मैं दुखी क्यूँ होता हूँ?

एक बार एक आदमी बड़ा ही दुखी हो कर गौतम बुद्ध के पास गया। उसने गौतम बुद्ध से पूछा “गुरूजी, मैं बहुत ही दुखी रहता हूँ, मेरी जिंदगी में कोई सुख जैसी चीज है ही नहीं, सुख क्या होता है मुझे ये तक नहीं पता।”

क्यूंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत ही चीजों को खो चूका था और उसकी जिंदगी में उसे जो चाहिए था वो मिला ही नहीं था। इसलिए वो बहुत ज्यादा दुखी ही रहता था।

गौतम बुद्ध ने उस आदमी को एक कहानी सुनाई, उन्होंने कहाँ –

“एक गाँव था, जहाँ पर एक इंसान रहता था, जिसको कही न कही कुछ चीजें खरीदने का बड़ा छौंक था।

उसके पास एक आदमी आया। उस आदमी ने कहा कि मेरे पास पर्ची है जो मुझे बेचने हैं।

अब इस पर्ची को कोई ले नहीं रहा था।

उसने सोचा की मैं इस पर्ची को रख लेता हूँ।

लेकिन उसने उस पर्ची पर क्या लिखा था वो देखा ही नहीं।

उस पर्ची में लिखा था “सदा ना रहे”

अब सदा ना रहे, इसका मतलब कोई जानता नहीं था, इसकी कीमत क्या हो सकती है।

उसने कुछ पैसे देकर उसको खरीद लिया। और उसे अपनी पगड़ी में बांध लिया।

और कुछ दिनों के बाद जब लोगों ने देखा कि ये इंसान बहुत ज्यादा पैसे कमा रहा है, बहुत ज्यादा आगे बढ़ रहा है तो उसके शिकायत राजा से कर दी।

और राजा ने बिना कुछ सोचे समझे उस इंसान को जेल में डाल दिया।

अब कुछ समय बीतता गया और वो जेल में पड़े पड़े बहुत ज्यादा दुखी होने लगा।

वो सोचने लगा कि ऐसा तो मैंने क्या ही कर दिया दुनिया के लिए, ऐसा तो मैंने क्या ही कर दिया इस गाँव के लिए कि लोग मुझे इतना बुरा समझते हैं।

मैंने ऐसी कोई बड़ी गलती भी नहीं की थी।

तब उसने वो जो पर्ची थी वो निकाली।

उसमें लिखा हुआ था “सदा ना रहे”

और उसने उस पर्ची को बहुत ध्यान से पढ़ा और उसके बाद उसको समझ आया कि जो भी दुःख होता है वो सदा रहता नहीं है और जो भी सुख होता है वो भी सदा नहीं रहता।”

और ये आप पर निर्भर करता है की आप अपनी सुख को पकडे बैठोगे या फिर अपने दुःख को और कहानी जैसे ही गौतम बुद्ध ने उस आदमी को सुनाया, उसको पूरी बातें समझ आ चुकी थी।

की इस दुनिया में सुख और दुःख आना ही है, हमें ये समझना चाहिए कि जैसे सुख चला गया, वैसे ही दुःख भी चला जायेगा।

तो ज्यादा दिन तक दुखी रहने से हमें कुछ नहीं मिलने वाला, हमें ज्यादा से ज्यादा उसी से दर्द होगा।

उससे बेहतर यही है कि हम ये समझे जैसे सुख चला गया वैसे ही दुःख भी चला जायेगा। और दिन भी आगे बीत जायेगा।

और मेरी जिंदगी जैसे पहले चल रही थी वैसे ही चलती जाएगी।

हमारी जिंदगी में जब भी दुःख आये, हमें ये सोचना है कि क्यूँ ये दुःख है, क्या मेरी कोई गलती थी, क्या मैंने जान-बुझ कर गलती की थी।

और उसी को देख कर हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।

क्या आपके जिंदगी में भी दुःख है? वैसे हमारी जिंदगी में सुख और दुःख दोनों का होना बहुत जरुरी है। क्यूंकि बिना दुःख के आप सुख के बारे में जान नहीं सकते हैं और बिना सुख के आप दुःख के बारे में जान नहीं सकते। क्यूंकि ये दुनिया ही सुख और दुःख दोनों पहलु से चलती है। अगर दुःख है भी तो आपको ये पता होना चाहिए की दुःख सिर्फ आपके जिंदगी में ही नहीं है, इस दुनिया में जो इंसान है उन सभी के जिंदगी में दुःख आते ही हैं। किसी समय दुःख तो किसी समय सुख। तो आपको देखना है की कैसे आपने दुःख बिताये थे और सुख बिताये थे। और आगे बढ़ते रहना है।

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