Ikigai Book Summary in Hindi – लम्बा, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का जापानी तरीका

Ikigai Book Summary in Hindi – हर इंसान चाहता है कि उसकी जिंदगी बहुत लंबी और खुशियों से भरी हो। साल 2016 में आई ये किताब आपको उन तरीकों के बारे में बताती है जिन्हें अपनाकर जापान के लोग ऐसी ही जिंदगी जीते हैं। ये किताब जापानियों की जिंदगी के हर पहलू को गहराई से समझाकर जापानी संस्कृति की पूरी झलक आपके सामने रख देती है। खासतौर पर जापान के उस आइलैंड की जहां लोग सौ साल से भी ज्यादा जीते है।

अगर आप जापानी कल्चर को जानने में रुचि रखते हैं, या अगर आप सौ साल तक जीना चाहते हैं, या फिर अगर आप खुशी की तलाश में हैं तो ये बुक आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

लेखक

हेक्टर को जापान और स्पेन की दोहरी नागरिकता मिली हुई है। वे जापानी संस्कृति के विशेषज्ञ कहे जाते हैं। उनकी लिखी किताब A Geek in Japan बहुत फेमस हुई। फ्रांसिस ने Love in Small Letters और Wabi Sabi जैसी बेस्ट सेलिंग किताबें लिखी हैं।

Ikigai Book Summary in Hindi – लम्बा, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का जापानी तरीका

लंबा, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का जापानी तरीका

हर कल्चर में सीखने लायक अच्छी बातें होती हैं। लेकिन कितना अच्छा होगा न अगर हमारे हाथ में एक ही बार में ही लंबा जीवन, जिंदगी का मकसद और मन की खुशी पाने की चाबी लग जाए? आखिर ये सब हमारी बुनियादी जरूरतें ही तो हैं। इस चाबी का नाम है इकिगाई। ये आपको ऊपर बताए गए तीनों खजानों तक पंहुचाती है।

हर किसी की इकिगाई अलग होती है। जिसे आप इस किताब की मदद से ढूंढ सकते हैं। इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे कि फ्लो क्या है और इसका क्या महत्व है? karaoke किस तरह आपको युवा बनाए रखता है? दोस्ती इस दुनिया का सबसे कीमती तोहफा क्यों है?

तो चलिए शुरू करते हैं!

जिंदगी में एक उद्देश्य का होना बहुत जरूरी है।

हममें से कौन है जो स्वस्थ और मीनिंगफुल जिंदगी जीना नहीं चाहता? अगर इसका कोई राज़ है तो ओकिनावा आईलैंड पर उसका खुलासा भी हो जाता है। ये दक्षिणी जापान का एक द्वीप है। यहां सौ साल की उम्र पार करने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। और इसका रहस्य है इकिगाई।

जापानी भाषा के हिसाब से इसका मतलब निकलता है जीने की वजह या काम करने की प्रेरणा। इसे आप अपने पैशन, स्किल्स, प्रोफेशन और सामाजिक जिम्मेदारी का निचोड़ भी कह सकते हैं।

ज्यादातर जापानियों का मानना है कि हर किसी के पास उसकी एक इकिगाई यानि डेस्टिनी होती है। और उनका जन्म इसे पाने के लिए होता है। कुछ लोग अपनी इकिगाई जल्दी ढूंढ लेते हैं जबकि कुछ को इसमें समय लगता है। अगर आप भी इसी कैटेगरी में हैं तो कोशिश जारी रखिए। क्योंकि एक दिन आपको अपनी इकिगाई जरूर मिलेगी जो आपके लिए सुबह उठने की वजह बनेगी।

इसलिए ओकिनावा के लोग अपने हर काम को बहुत मेहनत और ध्यान से करते हैं। लेखकों को ओकिनावा की किसी पेंट ब्रश फैक्ट्री में एक महिला मिली। उसने सारी जिंदगी ब्रश में एक-एक बाल को परफेक्शन के साथ जोड़ना सीखते हुए लगा दी। और अब वो बड़ी सफाई और expertise के साथ अपना काम करती है।

इकिगाई लंबे जीवन का रास्ता बनाती है। यानि अगर आपने जॉब को अपना इकिगाई बनाया है तो आपको रिटायरमेंट का ख्याल ही नहीं आना चाहिए। और अगर किसी तरह की हॉबी आपकी इकिगाई है जिससे आपको खुशी मिलती है तो उसे कभी छोड़िए मत।

ओकिनावा के लोग इस नियम का पूरी तरह पालन करते हैं। और इस वजह से उम्र के आखिरी सालों तक एक्टिव रहते हैं। अगर उनको जबरन रिटायर कर भी दिया जाता है तो वो व्यस्त रहने के कुछ न कुछ तरीके ढूंढ ही लेते हैं। जैसे कि गार्डनिंग या कोई सामाजिक गतिविधि इत्यादि।

और इस पक्के इरादे की वजह से उनको फायदा भी मिलता है। वहां सौ साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों पर की हुई स्टडीज ये बताती हैं कि इन लोगों में दिल की बीमारियों या डिमेंशिया की दर बहुत कम होती है। आगे आप पढ़ेंगे कि किस तरह एक्टिव माइंड आपको लंबी जिंदगी देता है।

आपका मस्तिष्क जितना एक्टिव रहता है और आप जितना कम तनाव लेते हैं उतनी लंबी जिंदगी जी सकते हैं।

इस बात को मेडिकल साइंस भी मानता है कि अच्छी जिंदगी के लिए मानसिक और शारीरिक सेहत बहुत जरूरी है। प्रेक्टिकल लाइफ में हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के बारे में तो फिर भी सोच लेते हैं। पर दिमाग की सेहत के लिए शायद ही कोई एफर्ट करते हैं। जिस तरह फिजिकल एक्टिविटी में कमी होने पर तबीयत बिगड़ती है, मेंटल एक्टिविटी में कमी भी तरह-तरह की परेशानियों को जन्म देती है। खास तौर पर न्यूरल प्रॉब्लम्स को। इसलिए दिमागी कसरत भी उतनी ही जरूरी है।

न्यूरोसाइंटिस्ट Shlomo Breznitz का तो यहां तक कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों के ब्रेन की फ्लेक्सिबिलिटी कम होने की एक बड़ी वजह ये है कि वे कुछ नया सीखने या करने की कोशिश ही नहीं करते। उनको अपने पुराने रूटीन या लाइफस्टाइल की इतनी आदत पड़ जाती है कि इसे बदलने को लेकर वो बिल्कुल ईजी नहीं होते। शरीर के लिए कई तरह के वर्क आउट होते हैं।

पर दिमाग का वर्क आउट कैसे किया जाए? असल में ये बहुत आसान चेस या कार्ड जैसे माइंड गेम बहुत मददगार साबित होते हैं। अगर आप घर से बाहर जाकर लोगों से मिलते हैं और सोशल सर्कल बढ़ाते हैं तो इससे बेहतर उपाय और कुछ नहीं हो सकता। लंबे जीवन का दूसरा रहस्य है तनाव से दूर रहना। बहुत सी स्टडीज इस बात को साबित करती हैं कि तनाव, प्री मेच्योर एजिंग को जन्म देता क्योंकि स्ट्रेस आपके शरीर और दिमाग दोनों की सेल्स को डैमेज करता है।

हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी में इस पर एक स्टडी की गई। एक डॉक्टर से बहुत कठिन जॉब इंटरव्यू लिया गया। और उसे गणित के मुश्किल सवाल हल करने के लिए दिए गए। इसके बाद उसके खून की जांच की गई। उसमें पाया गया कि इंटरव्यू के तनाव की वजह से खून में उसी तरह से एंटीबॉडी रिलीज हुई जैसी किसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन में होती हैं। अगर सच में ऐसा इन्फेक्शन होता तो इन एंटीबॉडीज का टार्गेट उस पर होता । लेकिन यहां तो एंटीबॉडीज हेल्दी सेल्स पर ही अटैक करके एजिंग को सामान्य से तेज कर देंगी।

इसलिए जितना हो सके तनाव से दूर रहें। इसके बहुत आसान तरीके हैं। आप माइंडफुल रहने की आदत डालिए। योग और कसरत कीजिए। इन सबसे आप रिलेक्स होते हैं और अपने शरीर और दिमाग पर ज्यादा अच्छी तरह फोकस कर पाते हैं। ये सारे तनाव से बचने के तरीके हैं। लेकिन ऐसे लोग क्या करें जिनको तनाव ने पहले ही बुरी तरह तोड़कर रख दिया है? अगले हिस्से में इस पर बात की गई है।

Morita therapy तनाव से उभरने में बहुत मदद करती है। आज जिस तरह की लाइफस्टाइल हम जी रहे हैं उसकी वजह से चिंता, तनाव और हारा हुआ महसूस करने जैसे हालात बढ़ते ही जा रहे हैं । जापान भी इससे अछूता नहीं रहा है। लेकिन वहां लोगों के पास इसका एक उपाय भी है। इससे आप भी फायदा ले सकते हैं। इसकी खोज बुद्धिज्म को मानने वाले एक साइकोथेरेपिस्ट Shoma Morita ने की थी।

इसे क्रॉनिक एंजायटी, तरह-तरह के ऑब्सेशन और कम्पल्शन के इलाज के लिए ढूंढा गया था। लेकिन ये तनाव से राहत देने में भी बहुत मदद करती है। बहुत सी थैरेपीज में जहां पॉजिटिव सोच पर जोर दिया जाता है Morita therapy उल्टे ढंग से काम करती है। इस थेरेपी में लोगों को उनकी भावनाओं पर फोकस करके as it is स्वीकार करना सिखाया जाता है।

यानि आपके मन में जो कुछ चल रहा है उसे बदलने की कोशिश किए बिना स्वीकार कर लीजिए। और इसके बाद अगला कदम होता है नई और अच्छी भावनाओं को जन्म देने का। जो कि धीरे-धीरे पुरानी नकारात्मक भावनाओं की जगह ले लेती हैं।

इस थेरेपी के चार चरण होते हैं। शुरुआत होती है पूरी तरह रिलेक्स होने से। लगभग एक हफ्ते तक मरीज को बिस्तर पर आराम से लेटे रहने को कहा जाता है। उसे ध्यान भटकाने वाली हर चीज से दूर रखा जाता है। जैसे मीडिया, मिलने-जुलने वाले लोग। उसे ज्यादा बात भी नहीं करने दी जाती। एक साइकोथेरेपिस्ट उसे समय-समय पर मिलने आते हैं और उसकी कंडीशन देखते रहते हैं। और वह व्यक्ति बस अपने मन में चल रहे विचारों पर ध्यान देता रहता है।

अगले चरण में कुछ एक्टिविटीज शामिल की जाती हैं। उसे डायरी लिखने को कहा जाता है। वॉक करने को कहा जाता है और कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराई जाती हैं। तीसरे चरण में उसकी एक्टिविटीज को और बढ़ाया जाता है। अब लकड़ी काटना, पेंटिंग जैसे कुछ प्रोडक्टिव काम इसमें जोड़ दिए जाते हैं। इस तरह के नए अनुभवों से उसके मन में नए विचार आते हैं। जीवन में नई यादें जुड़ती हैं। उसका माइंड इंगेज रहता है। उसमें खुशी, आनंद और धैर्य का समावेश होने लगता है।

और इसके बाद चौथे चरण की शुरुआत होती है। अब वो तरोताजा होकर अपनी पुरानी दुनिया में एक नई सोच, नए अनुभव और नए उद्देश्य के साथ वापसी करता है। भरपूर आराम और किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन से दूर रहना आपकी सेहत पर बहुत सकारात्मक असर डालता है। लेकिन आपको जीने के लिए एक उद्देश्य तो चाहिए ही। इसके लिए अब हम इकिगाई की तरफ वापस चलते हैं।

यंग रहने का सबसे अच्छा तरीका है एक्टिव रहना।

अगर आप मन को सुकून देने वाले किसी काम में व्यस्त रहते हैं तो खुद के लिए इससे अच्छा गिफ्ट नहीं हो सकता। क्योंकि इस काम में आप सब कुछ भुलाकर पूरी तरह से डूब जाते हैं। आपको लगता है ये काम आप सारी जिंदगी कर सकते हैं। ये काम कुछ भी हो सकता है। जैसे कुकिंग, पेंटिंग या स्कीइंग। और इस तरह की एक्टिविटी आपको एक लंबा जीवन जीने में मदद कर सकती है। इस खुशी के एहसास को साइकोलॉजिस्ट Mihaly Csikszentmihalyi ने फ्लो का नाम दिया।

ये ऐसी अवस्था है जहां आप किसी काम में इस तरह इन्वॉल्व हो जाते हैं कि दूसरी कोई बात, चिंता, परेशानी का आप पर कोई असर ही नहीं होता। यहां तक कि आपको समय का एहसास भी नहीं रहता। आपने कभी किसी बच्चे को उसके मनपसंद खिलौने के साथ देखा है? या किसी पेंटर को पेंटिंग करते हुए? इनको इस बात से कोई मतलब ही नहीं रहता कि आसपास क्या चल रहा है।

बजाए विलासिता का जीवन जीने के जितना संभव हो सके इन खुशियों को अपनी जिंदगी में जगह दीजिए। अगर आप बोरियत दूर करने के लिए सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करते हैं तो उसकी जगह कोई ऐसी हॉबी बना लीजिए जो आपका और समाज का भला करे। फ्लो वाली अवस्था आपको बहुत से कामों में मिल सकती है। लोगों के पास अपने-अपने तरीके होते हैं।

लोग चेस खेलकर, म्यूजिक में और यहां तक कि किताबों में भी अपने लिए फ्लो ढूंढ लेते हैं। इससे मन को ही नहीं बल्कि दिमाग को भी बहुत सुकून मिलता है। क्योंकि आप देर तक एक ही चीज में खोए रहते हैं और उल्टे सीधे विचार आपके दिमाग को घेर नहीं पाते। आपका इकिगाई यानि आपके जीवन का उद्देश्य ही आपको फ्लो की स्टेट देगा। और अगर इसके बाद भी कुछ कमी रह जाती है तो कोई ऐसी हॉबी डेवलप कर लीजिए जो इस कमी को पूरी कर दे।

आपके काम में थोड़ी मुश्किल या चैलेंज होना जरूरी है। अगर आपका काम आसान होगा तो आप जल्दी ही बोर हो जाएंगे। लेकिन अगर काम बहुत मुश्किल होगा तो भी आप थककर जल्दी ही उसे छोड़ देंगे। इसलिए अपना कैलिबर पहचान कर शुरुआत कीजिए। अगर आप कोई लैंग्वेज सीखना चाहते हैं तो ऐसी भाषा चुनिए जो थोड़ी आसान हो और आपको इंट्रेस्टिंग लगती हो। अगर आपको कम्प्यूटर की नॉलेज है तो उसे अपग्रेड कीजिए। इस तरह आप भी फ्लो की स्टेज में पंहुच सकते हैं।

ओकिनावा के लोगों के पास आपको देने के लिए बहुत सी अच्छी एडवाइस हैं। आपने कुछ अच्छी बातें पढ़ ली हैं। लेकिन इसमें और भी कुछ एड किया जा सकता है। लंबा जीवन बहुत लोग जी रहे हैं । पर आप अपना जीवन इनसे बेहतर कैसे बना सकते हैं? ओकिनावा के लोग जो सौ साल पूरे कर चुके हैं वे आपको कुछ और टिप्स देते हैं।

पहली सलाह ये है कि आप बेफिक्र होकर जीना शुरु कीजिए और हर किसी का अभिवादन करने की आदत डालिए। भले ही आप लोगों को न जानते हों, उनसे मुस्कुराकर और दिल खोलकर मिलिए। उनका मानना है कि इस तरह आप बहुत से दोस्त बनाते हैं। आप बच्चों के साथ बच्चे बन जाते हैं।

जब आप बुजुर्ग होने लगते हैं तो भी इनसे मेलजोल बना रहता है और आप कभी अकेलापन महसूस नहीं करते। इस तरह आपका दिल हमेशा युवा बना रहता है। वे यह भी समझाते हैं कि जिन चीजों को आप बदल ही नहीं सकते उनकी चिंता करके भी क्या होगा? बल्कि आपका तनाव बढ़ता ही रहेगा। मान लीजिए आप अपने करियर से खुश नहीं हैं। इसकी चिंता में घुले रहने पर आप अपनी परफार्मेंस खराब ही करेंगे। इससे बेहतर ये होगा कि आप कोई नई स्किल सीखकर अपने करियर को एक नई दिशा दें।

ओकिनावन अच्छी आदतें डालने की सलाह भी देते हैं। सुबह जल्दी उठना अच्छा होता है। कुछ समय तक आपको इसके लिए एफर्ट करने पड़ेंगे। लेकिन एक दिन आपको इसकी आदत पड़ जाएगी। इसके फायदे इतने हैं जिसे गिनना मुश्किल है। लेकिन अगर आप एक घंटा जल्दी उठ जाएं तो सोचिए इतनी देर में कितना काम निपटा सकते हैं। आप सुकून से अपनी चाय का मजा ले सकते हैं। गार्डन और घर को संवार सकते हैं। अपनी हॉबी को टाइम दे सकते हैं।

ओकिनावा के लोग ये भी मानते हैं कि उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की एक वजह ये है कि वो अपना हर काम खुद करते हैं। सब्जियां उगाते हैं, खाना बनाते हैं, घर की सफाई करते हैं। दोस्ती और अपनेपन के रिश्ते को ये लोग सबसे महत्वपूर्ण समझते हैं। इस वजह से अपने पड़ोसियों से घुल मिलकर रहते हैं। और रोज उनके साथ समय बिताते हैं।

ओकिनावन भोजन में बहुत वेराइटी होती है लेकिन पोर्शन छोटे होते हैं।

जापान के लोगों की औसत आयु दुनिया में सबसे ज्यादा होती है। और ओकिनावा के लोग बाकी जापानियों से भी लंबा जीवन जीते हैं। इस बात ने जापानी खान-पान को दुनियाभर में एक पहचान दिलाई है।

Ryukus University के एक हार्ट स्पेशलिस्ट Makoto Suzuki ने 70s के दशक में ओकिनावा के लोगों के भोजन पर बहुत सी स्टडीज की हैं। इसमें सबसे पहली बात ये है कि इनके भोजन में बहुत वेरायटी होती है। यहां कम से कम 206 तरह के भोजन होते हैं। जिसमें बहुत से हर्ब्स और मसाले शामिल हैं। ओकिनावा के लोग फल और सब्जियों की पांच सर्विंग रोज खाते हैं।

और इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी प्लेट में इंद्रधनुष के हर रंग की एक न एक चीज जरूर हो। इस तरह खाने को वेरायटी मिल जाती है। उनका बाकी भोजन काफी सादा रहता है। इसमें चावल और नूडल्स जैसी बेसिक चीजें होती हैं। वे नमक और चीनी का इस्तेमाल कम से कम करते हैं। यहां तक कि जापान के बाकी लोगों की तुलना में उनकी चीनी की खपत 60% और नमक की खपत 50% तक कम होती है।

जबकि जापानी भोजन को दुनिया के सबसे हेल्दी भोजन में से एक माना जाता है। वेराइटी की तरह पोर्शन का भी ध्यान रखा जाता है। उनका मानना है कि आप उतना ही खाएं जिससे आपका पेट 80% भर जाए। यानि आपको थोड़ी भूख बाकी रहे। जापान में इसे hara hachi bu कहा जाता है।

इसका सबसे आसान तरीका है कि आप मीठा न खाएं या पोर्शन छोटा रखें। ओकिनावन छोटे-छोटे बर्तनों में खाना परोसते हैं। इससे लगता है कि आपके सामने बहुत सारा खाना रखा है। जबकि असल में खाने मात्रा कम होती है। इसमें चावल, सब्जियां, सूप और बीन्स के स्नैक्स होते हैं। जिस बात को मॉडर्न साइंस ने इतने रिसर्च और स्टडीज के बाद समझा उसे ओकिनावा के लोग बहुत पहले ही समझ चुके थे।

आज हम सब कैलोरी इनटेक शब्द से परिचित हैं। और ज्यादा कैलोरी लेने के नुकसान भी जानते हैं। जबकि ओकिनावा के लोग लंबे अरसे से इसका ध्यान रख रहे हैं। कैलोरी इनटेक कम करने से insulin-like growth factor 1 नाम की प्रोटीन का लेवल कम रहता है। इसकी अधिकता से एजिंग तेज हो जाती है। यानि इसे कम रखकर आप सीधे-सीधे अपनी उम्र बढ़ा रहे हैं।

शरीर को रिजुविनेट करने के लिए भोजन में एंटी ऑक्सीडेंट होने जरूरी हैं।

सुपरफूड के कॉन्सेप्ट ने भोजन के बारे में लोगों की सोच बदल दी है। जापानी भोजन में भी ऐसे काफी आइटम होते हैं। सबसे पहले नंबर पर आती है ग्रीन टी। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं। स्टडीज से ये सामने आया है कि ग्रीन टी उम्र बढ़ाने में बहुत मदद करती है। ग्रीन टी के पत्तों को हवा में सुखाया जाता है। इसे फर्मेंट भी नहीं किया जाता।

इस वजह से इसके पोषक तत्व और ऑक्सीडेंट नष्ट नहीं होते। ग्रीन टी बैड कोलेस्ट्रॉल कम करती है, ब्लड शुगर लेवल और खून का बहाव सही रखती है और इन्फेक्शन से भी बचाती है। ओकिनावा के लोग इसमें जैसमीन मिलाकर इसके फायदे और बढ़ा देते हैं। इसकी वजह से हार्ट और इम्यून सिस्टम मजबूत बनते हैं। लेकिन ग्रीन टी सबको अच्छी नहीं लगती।

आप इसकी जगह व्हाइट टी ले सकते हैं। ये ग्रीन टी से भी ज्यादा फायदेमंद होती है। ये तो हुई बेवरेज की बात। खाने में shikuwasa नाम का सिट्रस फ्रूट वहां बहुत पसंद किया जाता है। इसका जूस इतना खट्टा होता है कि इसे आप बिना पानी मिलाए नहीं पी सकते। इसमें nobiletin नाम का एंटी ऑक्सीडेंट होता है। ये नींबू और संतरे जैसे फलों में भी पाया जाता है।

पर shikuwasa में nobiletin की मात्रा संतरे से 40% तक ज्यादा होती है। ओकिनावा में इसे बहुत से व्यंजनों में डाला जाता है और बेक करके भी खाया जाता है। आप भी एकदम से इसे खाने की आदत नहीं डाल पाएंगे। इसकी जगह आप ब्रॉकली, सामन, स्ट्रॉबेरी, एप्रिकॉट जैसी दूसरी हाई ऑक्सीडेंट वाली चीजें खा सकते हैं।

शरीर को एक्टिव रखना बहुत जरूरी है। फिर भले ही वो हल्की फुल्की वॉक ही क्यों न हो। आप ऐसे किसी बुजुर्ग से जरूर मिले होंगे जिनके एनर्जी लेवल और जिंदादिली पर उम्र का कोई असर नहीं नजर आता। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वो अपने जीवन में शारिरिक रूप से एक्टिव हे हों। असल में शरीर का गतिमान रहना जरूरी है। और इसके लिए हेवी एक्सरसाइज करने जैसा कोई नियम नहीं है। कम से कम ओकिनावा के लोगों को देखकर तो ये बात यकीन से कही जा सकती है। ये लोग अपने आस पड़ोस में घूम लेते हैं। अपने गार्डन की देखभाल करते हैं।

और तो और karaoke bar के भी मजे लेते हैं। यानि बजाए किसी हेवी एक्टिविटी के ये नियमित रूप से किसी न किसी हल्की एक्टिविटी में खुद को लगाए रहते हैं। अगर फिर भी आपको इसके फायदा पर यकीन नहीं है तो मॉडर्न साइंस के नजरिए से समझ लीजिए। साल 2014 में मेडिकल रिसर्चर Brigid Schulte ने एक रिसर्च की। इसमें पाया गया कि अगर आप दिन भर बस बैठे ही रहते हैं तो आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। कुर्सी पर बस आधे घंटे तक बैठे रहने के बाद ही मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है। फैट का डाइजेशन प्रभावित होता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल घट जाता है।

लेकिन अगर हर आधे घंटे के बाद आप सिर्फ पांच मिनट भी चल फिर लेते हैं तो ये सब ठीक होने लगता है। इसके बाद भी ऑफिस में बैठकर काम करने वाले ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते। ओकिनावा के लोगों के जीवन में Radio Taiso भी शामिल है। ये और कुछ नहीं सामान्य वार्मअप ही है। इसे सुबह कुछ देर या दिनभर किसी भी वक्त किया जा सकता है। ये लोग ज्यादातर स्कूल, ऑफिस या घर के आसपास किसी जगह पर इकट्ठा होकर ग्रुप्स में इसे करते हैं।

पहले इसे रेडियो पर भी प्रसारित किया जाता था। इस वजह से इसके नाम में रेडियो जुड़ गया। अब ज्यादातर लोग टीवी से या ऑनलाइन कनेक्ट होकर इसमें शामिल होते हैं। इसमें बहुत आसान सी एक्सरसाइज होती हैं। जैसे नॉर्मल स्ट्रेचिंग, जोड़ों के मूवमेंट इत्यादि यानि चाहे आप हल्की-फुल्की एक्सरसाइज ही करें पर इसे नियमित रूप से करना है। इन लोगों का यही कॉन्सेप्ट है।

Conclusion

आपका खानपान और जीवनशैली आपके स्वास्थ्य और उम्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। अगर आपको जीवन का ऐसा उद्देश्य मिल जाए जो आपको मोटिवेट करे तो आप एक बेहतरीन जिंदगी जी सकते हैं।

क्या करें

इम्परफेक्शन को स्वीकार करें। जापानी कल्चर में ये माना जाता है कि इम्परफेक्ट चीजें सबसे सुंदर होती हैं। जैसे टूटा हुआ कप। इस कॉन्सेप्ट को wabi-sabi कहते हैं। इसकी मदद से आप जिंदगी को और खुशी के साथ जी सकते हैं। परफेक्शन की खोज में भटटकर अपना समय और चैन बर्बाद करने से अच्छा है कि आप जिंदगी को उसकी कमियों के साथ स्वीकार कर लें। इस सोच की वजह से आप ज्यादा एनर्जेटिक होकर और कम तनाव लेकर एक लंबा जीवन जी सकेंगे।

तो दोस्तों आपको आज का यह Ikigai Book Summary in Hindi कैसा लगा ?

क्या आपको लंबी और सवस्थ जीवन जीने का सीक्रेट पता लगा ?

आपने आज क्या नया सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

सम्बंधित लेख –

  1. 10% Happier Book Summary in Hindi – ध्यान के बारे में Detail में जानिए
  2. Anger Management For Dummies Book Summary in Hindi – गुस्सा और तनाव से मुक्ति
  3. A Guide to the Good Life Book Summary in Hindi – जीवन में ख़ुशी को कैसे हासिल करें?
  4. Why We Sleep Book Summary in Hindi – अच्छी नींद ना लें तो कौनसी बीमारी हो सकती हैं ?
  5. The Secret Book Summary in Hindi – क्या आप अपने लाइफ की सीक्रेट को जानना चाहते हैं ? (PART – 1)
  6. The Secret Book Summary in Hindi (PART – 2)
  7. The Alchemist Book Summary in Hindi – खजाना ढूंढने की कहानी
  8. The Alchemist Book Summary in Hindi (PART – 2)

Leave a Comment