एक डॉक्टर मैडम

ये कहानी है डॉक्टर अमृता मैडम की। डॉक्टर अमृता मेडम जो एक बहुत ही अच्छी और मेहनती डॉक्टर थी।

अस्पताल में डॉक्टरों का जो ड्यूटी टाइम होता है, एक दिन ये अमृता मैडम भी अपना ड्यूटी टाइम खत्म होने के बाद घर जाने की तैयारी कर रही थी।

नर्स को कुछ समझाते हुए बस अपना बैग उठा ही रहे थे इतने में एक परिवार आता है। वे परिवार बहुत परेशान थे। क्यूंकि उनका बच्चा बहुत बीमार था।

बच्चे के पिता अमृता मैडम के पास आकरके कहता है “मैडम, मेरे बच्चे को बहुत ज्यादा बुखार है, उसे बचा लीजिये, प्लीज!”

अब डॉक्टर मैडम सर हिलाती है की हाँ, ठीक है। और नर्स से कहती है की बच्चे को एडमिट करने की तैयारी करो और डॉक्टर निखिल आते ही होंगे, वो आ के देख लेंगे।

बच्चे की माँ रोती हुई डॉक्टर अमृता मैडम से कहती है “मैडम आप ही देख लीजिये, उसके हालत बहुत ख़राब है, प्लीज मैडम”

अमृता मैडम ने कुछ नहीं कहा। और ये आगे बढ़ने लगी। लेकिन बच्चे की माँ इनके पैरों पर गिर गयी और कहने लगी की “मैं आपके पैर पड़ता हूँ, हाथ जोड़ती हूँ, बच्चे को बचा लीजिये, अभी इस समय आप यहाँ पर है तो आप ही देख लीजिये।”

लेकिन डॉक्टर अमृता मैडम ने बोलै “देखिये रोज ऐसे patient आते है, मेरे अभी वर्किंग ऑवर खत्म हो गयी है और मुझे जाना है” और ये कहते हुए वो निकल गयी।

निकल कर जब घर पहुंची तो देखा घर पर बड़ा ही टेंशन का माहौल था, घर के सारे नौकर चिंतित नजर आ रहे थे और बच्चे को संभालने वाली जो मैड थी वो रो रही थी बच्चे को गोद में लेकर।

अमृता मैडम ने बड़े ही आश्चर्यचकित हो कर पूछा की “क्या हुआ मेरे बेटे को ???”

सुबह तो बिलकुल ठीक था।

मैड बोली “पता नहीं क्या हुआ अचानक से खेलते खेलते बेसुध हो गया, कुछ बोल नहीं रहा है। आपको और sir को फ़ोन लगाने की बहुत कोशिश की, मगर आपके फ़ोन नेटवर्क कवरेज में नहीं थे। पता नहीं इसे क्या हो गया है।”

डॉक्टर अमृता मैडम को कुछ समझ में नहीं आया। उन्होंने अपने बच्चे को गोद में लिया और उसे होश में लाने की वो सारे प्रयास किया जो सारा कुछ एक डॉक्टर कर सकता था। क्यूंकि वे खुद डॉक्टर ही था।

इतनी देर में अमृता के पति और कुछ साथी डॉक्टर भी उनके घर में आ गए और उन्हें लग रहा था की बच्चे की स्थिति अब थोड़ी ठीक हो रही है।

इतने में नजाने अमृता मैडम को क्या हुआ अपने पति से बोली की “तुम इसके पास रुको, मुझे जरा सा काम है मैं जल्द ही आती हूँ।”

उनके पति को बड़ा अजीब लगा की अपना बच्चा बीमार है, ये कहाँ जा रही है।

लेकिन अमृता मैडम वापस अस्पताल पहुंची, उस बच्चे के पास जो बुखार से तप रहा था। और जाकरके उसका सारा प्राथमिक उपचार करा जो उसके लिए जरुरी था और जब उन्हें लगा बच्चे का बुखार कण्ट्रोल में आ रहा है, उसके बाद इन्होने नर्स से कहा की “अब तुम लोग इसका ध्यान रखना जब तक डॉक्टर निखिल आते हैं, बच्चा अभी खतरे से पूरी तरीकेसे बाहर है और ठीक है।”

बच्चे की माँ ने अमृता मैडम को हाथ जोड़ कर धन्यवाद करा और कहा “आपने आज मेरी गोद बचाई है, आपकी भी गोद सदा भरे रहे।”

अब डॉक्टर अमृता मुस्कुराई और बोली “यहाँ से जाने की कुछ ही देर बाद तुम्हारे दर्द को समझ पायी थी मैं और इसलिए मैं वापस आयी।”

जब डॉक्टर अमृता पर खुद ये बीती तब उन्हें एहसास हुआ।

अब अमृता मैडम घर गयी और अब घर का जो माहौल था अब खुशहाल था, बच्चा बिलकुल ठीक हो चूका था और खेल रहा था।

उसके बाद के मंदिर में जाकर अपने आंसू नहीं रोक पायी और भगवान् से कहा “हे भगवान, तुम्हारी लीला तो तुम ही जानो, क्या तरीका था मुझे मेरा कर्त्तव्य समझाने का, उस माँ का दर्द वहां एक डॉक्टर के रूप में नहीं समझ पा रही थी, लेकिन जब घर आयी खुद एक माँ का रूप लिया, तब उस माँ का दर्द मुझे तुरंत समझ में आ गयी। धन्यवाद भगवान्”

दोस्तों हम में कई लोगों के साथ ये होता है की दूसरे की परेशानी, दूसरे की मुश्किल को हम कभी ध्यान ही नहीं देते हैं। उसकी सीरियसनेस को समझ ही नहीं पाते हैं और उस समय जो मदद आप कर भी सकते हैं वो आप नहीं करते क्यूंकि आप उस विषय की, उस सिचुएशन की गंभीरता को समझने की कोशिश ही नहीं करते।

और फिर किसी न किसी रूप में ऊपरवाला आपको जरूर आपकी गलती का एहसास दिलाता है।

कुछ लोगों को वो एहसास जल्दी हो जाता है, कुछ लोगों को देर से होता है और कुछ लोगों को होता ही नहीं है।

अगर हम हमारी पर्सनालिटी को इतना निखार ले की हम पहले से इतनी आत्मीयता, इतनी हेल्पिंग नेचर अंदर डेवेलोप कर सके तो शायद हम सभी बहुत सारी तकलीफों से आसानी से ऊपर उठ सकेंगे। तभी हम इंसान कहलायेंगे।

“एक बात हमेशा याद रखे अगर आप दुसरो का अच्छा करेंगे तो आपके साथ भी सब कुछ अच्छा होगा।”

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