The Power of No Book Summary in Hindi – Hello दोस्तों, इस द पावर आफ नो (The Power of No) में बताया गया है कि किस तरह एक छोटा सा शब्द ‘ना’ हमारी जिन्दगी को एक नया रुप दे सकता है। इस किताब की मदद से आप उन चीज़ों को ना कहना सीख सकते हैं जो आपके लिए अच्छी नहीं हैं और अपनी जिन्दगी की एक नई शुरुआत कर सकते हैं।
जेम्स आल्शर (James Altucher ) एक अमेरिकन हेज फंड मैनेजर, एन्टरप्रीन्युअर और लेखक हैं। वे 20 कंपनियों के फाउन्डर हैं जिनमें एक स्टॉकपिकर (StockPickr) भी है।
क्लॉडिया एजुला आल्शर (Claudia Azula Altucher) एक योगा टीचर और एक लेखिका हैं। वे जेम्स एल्टुशर की पत्नी हैं। उनकी कुछ किताबों के नाम हैं बिकम ऐन आईडिया मशीन (Become an idea machine) और 21 थिंग्स यु नीड टु नो बिफोर स्टार्टिंग योगा (21 things you need to know before starting yoga ) .
क्या आपको ना कहने में हिचकिचाहट होती है? क्या आप हमेशा दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करने में खुद की ज़रूरतों को भूल जाते हैं? अगर ऐसा है तो आपको ना कहने की आदत डालनी ही होगी। और यहाँ पर आप सीख पाएंगे की ना कहने का पावर कितना है।
ना कहने के बहुत से फायदे हैं। आप दूसरों को ना कहकर खुद पर ध्यान दे सकते हैं। आप बुरे रिश्तों को ना कहकर अच्छे रिश्तों के लिए जगह बना सकते हैं। ना कहने से आपकी सेहत भी अच्छी बनी रहती है और जब आप कई चीज़ों को ना कहना सीख जाओगे तो आप के लिए खुद को हाँ कहना आसान हो जाएगा।
इस किताब की मदद से आप इन सभी बातों के बारे में जान पाएंगे और सीखेंगे कि एक छोटे से शब्द में कितनी ताकत होती है।
और आप सीखेंगे कि –
क्या आप कभी कभी कुछ ऐसे काम करते हैं जो आपको अंदर से मार रहे होते है? क्या आप ऐसे लोगों के साथ रह रहे हैं जिनके साथ आप नहीं रहना चाहते? अगर हाँ तो अब वक्त आ चुका है इन्हें ना कहने का।
आप अपनी जिन्दगी के फैसलों को सोच समझ कर लीजिए। आप उन लोगों से दूर रहिए जो आपकी एनर्जी या खुशी को कम या खत्म करते हैं। अगर कोई आपके दुखी होने की वजह बनता है तो आप उसे छोड़ दीजिए। बुरे रिश्तों को पहचानने के लिए आप ये काम कर सकते हैं।
आप उन सभी लोगों की लिस्ट बनाइए जिनके साथ आप अपना कीमती समय बिताते हैं। अब आप सभी लोगों को 1 से 10 के बीच में नंबर दीजिए। अगर किसी खास व्यक्ति के साथ समय बिताना आपको बहुत अच्छा लगता है तो आप उसे 8 से ज्यादा नंबर दीजिए और अगर किसी व्यक्ति से आपको नफरत है तो उसे 5 से कम नंबर।
अब आप उन लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताइए जिन्हें आपने 8 से ज्यादा नंबर दिए हैं और उनका साथ बिल्कुल छोड़ दीजिए जिन्हें आपने 5 से कम नंबर दिए हैं। बचे हुए लोगों के साथ आप थोड़ा बहुत समय बिताइए।
इस तरह से आप बुरे रिश्तों को ना कहकर अच्छे रिश्तों के लिए जगह बना सकते हैं। रिश्ते इसलिए होते हैं कि हम दुखी होने पर उनके कंधों पर सिर रख सकें। लेकिन अगर वही रिश्ते आपके दुखी होने की वजह बन जाएं तो उन्हें छोड़ देना ही बेहतर है।
अगर आप हमेशा दूसरों की ज़रूरतों के बारे में सोचेंगे और उनके काम करेंगे तो आप अपनी जरूरतों का खयाल नहीं रख पाएंगे। इसलिए बेहतर है कि आप उस काम को ना कह दीजिए जिसे आप नहीं करना चाहते।
आप इस दुनिया में सबसे अनोखे हैं। आपके जैसा अंगूठे के निशान वाला कोई दूसरा पैदा नहीं हुआ। अगर आप Jeff Bezos नहीं बन सकते तो Jeff Bezos भी ‘आप’ नहीं बन सकता। इसलिए आपको पूरा हक है कि आप अपने फैसले खुद लें और वो काम ना करें जिसे आप नहीं करना चाहते।
अगर आप बिना मन से कोई काम करते हैं तो वो आपके लिए दुख का कारण बन सकता है। ऐसे में यही बेहतर रहेगा कि आप उस काम को मत कीजिए।
अगर आपको लगता है कि आपके ना कहने से सामने वाले को तकलीफ होगी तो आप कुछ इस तरह से सोचिए। मान लीजिए आपको किसी की मदद की जरुरत हो लेकिन वो आपकी मदद ना करना चाहता हो। क्या आपको अच्छा लगेगा कि कोई आपका काम बेमन से करे? नहीं। बल्कि आपको लगेगा कि आप उसके लिए एक बोझ बन गए हैं। साथ ही आपको यह भी लग सकता है कि वो व्यक्ति आप से नाराज हो गया है क्योंकि आप उससे अपना काम करवा रहे हैं।
अब जब आपने औरों को ना कह दिया है तो वक्त आ गया है कि आप अपने बारे में सोचें। अगर आप ये फैसला नहीं कर पा रहे हैं तो आपको क्या करना है कि आप एक लाईब्रेरी में जाइए और अलग अलग तरह की किताबें पढ़िये। आप वो किताबें पढ़िये जिसमें आपको रूचि हो। ऐसा कर के आप अपने रास्ते ढूंढ सकते हैं।
एक निराशावादी के शब्द होते हैं आधा ग्लास खाली है। एक आशावादी के शब्द होते हैं – आधा ग्लास भरा है। आप आशावादी से भी ऊपर जा सकते हैं अगर आप सिर्फ पानी पर ध्यान देकर ये सोचें कि इतने पानी से मेरी प्यास बुझ जाएगी। आसान शब्दों में कहें तो आप उस चीज़ पर ध्यान लगाइए जो आपके पास है। आप उसके बारे में मत सोचिए जो आपके पास नहीं है।
अगर आप इसलिए परेशान हैं क्योंकि आपको प्रमोशन नहीं मिल रहा तो आप ये सोचकर खुश रहिए कि कम से कम आपके पास एक नौकरी तो है। आप उस चीज़ पर ध्यान लगाइए जो आपके पास है और जिसके लिए आप शुक्रगुजार हैं। ऐसा कर के आप खुश तो जरूर रह सकते हैं।
इसके अलावा आप उन चीज़ों पर से ध्यान हटाइए जो आपको परेशान करती हैं। अगर आपने न्यूज़ में कोई कार एक्सिडेंट देखा है और वो आपको परेशान कर रही है कि कहीं कल आपका एक्सिडेंट ना हो जाए तो आप टीवी बंद कर के कहीं घूमने चले जाइए।
अगर आप अपने आस पासके शोर को अनदेखा करेंगे तो आप अपने अंदर की आवाज को सुन पाएंगे इससे आपको शांति मिलेगी और आप अपने आस पास के लोगों को अच्छे से समझ पाएंगे। अगर आप शांति पाना चाहते हैं तो आप अपने आस पास के हर व्यक्ति पर थोड़ी सी नज़र रखिये। आप देखेंगे कि आप उन लोगों को अच्छे से समझ पा रहे हैं और उनकी परेशानी या अकेलेपन को महसूस कर पा रहे हैं।
अब तक हमने देखा कि किस तरह हम अपनी जिन्दगी में छोटी-छोटी चीजों को ना कह कर खुशी पा सकते हैं इस सबक में हम देखेंगे कि हम अपनी हाँ कहने की ताकत को कैसे बढ़ा सकते हैं।
हाँ की ताकत तीन चीज़ों से मिलकर बनी है :-
आप हर चीज़ के लिए शुक्रगुजार होकर अपनी हाँ कहने की क्षमता बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप यह काम कीजिए।
ऐसा कर के आप अपना ध्यान अच्छी चीज़ों पर लगा पाएंगे और उन चीज़ों को ना कह पाएंगे जो आपको परेशान करती हैं।
अपनी हाँ कहने की ताकत को बढ़ाने के लिए आप अपने शरीर के अंदर और बाहर की ज़रूरतों पर ध्यान दीजिए।
इस तरह आप अपने शरीर की जरूरतों का खयाल रखकर बुरी चीज़ों को ना कह सकते हैं और अच्छी चीजों को हाँ कह कर और अपनी जिन्दगी में लाकर उसे एक नया रुप दे सकते हैं।
ना कहना हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। बुरे रिश्तों को ना कहकर हम अच्छे रिश्ते बना सकते हैं। दूसरों की जरूरतों को ना कहकर हम अपनी जरूरतों पर ध्यान दे सकते हैं। शोर को “ना” कहकर हम अपनी अंदर की आवाज सुन सकते हैं और अपनी परेशानियों को “ना” कहकर हम अपनी खुशियाँ बढ़ा सकते हैं।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह बुक समरी (The Power of No Book Summary in Hindi) कैसा लगा, अगर आपका कोई सवाल और सुझाव या कोई प्रॉब्लम है तो वो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस बुक समरी (The Power of No Book Summary in Hindi) को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.