ये कहानी है एक 12 साल के लड़के की, जिसका सपना था की वे Olympics सबसे तेज़ दौड़ पाए। वे 12 साल का लड़का, जहा उस उम्र की बच्चे छोटी-छोटी खेल-कूद में समय बिताते थे। वे अपने सपनों पूरा करने के लिए मेहनत करते थे। लगातार वे कहते रहते थे की मुझे सबसे तेज़ दौड़ने वाला रनर बनना है। और उसके घरवालों ने भी उसकी मेहनत और जूनून को देख करके प्रोफेशनल्स के पास ट्रेनिंग भी कराया और बहुत सपोर्ट किया।
वो हर दिन प्रैक्टिस करता था, बहुत ज्यादा मेहनत कर रहा था और सच में वो बहुत तेज दौड़ता था और उसे सक्सेस भी मिल रही थी। वे जहाँ रहते थे वहां पर जितने कम्पटीशन हुई थी, हर जगह पर वही जीतता था। और उनके स्टेट में भी वो जीतता था।
उसके बारे में टीवी में न्यूज़ में हर लोग बातें कर रहा था, बोलता था की इतने कम उम्र के बच्चे ने इतना कुछ अचीव कर लिया है। और उनके साथ बहुत सारे न्यूज़ चैनल ने इंटरव्यूज भी कर सुके थे।
एक बार की बात है जहाँ उनके city में एक बहुत ही शानदार इवेंट ऑर्गनाइज किया था। जिसमें उसी के age के दो और मतलब 12 साल के लड़के को बुलाया गया उसके साथ कम्पटीशन में भाग लेने के लिए। हर जगह पुरे स्टेट में उस इवेंट/कम्पटीशन का प्रचार किया गया।
अब दिन आ ही गया उस इवेंट का और स्टेडियम पर पूरा भीड़ लगी हुई थी। हर डिस्ट्रिक्ट के लोग आये हुए थे वहां पर। उन भीड़ में एक ऐसे व्यक्ति आये थे जो बहुत विद्वान थे जो उस शहर के सबसे इंटेलीजेंट प्रोफेसरों में से एक थे। वो बूढ़े हो सुके थे।
वो आ करके बैठे सबसे आगे वाली सीट पर। उन्हें as a चीफ गेस्ट वहां बुलाया गया था।
सारे जो रनर्स थे वो सभी उन प्रोफेसर जी के पास आया और वे आके प्रोफेसर जी को प्रणाम किया और उसके बाद में रेस शुरू हुई।
वहां पर स्टेडियम पर सबको मालूम था की कौन उस रेस में जीतेगा। इसी शहर का जो 12 साल का लड़का जो ओलंपिक्स में जाने की सपना देख रहा था, वो फाइनली उस 100 मीटर की रेस में जीत गया।
जैसे ही वो लड़का जीता वहां पर सारे ऑडियंस उनके नाम जोड़-जोड़ से चिल्लाने लगे, तालीओं की आवाज ने पुरे शहर को हिला डाला। एक माहौल बन गया।
तभी उन लड़के को कहाँ से ओवरकॉन्फिडेन्स आ गयी वो एंकर के पास गया और उनसे रिक्वेस्ट करके mic लिया और mic उन्होंने announce किया, उन्होंने challenge दिया लोगों को की “आपमें से अगर कोई है जो मुझे compete करना चाहता है या दौड़ना चाहता है तो आ करके दौड़ सकता है।”
अब की बार दो और लड़के आये इस लड़के के साथ दौड़ने के लिए और वे दोनों उम्र में उससे बड़े थे। लेकिन ये लड़का तैयार था डिफरेंट age ग्रुप के साथ दौड़ने के लिए। ओवरकॉन्फिडेंट हो चूका था।
जब दूसरी वाली रेस शुरू हो चुकी थी, तो इस बार भी इस लड़के की जीत हुई। अब की बार फिर से ऑडियंस ने इसका उत्साह बढ़ाया, फिर से तालियां बजी, हर कोई खुश था उस लड़के की जीत के लिए।
अब ये जो 12 साल का लड़का था, ये उस प्रोफेसर के पास गया और जाकरके उनको प्रणाम किया और वो उस प्रोफेसर को कहने लगा – “सर, देखा आपने कमाल, मेरा सिर्फ 12 साल ही हुआ है मेरे से बड़े लड़कों को भी हरा दिया।”
वो जो प्रोफेसर था उन्होंने कहा – “बेटा, एक आखिरी रेस आप मेरे कहने पर दौड़ लें, तो मजा आ जायेगा।”
लड़के तो ओवरकॉन्फिडेन्स हो ही चूका था। तो उसने कहा “सर आप बताइये किनके साथ दौड़ना है”
जो प्रोफेसर थे उन्होंने अब दो नई चैलेंजर्स इस लड़के के सामने खड़ा किया। एक तो दिव्यांग व्यक्ति थे जिनको दिखता नहीं था, ठीक से दिखाई नहीं देता था। और दूसरी एक बूढ़ी अम्मा थी, जिनकी age काफी हो चुकी थी।
उन दोनों के साथ में इन 12 साल की लड़के को दौड़ना था। उन लड़के की एकदम से सारा कॉन्फिडेंस, सारी एनर्जी खत्म हो गयी और उसने प्रोफेसर से पूछा “सर, ये क्या है, कहाँ मैं और कहाँ ये, इनके साथ मैं कैसे रेस करूँगा, क्या सच में इन्हीं के साथ मुझे दौड़ना है या आप मुझसे मजाक कर रहे हैं !”
प्रोफेसर ने कहा – “मैं कोई मजाक नहीं कर रहा हूँ बेटा, इन्ही के साथ तुम्हें दौड़ना होगा।”
तीसरी रेस शुरू हुई, इस लड़के ने दौरना शुरू किया, दौड़ता चला गया, और जा करके फिनिशिंग लाइन पर पहुंच गया। लेकिन अब की बार किसी ने भी तालियां नहीं बजायी। पुरे स्टेडियम में सन्नाटा छा गया था। सभी लोग चुपचाप बैठे हुए थे।
अब इस लड़के ने पीछे मुड़ करके देखा, वो जो दो और खिलाडी इसके साथ में दौड़ने वाले थे, वे दोनों वही के वही खड़ी थी।
ये लड़का दौड़ करके प्रोफेसर के पास गया और जा करके बोला की “सर, ये क्या हुआ मैं जीत गया लेकिन किसी ने भी ताली नहीं बजाई। कोई खुशी नहीं दिख रहा है।”
जो प्रोफेसर थे उन्होंने उस लड़के को बोला “अब तुम जाओ और उन दोनों खिलाडी के साथ में रेस कम्प्लीट करना।”
ये लड़का वापस आया चौथी बार रेस शुरू हुई, इस लड़के ने उन दोनों के साथ चलना शुरू किया ना की दौड़ना। और ये लड़का दोनों को हाथ से पकड़के साथ चलना शुरू का दिया। धीरे धीरे वो लड़का उन दोनों के साथ चलना शुरू कर दिया। बहुत टाइम लगा।
लेकिन अब की बार वो जो 100 मीटर की रेस जो थी, इन तीनों ने साथ मिल कर पूरी की, और अब की बार पुरे स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट थी। लोगों ने उठ करके तालियां बजायी।
लोग उस लड़के लिए सलाम भेज रहे थे, प्यार भेज रहे थे। लगातार तालियां बज रही थी।
अब लड़का दौड़ के उस प्रोफेसर के पास आया और उनसे पूछा की “सर, बस एक बात बता दीजिये, की अबकी बार किसके लिए तालियां बज रही थी, हम तीनों में से किसके लिए तालियां बजाई जा रही है।”
प्रोफेसर ने बोला – “बेटा, अबकी बार विनर के तालियां नहीं बजाई जा रही है। ये इस रेस के लिए बजाई जा रही है, जो ये रेस शानदार तरीके से पूरी हुई है। आज जो लोगों का दिल तुमने जीता है, ये रेस तुम्हारी लाइफ की सबसे यादगार रेस होगी।”
Conclusion
दोस्तों ये एक छोटी सी कहानी है लेकिन हम सभी को एक बहुत बड़ी बात सीखाती है की ये जो रेस है ये हमारी लाइफ की रेस है। हम सब चाहते हैं लाइफ में सक्सेसफुल होना हम सब चाहते हैं, की सबसे आगे मेरा नाम हो, इस दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा मेरे पास ही हों, सबसे बड़ा घर मेरे पास हों।
लेकिन एक बात हम हमेशा भूल जाते हैं की इस रेस में दौड़ते-दौड़ते जब हम फिनिशिंग लाइन पर पहुँच जाते हैं, सबसे आगे तब हमारे पीछे कोई नहीं होता है, वो सारे उधर स्टार्टिंग लाइन पर ही खड़े होते हैं।
इस जिंदगी को रेस को अगर आप दौड़ना चाहते हैं, तो ये इम्पोर्टेन्ट नहीं हैं की आप जीत ही रहे हैं, बल्कि ये बहुत इम्पोर्टेन्ट है की आपने किस तरीकेसे इस रेस को कम्पलीट किया है। अपने साथ औरों को लेकर के चलिए।
इस जिंदगी के रेस को जीतने के लिए, जीतने से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है इस रेस में औरों के साथ भाग लेना और साथ में आगे बढ़ना। उन सबको साथ लेकर के चलिए। हमेशा जीतना ही सब कुछ नहीं होता है। कई बार लोगों का दिल जीतना भी, खुशियां बाँटना भी काफी कुछ होता है।
अगली बार जब आप रेस में शामिल हों, अपनी लाइफ की बारे में सोचें तो सोचियेगा की क्या आप इस रेस में सबको साथ लेकर के चल रहे हैं।