लेकिन साथ ही हमने ऐसे भी लोगों को देखा है जिन्होंने सब कुछ खो दिया। इन दो तरह के लोगों में सिर्फ एक ही अंतर है – इंटेलीजेंट इंवेस्टिंग।
इंटेलीजेंट इन्वेस्टर किसी भी कंपनी के हिस्ट्री की एनालिसिस करते हैं जिससे उन्हें फायदा मिल सके। वो दूर की सोचते हैं। जबकि ज़्यादातर लोग थोड़े से पैसों के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। वे मार्केट के बारे में अंदाज़े लगाते हैं। लेकिन मार्केट के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
जैसे कि अगर एक इन्वेस्टर ने ये अफवाह सुनी कि एप्पल एक नया प्रोडक्ट लांच करने वाला है तो वो बिना किसी एनालिसिस के एप्पल का स्टॉक खरीद लेता है। अगर उसकी किस्मत अच्छी हुई और एप्पल ने नया प्रोडक्ट लांच किया तो उसको फायदा होगा वरना वो अपना पैसा खो देगा। इसलिए आपको अंदाजा लगाना छोड़कर दिमाग लगाना चाहिये।
आप किसी भी स्टॉक को तभी खरीदिए जब उसकी प्राइस उसकी वैल्यू से कम हो। जब उस कंपनी के स्टॉक की प्राइस उसकी वैल्यू के हिसाब से बढ़ेगी तो आपको अच्छा फायदा मिलेगा।
इन्वेस्टर्स की ज़िन्दगी मज़ेदार तो नहीं होती, लेकिन इसमें फायदा बहुत होता है।
अगर आप एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो आपको तीन नियमों को समझना होगा।
पहला- आप उसी कंपनी में इन्वेस्ट कीजिए जिसके रिकार्ड्स अच्छे हों और स्टॉक की कीमत कम हो। ऐसी कंपनियां आने वाले समय में आगे बढ़ेंगी और उनके फायदे से आपका फायदा होगा। किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले उस कंपनी की अच्छी एनालिसिस कीजिये। एनालिसिस करते वक्त आपको बहुत सी बातों का खयाल रखना होगा।
आप कंपनी के फाइनेंशियल स्ट्रक्चर और मैनेजमेंट को देखिये। आप देखिये कि क्या कंपनी अपने इन्वेस्टर्स के साथ प्रॉफ़िट्स को अच्छे से बाँटती है या नहीं। इसके अलावा आप कंपनी की फाइनेंशियल हिस्ट्री और उसके स्टॉक प्राइस को देखिये आप जल्दी बाज़ी में कोई फैसला मत लीजिए
दूसरा- आप एक ही कंपनी में अपना सारा पैसा लगाने की गलती कभी मत कीजिये। भले ही उस कंपनी में आपको बहुत फायदा दिख रहा हो लेकिन अपने पैसों को अलग अलग जगह लगाइये।
ज़रूरी नहीं कि आपकी एनालिसिस सही ही हो। अगर वो कंपनी किसी भी वजह से डूबती है तो उसके साथ ही आपका सारा पैसा भी डूब जाएगा। इसलिए आप अपना पैसा अलग अलग स्टॉक्स में लगाइये।
और तीसरा- आप पैसों के पीछे मत भागिए। पैसों के पीछे भागना आपको लालची बना देगा जिससे आपकी सोचने की क्षमता खत्म हो सकती है। आप एक ही साथ बहुत सारा पैसा बनाने के बारे में मत सोचिये। आप अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इन्वेस्टमेंट कीजिये न की किसी स्टॉकब्रोकर से मुकाबला करने के लिये।
अगर आप स्टॉक मार्केट की हिस्ट्री देखें तो आपको पता लगेगा कि स्टॉक मार्केट उतार चढ़ाव से भरा पड़ा है। मार्केट के बारे में कुछ भी कह पाना लगभग असंभव है। इन्वेस्ट करने से पहले आपको मार्केट के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिये।
इसलिए आप स्टॉक की हिस्ट्री जानने से पहले स्टॉक मार्केट की हिस्ट्री जानिए। इससे आप फाइनैन्शियली और साइकोलॉजिकली तैयार होंगे। आपको नुक्सान को ध्यान में रख कर स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिये। इसके लिए आप बहुत से कदम उठा सकते हैं जो कि नीचे दिए गए हैं।
स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए आपको हिस्ट्री की अच्छी जानकारी होनी चाहिये।
इस सबक में हम स्टॉक मार्केट को समझने की कोशिश करेंगे। इसके लिए लेखक ने स्टॉक मार्केट को मिस्टर मार्केट कह कर बुलाया है।
मिस्टर मार्केट के बारे में कुछ भी कह पाना बहुत मुश्किल है। कुछ उनके मूड पर निर्भर करता है। वो कभी कभी सबको ऊपर ले जाते हैं और कभी कभी सबको डुबो देते हैं। जब भी कुछ एक्साइटिंग होने वाला होता है तो मिस्टर मार्केट अपना आपा खो देते है और ऐसे में सभी लोग ज़्यादा पैसे देने लगते हैं।
कभी कभी लोगों को मिस्टर मार्केट से बहुत आशाएं रहती हैं। ऐसे में स्टॉक की कीमत ऊपर चली जाती हैं। और कभी कभी मिस्टर मार्केट लोगों को बहुत निराश का देते हैं जिसमे लोगों को नुक़सान भी हो जाता है।
एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर मार्केट और भीड़ पर ध्यान नहीं देता। वो जानता है कि मिस्टर मार्केट का मूड कभी भी बदल सकता है इसलिये ज़रूरी नहीं कि जिस स्टॉक में आज प्रॉफिट है उसमें कल भी प्रॉफिट रहे ।
एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर को पता होता है की जिन स्टाक्स में आज फायदा हो रहा है उनमें कल फायदा नहीं होगा क्योंकि उसकी प्राइस उसके वैल्यू से बढ़ गयी है। आने वाले समय में उसकी प्राइस कम हो जायेगी और उसमें नुकसान होगा।
अगर आपको ये जानना है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी या घटेगी तो आपको पैटर्न्स को समझना होगा। हम सभी पैटर्न्स को समझने में माहिर होते हैं। इसलिए आपको उन पैटर्न्स पर ध्यान देना होगा जो आगे भी बढ़ते जा सकते हैं।
अब आपको इंटेलीजेंट इंवेस्टिंग के सिद्धांतों के बारे में जान लेना चाहिए। आने वाले सबक़ में आपको आपके इन्वेस्टमेंट स्टाइल के हिसाब से प्रैक्टिकल इन्वेस्टमेंट टिप्स दिए जाऐंगे।
इन्वेस्टर्स दो तरह के होते हैं- डिफेंसिव इन्वेस्टर्स और एन्टरप्राइसिंग इंवेस्टर्स। इस सबक में हम डिफेंसिव इन्वेस्टर की बात करेंगे।
डिफेंसिव इन्वेस्टर्स वो होते हैं जो सुरक्षा की खोज करते रहते हैं। ये इन्वेस्टर्स सब कुछ खोना नहीं चाहते। अगर आप डिफेंसिव इन्वेस्टर हैं तो आपको अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड करना चाहिए। यानि आप को सिर्फ एक में नहीं बल्कि कई कम्पनीज में इन्वेस्ट करना चाहिए।
सबसे पहले हमें स्टॉक्स और बॉन्ड्स के बारे में जान लेना चाहिये। स्टॉक्स में ज़्यादा फ़ायदे के साथ साथ ज़्यादा रिस्क भी होता है जबकि बांड्स ज्यादा रिस्की नहीं होते लेकिन उनमें फायदा कम होता है। अगर आप एक डिफेंसिव इन्वेस्टर है तो आपको 75% बांड्स में और 25% स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना चाहिए या फिर 50-50 इन्वेस्ट करना चाहिए। इससे आप ज़्यादा रिस्क से बचे रहेंगे।
इसके अलावा आपका स्टॉक पोर्टफोलियो भी डाइवर्सिफाइड होना चाहिए। आप उन कंपनियों में अपना पोर्टफोलियो बनाइये जो काफी समय से सक्सेसफुल रही हों। इसका मतलब ये नहीं कि आप भीड़ के साथ भागिए और उसमें इन्वेस्ट करिये जो पॉपुलर हो।
आप बस कंपनी के हिस्ट्री पर नज़र डालिए और कम से कम 10 कम्पनियों में इन्वेस्ट कीजिये। और आखिर में आप एक एक्सपर्ट की सलाह ज़रूर लीजिए। उन्हें इस बारे में आप से ज़्यादा पता है और वे आपकी काफी हद तक मदद कर सकते हैं।
एक बार आपने इन्वेस्ट करने के लिए कंपनी खोज ली तो आप एक फॉर्म्यूले का इस्तेमाल कीजिये। आप तय कीजिये कि आपको उस कंपनी में समय समय पर कितना इन्वेस्ट करना है और सिर्फ उतना ही इन्वेस्ट कीजिये। इस फॉर्म्युले को रुपया कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee cost averaging) भी कहते हैं।
आपको ये तय करना होगा कि आप एक बार में कितना पैसा इन्वेस्ट करेंगे। जैसे कि अगर आपने 3000 रुपये हर महीना इन्वेस्ट करने के बारे में सोचा है तो हर महीने सिर्फ और सिर्फ 3000 रुपये ही इन्वेस्ट कीजिये। आप एक से ज़्यादा कंपनी में इन्वेस्ट कीजिये। ऐसा करने के कुछ फायदे और कुछ नुक्सान भी हैं।
फायदा ये है कि आप रिस्क के खतरे से बचे रहेंगे। आपको ज़्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। नुक्सान ये है कि अगर आपको एक अच्छी डील मिलती है जिसमें आप ज़्यादा पैसे इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप नहीं कर सकते क्योंकि आपने खुद को कम पैसे लगाने के लिए बांध लिया है। आप उस लिमिट से ज्यादा पैसा नहीं लगा सकते।
एक अच्छे डिफेंसिव इन्वेस्टर को समय समय पर अपना पोर्टफोलियो चेक करते रहना चाहिए। आपको हर 6 महिने में अपने स्टॉक और बांड को एडजस्ट करना चाहिए और इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आप स्टॉक और बांड में उतना ही इन्वेस्ट करें जितने से आपने शुरुवात की थी।
और आपको साल में एक बार प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए जो में आपको आपके फंड्स को एडजस्ट करने के बारे में सलाह दे सके।
एक सक्सेसफुल एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर और एक डिफेंसिव इन्वेस्टर में काफी अंतर होता है। एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर कॉमन स्टॉक्स में ज़्यादा पैसे लगाता है क्योंकि उनमें ज्यादा फायदा होता है। लेकिन कॉमन स्टॉक्स में ज़्यादा रिस्क भी है। इसके अलावा एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर्स काफी हद तक एक डिफेंसिव इन्वेस्टर की तरह ही काम करता है।
एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर अपने फाइनेंशियल एडवाइजर को अपना पार्टनर समझता है। वो दोनों मिलकर फैसले करते हैं।
एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर कॉमन स्टॉक्स और बॉन्ड्स के अलावा दूसरे स्टॉक्स में भी पैसे लगाता है जिससे उसे ज़्यादा फायदा हो सके। ऐसे स्टॉक्स में ज़्यादा रिस्क भी होता है।
जैसे कि आपने अप्स एंड कमिंग स्टार्ट अप का नाम सुना होगा और आपको लगा होगा कि ये आने वाले समय में काफी सक्सेसफुल हो जाएगा। एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर ऐसी जगहों पर पैसे लगाते हैं लेकिन उन्हें भी इसमें अपने सारे पैसे नहीं लगाने चाहिए। आप इस बात का ध्यान हमेशा रखिये कि आप किसी भी कंपनी में अपने सारे पैसे मत लगाइए। मिस्टर मार्केट कभी कभी बहुत बेरहम हो जाते हैं और सबको डुबो देते हैं।
इसलिए आप भी एक डिफेंसिव इन्वेस्टर की तरह अपने पैसों पर एक लिमिट लगाइए और अपने पोर्टफोलियो को समय समय पर चेक करते रहिये जिससे आपको प्रॉफिट होता रहे।
ज़्यादातर लोग मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं। वे प्राइस गिरते ही सब कुछ बेच देते हैं और स्टॉक की कीमत बढ़ते ही सबकी तरह उसमें पैसे लगाने लगते हैं। उन्हें भीड़ के साथ चलना पसंद है। लेकिन एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर ऐसा नहीं करता।
आपको यू एस हाउसिंग बबल की घटना याद होगी। जब हाउसिंग की कीमत बढ़ने लगी तब सभी लोग बिना सोचे समझे उसमें इन्वेस्ट करने लगे। उन्हें अंदाजा नहीं था की उसकी कीमत उसके वैल्यू से बहुत बढ़ चुकी है और अब उसमें इन्वेस्ट करना ठीक नहीं है।
जब कीमत बहुत ज़्यादा बढ़ गयी तब पूरा मार्केट क्रैश हो गया। इसलिए मिस्टर मार्केट भरोसे के लायक बिलकुल नहीं हैं। अगर कीमत बढ़ रही है तो उसमे इन्वेस्ट ना करें। एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर्स लो मार्केट में खरीदते हैं और हाई मार्केट में बेचते हैं।
आप अपने पोर्टफोलियो को समय समय पर चेक करते रहिये और कंपनी के स्टॉक प्राइस पर भी ध्यान रखिये। अगर आपको लगे कि कंपनी का मैनेजमेंट ठीक नहीं चल रहा या उसकी फाइनांशियल कंडीशन ठीक नहीं है या उसकी प्राइस उसके वैल्यू से बढ़ गयी है तो अपने स्टॉक्स को बिना समय गंवाए बेच दीजीए।
आप लो मार्केट में स्टॉक्स ख़रीदीए। जैसे कि याहू ने 2002 में इंकतामी कॉर्प को सिर्फ 1.65 डालर प्रति शेयर ख़रीदा था। इंकतामी कॉर्प की कीमत उससे पहले 231 डालर प्रति शेयर थी। एक बार उसकी कीमत आसमान छूने लगी तो मार्केट क्रैश हो गया और उसकी कीमत कम हो गई।
एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर बनने के लिए आपको अच्छी और बुरी डील्स में फर्क करना आना चाहिए। अगर आप स्मार्ट हैं तो आप रिस्क हैंडल कर सकते हैं और काफी पैसा कमा सकते हैं। तो आईये देखे की आप एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर कैसे बन सकते हैं।
अगर आप एक एन्टरप्राइसिंग इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो आप वर्चुअली स्टॉक्स को ख़रीदना और बेचना शुरू कीजिए। आज इंटरनेट में बहुत सी ऐसी वेब-साइट हैं जो आपको वर्चुअल इन्वेस्टमेंट करने देती है। इसमें आप मार्केट को समझ कर अच्छे और बुरे डील्स के बारे में जान सकते हैं।
आप एक साल तक इन वर्चुअल इंवेस्टिंग वेब-साइट पर वर्चुअल इन्वेस्टमेंट की प्रैक्टिस कीजिये। अगर आपको अच्छे रिजल्ट्स मिलते हैं तो आप रीयल वर्ल्ड में इन्वेस्ट करना शुरू कीजिये। वर्चुअल इंवेस्टिंग से आपको अन्डरवैल्यूड स्टॉक और कंपनी की समझ हो जाएगी।
एक्साम्पल के लिए एक रेफ्रीजरेटर कंपनी को ले लीजिये जो पिछले 5 सालों से अच्छा परफॉर्म कर रही है। लेकिन पिछले दो महीनों से उस कंपनी में एक प्रोडक्शन एरर है जिसके वजह से उस कंपनी के स्टॉक की कीमत घट गयी है। उस एरर के ठीक होते ही कंपनी के शेयर्स वापस आसमान छुने लगेंगे।
तो ये आपके लिए एक अच्छी डील हो सकती है। तो इस तरह आप वर्चुअल वेब-साइट का इस्तेमाल कर के अच्छी और बुरी डील्स में फर्क करना सीख सकते हैं। अगर आप वर्चुअल दुनिया में जीत जाते हैं तो आप रीयल दुनिया में भी जीत सकते हैं।
अगर आपको स्टॉक्स खरीदने या बेचने हैं तो आपको इंटेलीजेंट इन्वेस्टर का रास्ता चुनना होगा। आपको बस इन सबक में दिए गए रूल्स को फॉलो करना है और आप भी स्टॉक मार्केट से पैसे कमा सकते हैं।
इमोशनल स्ट्रेस से बचने के लिए हमेशा एक स्ट्रिक्ट फोर्मुले पर बने रहें।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आप को अपनी इनकम का 10% इन्वेस्ट करना चाहिए. अगर शेयर्स सस्ते हैं तो लालच में आ कर ज्यादा न खरीदिये और अगर महंगे हैं तो कंजूसी में कम न खरीदिये. बस अपनी इनकम के 10% पर बने रहिये. ये बोहोत अच्छा तरीका है नुक्सान से बचने का।
याद रखें कि एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर कभी भी आसमान छूते हुए फायदे को नहीं देखता बल्कि फोकस करता है सेफ और बैलेंस्ड रिटर्न पर।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह The Intelligent Investor Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आपने आज Investing के बारे में क्या सीखा ?
क्या आप भी Stock Market में पैसा Invest करते हैं ?
क्या आपने कभी Upstox पर Invest किया है ?
अगर Investing के बारे में आपको कुछ भी और जानकारी चाहिए तो मुझे नीचे कमेंट में पूछ सकते है।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.