Acting with Power Book Summary in Hindi – हम विश्वास से भी ज्यादा पावरफुल क्यों हैं ?

Acting with Power Book Summary in Hindi – Acting with Power (2020) में पॉवर के रहस्य को, उसकी सच्चाई और पॉवर को असरदार तरीके से कैसे इस्तेमाल करें, इस बारे में बताया गया है।

ऐक्टिंग के फिल्ड से कुछ Techniques लेते हुए, इस समरी में यह भी डिटेल से बताया गया है कि, जब हम घबराए हुए हों, या पॉवरफुल रोल्स के लिए तैयार ना हों, या फिर हमें दी गई पॉवर से ज्यादा पॉवर की जरूरत हो, उस समय हमें परिस्थितियों का सामना कैसे करना चाहिए।

क्या आप अपनी पॉवर को ज्यादा असरदार तरीके से इस्तेमाल करना चाहते हैं, क्या आप Power Dynamics के बारे में जानने की जिज्ञासा रखते हैं, क्या आप सामाजिक मनोविज्ञान यानी Social Psychology के छात्र है तो ये बुक आपके लिए है।

लेखिका

Deborah Gruenfeld, Stanford Graduate School of Business में प्रोफेसर हैं, जहां वह महिला लिडर्स के लिए Executive Program को Co-Direct करती हैं। 25 से ज्यादा सालो से, उनके रिसर्च, लेख और टीचिंग को psychology of power पर फोकस किया गया है, साथ ही उन्हें Wall Street Journal और Washington Post सहित एकाडमिक जार्नलस और पब्लिकेसन्स मे स्पेशल जगह दी गई है। वह Stress in the American Workplace Co-Author भी हैं।

Acting with Power Book Summary in Hindi – हम विश्वास से भी ज्यादा पावरफुल क्यों हैं ?

पॉवर वह रोल है, जो हम दूसरे लोगों के लाइफ में प्ले करते हैं, और हम सभी के पास यह किसी न किसी रूप में है

आमतौर पर पावर को एक मिस्टीरियस चीज समझा जाता है जो या तो कुछ खास लोगों को गिफ्टेड होती है या जो लोग सनक की हद तक डिटरमाइंड होते हैं वह पावरफुल होते हैं. लेकिन पावर हर रिश्ते में मौजूद है. क्योंकि हम किसी ना किसी तरह एक दूसरे पर डिपेंडेंट है और दूसरों की सिचुएशन पर थोड़ा बहुत तो हमारा कंट्रोल रहता ही है. हालांकि हम इसका फैसला खुद कर सकते हैं कि पावर का इस्तेमाल कैसे करना है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए या कोई कॉमन गोल को अचीव करने के लिए किया जाता है तो सभी खुशहाल होते हैं.

किसी अनजान जगह या अनजान किरदार में आकर सारी चीजों को पूरी तरह बदल देने से लेकर, अपने आप को सबके बीच डोमिनेंट रखना या अनअज्यूमिंग रह जाने के बीच चुनने तक, यह समरी बताती है कि कैसे एक पावरफुल रोल निभाया जाए. इस समरी में आप जानेंगे, कि अपनी पावर को कम कर देना क्यों सही रहेगा? रॉकेटशिप पर अपने लिये सीट कैसे पायी जाये? और जब आप टॉप पर होते हैं तो पावर का क्या मतलब होता है ?

तो चलिए शुरू करते हैं!

जब भी हम पावर शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में हाई स्टेटस, बहुत ज्यादा दौलत और अथॉरिटेटिव कैरेक्टर की इमेज आ जाती है. हमें लगता है कि जिन लोगों के पास यह चीजें हैं वह ऑटोमेटिकली पावरफुल हैं, लेकिन यह सच नहीं है. पैसा, स्टेटस और टाइटल वाले लोग पावरफुल हो सकते हैं लेकिन जिनके पास यह सब कुछ नहीं है वह लोग भी पावरफुल होते हैं.

मिसाल के तौर पर, अगर कोई भ हुए पार्किंग लॉट से अपनी गाड़ी बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है तो वह पावरफुल नहीं है, लेकिन अगर कोई दूसरा ड्राइवर आ जाता है और अपनी गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह ढूंढने लगता है तो पहला ड्राइवर ऑटोमेटिकली पावरफुल बन जाता है.

अगर वह चाहे तो अपनी स्पीड कम करके दूसरे ड्राइवर को वेट करा सकता है अब उसके पास किसी दूसरे को वेट कराने की पावर आ गई है. इस सिचुएशन से हमें पता चलता है कि पावर इस बात से रिलेटेड नहीं है कि हमारे पास क्या है और क्या नहीं यह सोशल रिलेशनशिप और हम कितना किसी दूसरे की लाइफ और उसकी सिचुएशन कंट्रोल में कर सकते हैं, इससे रिलेटेड है.

चाहे कोई रिश्ता पर्सनल हो प्रोफेशनल हो या ऐसे कहीं किसी आसपास वाले से हो, यह रिश्ते हमें एक दूसरे पर डिपेंड रहने के लिए फोर्स करते हैं. मतलब चाहे यह लगे या ना लगे लेकिन हर किसी के पास पावर है. मिसाल के लिए, पैरंट्स और चाइल्ड का रिश्ता ही ले लीजिए, चिल्ड्रन के लिए फैसला लेना कि वह क्या करेंगे और क्या नहीं, पेरेंट्स को पावरफुल बनाता है.

लेकिन अगर पैरेंट्स अपने बच्चों का प्यार और उनकी इज्जत चाहते हैं तो उन्हें डिसीजन मेकिंग की कुछ पावर अपने बच्चों के साथ भी शेयर करनी पड़ेगी. बॉसेसेस या मालिक पावरफुल इसलिए होते हैं क्योंकि वह इस बात का फैसला करते हैं कि कौन किस प्रोजेक्ट पर काम करेगा और किसे कितना पेमेंट मिलेगी. लेकिन अगर कोई एंप्लॉय अपने काम में बहुत बेहतर है और उसे इंडस्ट्री की बहुत अच्छी नॉलेज है तो उसके पास नेगोशिएट करने की पावर आ जाती है.

यहां पर बॉस अपनी पावर का इस्तेमाल सिर्फ अपने फायदे के लिए कर सकता है. जैसे कि वह किसी ऐसे एंप्लॉय को जरूरत से ज्यादा काम दे दे जो एंप्लॉय ना नहीं कह सकता. लेकिन पावर इसलिए नहीं होती है. वर्कप्लेस पर या सोशली किसी के पास कम किसी के पास ज्यादा पावर इसलिए होती है ताकि सब एक साथ मिलकर एक दूसरे के फायदे के लिए काम कर सके और अपनी शेयर्ड प्रॉब्लम सॉल्व कर सकें.

मतलब जब भी आप अपनी पावर के बारे में सोच रहे हो तो आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि ‘इसमें आपका का क्या फायदा है,’ बल्कि पावर को इस बात से मापना चाहिए कि हम दूसरों के कितनी मदद कर सकते हैं.

दूसरों के इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए पावर को इस्तेमाल करना बेस्ट तरीका है

इमेजिन कीजिए कि आप एक्टिंग क्लासेस जाते हैं और आपसे एक पावरफुल कैरेक्टर का किरदार निभाने के लिए कह दिया जाता है, तो आप यह काम कैसे करेंगे? ज्यादातर लोग अपनी आवाज ऊंची करके, दूसरे कैरेक्टर को इंटरप्ट करके या फिर स्टेज पर इठला कर अपने आप को पावरफुल ट्रैक्टर साबित करने की कोशिश करेंगे. इस तरह के बिहेवियर को पावर प्ले अप करना करना कहते हैं, जिसका इस्तेमाल अक्सर एक्टर्स करते हैं. अपने कैरेक्टर को लोगों के सामने इज्ज़त दिलाने का यह उनका तरीका है.

हालांकि यह पावर अब सिर्फ थिएटर और एक्टिंग क्लासेज में ही नहीं होती. लोग इसका इस्तेमाल ऑफिस, घर और बहुत सारी सोशल सिचुएशन में करते हैं. यहां प्रॉब्लम यह है कि यह काम हमेशा सही नियत से नहीं किया जाता. प्लेइंग पावर अप का मतलब किसी दूसरे पर दबदबा दिखाना और इज्ज़त की डिमांड करना होता है. ऐसा करने के अलग-अलग तरीके होते हैं. सबसे ज़्यादा यह हाई रैंक के द्वारा किया जाता है.

लोग रूल्स को एम्फ़साइज़ या दूसरों को उसे फॉलो करने पर मजबूर अपने अथॉरिटेटिव दम पर करते हैं. मिसाल के तौर पर, जब भी Henry Ford से उनका कोई एंप्लॉय सवाल करता तो वह जवाब में कहते, “इस बिल्डिंग पर मेरा नाम लिखा है” और वह एंप्लॉय चुप हो जाता. क्योंकि जब वह अपनी मिल्कियत जाहिर कर रहा है तो एंप्लॉय के लिए अपने बॉस से ऑर्गुमेंट कर पाना इंपॉसिबल है.

जब कोई पावरफुल इंसान आपको ना कह दे या पूरी तरह से इग्नोर कर दे तब भी ऑर्गुमेंट कर पाना इम्पॉसिबल होता है. इसी तरह जब भी कोई पावर में होता है तो वह अपने सबऑर्डिनेट को क्रिटिसाइज, अप्रिशिएट कर सकता है. यहां तक कि उनका मजाक भी बना सकता है. अगर सामने वाले को यह पसंद भी नहीं आता तब भी वह कंप्लेन नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास ऐसा करने की कोई पावर नहीं है. अगर आप पावर प्ले अप अपना दबदबा जाहिर करने, या दूसरों को नीचा दिखाने के लिए करते हैं तो यह एरोगेंस होता है.

लेकिन जब सिचुएशन फैसला लेने वाले की लीडरशिप डिमांड करती है तो यहां पर पावर दिखाना सही होता है. उस शख्स के बारे में सोचिए जो मीटिंग में बहुत ज्यादा बात करने वाले इंसान को इसलिए रोकता है ताकि दूसरे अपने आइडिया शेयर कर सके या किसी चीज को ना इसलिए कहता है ताकि प्रोजेक्ट बजट में और ट्रैक पर रहे.

ऐसी सिचुएशन में पावर दिखाना फायदेमंद होता है. स्टडीज बताती हैं कि जो पावर होल्डर ऐसा करते हैं उन्हें केयरिंग और काबिल के तौर पर देखा जाता है. तो जब भी आपको अपनी पावर दिखाने का मन करें तो पहले अपने आपसे सवाल कीजिए क्या यह आसपास मौजूद लोगों के फायदे के लिए है या सिर्फ आप शो ऑफ करना चाहते हैं. अपने जवाब के आधार पर रिएक्ट कीजिए.

चलिए एक बार फिर एक्टिंग क्लास का एग्जांपल लेते हैं, एक्टिंग कोच स्टेज पर एक पावरफुल कैरेक्टर देखना चाहते हैं. लेकिन इस बार कैरेक्टर पूरे सीन को डोमिनेट नहीं कर सकता. तो कैसे पावरफुल एक्टिंग होगी? एक एक्सपीरियंस एक्टर के लिए यह बड़ी बात नहीं है अभी हमने देखा कि आप अपनी पावर का इस्तेमाल करके सिचुएशन को अपने कंट्रोल में कर सकते हैं. लेकिन अपने आप को कुछ साबित करने का यह एकलौता तरीका नहीं है.

कभी-कभी कैरेक्टर द्वारा पावर डिस्प्ले करने के बजाय ऑथर एकदम इसके उलट कर देते हैं. मतलब चुप रहके या अपने आप को सीन के बैकग्राउंड में ले जाकर खुद को जानबूझकर पावरले दिखाना. जिंदगी में पावर प्ले अप करने की तरह प्ले डाउन करने का भी अपना इस्तेमाल है.

जब किसी के पास पावर होती है उसके बावजूद वह पावर डाउनप्ले करता है. तो वह जितनी अटेंशन के काबिल है और जितना हावी हो सकता है उससे कम ही करने की कोशिश करता है. लोग ऐसा खुद का मजाक उड़ा कर, दूसरों को फैसला देने की इजाजत दे करके या दूसरों से मदद मांग कर करते हैं.

इन कामों के जरिए पावरफुल लोग अपना डोमिनेंस कम करके अपने आसपास मौजूद लोगों के नॉलेज और ओपिनियन को इंपॉर्टेंट देते हैं. अगर पावर की मदद से लोग चीज़ों को कंट्रोल कर सकते हैं तो फिर इसे डाउनप्ले क्यों करेंगे? पावर डाउन प्ले करने का एक रीजन अपने आसपास मौजूद लोगों को इंप्रेस करना भी है. लेकिन सिर्फ इसी कारण से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

पावर डाउनप्ले कर के लीडर्स लोगों के साथ कनेक्ट करने की अपनी ख्वाहिश जाहिर करते हैं ना कि उन्हें कंट्रोल करने की. इससे लोगों में मैसेज आता है कि पावर में बैठा इंसान अपना स्टेटस मेंटेन करने के बजाय लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहता है. टॉप कैपिटल फर्म Sequoia Capital के दो पार्टनर ने पाया कि इससे लोगों में ट्रस्ट बढ़ता है.

यंग फीमेल सीईओ को हायर करते वक्त उन्होंने फर्म से जुड़े पावर का इस्तेमाल करने की सोची. उनकी स्ट्रैटेजी फेल हो गई तो उन्होंने पावर डाउनप्ले करने की सोची. यह जानने के बाद कि जिसे वह हायर करना चाहते हैं वह कॉमिक बुक के कैरेक्टर्स की तरह ड्रेसअप पसंद करती है.

उन्होंने टॉय स्टोरी कॉस्ट्यूम पहनकर मुलाकात करने की सोची. अपने सामने लोगों को इस तरह फनी लुक में देखकर उस नई सीईओ को एहसास हुआ कि यह लोग अपनी टीम मेंबर को कंफर्टेबल महसूस कराने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और उसने वहीं पर उनकी टीम ज्वाइन कर ली.

इमैजिनेशन, प्रॉप्स और कॉस्ट्यूम का इस्तेमाल करके आप नए किरदार को अच्छी तरीके से निभा सकते हैं

सोच कर देखिए कई सालों तक मेहनत करने के बाद आपको मैनेजर की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया जाता है, अचानक से आपको एक पूरी टीम गाइड करनी है और सीनियर्स एक्सपेक्ट करते हैं कि अगर आपको जरूरत पड़े तो आप अपनी टीम को चैलेंज भी करें.

इतने सालों तक इस प्रमोशन के लिए मेहनत करने के बावजूद आपको अभी भी नहीं लगता कि आप इसके लिए रेडी थे या नहीं. क्योंकि आपको सीनियर मैनेजर सा कुछ महसूस ही नहीं हो रहा. यह सिचुएशन एकदम वैसी ही है जैसी किसी नये रोल के लिए कास्ट हुए एक्टर की होती है. उन्हें याद करने के लिए स्क्रिप्ट और स्टोरीलाइन दे दी गई है उन्हें इस कैरेक्टर में पूरी तरह डूब जाना है लेकिन वह फीलिंग से फैमिलियर है ही नहीं.

कैरेक्टर में आने के लिए एक्टर्स कुछ ट्रिक्स का इस्तेमाल करते हैं जो आपके लिए भी कारगर हो सकती हैं. कामयाब होने के लिए आपको ऐसे एक्ट करने की जरूरत है जो एकदम आम सा ना लगे. कंवेंसिंग एक्टिंग करने का एक तरीका रशियन एक्टर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर Konstantin stanislavski का आईडिया Stanislavski Method अपनाना है.

Stanislavski ने एक्टर्स को स्टेज पर और स्टेज के बाहर भी दुनिया को अपने कैरेक्टर के नजरिए से देखने के लिए इनकरेक्ट किया. उनकी इस एडवाइज को फॉलो कर के एक्टर्स, जो चीज कैरेक्टर के साथ हो रही है उसे खुद के साथ होता हुआ महसूस करते है. यही ऑथर के लिए कोर्ट में अपना कंपोजर मेंटेन रखने में मददगार साबित हुआ. अपने रियालिटी से दूर जाकर के ऑथर ने एक ऐसे टीवी कैरेक्टर पर फोकस किया जो स्ट्रेंथ और फीयरलेसनेस के लिये जाना जाता था.

ऑथर ने इमैजिन करना शुरू किया अगर वह टीवी का वही कैरेक्टर होती तो कैसे खुद को कैरी करती और कैसे चीजें संभालती. ऐसा करके वह अपने डर से आगे बढ़कर अपने आप को कॉन्फिडेंस के साथ रिप्रेजेंट कर सकीं. अगली बार अगर आप अपनी जिंदगी के किसी किरदार के लिए तैयार ना हों, तो इमेजिन कीजिए कि अगर सच में आप वह कैरेक्टर होते तो कैसे बीहेव करते और वैसे ही बीहेव कीजिए.

किसी रोल के लिए अपना माइंडसेट चेंज करने के लिए जो दूसरी ट्रिक एक्टर्स अपनाते हैं वह है प्रॉप्स और कॉस्टयूम जरूरत के हिसाब से ड्रेसिंग करना और प्रॉप्स लोगों के बिहेवियर और दूसरों के रिस्पांस को इफेक्ट करते हैं.

मिसाल के तौर पर, सीनियर एग्जीक्यूटिव अपने हाथ में इंपॉर्टेंट देखने वाला डॉक्यूमेंट लेकर चल सकता है और अपने कॉन्फिडेंस को बढ़ाने के लिए उसी हिसाब से कपड़े भी पहन सकता है. किसी भी सिचुएशन में कपड़े इतना इंपॉर्टेंट किरदार निभाते हैं कि फ्रेज़ suit-up आज किसी भी काम की तैयारी के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है.

अगर आप सपोर्टिंग रोल अच्छे से निभाना चाहते हैं तो काम और टीम मेंबर को प्रायोरिटी दीजिए। जब भी आप एक एक्टर के तौर पर अपने करियर को इमेजिन करते हैं तो आपके ध्यान में क्या आता? अगर हर प्रोडक्शन की प्रायोरिटी बनना चाहते हैं, तो ऐसा सोचने वाले आप अकेले नहीं है हर कोई किसी भी शो का इंपॉर्टेंट और सबसे पावरफुल किरदार बनना चाहता है.

जैसे ऑफिस में हर कोई बॉस नहीं हो सकता वैसे किसी शो में हर कोई लीड रोल प्ले नहीं कर सकता. इसके बजाय हमारे पास लीडिंग एक्टर और सपोर्टिंग कास्ट के लिए अलग-अलग रोल होता है जैसे मैनेजर और सबऑर्डिनेट्स के लिए. और काम की सही सेटिंग के लिए सपोर्टिंग कास्ट समेत सबको अपना रोल निभाना होगा. इस सपोर्टिंग रोल वाले के पास अपनी खुद की पावर होती है और उस पावर का सही इस्तेमाल करके आप अपने किरदार की अलग छाप छोड़ सकते हैं.

किसी भी ग्रुप या ऑर्गनाइज़ेशन आमतौर पर एक बिग पिक्चर गोल होता है, जिसके लिए हर कोई काम कर रहा होता है. इनमें से हर किसी का एक रोल होता है और वह रोल गोल को अचीव करने के लिए डिजाइन किया गया होता है. इसके बावजूद लोग सब ऑर्डिनेंस के रोल को खुद से कमतर समझते हैं. यह सोचना गलती है जब आपको एक रोल अलॉट कर दिया जाता है तो आप का मकसद सिर्फ उस ग्रुप को पॉजिटिव रिजल्ट देना होना चाहिए.

इस मंत्र से आप ऑफिस के लोगों का यकीन जीत सकेंगे जिससे फ्यूचर में आपको नई अपॉर्चुनिटीज़ मिल सकती हैं. इससे भी ज्यादायह कि है क्या जब भी आप स्टेटस के बजाय काम पर फोकस करते हैं तो किसी भी काम में असर डालने वाला रोल देख ही लेंगे. फेसबुक की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर Sheryl Sandberg को यह चीज तब एहसास हुई जब उन्होंने गूगल में काम करने की अपॉर्चुनिटी खो दी क्योंकि उन्हें लगता था कि वह रोल बहुत छोटा है.

एक छोटी लेकिन कारगर एडवाइज ने उनका माइंडसेट बदल दिया जब आपको रॉकेटशिप में सीट ऑफर की जाती है तो आप सीट का ब्यौरा नहीं पूछते बस जाकर बैठ जाते हैं. इसके साथ ही जब आप अपने मिशन पर फोकस करते हैं तो अपनी जिम्मेदारियों और काम को प्रायोरिटीदेकर यकीन भी कमा लेते हैं.

और जब आप ऐसा करते हैं तो आप लोगों को बताते हैं कि आप सिर्फ नाम नहीं कमाना चाहते बल्कि एक वैल्युएबल कंट्रीब्यूशन देना चाहते हैं. जब भी आप थोड़ी सी ज्यादा मेहनत करके प्रोजेक्ट को डेड लाइन पर खत्म करने की जिम्मेदारी लेते हैं या फिर पर्सनल सैक्रिफाइस करके प्रोजेक्ट या टीम की जरूरतों को पूरा करते हैं तो इससे ना सिर्फ लोगों का आप पर यकीन बढ़ता है बल्कि आपका स्टेटस भी बढ़ता है.

जब भी आप कोई बड़ा रोल निभाने वाले हो तो रिहर्सल, warm-up या खुद से ध्यान हटाकर अपनी इंग्जाइटी दूर कीजिए

बहुत सारे लोग, चाहे सोशल ग्रुप हो, फैमिली हो या वर्कप्लेस, पावरफुल रोल निभाने के कायल होते हैं. लेकिन सच में वह रोल निभाना आसान नहीं होता. अक्सर लोग खुद की काबिलियत पर सवाल उठाते हैं और जज किए जाने की फिक्र में अपनी पावर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते.

मिसाल के तौर पर जिम्मेदार ठहराए जाने के डर से वह कठिन फैसले लेने से बचने की कोशिश कर सकते हैं. या फिर लोगों द्वारा पसंद किए जाने को ज्यादातर जी देकर वह गलत फैसले भी ले सकते हैं. एक्टर्स भी परफॉर्मेंस एंग्जायटी का सामना करते हैं लेकिन उनके पास इसे मैनेज करने का तरीका है. उनकी यह स्ट्रैटेजी एक्टिंग से के अलावा दूसरी जगह भी इस्तेमाल की जा सकती है.

आप carnegie hall तब कैसे पहुँचेंगे? प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और प्रैक्टिस हालांकि यह एडवाइज थोड़ी पुरानी हो गई है लेकिन एक्टर्स आज भी अपने रिहर्सल सेशन में इस पर अमल करते हैं. जब आप किसी चीज को बार बार करते हैं तो वह आदत बन जाता है. तो अपने नए रोल की रिहर्सल करके आप एक अनफैमिलियर काम को नेचुरल बिहेवियर में बदल सकते हैं. नतीजतन आप उस रोल में अपने आपको ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करने लगते हैं.

लेकिन रिहर्सल का मतलब यह नहीं है कि आपने स्क्रिप्ट उठाई और उसे बार-बार पढ़ना शुरू कर दिया. रिहर्सल का मतलब है कि आप उससे जुड़ी छोटी सी छोटी डिटेल को ऐड करें. मिसाल के तौर पर, जब ऑथर अपने टॉक के लिए प्रिपेयर करती हैं तो वो अपना ड्रेस, प्रॉप्स और यहां तक कि वैसे ही वॉक करती हैं जैसे उन्हें स्टेज पर करनी है. इस तरीके से उनकी प्रैक्टिस अधूरी नहीं रहती.

अगर रिहर्सल करने के बावजूद आपको किसी मीटिंग या दूसरे काम के लिए एंग्ज़ायटी महसूस हो रही है, तो आप फिजिकल एक्टिविटी का तरीका भी अपना सकते हैं. वर्म-अप, वॉकिंग, ब्रीथिंग एक्सरसाइज आपकी नर्वसनेस को दूर करने में काफी हेल्पफुल होती है. इसके साथ ही यह फिजिकल एक्टिविटीज़ आपको शांत करके आप का ध्यान एग्ज़ायटी से पूरी तरह हटा देती हैं. स्टेज पर अपनी नर्वसनेस को दूर करने के लिए आपके और जो तीसरा तरीका अपनाते हैं वह डिस्ट्रैक्शन.

अगर आपका सारा बस इस बात पर है कि आप क्या महसूस कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं तो आप अपने रोल को कभी नहीं निभा पाएंगे. इसलिए एक्टर्स दूसरी चीजों पर फोकस करने की कोशिश करते हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल करने के दौरान अपने आसपास मौजूद लोगों और वह क्या महसूस कर रहे होंगे इस बात पर फोकस करते हैं आप किसी ऑब्जेक्ट या किसी साउंड पर भी फोकस कर सकते हैं.

हमारे पास बुली ना होने की पावर है और अगर ह बुली होते भी हैं तो अपनी कहानी बदलने की भी पावर है

अक्सर हम लोगों को अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करते देखते हैं. स्कैंडल्स और लीडर्स की काली करतूतों को जाहिर करती हेडलाइंस से लगता है कि पावर इंसान को बुरा बना देती है. लेकिन यहां पर प्रॉब्लम पावर की नहीं है जिन लोगों को यह पावर मिलती है वह अपनी इनसिक्योरिटी की वजह से पावर का इस्तेमाल अपने आप को बेहतर महसूस कराने के लिए करते हैं. पावर और कंट्रोल पाने की सनक लोगों को बुली करने वालों में तब्दील कर सकती है, तो जब हम ऐसे किसी इंसान का सामना करते हैं तो हमारी हालत बहुत खराब हो जाती है.

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सिचुएशन बदल नहीं सकते दरअसल हम सही तरीके से एक्ट करके पासा पलट भी सकते हैं. अगर हम नहीं चाहते कि हम बुली करने वालों के टारगेट बने तो हमें उन्हें अटैक से पहले ही पहचानना होगा. मतलब आपको पता होना चाहिए कि आप क्या तलाश रहे हैं. मिसाल के तौर पर, हमें उन लोगों से दूर रहना चाहिए जो ना नहीं सुन सकते या हमारे साथ तो अच्छे हैं लेकिन वाक्यों की बहुत बुराई करते हैं.

हमें ऐसी जगह पर जाने से भी बचना चाहिए जहां पर बुली करने वाले अपने आप को पावरफुल महसूस करते हों. जैसे कि क्रिमिनल्स अक्सर अंधेरे में अटैक करते हैं वैसे ही पावर का गलत इस्तेमाल भी उसी जगह पर होता है जहां उन्हें कोई यह काम करते देख ना सके.

मिसाल के तौर पर ऐसी जगह जहां पर रेगुलर रुल अप्लाई नहीं होता, ऑफिस के बाहर या आफ्टर आवर मीटिंग वगैरह. मुमकिन है कि इन सभी प्रिकॉशंस के बावजूद हम शिकार बन जाए. ऐसे में आपको कुछ इस तरह बिहेव करना है जिससे सामने वाला अपनी लिमिट ना क्रॉस कर पाए.

पहला तरीका है कि ऐसे लोग कुछ भी करें आपको ऐसे बिहेव करना है जैसे आपको फर्क ही नहीं पड़ता. जो लोग पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं उन्हें अपने विक्टिम्स को गुस्से में या डरा हुआ देखना पसंद आता है. इसलिए अगर हम उनके हिसाब से रिएक्ट नहीं करते तो वह अपना टारगेट बदल लेंगे.

दूसरा तरीका यह है कि जब भी वह कोई गलत काम करें आप बहुत सॉफ्टली उस काम के खिलाफ आवाज उठाएं. इससे सामने वाले को पता चल जाता है कि उनकी गलत हरकतों पर नजर रखी जा रही है.

अगर हम सभी कोशिशों के बावजूद बुली करने वालों के टार्गेट बन जाते हैं, हमें विक्टिम की तरह बिहेव करने के बजाए उन सभी कामों से बचना चाहिए जिनकी वजह से हमारी बुरी हालत का जिम्मेदार हम खुद भी बन सकते हैं.

अगर हम यह मान लेंगे कि हमारी गलतियों की वजह से हमारे साथ ऐसा हुआ तो आगे भी हमारे साथ वैसा ही हो सकता है. लेकिन जब हम अपने मन में यह बैठा लेते हैं कि इन सब में हमारी कोई गलती नहीं थी, तो उस एक्सपीरियंस को पीछे छोड़ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकते हैं.

एक लीडर के तौर पर अपनी पावर का सही इस्तेमाल करने का मतलब दूसरों को गाइड करना और उन लोगों को आगे ले आना है जो ऐसा ही करेंगे.

“ग्रेट पावर के साथ ज्यादा जिम्मेदारियां भी आती हैं” यह कोट फिलॉसफर Voltaire, ब्रिटिश लीडर Churchil यहां तक कि स्पाइडर-मैन के अंकल तक को एट्रिब्यूट किया गया था. हालांकि इसके सोर्स का नहीं पता लेकिन मैसेज क्लियर है. किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के टॉप पर काम करने वालों के पास बहुत पावर होती है और उनके इस पावर का इस्तेमाल करने का तरीका दूसरों को इफेक्ट करता है.

किसी भी पावर का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने का मतलब है कि इस पावर को अपने आसपास रहने वाले लोगों के फायदे के लिए इस्तेमाल करना. इसके लिए डायरेक्शन दिखाने, काम करने का एनवायरमेंट क्रिएट करने की जरूरत हो सकती है.

डायरेक्शन और एक जैसा गोल होना किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के लिए बहुत इंपोर्टेंट होता है. इसके बिना लोगों का पर्सनल इंटरेस्ट आपस में क्लैश करता है और प्रोडक्टिविटी नहीं की जा सकती. इसलिए high-ranking वाले को अपनी पावर का इस्तेमाल ऑब्जेक्टिव को डिफाइन करने और उसे हासिल करने के लिए करना चाहिए.

इससे हर कोई अपना कंट्रीब्यूशन दे सकेगा. लेकिन सभी लोगों के अपना कंट्रीब्यूशन दे सकने के लिए ऑर्गेनाइजेशन का एक सेफ प्लेस होना जरूरी है जहां पर पावर का गलत इस्तेमाल ना होता हो. यह उस ऑर्गेनाइजेशन के लीडर पर भी लागू होता है उसे पावर के सही इस्तेमाल का एग्जांपल होना चाहिए और अगर इसका गलत इस्तेमाल होता है तो उसे फौरन एक्शन लेना चाहिए.

इसका सबसे बेहतर एग्जांपल अमेरिकन एयर फोर्स लेफ्टिनेंट General Jay Silveria का अफ्रीकन अमेरिकन स्टेट्स को मिल रहे रेसियल कमेंट्स के मामले को सुलझाना है. उन्होंने 65,000 कैडेट, स्टाफ और फैकल्टी को इकट्ठा किया और क्लियर किया कि ऐसी हरकतें करने वालों के लिए एकेडमी में कोई जगह नहीं है.

इसके साथ ही लीडर अपने हिसाब से सही इन्वायरमेंट क्रिएट कर सकते हैं मिसाल के तौर पर उन लोगों को प्रमोट कर सकते हैं जो पावर का सही इस्तेमाल करते हैं. पावर का सही इस्तेमाल करने वालों में तीन क्वालिटीज होती है जो उन्हें बाकियों से अलग बनाती हैं.

पहला वह अपने अचीवमेंट पर फोकस करते हैं मतलब ऐसे लोग अपनी जॉब को ईमानदारी से करने और नई स्किल्स सीखने पर फोकस करते हैं ना कि अपनी रैंक्स बढ़वाने पर ऐसे लोगों में एक अपनेपन की क्वालिटी होती है वह दूसरों की केयर करते हैं और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते हैं.

इनकी तीसरी क्वालिटी पावर को लेकर इनका नजरिया है. ऐसे लोग अपनी पावर को दूसरों की मदद करने के तरीके के तौर पर देखते हैं. और उन्हें मालूम होता है कि ऑर्गेनाइजेशन के बेहतरी के लिए इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए.

Conclusion

आपके पास पावर का होना ही काफी नहीं है आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि अपनी रिस्पांसिबिलिटीज के हिसाब से कब अपना पावर दिखाना है और कब पावरफुल होने के बावजूद इसका इस्तेमाल नहीं करना है. कभी-कभी दूसरों को प्रोटेक्ट करने के लिए आपको अपने पावर का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है.

इसके लिए आपको डिफिकल्ट सिचुएशन में जिम्मेदारी लेने, पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे लोगों को कॉल आउट करने या फिर गोल में सही तरीके से कंट्रिब्यूट करने वालों को आगे बढ़ाना हो सकता है. वहीं दूसरी तरफ लोगों को खुद पर यकीन दिलाना और रिश्ते बनाना आपकी प्रायोरिटी होनी चाहिए. यह वही सिचुएशन है जब आपको अपने पावर को डाउन प्ले करना है और अपने आप को बहुत सीरियस नहीं लेना है.

हालांकि जरूरी नहीं है कि आप हर सिचुएशन में अपने आप को पावरफुल साबित कर सके ऐसे में रिहर्सल करके, बिग पिक्चर पर फोकस करके और अपना ध्यान को डिस्ट्रैक्ट करके आप अपने अंदर किसी भी रोल को निभाने का कॉन्फिडेंस ला सकते हैं.

क्या करें

पावरफुल अपस्टैंडर्ड बनकर दूसरों को प्रोटेक्ट कीजिए

जब आप किसी को पावर का गलत इस्तेमाल करते देखते हैं तो बस तमाशबीन बने रहना ज्यादा सेफ लगता है. लेकिन अगर आप रिस्क लेकर के सामने वाले को कॉल आउट करते हैं तो दूसरे भी ऐसा करने के लिए इंकरेज होंगे. तो अगली बार जब भी आप किसी को अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करके देखें तो तमाशबीन बने रहने के बजाय कदम उठाइए. उसी वक्त दखल दीजिए और अगर ऐसा पॉसिबल नहीं है तो बाद में हेल्प ऑफर कीजिए.

तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह कैसा लगा ?

आज आपने अपनी पावर के बारे में इस बुक से क्या सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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