ये कहानी है एक लड़के की। जिसका नाम था हिमेश। जो मिडिल क्लास फॅमिली में पैदा हुआ। ये लड़का 12th क्लास तक टॉप करता था। कमाल का बच्चा था। पढ़ने-लिखने में सबसे आगे। फॅमिली को उसपर गर्व था।
माँ-बाप को लगता था की हमारे बच्चे जब बड़ा हो जायेगा तो कुछ कमाल करेगा। हम लोगों की लाइफ बदल देगा। हमारी फॅमिली में बहुत ही खुशियां आ जाएँगी, हम सौभाग्यवान होंगे। मजा आ जायेगा। सब कुछ बदल देगा हमारा बच्चा।
लेकिन अब कहानी अलग होने वाली है। अब 12th तक तो वो टॉपर था। लेकिन जैसे वो 12th पास करके कॉलेज में गया तो उसकी लाइफ बदलने लगी।
उसके आसपास ऐसे दोस्त आ गये, जिन्होंने उसे बिगाड़ के रख दिया। देर रात तक ये लड़का पार्टी करने लगा, घर वालों से झूठ बोलकर पैसा मंगवाने लगा। दारू पीने लगा, सिगरेट पीने लगा।
घर वालों को समझ में आ रहा था। उन्होंने एक दिन हिमेश को समझाने की कोशिश की थी। लेकिन हिमेश ने अपने घरवालों को ही डांट दिया की “आप लोग मुझे ज्ञान मत दीजिये, मुझे सब कुछ मालूम है। आपकी ज्ञान से बात नहीं बनेगी, आप शांत रहिये, मैं अपनी जिंदगी जी लूंगा। और मुझे पता है मुझे क्या करना है और क्या नहीं!”
घर वालों ने हिमेश की बात सुनकर चुप हो गया। उन्होंने कहा “बेटा अब तू बड़ा हो गया है, तुझे पता होना चाहिए की लाइफ में क्या जरुरी है और क्या नहीं।”
अब एक साल के बाद में जब रिजल्ट आया, तो वही टॉपर हिमेश एक सब्जेक्ट में फ़ैल हो गया।
और जहाँ फ़ैल होने की बात आयी। वही ये बात हिमेश की ईगो को हार्ट कर गयी। उसने बहुत ही गहराई से सोचने लगा की जो लड़का 12th तक टॉप करता था वो कॉलेज में जाते ही एक सब्जेक्ट में फ़ैल कैसे हो सकता है।
और ये जो फ़ैल होने वाली बात थी इसके मन में, दिमाग में इतना गहराई तक झटका दिया की ये अपने आपको रूम में बंद कर लिया। घर वालों बात करना बंद कर दिया, दोस्तों की फ़ोन उठाना बंद कर दी। यहाँ तक की बाहर आना जाना बंद कर दिया।
हिमेश धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार हो रहा था। ऐसा लग रहा था उसके लाइफ में थी पर ब्रेक लग जायेगा और सब कुछ खत्म हो जायेगा।
हिमेश जिस स्कूल में पढ़ा था, जहाँ से वो 12th पास्डआउट हुई थी वहां के प्रिंसिपल को जब ये बात मालूम चली तो उन्होंने हिमेश को अपने से मिलने के बुलाया, डिनर पर बुलाया। और वो इन्विटेशन हिमेश रिजेक्ट नहीं कर सका, इसको मानना ही था क्यूंकि प्रिंसिपल सर ने बुलाया है।
हिमेश पहुंशा शाम में प्रिंसिपल सर के घर। और उसने देखा प्रिंसिपल सर गार्डन में बैठे हुए थे। सर्दी का माहौल था तो प्रिंसिपल सर अंगीठी पर हाथ ताप रहे थे। हिमेश जा कर बैठ गया प्रिंसिपल सर के पास में।
उसने पूछा “बेटा क्या हाल-चाल है, क्या चल रहा है लाइफ में”
तो हिमेश ने कुछ नहीं बोला।
10-15 मिनट तक दोनों के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई। तो प्रिंसिपल सर ने सोचा की क्या अलग किया जाये।
उन्होंने अंगीठी में एक कोयले का टुकड़ा जल रहा था उसको बाहर निकाला। धधकते हुए टुकड़े को मिट्टी में फेंक दिया। जैसे वो मिट्टी में फेंका, थोड़ी देर धधका, उसके बाद में वो बुझ गया।
तब हिमेश ने बोला “सर ये आपने क्या किया, एक कोयले का टुकड़ा जो अंदर जल रहा था, धधक रहा था, हमे गर्मी दे रहा था तो उसको बाहर मिट्टी में फेंक दिया, बर्बाद कर दिया”
तो प्रिंसिपल सर ने कहा “बर्बाद कहाँ कर दिया, कौनसी बड़ी बात हुई, वापस इसको ठीक कर देते हैं”
उन्होंने उस कोयले के टुकड़े को उठाया मिट्टी में से और वापस ला करके अंगीठी में डाल दिया। फिर से वो टुकड़ा थोड़ी ही देर बाद जलने लगा, गर्मी देने लगा।
तो प्रिंसिपल सर ने पूछा “बेटा कुछ समझ में आया ?”
हिमेश ने कहा “नहीं सर”
प्रिंसिपल सर ने फिर से बोला “बेटा मैं यही समझाने के लिए तुम्हें यहाँ बुलाया था, की ये जो कोयले का टुकड़ा है ये तुम हो, तुम जब अंगीठी बाहर आये, गलत संगती में गए, मिट्टी में गए, तो बुझ गए, लेकिन वापस आ करके जल सकते हो, लेकिन शर्त ये है की अब अंगीठी में वापस आना होगा, अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी, अपने दोस्त बदलने होंगे। बस इतनी सी बात तुम्हे समझाने के लिए मैं तुम्हें यहाँ बुलाया”
हिमेश को सारी बात समझमें आ गयी उसकी लाइफ बदल गयी।
Conclusion
दोस्तों हममें से बहुत सारे लोग हैं जो डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। सिर्फ और सिर्फ एक घटना की वजह से। हो सकता है की जिंदगी की किसी मोड़ पर आप फ़ैल हो गए हो। और आपको लग रहा है की मेरी तो जिंदगी बर्बाद हो गयी, मैं तो ये, मैं तो वो, मैं फ़ैल हो गया इसके आगे मैं क्या करूँगा।
कुछ नहीं बचा है लाइफ में। और ऐसा जो सोचता है उससे बड़ा मुर्ख और कोई नहीं।
उसको पता ही नहीं है की लाइफ तो चलती रहती है। हो सकता धीरे ही सही लेकिन आपको भी लाइफ के साथ साथ धीरे धीरे आगे बढ़ना है। हमारे साथ हमेशा से ही अच्छा ही होता है, लेकिन हमारी सोच ऐसी है की हम अच्छाई को बुराई मान लेते है।
एक बात हमेशा याद रखना दोस्त की जो भी प्रॉब्लम जिंदगी में आता है उसको solve करें और उसको solve करने के लिए आपके अंदर enough पावर मजूद है। इसलिए आप देखोगे एक चाय वाला भी देश की प्रधान मंत्री बन सकता है, आप समझ गए होंगे मैं किसकी बात कह रहा हूँ – माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी।
तो आप सोचिये वो तो एक चाय बेचने वाला लड़का था, लेकिन वो कैसे एक बहुत बड़ा देश भारत को चलाने वाला बन सके। तो उसने अपने लाइफ के प्रॉब्लम solve किया और अब देश की प्रॉब्लम को solve कर रहा है।
लेकिन ऐसे बहुत चाय वाले हैं वो क्यों कुछ बड़ा नहीं कर पाया क्यूंकि उन्होंने अपने लाइफ की प्रॉब्लम ही solve नहीं कर पाया, कोशिश ही नहीं की। चाय बेचा, दिनभर जितना इनकम होता था उससे अपने फॅमिली को पाला और पैसा खत्म और उसके लाइफ में कुछ नया, कुछ बदलाव नहीं हुआ।
ऐसे ही हमारे देश के एक और चाय वाला है जो आज एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन है, वो भी चाय का बिज़नेस। नाम है उसका – MBA Prafull Billore. इन्होने अपने पिताजी से कुछ 10 हजार रुपए से लिया और एक चाय का ठेला लगाया। और धीरे धीरे अपना नेटवर्क बनाता गया और आज इनका करोड़ों का बिज़नेस है।
तो ऐसे बहुत सारे हजारों एक्साम्पल है जिन्होंने अपने लाइफ में थिंकिंग को बदला और सफल बन गए। तो हमे मतलब हर इंसान को सिर्फ सोच को बदलने की है तब ना कोई डिप्रेशन और ना कोई फेलियर का डर, आप अपने लाइफ के साथ आगे बढ़ पाएंगे। खुद के प्रॉब्लम solve कर पाएंगे और बाक़िओं का भी प्रॉब्लम सॉल्व कर पाएंगे।
अगर आपको लगता है की फ़ैल होना बहुत बड़ी बात है तो ऐसा मत सोचिये। कुछ नहीं होता दोस्तों फ़ैल होने से सब कुछ वैसे का वैसा ही रहता है। फ़ैल होने के बाद जब आप बाउंस बैक करेंगे तो इससे ज्यादा आपके में कोई important बात नहीं है।
लोग हसेंगे, कितने दिन हसेंगे यार, लोगों का तो काम ही है हसना, उसके साथ आप भी हसिये तब देखिये कमाल। और अपने आपको बदलने की कोशिश कीजिये। पहले से अपने आपको बेहतर बनाने की कोशिश कीजिये।
मैं भी एक कॉलेज ड्रॉपआउट स्टूडेंट हूँ, कोई बिज़नेस में फ़ैल हो चूका हूँ, बहुत पैसा बर्बाद कर चूका हूँ, तो मैंने कभी ये नहीं सोचा की लोग क्या कहेंगे और सोचेंगे। लेकिन उसकी बातों पर ध्यान ना देकर मैंने अपने बातों पर ध्यान दिया तो आज मैं अपना खुद का बिज़नेस कर रहा हूँ।
तो आप भी सब कुछ कर सकते हैं जो आप सोचते हैं। बस डिप्रेशन में मत जाइये। सोच बदलिए और अपने आपको चेंज करिये।