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कुम्हार की विचार

कहानी1 year ago18 Views

एक पुरानी कहावत है कि एक कुम्हार मिट्टी से कुछ बना रहा था, उसके हाथ गुंथे हुए है, मिट्टी उसके हाथो में लेपी हुई है। उसकी पत्नी आके पूछती है की तुम ये क्या बना रहे हो?

तो कुम्हार बड़े प्यार सर उठाता है और बीबी को जवाब देता है “चिलम बना रहा हूँ, आजकल बड़े फैशन में है, खूब बिकेगी।”

पत्नी ने बोलै “अरे पागल चिलम बना रहे हो, सुराही क्यों नहीं बनाते, गर्मियां आने वाली है, सुराही भी खूब बिकेगी!!!”

कुम्हार ने बोला “बात तो ठीक की है तुमने प्रिय.”

कुम्हार ने उस मिट्टी को छोड़ दी।

कुम्हार ने दोबारा मिट्टी को गूँथना शुरू किया और अब मिट्टी को आकार देना शुरू किया, किस चीज का! सुराही का…..

अब जब मिट्टी को सुराही का आकार देना शुरू किया तो कहते है मिट्टी में से आवाज आई – “ये क्या करता है ? पहले तो कुछ और रूप दे रहा था और अब कुछ और रूप दे रहा है!!”

तो कुम्हार कहता है “मेरा विचार बदल गया।”

कुम्हार का जवाब सुनते ही मिट्टी ने बोलता है “तेरा तो विचार बदला, लेकिन मेरी तो जिंदगी ही बदल गई, अगर चिलम बनती तो आग भरी जाती, खुद भी जलती दुनिया को भी जलाती। अब सुराही बनी हूँ तो जल भरा जाएगा, खुद भी शीतल रहूंगी, दुनिया को भी ठंडा रखूंगी।”

विचार बदल गया। दोस्तों एक विचार हमारी जिंदगी में भूचाल ला सकता है और एक विचार हमारी पूरी जिंदगी बदल भी सकता है। तो विचार ही सब कुछ है, इसलिए हमेशा अपने विचारों पर ध्यान दीजिये।

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