Tipping Sacred Cows Book Summary in Hindi – यह किताब वर्कप्लेस पर किस तरह के गुण हमें अपनाना चाहिए उसके बारे में हमारे अज़म्पशन को चैलेंज करती है। यह दिखाती है कि किस तरह से सात ‘पवित्र गायें’ – बैलेंस, कोलैबोरेशन, क्रिएटिविटी, एक्सीलेंस, फेयरनेस, पैशन एंड प्रिपरेशन असल में आपकी ऑर्गेनाइजेशन की परफॉर्मेंस में बाधा बन सकती हैं। यहां कुछ अल्टरनेटिव स्ट्रैटेजिस को आउटलाइन करती है जो कि आपके एम्प्लॉय को खुश रखेगा और उनको प्रोडक्टिव बनाएगा।
क्या आप एंटरप्रेन्योरशिप या बिजनेस में रुचि रखते हो, क्या आप अपनी लीडरशिप स्किल्स डेवलप करना चाहते हैं, या फिर क्या आप अपनी वर्कप्लेस पर होने वाली नुकसान को अवॉइड करना चाहते हो तो ये बुक आपके लिए है।
लेखक
Jake Breeden एक राइटर और कंसलटेंट हैं जो कि मार्केटिंग, कम्युनिकेशन और लीडरशिप में स्पेशलाइज है। उनके एडवाइज लीडर दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियों से हुए हैं जैसे कि स्टारबक्स, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और आईबीएम।
Tipping Sacred Cows Book Summary in Hindi – बुरी आदत से आसानी से छुटकारा पाएं
हम सभी फेयरनेस यानी निष्पक्षता चाहते हैं, लेकिन अक्सर इसे समानता के बराबर देखते हैं।
एक बहुत पुराना फ्रैंक है जोकि स्पेशली अमेरिका और उसके आसपास के रूरल कम्युनिटीज में किया जाता है। जब कुछ बच्चे अपने दोस्तों के साथ गाय पर धावा बोल देते हैं और ऐसा करने से वहां पर खुशी का माहौल बन जाता है।
यह हमें यह नहीं सिखाएगा की गाय को कैसे बांधा जाए जब की आपको दिखाएंगे कि कैसे हम अपने कुछ गुणों जैसे कि पैशन, फेयरनेस और परफेक्शन को हद से ज्यादा बढ़ाने से पहले और हमें नुकसान पहुंचाने से पहले बदल सकते हैं जिनके लिए हम हर रोज कोशिश करते हैं।
उदाहरण के लिए सभी के साथ फेयर होना हमें अपनी टीम के कमजोर लोगों को रिवार्ड देने के लिए मजबूर कर सकता है। हमेशा परफेक्ट और फेयर होना हमारे मन में फेल होने के डर को बिठा देता है। यह समरी आपको बिजनेस को ऑपरेट करने के अच्छे तरीके बताएगी। इसके अलावा आप जानेंगे कि Ritz Carlton के स्टाफ मेंबर्स को कैसे कस्टमर से दूर खड़ा रहने के लिए कहा गया? पैशनेट होना आपकी हेल्थ पर किस तरह से बुरा असर करता है? और हमेशा परफेक्ट होना किस तरह से बुरा है?
इस दुनिया में फेयर यानी निष्पक्ष रहने की चाहत तो सभी की होती है लेकिन यह बहुत कठिन है। एक स्टडी में ऐसा बताया गया है कि जब हम किसी को इमोशनल होता हुआ देखते हैं तो हमारा दिमाग भी उसकी नकल करता है। जैसे कि अगर हम किसी को रोता हुआ देख रहे हैं तो हमारे आंसू भी आने लगते हैं या फिर अगर हमने ऐसा देखा कि किसी को इलेक्ट्रिक शॉक लगा है तो वह शॉक हमें भी महसूस होता है।
यह एक नेचुरल टेंडेंसी होती है जो कि हमेशा अच्छी साबित नहीं होती है। फेयरनेस होने के चक्कर में बहुत बार हम समानता को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं। फेयरनेस यानी की निष्पक्षता का मतलब यह होता है कि हर पक्ष को बराबर का मौका दिया जाए और सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए किसी भी एक पक्ष को इंपॉर्टेंस ना दिया जाए।
लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने वर्कप्लेस पर सभी काम करने वाले एम्प्लॉइज को एक ही तराजू में तोल दें। अगर कोई एम्पलाई बेहतरीन काम करता है तो उसे इनाम दिया जाए और अगर कोई एंप्लॉय कम अच्छा काम करता है तो उसे मोटिवेट किया जाए और बेहतर काम करने का मौका दिया जाए। यह होती है निष्पक्षता।
समानता को निष्पक्षता के एक बराबर नहीं समझा जा सकता है समानता का मतलब होता है कि सभी को समान अधिकार दिए जाएं और वर्कप्लेस पर काम करने वाले कर्मचारियों को समान अपॉर्चुनिटी दी जाए। आपके साथ काम करने वाले आपके सभी कर्मचारी आपके लिए एक समान होना चाहिए उनके सारे अधिकार और उनको मिलने वाले मौके एक समान होना चाहिए यह समानता कह लाएगी। अच्छा काम करने पर एक समान रिकॉर्ड दिए जाएं और अच्छा काम ना करने पर एक समान सीख दी जाए।
हम दूसरों के साथ एक एंपैथेटिक कनेक्शन बनाते हैं। लेकिन बहुत बार हम अपने थॉट्स उनके ऊपर प्रोजेक्ट कर देते हैं। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है जब आपने किसी के लिए ऐसा गिफ्ट खरीदा हो जो असल में आप अपने लिए चाहते हैं? जब हम कुछ चाहते हैं तो हम ऐसा एज्यूम कर लेते हैं कि सामने वाला भी यही चाहता होगा।
बिजनेस में फेयरनेस यानी निष्पक्षता और सेमनेस यानी समानता को मिला देना अक्सर कस्टमर को एक जैसा ट्रीट करने की गलती करवाता है। हम ऐसा इमेजिन कर लेते हैं कि हमारे सारे कस्टमर एक ही तरह की ज़रुरत रखते हैं। तब जो कस्टमर अलग होते हैं, उन्हें ट्रीट करना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। तो इसका बेहतर अल्टरनेटिव क्या हो सकता है? आपको अपने दिमाग को बार-बार यह समझाना होगा कि हर इंसान अलग होता है और हर किसी को हमें एक इंडिविजुअल की तरह ही ट्रीट करना चाहिए।
एक होटल ने कुछ नियमों को बहुत अच्छे से इंप्लीमेंट किया है। यह नियम एंप्लॉय को उनके गेस्ट को घर जैसा फील देने में और अच्छी सर्विस देने के लिए एनकरेज करते हैं। उनके कुछ स्पेसिफिक रूल्स इस तरह है उन्हें अपने गेस्ट से लगभग 10 फीट की दूरी पर खड़े होना होगा और उन्हें ग्रीट करना होगा “मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं सर/मैडम” के साथ।
फोर सीजंस होटल का कस्टमर सेटिस्फेक्शन रेट सबसे हाई है और इसके मार्केट शेयर भी ग्रोइंग स्टेज पर हैं। ऐसा वहां पर शायद इसलिए है क्योंकि हर कस्टमर को इंडिविजुअली ट्रीट किया जाता है।
आपके काम, पैशन और पर्सनल लाइफ को इक्वली बैलेंस कर लेने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि यह हेल्दी ही होगा।
बैलेंस और पैशन यह दोनों ही वर्ड सेल्फ हेल्प इंडस्ट्री में गूंज रहे हैं। बहुत से लोग अपने काम को लेकर पैशनेट होते हैं, साथ ही लाइफ के डिफरेंट एस्पेक्ट्स को भी बैलेंस करके चलते हैं ऐसा करना एक अच्छा हेल्दी एटीट्यूड नहीं है। वर्क/लाइफ बैलेंस इस आइडिया को कंसीडर करने का मतलब लोग यह समझते हैं कि उन्हें कुछ ही घंटे काम करना चाहिए और बाकी का समय घर पर बिताना चाहिए।
बहुत से कैस में यह भी देखा जाता है कि जो कुछ लोग जो घर पर समय बिता रहे हैं उसमें भी वह काम ही कर रहे हैं बजाय अपनी फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करने के। ऐसा करने की जगह आप बैलेंसिंग को लेकर बोल्ड बनिए। कॉम्प्रोमाइज करते हुए चीजों को बैलेंस करने की कोशिश मत कीजिए। एक समय में किसी एक काम को ही फोकस कीजिए और उसी पर हार्ड वर्क कीजिए
अगर आपको काम करने की जरूरत है तो सिर्फ काम कीजिए, कॉम्प्रोमाइज मत कीजिए। अगर आपको फैमिली के साथ समय बिताने की जरूरत है, तो सिर्फ फैमिली के साथ अच्छा समय स्पेंड कीजिये। उस बीच में कुछ और काम मत कीजिए, पूरा अटेंशन अपनी फैमिली को दीजिए। ऐसा करने से सारी चीजें बैलेंस में रहेंगी आप ज्यादा खुश होंगे और ज्यादा प्रोडक्टिव भी होंगे।
ऑब्सेसिव पैशन भी हमारी बुरी हेल्थ का कारण बन सकता है। यहां तक कि एक प्रोफेशनल डांसर की स्टडी में यह देखा गया की पैशन और क्रॉनिक इंजरी में एक को-रिलेशन होता है। जब डांसर्स को कोई इंजरी होती है, तब भी वह इंजरी को इग्नोर करके डांस ही करते हैं और इस चोट को और ज्यादा बुरा बना लेते हैं। लेकिन उन्हें उस इंजरी को रिकवर होने का टाइम देना चाहिए।
कहने का यह मतलब है कि अपने काम को लेकर जुनूनी मत बनिए । इसकी जगह हार्मोनियस पैशन की प्रैक्टिस कीजिए। इसका यह मतलब है कि उन चीजों के लिए पैशन दिखाना, जो आपको खुशी देते हैं, भले ही वह आपकी लाइफ का मेन फोकस ना हो। उदाहरण के लिए सेरेना विलियम्स दुनिया की सबसे ज्यादा सक्सेसफुल टेनिस प्लेयर हैं। लेकिन उन्हें नेल्स और फैशन का भी बहुत ज्यादा पैशन है।
असल में वह एक क्वालिफाइड नेल टेक्नीशियन भी हैं। वह अपना टाइम नेल आर्ट में भी देती हैं, भले ही वह उनके करियर का मेन फोकस नहीं है लेकिन यह बैलेंस उनकी लाइफ को हैपियर और हेल्दीयर बनाता है।
बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि अपने काम में एक्सीलेंट होना ही सक्सेस की चाबी है। लेकिन अगर आप हर छोटी से छोटी चीज को भी परफेक्ट करते हैं जैसे कि डेस्क को साफ रखना, हर एक डिलीवरी को टाइम पर पहुंचाना, इसके आउटपुट भी आपको परफेक्ट ही मिलेंगे। लेकिन असल में यह सही नहीं है। पूरी वर्क प्रोसेस के दौरान एक्सीलेंस को एम बना कर चलना जरूरी नहीं है, कि एक्सीलेंट रिजल्ट ही प्रोड्यूस करेगा।
यदि कोई टीम लीडर अपनी टीम को हर समय एक्सीलेंट वर्क करने के लिए फोर्स करता है, तो टीम कभी भी अच्छा काम नहीं कर पाएगी। टीम मेंबर अपने काम को लेकर क्रिएटिव नहीं सोच पाएंगे, क्योंकि वह इंपरफेक्शन से डर जाएंगे। हर समय एक्सीलेंट वर्क की डिमांड करने पर टीम कभी भी सीरियस वर्क नहीं कर पाई, क्योंकि उनके मन में हमेशा यही डर बना रहेगा कि हम परफेक्ट कर पाएंगे या नहीं? नहीं कर पाए तो बॉस को क्या जवाब देंगे।
कहने का मतलब इतना है कि आपका रिजल्ट परफेक्ट होना चाहिए। उसका प्रोसेस आप कैसे कर रहे हैं और किस तरह से कर रहे हैं यह इंपॉर्टेंट नहीं है।
चलिए गोल्फर बूबा वाटसन के बारे में बात करते हैं। उन्होंने कई बड़ी सफलताएं हासिल की, लेकिन उनका गोल्फ स्विंग परफेक्शन से बहुत दूर है। उन्होंने गोल्फ उनके फादर से सीखा था, किसी प्रोफेशनल कोच से नहीं। उनके इम्परफेक्ट ट्रेनिंग ने उन्हें एक परफेक्ट टेक्निक डिवेलप करने में मदद की।
इस बात का ध्यान रखें कि अपने स्टाफ के ऊपर किसी एक्सीलेंसी को लेकर प्रेशर नहीं होना चाहिए। उन्हें फ्री होकर काम करने दीजिए। किसी एक सिंगल रोल के इंपॉर्टेंस को ओवरस्टेट मत कीजिए। अगर कोई भी स्टाफ मेंबर ऐसा सोचता है कि उसका रोल सभी टीम मेंबर से ज्यादा इंपॉर्टेंट है तो कुछ भी गलत होने का डर उसके मन में आ जाएगा और वह क्रिएटिव नहीं सोच पाएगा।
वूमेन अमेरिकन मिलिट्री के एक ग्रुप ने यह एक्सपेरिमेंट किया और समझाया कि किस तरह से परफेक्शन का प्रेशर टीम की परफॉर्मेंस को अफेक्ट करता है। इस स्टडी में पार्टिसिपेंट को उनके शूट की एबिलिटी पर टेस्ट किया गया था। एक ग्रुप को ऐसा कहा गया कि इस स्टडी का परपस यह है कि हम देखना चाहते हैं क्यों महिलाएं पुरुषों के मुकाबले में अच्छी शूटर नहीं होती हैं।
ऐसा सुनने के बाद महिलाओं में इस बात का प्रेशर फील किया कि उन्हें अपने जेंडर को डाउन नहीं करना है और दूसरे ग्रुप के मुकाबले उनके रिजल्ट बहुत ही बुरे रहे। प्रेशर कभी भी लोगों को हेल्प नहीं करता है। यह उनकी परफॉर्मेंस को और कम कर देता है। जब आप अपने एंप्लॉय को प्रेशर फ्री कर देंगे, तब उनके परफॉर्मेंस बहुत ही बेहतर होंगे।
बेहतरीन इनोवेशन क्वालिटी के बारे में होते हैं क्वांटिटी के बारे में नहीं।
दुनिया हर दिन बदल रही है लोग अक्सर ऐसा सोचते हैं कि वह जितने ज्यादा इनोवेशन प्रोड्यूस करेंगे उनकी सक्सेस भी उतनी ही ज्यादा बढ़ जाएगी, यह एक कॉमन थिंकिंग है हर इंसान की। जब आप इसके लिए नए प्रोडक्ट प्रोड्यूस करते हैं तब आप गलत कारणों के लिए इनोवेशन कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए सोनी कंपनी ने अपने कंपीटीटर एप्पल से मुकाबले में बहुत सारे नए प्रोडक्ट्स को मार्केट में उतारा है जैसे कि टीवी, म्यूजिक, वीडियो गेम। एप्पल कंपनी के प्रोडक्ट भले ही कम है। लेकिन एप्पल का सिर्फ आईफोन ही सोनी के सभी प्रोडक्ट की साल भर की बिक्री से ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करता है। इसलिए हमें सेंसिबल होकर इनोवेशन करना चाहिए।
सबसे पहले अपनी क्रिएटिव एनर्जी को रीचैनल करने की कोशिश कीजिए। जब आप कोई प्रॉब्लम फाइंड करते हैं, तब आप अपनी फुल फोर्स क्रिएटिविटी के साथ इसे दूर करने की कोशिश में लग जाते हैं। अगर आप अपने किसी एक प्रोडक्ट में कमी देखते हैं तब हो सकता है कि आप एक नया प्रोडक्ट डिजाइन करना चाहते हो। लेकिन एक कदम पीछे लीजिए, बहुत बार एक छोटी सी प्रॉब्लम को हम एक सिंपल टूल के साथ भी चेंज कर सकते हैं। इसके लिए हमें पूरे प्रोडक्ट को ही चेंज करने की जरूरत नहीं होती।
अगर आप किसी एक छोटी सी प्रॉब्लम के लिए अपनी पूरी क्रिएटिव एनर्जी को नहीं लगाते हैं और इसे बचा कर रखते हैं तो यह आगे किसी और इंपॉर्टेंट वर्क में काम आ सकती हैं। तो इंतज़ार कीजिए जब तक कि आपके इनोवेशन की लोगों को सच में जरूरत नहीं हो जाती है। इस तरह से आप मार्केट को ट्रांसफार्म कर सकते हैं। एक और तरीका है कंस्ट्रक्टिव वे में क्रिएटिव होने का वह है- आइडिया को रिपरपज करना। ऐसे टूल का यूज कीजिए जो पहले से ही आपके पास मौजूद है बजाय किसी नए टूल को बनाने के।
इसी तरह पिंटरेस्ट ने भी सक्सेस हासिल की। पिंटरेस्ट में पिन बोर्ड के सिंपल आईडिया को रिपरपज किया, इसे ऑनलाइन रखा और लोगों को इंटरेस्टिंग इमेजेस कलेक्ट और शेयर करने की फैसिलिटी दी। इस एक सिंपल आइडिया ने कंपनी को एक बहुत बड़ी सक्सेस दिलाई है।
Conclusion
वह गुण जो अच्छे दिखते हैं, असल में अच्छे होते नहीं है इसलिए इन गुणों को खुद को रोकने मत दीजिए। फेयरनेस और बैलेंस की डेफिनेशंस को री-एग्जामाइन कीजिए। आपकी प्रोसेस को इम्परफेक्ट रहने दीजिए और सिर्फ तब इनोवेट कीजिए जब सही समय हो । जब आप इन रूल्स को फॉलो करना बंद करेंगे, तब आपका ऑर्गेनाइजेशन सक्सेसफुल होगा।
सही समय आने पर इनोवेशन कीजिए।
जब आप खुद को पूरी तरह से काम को दे देना चाहते हैं तब ऐसा ही कीजिए। अपने काम को शॉर्ट में मत कीजिए। लेकिन उस समय काम भी मत कीजिए जब आपकी जिंदगी में दूसरी इंपॉर्टेट चीजों की जरूरत हो। जैसे की फैमिली, ऐसे ही जब आपको इनोवेट करने की जरूरत है तब सिर्फ इनोवेट कीजिए, फिर किसी और के लिए इनोवेट मत कीजिए, ऐसा करने पर आप सिर्फ अपनी क्रिएटिव एनर्जी वेस्ट करेंगे, इसे बचा कर रखिए और जब सही समय होगा तब इस पोटेंशियल को अच्छे काम के लिए यूज कीजिए।
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Tipping Sacred Cows Book Summary in Hindi कैसा लगा ?
आज आपने इस बुक से क्या सीखा ?
अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.
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