Talk Book Summary in Hindi – हम पानी पीने जैसी छोटी से छोटी और ऑफिस के काम की बड़ी से बड़ी बातों तक बहुत सारा समय बातचीत में लगाते हैं। लेकिन हम में से कुछ ही ऐसे हैं जो बातचीत के पीछे के विज्ञान को जानते हैं और समझ पाते हैं कि हम बोलते कैसे हैं ? Talk (2018) इसे छोटे छोटे टुकड़ो में बाटकर और बहुत ही सरल भाषा में समझाती है की बोलने से जुड़े तरीके और पैटर्न क्या हैं। आइये इसको समझते हैं और बोलने से जुड़े विज्ञान की दुनिया में डुबकी लगाते हैं।
ये बुक Elizabeth Stokoe जी ने लेखी है।
Talk Book Summary in Hindi – बातचीत में कुशलता बढ़ाये
ये किताब आपको क्यूँ पढ़नी चाहिए?
अगर देखा जाए तो, Talk एक औज़ार है। वास्तविकता में ये बहुत ही लचीला और ताकतवर औज़ार है जो हमारे पास हमेशा उपलब्ध रहता है। इसे हम अपने रिश्ते बढ़ाने और मज़बूत करने, झगड़ो को ख़तम करने, खरीदने बेचने , सहायता मांगने और लेने तक सब मे उपयोग करते हैं। बात करने के जरिये से हम किसी को सुझाव देने, लेने से लेकर उन्हें खुश और परेशान सब कर सकते हैं।
लेकिन हम में से काफी लोगो को नहीं पता है कि ये औज़ार कैसे काम करता है और इसे कैसे अच्छे परिणामो के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसी समस्या को दूर करने के लिए बातचीत विश्लेषण (Conversation Analysis) काम में आता हैं। यह हमारी बातों को एक पैटर्न में सामने रखने में सहायता करता है। इन्ही पैटर्न की मदद से हम बात में छुपे मतलब को समझ सकते हैं और होने वाले मन-मुटाव और झगड़ो से बच सकते हैं। तो आइये इस बातचीत के रहस्य की दुनिया में और आगे बढ़ते हैं।
बातों को छोटे छोटे टुकड़ो में बाँट कर आप देखेंगे कि हमारी बातचीत एक पैटर्न बनाती हैं।
यह समझना बहुत ज़रूरी है की जब हम बात करे रहे होते हैं तो हम एक प्रॉजेक्ट पूरा कर रहे होते हैं। यह एक पिज़्ज़ा आर्डर करने से लेकर प्रमोशन के लिए पूछने तक कुछ भी हो सकता है। जो कुछ भी है, आप और आपके साथी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सहयोग करते हैं। बातचीत में मोड़ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आप देखेंगे कि बातों में मोड़ जोड़ो के रुप में मौजूद होते हैं। बात का एक मोड़ दूसरे मोड़ को जन्म देता है। जैसे आप उदाहरण से समडों अगर आपको कोई नमस्ते करता है तो आपका उत्तर उसी समय नमस्ते होता है। या फिर अगर आपसे कोई प्रश्न करता है तो उसका जवाब उसका उत्तर होता है।
एक आदमी बोलता है और दूसरा उसके चुप होने तक का इंतज़ार करता है और फिर उत्तर देता है। परन्तु अगर आप इसमें गौर करते हैं तो समझेंगे कि बातचीत में होने वाली समस्याओं की जड़ यही है। क्यूंकि अगर आप संकेतो को गलत समझ लेते हैं और उनके ख़तम किये बिना ही उसका उत्तर देने लगते हैं तो यह एक छाप छोड़ सकता है कि आप ध्यान से सुन ही नहीं रहे थे।
अगर आपका पड़ोसी आपके गुड मॉर्निंग का जवाब कुछ ऐसे देता है “आपको अपने कुत्ते के भौंकने के बारे में कुछ करने की ज़रूरत है” तो वो पहल करने वाले हैं । उसकी मांग सही भी हो सकती है, लेकिन बातचीत को आगे बढ़ाने से पहले गुड मॉर्निंग का जवाब न देना, यह अनुचित के रुप में सामने आता है।
मोड़ लेना पहले कठिन लगता है, लेकिन एक बार जब आप इस कला में महारत हासिल कर लेते हैं, तो आप बातचीत को आसान बनाने की कला में तरक्की के रस्ते चल पड़ते हैं।
नरम शब्दों का प्रयोग बातचीत में बहुत ज़रूरी होता है।
चाहे आप अपनी माँ के साथ फोन पर हों या अपने टैक्सी ड्राइवर के साथ चैटिंग कर रहे हों, आपकी बातचीत “हे” या “हैलो”, और शुरुआती पूछताछ जैसे “व्हाट्स अप?” या “कैसे?” क्या आप?” यह बातचीत की शुरुआत में अपने आप निकल जाते हैं। अपने लेकिन क्या यह अर्थहीन हैं?
हाँ और नहीं भी।
एक तरीके से, बातचीत के शुरुआती प्रश्न अर्थहीन हैं । यह सूचना मांगने वाले प्रश्न नहीं है, और आपका दोस्त एक ईमानदार उत्तर की उम्मीद नहीं करता है। यदि, सोमवार की सुबह, आपका दोस्त पूछता है, “आप कैसे हैं?” और आप कहें ” मेरी गिल्फ्रैंड और मैंने पूरे वीक लड़ाई की। सच कहूँ, तो मैं काम के एक वीक के लिए तैयार नहीं हूँ। “यह उत्तर सत्य है – लेकिन पूरी तरह से गलत भी है।
लेकिन सिर्फ इसलिए कि हम उत्तर की उम्मीद नहीं करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि शुरुआती बातचीत का कोई मतलब नहीं होता है। कल्पना करें कि आप अपने दोस्त को “आप कैसे हैं?” का जवाब “वो बजट नंबर् कहाँ तक पहुंचे ? नाजिम?” से कर रहे हैं।
ऐसा करते हुए न केवल आपने उसके जवाब का उत्तर नहीं दिया बल्कि आपने बातचीत से बढ़ने वाले रिश्ते पर ही रोक लगा दी। जब आप “आप कैसे है ?” का जवाब “मैं ठीक हूँ” से करते हैं तो आप बातचीत को आगे बढ़ने का संकेत देते हैं जिससे रिश्तो में मजबूती बढ़ती है।
चुप्पी और भराव के शब्दों का मतलब समझ सकना लोगों के अंदर चल रही बात को समझने में मदद करता है।
ठहराव और भराव वाले शब्द जैसे “so,” “um,” और “oh” उतने ही ज़रूरी हैं जितने उनके साथ आने वाले शब्द ज़रूरी हैं। यह एक ग़लतफहमी है कि जब कोई बातचीत में उत्तर देने से पहले रुक जाता है तो वह सुनी गयी बात को समझने की कोशिश कर रहा है। हो सकता है कि वह एक सही शब्द की तलाश में हो या निर्णय के बारे में सोच रहा हो। जब सामने वाला बोल रहा होता है उस समय में हम उसकी बात को समझ रहे होते हैं। इसीलिए समय से उत्तर कर हम बातचीत जल्दी से आगे बढ़ा पाते हैं।
लेकिन हम अक्सर “ah” या “er” का उपयोग करते हैं, जब हमे अनिश्चित जानकारी होती हैं या ऐसी बात होती है, जिसके लिए हम तैयार नहीं हैं। यदि आपका दोस्त तेज़ बातचीत से “um”और “ah” तक जाता है, तो शायद वह सही शब्द नहीं ढूंढ पा रहा है। या फिर, वह संकेत दे रहा है कि बातचीत उस तरह से नहीं चल रही है जैसी उसने उम्मीद की थी।
कभी-कभी चुप्पी और भराव शब्दों की भाषा बहुत कुछ कह जाती है। बॉडी लैंग्वेज के लिए भी यही सही है, जिसे हम आगे के सबक में देखेंगे।
करनी कथनी से हमेशा ताकतवर नहीं होती है।
आपने कभी सुना है कि 93% बातचीत शरीर की भाषा से होती है। यह बिलकुल गलत है।
जादुई नंबर 93% मनोवैज्ञानिक Albert Mehrabian के एक अध्ययन से आया है।लेकिन यह अध्ययन वास्तव में बहुत सीमित था। इसने श्रोताओं से कहा कि उन्हें स्पीकर द्वारा बोले गए सिर्फ एक शब्द से उसका मूड जज करना है। मेहरबियन ने खुद बताया कि, अपने शुरुआती अध्ययन की सीमाओं से परे, यह आँकड़ा पूरी तरह से गलत है।
जाहिर है कि शारीरिक भाषा बातचीत में बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा निभाती है। वास्तविकता में हम सिर्फ शारीरिक भाषा से भी बातचीत कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर भीड़ वाले एक होटल में इशारे से पानी का गिलास मांगना या फिर अलविदा कहना।
सच तो यह है, अगर शारीरिक भाषा वास्तव में इतनी प्रभावी और व्याख्यात्मक होती, तो यह कहीं अधिक उपयोगी होती और हम केवल इशारे करके ही बातचीत करने में सक्षम होते। उदाहरण के लिए, जब राजनेता झूठ बोल रहे होते, तो हम तुरंत पता कर लेते, लेकिन हम ऐसा ही नहीं कर सकते हैं।
तो बातचीत में शारीरिक भाषा का उपयोग कहाँ है? सच तो यह है कि हम बहुत तरीको से बातचीत करते हैं बोलकर और इशारो से। हम शारीरिक और मौखिक कार्यों के द्वारा दोस्त से फ़ोन पर बात करने के साथ साथ टैक्सी में भी बैठ सकते हैं। यहाँ शारीरिक भाषा बहुत काम में आती है। गैर-मौखिक संकेत, जैसे कि मुड़ी हुई बाहें या नीचे की ओर आँखें, बातचीत का एक का हिस्सा बनाती हैं, न कि पूरी तस्वीर।
ऐसा लगता है करनी हमेशा कथनी से ताकतवर नहीं होती है। लेकिन हमारे द्वारा चुने गए शब्द हमारे द्वारा किए गए कार्यों और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकते हैं। आइये अगले सबक में, जो आप चाहते हैं उसे पाने के लिए शब्दों का उपयोग करने का तरीका जानते हैं।
आपके द्वारा चुने गए शब्द दूसरों की प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
होटल अक्सर बाथरुम में एक संकेत के साथ अपने तौलिए का दोबारा उपयोग करने के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन ऐसे संकेत जो ग्राहकों को पर्यावरणीय कारणों से तौलियों का दोबारा उपयोग करने की अपील करते हैं, अप्रभावी साबित हुए हैं।
परन्तु संकेत में कुछ बदलाव लाने से ये अच्छे परिणाम भी देता है जिसमें कहा जाता है कि अधिकांश ग्राहक अपने तौलिए का पुनः उपयोग करना चुनते हैं।”इस संकेत से तौलिया दोबारा उपयोग करने वाले ग्राहकों में बढ़ोतरी हुई है।
अक्सर इन संकेतो को Choice Architecture भी कहा जाता है। इन तरीको को तैयार करने की प्रक्रिया को जिसमे हम लोगो से इच्छित परिणाम निकलवा सकते हैं, Choice Architecture कहा जाता है। इसे आप आसानी से अपनी बातचीत में शामिल कर मनचाहे उत्तर पा सकते हैं।
यहां तक कि जब डॉक्टरों ने पूछा, “क्या आज में आपकी मदद कर सकता हूं?, अध्ययन में पाया गया कि केवल 50 प्रतिशत रोगियों ने एक और मुद्दा उठाया क्या समस्या रोगी के स्वास्थ्य पर चर्चा न करने में थी या जिस तरह से प्रश्न तैयार किया गया था, उसमे थी?
लेकिन जब डॉक्टरों ने पूछा, “क्या कोई और समस्या है जिसे आप बताना करना चाहते हैं ?,” 90% रोगियों ने हां में जवाब दिया।
दोनों प्रश्न बंद थे, जिसका अर्थ है कि वे हां या ना में उतर देने वाले प्रश्न थे। दूसरे प्रश्न पर इतने अधिक रोगियों ने हाँ क्यों कहा ? उत्तर “किसी भी” और “कुछ” के उपयोग में ही छुपा है।
“कोई भी” शब्द न को दर्शाता है, जिसका अर्थ है कि हम नकारात्मक बातों में ही इसका अधिक बार उपयोग करते हैं (“मेरा कोई दोस्त नहीं है “)। ‘किसी भी” के साथ प्रश्न “नहीं के साथ उत्तर देने में आसान होते हैं, इसीलिए “कोई और काम ?” या “कोई प्रश्न” जैसे प्रश्न अक्सर अजीब चुप्पी के साथ ख़तम हो जाते हैं।
“किसी भी” का उपयोग करने वाले प्रश्न एक नकारात्मक उत्तर को बुलावा देते हैं और आगे की बातचीत को बंद कर देते हैं; “कुछ’ का उपयोग करने वाले सवालों का उल्टा प्रभाव पड़ता है। “कुछ” को “किसी भी के साथ बदलने से एक नकारात्मक उत्तर को सकारात्मक बनाया जा सकता है।
जो हम मांगते हैं, हमे वही मिलता है।
जो हम मांगते हैं, हमे वही मिलता है। ……. लेकिन जो हम मांगते हैं वो निर्भर करता है इस बात पर कि “वो माँगा कैसे गया है”
काम लेने और देने के लिए हर दिन हम बात करते हैं, कभी कभी हम अपनी बात रखे बिना ही उसके परिणाम तक पहुँच सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर यह कहना “मुझे भूख लगी है” सामने वाले को संकेत देता कि वह कुछ खाने के लिए पूछ सकता है जिस पर उसका उत्तर हो सकता है “मुझे लगता है कि फ्रिज में बचा हुआ कुछ पिज्जा हैं” या “रसोई में कुछ खाने का होगा, मैं लेकर आता हूँ” जब हम प्रश्न पूछते हैं, तो जिस तरीके से हम पूछ रहे हैं, वह यह बता सकता है कि जिस सेवा के लिए हम पूछ रहे हैं उसे पाने के लिए हम कितने हकदार हैं।
उदाहरण के तौर पर, “क्या मैं कल के लिए अपॉइंटमेंट ले सकता हूं?” बहुत ही सीधा प्रश्न है और बातचीत में दर्शाता है की पूछने वाला इसका हक़दार है।
बातचीत में प्रस्ताव रखना और उन्हें मानना एक कला है।
क्या आपने कभी एक आधा-अधूरा प्रस्ताव रखा है, जिसे आपके दोस्तों ने स्वीकार किया ? क्या आपने कभी ऐसा प्रस्ताव मानने के लिए मजबूर महसूस किया है जिसे आप वास्तव में मानना नहीं चाहते हैं? प्रस्ताव रखना और स्वीकार करना एक दंगल हो सकता है। इसे कैसे निपटाया जाए?
ऑफ़र स्वीकार करना बहुत मुश्किलहो सकता है। यदि आप किसी प्रस्ताव को स्वीकार कर रहे हैं, तो आप इसे शालीनता से कैसे कर सकते हैं, आइये जानते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपसे कोई कहता है “आओ मैं घर छोड़ देंगा” , यह पूछना “क्या आपको यकीन है कि यह आपके रास्ते में ही पड़ता है” पूछने वाले को एक मौका देता है कि वह अपनी बात वापस ले लें।
प्रस्ताव देना भी मुश्किल होता है। वास्तविक प्रस्ताव रखना एक बात है, लेकिन हम अक्सर उन चीजों को करने में दबाव महसूस कर सकते हैं जो हम करना नहीं चाहते हैं। जब हमारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो हम निराश और नाराज महसूस करते हैं। लेकिन हम फिर ये प्रस्ताव बनाते ही क्यूँ हैं।
Conclusion –
हम कभी कभी जल्दबाजी में बातचीत करते हैं, जिसका मतलब यह नहीं की हम कुछ भी बोलना चाहते हैं। असल में बातचीत छोटे छोटे टुकड़ो और कुछ पैटर्न का मेल मिलाप होती है। बातचीत के तत्वों को समझना और वे एक साथ कैसे फिट होते हैं इसको जानना ही बातचीत में होने वाली गलतफहमी और उसके नुकसान से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
क्या करें?
अगर आप अपने ऑफिस में बातचीत को सुधरने का प्रयास कर रहे हैं तो ज़रूरी है की आप अपनी बात को ध्यान से सुने और समझे की कहाँ कहाँ इसमें सुधर किया जा सकता था जो की आप अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करके भी सुन सकते हैं। सबसे अच्छा तरीका अपने दिनचर्या में होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड करना और उसे दिन के अंत में सुनना है। जो की आप अपने दोस्तों के साथसलाह कर सकते हैं। फ़ोन पर या फिर किसी मीटिंग में हुई बातचीत सबसे अच्छा जरिया है। जब आपके पास बहुत रिकॉर्डिंग हो जाएगी तो आप सब को सुनकर अपनी दोहराई गलतियों का पैटर्न समझ पाएंगे और उस पर काम कर पाएंगे।
सम्बंधित लेख –
- 13 Things Mentally Strong People Don’t Do Book Summary in Hindi – ये 13 आदतें जानिए
- Become Attached Book Summary in Hindi – जिंदगी के पहले रिश्ते का असर
- Anger Management For Dummies Book Summary in Hindi – गुस्सा और तनाव से मुक्ति
- A/B Testing Book Summary in Hindi – अगर आप एक डिजिटल आन्त्रप्रिन्योर हैं तो ये बुक पढ़ें!
- Getting to Yes Book Summary in Hindi – बिज़नेस में मोलभाव एक्सपर्ट बनने का तरीका
- Body Kindness Book Summary in Hindi – क्या आप एकदम सेहतमंद रहना चाहते हैं ?
- Breakfast With Socrates Book Summary in Hindi – क्या आपको जिंदगी के हर छोटे-बड़े सवालों का जवाब चाहिए ?
- Activate Your Brain Book Summary in Hindi – अपने दिमाग को पॉवरफुल बनाने का तरीका
- 10% Happier Book Summary in Hindi – ध्यान के बारे में Detail में जानिए
- A Guide to the Good Life Book Summary in Hindi – जीवन में ख़ुशी को कैसे हासिल करें ?
- Why We Sleep Book Summary in Hindi – अच्छी नींद ना लें तो कौनसी बीमारी हो सकती हैं ?
- Business Execution for Results Book Summary in Hindi – छोटे और मध्यम बिज़नेस को सफल बनाने का तरीका
- Perennial Seller Book Summary in Hindi – क्या आपको भी Creative Entrepreneur बनना हैं?
- Total Recall Book Summary in Hindi – अर्नाल्ड Schwarzenegger की जीवन की कहानी
- The Upstarts Book Summary in Hindi – नए ज़माने की दो कामयाब स्टार्टअप की कहानी
- The FALCON Method Book Summary in Hindi – क्या आप भी इन्वेस्टमेंट सीखना और पैसिव इनकम करना चाहते हैं ?
- Where Good Ideas Come From Book Summary in Hindi – क्या आप भी Creative बनना चाहते हैं?
- Performing Under Pressure Book Summary in Hindi – किसी भी दबाव से जूझने शक्ति देगी ये बुक
- Organizing From the Inside Out Book Summary in Hindi – हर चीज को व्यवस्थित रखने का बेहतरीन तरीका
- Happiness by Design Book Summary in Hindi – अपने ख़ुशी और लक्ष्य तक पहुँचने के लिए बढ़िया किताब
- Get Better Book Summary in Hindi – क्या आप अपने काम को बेहतर बनाना चाहते हैं ?
- Loving Your Spouse Book Summary in Hindi – बिगड़ते रिश्तों को टूटने से बचाये
- The Secret Book Summary in Hindi – क्या आप अपने लाइफ की सीक्रेट को जानना चाहते हैं ?
- The Leader Habit Book Summary in Hindi – क्या आप एक बेहतरीन Leader बनना चाहते हैं ?
- Your Best Just Got Better Book Summary in Hindi – क्या आप खुद में बदलाव चाहता हैं?
- A New Earth Book Summary in Hindi – क्या आप भी हमेशा पास्ट या फ्यूचर के बारे में सोचते रहते हैं ?
- Language Intelligence Book Summary in Hindi – जीसस, शेक्सपीयर, और लेडी गागा ने लोगों को प्रभावित करने के तरीका जानिए
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Talk Book Summary in Hindi कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इससे रिलेटेड कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस Talk Book Summary in Hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.