अन्तिम कहानी
राजा मुर्दे को लेकर योगी के पास आया। योगी राजा को और मुर्दे को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। बोला, “हे राजन्! तुमने यह कठिन काम करके मेरे साथ बड़ा उपकार किया है। तुम सचमुच सारे राजाओं में श्रेष्ठ हो।”
इतना कहकर उसने मुर्दे को उसके कंधे से उतार लिया और उसे स्नान कराकर फूलों की मालाओं से सजाकर रख दिया। फिर मंत्र-बल से बेताल का आवाहन करके उसकी पूजा की। पूजा के बाद उसने राजा से कहा, “हे राजन्! तुम शीश झुकाकर इसे प्रणाम करो।”
राजा को बेताल की बात याद आ गयी। उसने कहा, “मैं राजा हूँ, मैंने कभी किसी को सिर नहीं झुकाया। आप पहले सिर झुकाकर बता दीजिए।”
योगी ने जैसे ही सिर झुकाया, राजा ने तलवार से उसका सिर काट दिया। बेताल बड़ा खुश हुआ। बोला, “राजन्, यह योगी विद्याधरों का स्वामी बनना चाहता था। अब तुम बनोगे। मैंने तुम्हें बहुत हैरान किया है। तुम जो चाहो सो माँग लो।”
राजा ने कहा, “अगर आप मुझसे खुश हैं तो मेरी प्रार्थना है कि आपने जो चौबीस कहानियाँ सुनायीं, वे, और पच्चीसवीं यह, सारे संसार में प्रसिद्ध हो जायें और लोग इन्हें आदर से पढ़े।”
बेताल ने कहा, “ऐसा ही होगा। ये कथाएँ ‘बेताल-पच्चीसी’ के नाम से मशहूर होंगी और जो इन्हें पढ़ेंगे, उनके पाप दूर हो जायेंगे।”
यह कहकर बेताल चला गया। उसके जाने के बाद शिवजी ने प्रकट होकर कहा, “राजन्, तुमने अच्छा किया, जो इस दुष्ट साधु को मार डाला। अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर राज्य स्थापित करोगे।”
इसके बाद शिवजी अन्तर्धान हो गये। काम पूरे करके राजा श्मशान से नगर में आ गया। कुछ ही दिनों में वह सारी पृथ्वी का राजा बन गया और बहुत समय तक आनन्द से राज्य करते हुए अन्त में भगवान में समा गया।
विक्रम और बेताल की असली कहानी क्या है?
विक्रम-बेताल महाकवि सोमदेव भट्ट द्वारा 2500 वर्ष पूर्व रचित 25 कहानियों का एक ग्रन्थ है, जहाँ पर राजा विक्रम की न्याय तीनों लोकों में श्रेष्ठ बताया गया है। जहाँ बेताल हर बार राजा विक्रम को एक कहानी सुनाते हैं और एक सवाल करते हैं। और विक्रम के जवाब देते ही बेताल फिर से पेड़ पर जा लटकता है।
विक्रम बेताल किसकी रचना है?
“बेताल पच्चीसी” काश्मीरी महाकवि सोमदेव भट्ट द्वारा 2500 वर्ष पूर्व रचित किया गया था। कहीं-कहीं बताया गया है बेताल भट्ट जो विक्रमादित्य के दरबार के प्रसिद्ध नवरत्नों में एक था उन्होंने ही विक्रम-बेताल ग्रंथ की रचना की थी।
विक्रम बेताल की कितनी कहानियां है?
विक्रम-बेताल जिसे बेताल पच्चीसी कहा जाता है उसमें Main 25 कहानी है और कुल 26 कहानी है, जहाँ पर पहली कहानी में राजा विक्रम के बारे में बताया गया की कैसे उनको बेताल मिला और बाकि 25 कहानी सुनाई।
विक्रम किस तरह का राजा था?
राजा विक्रम तीनों लोकों में प्रसिद्ध न्यायप्रिय राजा था। जिनकी न्याय की कहानी के उल्लेख बेताल पच्चीसी और सिंघासन बत्तीसी नामक लोकप्रिय ग्रन्थ में मिलते हैं।
बेताल का मतलब क्या होता है?
बेताल का सही अर्थ है – लोकमान्यता, एक प्रेतयोनि, भाट, बंदीजन। जिसमें ताल का ठीक और पूरा ध्यान न रहे, यानी तालहीन।
विक्रम कौन था?
राजा “विक्रमादित्य” (102 ईसा पूर्व – 19 ईस्वी), जिसे विक्रमसेन के नाम से जाना जाता है। लोग राजा विक्रम के नाम से बुलाते थे। यह भारतीय उपमहाद्वीप के परमार राजवंश के सम्राट थे। उनके साम्राज्य में भारतीय उपमहाद्वीप का एक बड़ा हिस्सा शामिल था, जो पश्चिम में वर्तमान सऊदी अरब से लेकर पूर्व में वर्तमान चीन तक फैला हुआ था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी।
बेताल कौन है?
बेताल भैरव का एक रूप है और सभी आत्माओं और भूतों और पिशाचों और सभी प्रकार के पिशाचों का मुखिया है।
विक्रम बेताल की कहानी का अंत क्या है?
विक्रम ने जिस योगी के कहने पर बेताल के पास गया उसको लाने के लिए, उसी योगी का तलवार से सिर काट दिया। और बेताल से यह प्रार्थना की कि यह सभी 25 कहानी पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाये। और उसके बाद विक्रम को शिव जी का दर्शन हुआ और विक्रम की न्यायप्रियता (क्यूंकि दुष्ट साधु मारडाला) को देखकर उन्हें वरदान दिया कि अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर राज्य स्थापित करोगे।