ये बुक “Men are from Mars Women are from Venus” उन बेसिक डिफरेंसेस को डिटेल्स से बताती है जो एक आदमी और एक औरत के बीच होते है. चाहे साइकोलोजिकल हो, इमोशनल हो या फिर मेंटल, दोनों के बीच ऐसे कई डिफरेंसेस होते है और ज़्यादातर ऐसे वक्त पर उभरते है जो सही नहीं होता जिससे उनके रिलेशनशिप में टेंशन आती है और जो दो लोगो के दिल टूटने की वजह बनते है. फिर रिलेशनशिप कितना भी पुराना हो, फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जब रिश्ते में खटास आ जाती है तो आपस दूरियां बढ़ने लगती है.
Men are from Mars Women are from Venus Book Summary in Hindi
Author कहते है सात साल तक इस बारे में कई सारी डिस्कवरीज़ करने के बाद मैं इस बुक को लिख पाने में सक्सेसफुल हुआ हूँ. इन सालो में मैंने अपनी मैरिड लाइफ में से ऐसी कई वजहों को दूर किया जिससे मेरी मैरीड लाइफ बर्बाद हो रही थी. ये एक सिम्पल इंसिडेंट की वजह से हुआ जो अचानक मेरे साथ हुई.
उस दिन मेरा ऑफिस में काफी बुरा दिन गुज़रा था और जब मै काम से वापस घर आया तो मेरी वाइफ ने दिन भर की शिकायतों का पिटारा खोल कर रख दिया क्योंकि उसका दिन भी काफी टफ गुज़रा था. एक हफ्ते पहले ही हमारी बेटी हुई थी. इन दिनों मेरी वाइफ को काफी पेन रहता था और उसकी पेन किलर की गोली खत्म हो गयी थी. वो दर्द से इतनी परेशान थी कि मेरे आते ही उसका सारा गुस्सा फूट पड़ा. मै भी दिन भर ऑफिस की चिक-चिक से भरा बैठा था. मै भी उस पर जोर से चिल्ला पड़ा और काफी कुछ बोल दिया. गुस्से के मारे में घर से बाहर जा ही रहा था कि वो मुझसे रिक्वेस्ट करने लगी कि मै थोड़ी देर उसका हाथ पकड़ कर उसके साथ बैठ जाऊ. तभी मुझे अंदर से कुछ हुआ. मै चुपचाप उसका हाथ पकड कर उसके पास बैठ गया, और तब वोईला ! जैसे जादू हो गया. मेरी टेंशन जैसे पल में गायब हो गयी ! मेरे माइंड में घंटी बजी. फिर डीप स्टडी, रिफ्लेक्शन और रीसर्च के बाद मैंने अपनी ये बुक लिख के दुनिया के सामने रखी. और मै प्राउडली कह सकता हूँ कि इसने उन हज़ारो कपल्स की लाइफ चेंज की है जो एक कडवाहट से भरी मैरीड लाइफ जी रहे थे और इस बुक को पढने के बाद अब वे अपने पार्टनर के साथ एक हैप्पी, पीसफुल और प्रोग्रेसिव लाइफ जी रहे है.
चैप्टर 1 : Men are from Mars Women are from Venus
मैंने अपनी बुक की शरूवात इस थौट से की है कि हम सबको इस बात पे बिलीव करना शुरू कर देना चाहिए कि आदमी प्लानेट मार्स से है और औरते प्लानेट वीनस से. जब मेन ने विमेन को वीनस पे डिस्कवर किया तो वे मार्स से वीनस पर उतर आये और फिर दोनों साथ में अर्थ में रहने आ गए. दोनों के बीच का ये डिफ़रेंस इतना बड़ा है कि दोनों को ही एक दुसरे से एक तरह की खास एक्सपेक्टेशन और बिहेवियर की उम्मीद कम कर देनी चाहिए. हम यही एक्स्पेक्ट करते है कि हमारा अपोजिट सेक्स हमारी तरह ही बिहेव करेगा जो कि पोसिबल नहीं है क्योंकि जब हम फंडामेंटली एक दुसरे से डिफरेंट है तो ज़ाहिर है कि बिहेवियर भी डिफरेंट होगा. बाकी के चैप्टर्स में आपको कपल्स के बीच पैदा होने वाले वेरियस इश्यूज के बारे में डिटेल्स से बताया जाएगा और मैं आपको उन इश्यूज को सोल्व करने का तरीका भी बताऊंगा.
चैप्टर 2 : मिस्टर फिक्स इट एंड द होम इम्प्रूवमेंट कमिटी
अगर हम मार्शियन्स (मैंन) की बात करे तो देख सकते है कि ये लोग खुद को हमेशा रिजल्ट्स के थ्रू दिखाने में इंट्रेस्टेड होते है. क्योंकि मार्स का यही सिस्टम है. मर्द लाइफ को ऑब्जेक्टिव तरीके से लेने में ही ख़ुशी फील करते है. उन्हें वो चीज़े हासिल करने में ख़ुशी मिलती है जो उन्हें फेंसी करती है और उनके लिए गोल्स अचीव करना खुद को कम्प्लीट फील कराने का एक तरीका है. और साथ ही उन्हें लोगो को किसी प्रॉब्लम का सोल्यूशन देने की हैबिट भी होती है. और ये अपनी हर प्रॉब्लम खुद से सोल्व करना चाहते है, कोई और उन्हें सोल्यूशन बताये तो उन्हें एक अपनी वीकनेस लगती है.
और जब हम वीनेसियंश (औरते) की बात करे तो इनके लिए सबजेक्टिव मैटर्स इनकी हैप्पीनेस और सक्सेस तय करते है. इनके लिए फीलिंग्स एक्सप्रेस और शेयर करना भी एक स्टाइल है. ख़ुशी हो या कोई प्रॉब्लम, आपस में कम्यूनिकेट करने से ही इन्हें फुलफिलमेंट की फीलिंग्स आती है. और एक दुसरे की हेल्प करना ही इनके लिए रियल और गुड पर्सन होने की निशानी है.
इसलिए अक्सर औरत और आदमी के बीच डिफरेंसेस पैदा हो जाते है. औरते एडवाईस देना अपना फर्ज़ समझती है क्योंकि ये उनका नेचर है जिस इंसान से वो प्यार करती है, उसे एक बैटर पर्सन के रूप में देखना चाहती है. लेकिन आदमी इसे अपनी एबिलिटी पर एक थ्रेट की तरह लेता है. उसे लगता है कि उसे एडवाइस देकर उसकी काबिलियत पर शक किया जा रहा है. एक बात और ये कि आदमी औरत को किसी चीज़ का सोल्यूशन बताकर समझता है कि उसकी डयूटी पूरी हो गयी लेकिन औरतो को सोल्यूशन नहीं बल्कि एक कन्धा चाहिए होता है जिस पर सर रखकर वे रो सके.
चैप्टर 3 : मेन गो टू देयर केव्स एंड वीमेन टॉक
आदमियों को अपनी प्रोब्लेम्स सोल्व करके ख़ुशी मिलती है जबकि औरतो को प्रॉब्लम के बारे में बात करना पसंद होता है, ये इन दोनों के बीच एक बेसिक डिफ़रेंस है. इसलिए जब वो अपने टर्ब्ल्स के बारे में बात करती है तो ये उसके लिए एकदम नार्मल है मगर आदमी ये बात नहीं समझ पाता. इसलिए जब वो किसी पचड़े को सॉर्ट आउट करने के लिए कोने में चला जाता है तो औरत समझती है कि वो उसे इग्नोर कर रहा है. और बस यही बात बिगड़ने लगती है. दोनों को ये चीज़ समझने की ज़रूरत है. आदमी जब पीछे हटता है तो दरअसल वो एक तरह का कोपिंग मेकेनिज्म यूज़ कर रहा होता है. वो उसे इग्नोर नहीं कर रहा है. उस वक्त उसकी फीलिंग्स का औरत से कोई लेना देना ही नहीं होता. ऐसे मौके पे उसे बस थोडा स्पेस चाहिए होता है ताकि वो उस प्रॉब्लम पर ढंग से सोच विचार कर सके.
ठीक ऐसे ही अगर एक औरत अपने आदमी के साथ प्रॉब्लम शेयर करती है, तो आदमी को लगता है कि शायद वो उसे ब्लेम कर रही है या उसे कोई एडवाइस चाहिए क्योंकि मार्स में ऐसे ही बिहेव किया जाता है. इसमें उसकी गलती नहीं है वो अपने बेहिवियर के हिसाब ही सोच रहा है. वो या तो औरत को सोल्यूशन देगा या उसके ब्लेम पर ओब्जेक्शन करेगा और फिर वही होगा कि बात का बतंगड़ बन जाएगा. आदमी को ये सोचने की ज़रुरत है कि जब औरत अपनी प्रॉब्लम शेयर करे तो चुपचाप सुन ले क्योंकि औरत के लिए इतना ही काफी है कि कोई है जो उनकी बात सुने, उन्हें समझे. वे ज्यादा कुछ नहीं चाहती बस इतना ही कि कोई उनके दुःख में उनके साथ रहे. मर्दों को ये सीखने की जरूरत है कि जब औरत उनसे प्रॉब्लम शेयर करे तो “सुने”.
चैप्टर 4 : हाउ टू मोटीवेट द अपोज़िट सेक्स
एक आदमी तब मोटिवेट फील करता है जब उसे लगता है कि उसके पार्टनर को उसकी नीड है. और एक औरत को मोटिवेट होने के लिए प्यार, इज्ज़त और चाहत की ज़रूरत होती है. जब आदमी प्यार में पड़ता है तो वो कोशिश करता है कि उसकी पार्टनर उससे खुश रहे. सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए नहीं बल्कि औरत की ख़ुशी के लिए भी क्योंकि वो केयर करता है. और ये उसके लिए मोटिवेशन है.
हालांकि जिन और सुजेन के केस में जिम को ये समझने में थोडा टाइम लग गया कि वो अपनी वाइफ को खुश नहीं रख रहा है, उसकी उतनी केयर नहीं कर रहा जितनी उसे करनी चाहिए थी. उनकी शादी टूटने की कगार पर थी. वे मेरे पास काउंसलिंग के लिए आये. अपनी मैरीड लाइफ में फिर से पैसन जगाने के लिए वे इन 3 स्टेप प्रोसेस से गुज़रे जो नीचे दिए गए है:
स्टेप 1 : मोटिवेशन –
जिम ने सुजेन की बातो पर ध्यान देना शुरू किया ताकि उसे यकीन हो जाए कि जिम उससे प्यार करता है और उसकी केयर करता है. ये सुजेन के लिए एक मोटिवेशन था.
स्टेप 2: रिसपोंसेबिलिटी –
जिम ने अपनी गलतियाँ मानी और और उन्हें सुधारने की रिसपोंसेबिलिटी ली.
स्टेप 3: प्रैक्टिस –
जब ये 3 स्टेप सोल्यूशन अप्लाई किया गया तो सुजेन इस रिश्ते में रहने के लिए मोटिवेट हुई और जिम को अपनी वाइफ का ख्याल रखने की मोटिवेशन मिली जैसे कि वो पहले रखता था और जैसा कि आदमी हमेशा करता है.
चैप्टर 5 : स्पीकिंग डिफरेंट लेंग्वेजेस
जब उपरवाले ने आदमी और औरत दोनों को अलग बनाया है तो नेचुरल है कि दोनों अलग बात करेंगे, वर्ड सेम हो सकते है मगर तरीका नहीं. मतलब कि औरते जो बोलेंगी फीलिंग्स के साथ बोलेंगी जबकि सेम वही वर्ड आदमी फैक्ट्स के साथ यूज़ करेंगे. आदमी किसी वर्ड का एक्जेक्ट लिटरल मीनिंग समझते है जबकि औरते उसे सब्जेक्टिव तरीके से बोलती है. जैसे एक्जाम्पल के लिए जब कोई औरत कहे कि” हम हमेशा जल्दबाजी में रहते है” तो उसका पति ज़वाब देगा” ऐसा नहीं है, हमने लास्ट वीक फ्राईडे नाईट को आराम किया था” अब यहाँ औरत के वर्ड्स का लिटरल मीनिंग नहीं है, लिटरल मीनिंग तो तब होता जब मर्द ये बात बोलता. इस बात से उसका मतलब ये है कि वो अपने पार्टनर के साथ और भी स्लो वे में कपल एक्टिविटीज़ करना चाहती है ताकि वो अपने पति/लवर के साथ ज्यादा टाइम तक एन्जॉय कर सके. मर्दों को ये डिफ़रेंस समझने की जरूरत है जैसा कि हमने पहले भी कहा है, दोनों को डिफरेंटली बनाया गया है.
अब जैसे आदमी जब साइलेंट मोड पे होते है तो वे किसी प्रॉब्लम का आंसर सोच रहे होते है. लेकिन औरते उनकी इस चुप्पी का गलत मतलब निकाल लेती है, उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर उनसे बात नहीं कर रहा, उन्हें इग्नोर कर रहा है. मर्दों को कई बार किसी बात के लिए एक स्पेस चाहिए होता है. जब उन्हें आंसर मिलेगा तो वे खुद ही बात करने लगेंगे. औरते मर्दों की बातो का लिटरल मीनिंग ही निकालती है क्योकि मर्दों के बात करने की यही आदत होती है. वे ओब्जेक्टिवली बात करते है जबकि औरते सेम वर्ड्स में सबजेक्टिवली बात करती है.
चैप्टर 6 : मेन आर लाइक रबर बैंड्स
ये हर मर्द का नेचर है कि वो अपने रिलेशनशिप से कुछ टाइम के लिए दूर चला जाता है. अपनी इंडीविजुयलटी को श्योर करने के लिए, खुद को ये एहसास दिलाने के लिए कि उसकी फ्रीडम बरकरार है. जब वो अपने पार्टनर से दूर जाता है तभी उसे रियेलाइज होता है कि वे उसे कितना चाहता है और वो पहले जैसी इंटीमेसी के साथ वापस अपनी पत्नी/लवर के पास लौट आता है. ये लगभग सभी मर्दों के साथ होता है और औरतो को इसका बुरा नहीं मानना चाहिए. उन्हें इसमें खुद की कोई गलती नहीं ढूंढनी चाहिए. बस कुछ टाइम उन्हें वो स्पेस दे जो आदमी चाहता है और यकीन रखे वो डेफिनेटली वापस आएगा. ये मर्दों का नेचुरल साईकिल ऑफ़ इमोशन है. जब कोई आदमी दूर जाता है तो कुछ टाइम बाद उसके दिल में फिर से औरत को प्यार देने और उसका प्यार हासिल करने की चाहत जोर मारने लगती है और वो और भी स्ट्रांगर इमोशंस के साथ अपनी औरत के पास लौट आता है.
चैप्टर 7 : विमेन आर लाइक वेव्स
जब इमोशंस की बात आती है तो औरते वेव्स यानि पानी की लहरों जैसी होती है. अगर उसे प्यार मिल रहा है, वो खुश है तो उसका मूड पीक पर होता है. उसकी ख़ुशी लहरों की तरह ऊपर उठती है. लेकिन फिर किसी बात से अगले ही पल ये वेव क्रेश हो जाती है और बिना किसी रीजन के फिर से उदास और लो फील करने लगती है. और जब वो लो होती है उस टाइम उसे प्यार और सपोर्ट मिले तो उसका मूड ठीक हो जाएगा और ये वेव फिर से ऊपर उठने लगेगी. ये प्रोसेस रिपीट होता रहता है. औरते ऐसी ही होती है इसलिए मर्दों को ये बात पर्सनली नहीं लेनी चाहिए अगर औरत का मूड खराब है या मूड स्विंग्स की प्रॉब्लम है. ऐसे टाइम में मर्दों को अपना पूरा सपोर्ट उन्हें देना चाहिए और उनकी बात सुननी चाहिए जिससे उनकी टेंशन और एन्जाईटी रिलीज़ हो जाए. दिल के हल्का होते ही उनका मूड भी अपलिफ्ट हो जाता है और उनके फेस पे पहले जैसी स्माइल आ जाती है.
चैप्टर 8 : डिसकवरिंग अवर इमोशनल नीड्स
मर्द और औरत की डिफरेंट नीड्स होती है. दोनों को इमोशनल लेवल पर डिफरेंट ट्रीटमेंट चाहिए. मगर वे एक दुसरे को ऐसे ही ट्रीट करते है जैसा वे खुद के साथ चाहते है, जोकि फंडामेंटली गलत है क्योंकि दोनों की नीड्स डिफरेंट है तो मर्द और औरत कोट्रीटमेंट भी डिफरेंट मिलना चाहिए.
एक औरत वही देती है जो उसे खुद के लिए चाहिए और आदमी भी वही देता है जो उसे चाहिए. लेकिन अगर आदमी अपने पार्टनर को वो दे जो उसे चाहिए और औरत भी अपने पार्टनर का ख्याल रखते हुए उसे जो चाहिए वो दे तो फिर प्रॉब्लम की कोई बात ही नहीं होगी. औरत और आदमी जो डिफरेंट चीज़े अपने रीलेशन में चाहते है वो इस तरह है:
मर्द और औरत दोनों ही अपनी ये 12 नीड्स चाहते है लेकिन इसमें से प्राइमरी 6 डिफरेंट है जिससे शुरुवात होती है. एक औरत की नीड्स आदमी पूरी कर सकता है अगर वो आदमी गुस्सा छोड़कर उसकी बात सुनना शुरू कर दे. एक आदमी की नीड्स औरत पूरी कर सकती है जब वो उस आदमी को चेंज किये बगैर उसका सपोर्ट हासिल करे. अपने साइलेंट सपोर्ट के साथ उसे एवोल्व होने का मौका दे और वो एक दिन खुद ही बदल जायेगा.
चैप्टर 9 : हाउ टू अवॉयड आर्गुयूमेंट्स
आर्गुयूमेंट्स को अवॉयड करना ज़रूरी है क्योंकि जब हम अपने पार्टनर से आर्ग्यू करते है तो हमारा फोकस उसकी बात से हटकर उसके बात करने के तरीके पर चला जाता है. ऐसे में डिस्कस करने का पूरा पॉइंट ही चला जाता है. अक्सर आर्ग्यूमेंट्स तब होते है जब आदमी को लगता है कि उसकी पार्टनर उसे अप्रूव नहीं कर रही. इसी तरह औरत भी तब आर्ग्यूमेंट करने लगती है जब उसे लगता है कि उसका आदमी उसकी प्रॉपर केयर नहीं करता. ऐसे टाइम पर ज़रूरी है कि दोनों मिलकर सिचुएशन को प्यार और समझदारी से हैण्डल करे. बड़े सेंसिटिव और सॉफ्ट तरीके से अपने पॉइंट दुसरे के सामने रखे ताकि आपकी बात ओपन माइंड के साथ सुनी जा सके. इस तरह से सामने वाला भी आपको सॉफ्ट वे में रेस्पोंस देगा. तभी आप दोनों प्रॉब्लम के सोल्यूशन की तरफ बड पायेंगे. मगर जब आपका मूड इतना अपसेट हो कि बात को हैण्डल करना मुश्किल लगे तो बैटर होगा कि थोड़ी देर के लिए उस टोपिक से ब्रेक लेकर सिचुएशन पर एक बार फिर गौर करे और तभी डिस्कस करे जब आप दोनों का दिमाग ठंडा हो.
चैप्टर 10 : स्कोरिंग पॉइंट्स विद द अपोजिट सेक्स
आदमी और औरत दोनों के लिए इम्पोर्टेंट है कि वे इस बात को समझने की कोशिश करे कि रिलेशनशिप में जो कुछ भी होता है उनका पार्टनर कैसे इन सब चीजों का स्कोर रखता है.
आदमी के लिए ये स्कोर जैसे कि मान लो 30 पॉइंट्स जितना बड़ा है जब वे बड़ा घर खरीदते है या अपनी वाइफ को वेकेशन पे लेके जाते है. और ग्रोसरी टाइम पर लाना जैसे काम को वे कम जैसे कि 1 स्कोर देते है. औरतो के साथ डील करते वक्त आदमी सेम मेजरिंग स्केल यूज़ करते है. उन्हें लगता है कि औरते भी अपनी मैरीड लाइफ की हेप्पीनेस को सेम मैनर में मेज़र करती है. मगर औरते डिफरेंट तरीके से स्कोर रखती है. उनके लिए दुसरे इंसान का काम सेम नम्बर ऑफ़ पॉइंट में आता है जैसे मान लो 1 से 5 के बीच, अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि काम छोटा था या बड़ा. उनके लिए एक्ट का स्कोर नहीं बल्कि फीलिंग्स मायने रखती है. उनके लिए प्यार से भरा एक छोटा सा एक्ट भी बहुत मैटर करता है. आदमियों को ये बात समझ नहीं आती.
आदमी और औरत दोनों को डिफरेंट वे में स्कोर रखने वाली ये बात मालूम होनी चाहिए. जिससे कि वे एक दुसरे को ख़ुशी दे सके, दोनों को ही अपने स्कोरिंग के तरीके थोड़े एड्जस्ट करने पड़ेंगे. औरत क्रीटीसाइज अवॉयड करके अपने पार्टनर को छोटे छोटे कामो के लिए ज्यादा एंकरेज कर सकती है इस तरह आदमी उसकी स्कोर बुक में ज्यादा स्कोर अर्न करेगा.इसी तरफ आदमी को सिर्फ भी बड़े कामो पर फोकस करने के बजाये उन बातो पर ध्यान देना चाहिए जो औरत के लिए ज्यादा मैटर करती है. दोनों याद रखे कि पनिशमेंट कोई सोल्यूशन नहीं है. जो बाते हमने पहले के चैप्टर्स में बताई है उन्हें अपने माइंड में रखते हुए हर सिचुएशन को प्यार और सब्र के साथ हैण्डल करे.
चैप्टर 11 : हाउ टू कम्यूनिकेट डिफिकल्ट फीलिंग्स
जब आपका पार्टनर जाने अनजाने कुछ ऐसा करे कि आपको बड़ा गुस्सा आ रहा हो, आपके अन्दर सेडनेस और फ्रस्ट्रेशन भरी हो तो लविंग, केयरिंग, रिस्पेक्टफुल सेंसिटिव और जेनुआइन बनना मुश्किल काम है. ऐसे में अगर कन्वेर्सेशन होती है तो सामने वाले के लिए नेगेटिव बाते माइंड में आती है. गुस्से में कोई सोल्यूशन तो निकालता नहीं उल्टा बहस बड़ते-बड़ते लड़ाई में बदल जाती है. ऐसी हालत में नेगेटिव बातो को दूर करने के लिए अच्छा होगा कि आप अपने पार्टनर की फीलिंग्स को समझते हुए उसे एक लैटर लिखे. इस लैटर में इन सब फीलिंग्स–एंगर, सेडनेस, फियर, रिग्रेट और लव – के बारे में इस आर्डर में लिखा हो ताकि लैटर खत्म होते होते सामने वाले से लविंग और पोजिटिव मैनर में एक एक्स्पेक्टेड कमिटमेंट मिले. लैटर लिखने का ये काम अपने आप ही सारी नेगेटिव फीलिंग्स को दूर कर सकता है. अगर ना कर पाए तो कम से कम इतना इफ्केट तो करेगा कि किसी सोल्यूशन तक पहुँचने के बारे में सोचा जाए.
एक बार जब लैटर रीसिव कर लिया जाएगा तो पोसिबल है कि उसका रिप्लाई भी आप तक पहुंचे. या तो ये होगा कि मैटर तुरंत रीज़ोल्व हो जाएगा या फिर थोडा टाइम लग सकता लेकिन कम से कम बात सही डाइरेक्शन तक तो पहुंचेगी जहाँ से चीजों के इम्प्रूव होने के ज्यादा चांसेस है.
चैप्टर 12 : हाउ टू आस्क फॉर सपोर्ट एंड गेट इट
अपने पार्टनर से सपोर्ट माँगना बिलकुल कोई गलत डिमांड नहीं है क्योंकि बिना बोले ऑटोमेटीकली वो आपकी बात समझ जाये, ये एक्स्पेक्ट करना काफी अनफेयर होगा. मर्द और औरत डिफरेंट है, डिफरेंट सोचते है, और डिफरेंट एक्ट भी करते है तो आदमी इस बात को बिना बताये खुद नहीं समझ सकता कि औरत उसका सपोर्ट चाहती है जब तक कि वो खुद अपने मुंह से ना बोले. औरते जब अपने पार्टनर से सपोर्ट मांगे तो नीचे दी गए ये फाइव पॉइंट्स माइंड में रखे:
- सही टाइमिंग
- नॉन डिमान्डिंग एटीट्यूड
- ब्रीफ बात करना
- डाइरेक्ट बात करना
- करेक्ट वर्डिंग
ये विनिंग फार्मूला हासिल करने में एक औरत को थोडा टाइम तो लग सकता है मगर इसे ट्राई करना तो बनता है क्योंकि ये सचमुच बड़े काम की चीज़ है.
चैप्टर 13 : कीपिंग द मैजिक ऑफ़ लव अलाइव
हो सकता है कि आप अपने पार्टनर/लवर/स्पाउस के साथ बहुत खुश है फिर अचानक आपको उनके लिए नेगेटिव फीलिंग्स आने लगती है चाहे उनकी कोई गलती ना हो.
ये एक नार्मल प्रोसेस जहाँ हमारे पास्ट की अनरीज़ोल्वड प्रोब्लम्स रिश्ते में आने लगती है, और वो इसलिए क्योंकि आपको प्यार मिल रहा है. प्यार किसी इंसान को ऐसा ही बनाता है. उन्हें कोई पुरानी दिल दुखाने वाली बात याद दिला देता है ताकि उसका भी सोल्यूशन निकले. जिसका रिजल्ट ये निकलता है कि आप पहले से बैटर, स्ट्रांगर और लविंग पर्सन बनकर निकलते है. नेगेटिव सिचुएशन से डील करने के इतने सारे तरीके लर्न करने के बाद अब ये आप पर है कि आप कैसे पेशेंस और प्यार से इन मैटर्स को हैण्डल करते है. और यही चीज़ आपके बैटर हाफ के साथ भी हो सकती है इसलिए उन्हें इस नेगेटिविटी से बाहर निकलने और एक बैटर पर्सन बनने में हेल्प करे.
यहाँ जो एक इम्पोर्टेन्ट पॉइंट नोट करने लायक है वो ये कि 90% केसेस में हमारी सेडनेस की वजह हमारे पास्ट से रिलेटेड होती है और सिर्फ 10% में ही करंट सिचुएशन वजह होती है. इसलिए हमेशा केयरफुल रहे कि कहीं आप अपनी सेडनेस के लिए करंट पर्सन या सिचुएशन को ब्लेम ना कर दे.
बैटर होगा कि जो इंसान असल में आपकी सेडनेस के लिए रिसपोंसिबल है आप उसे एक लैटर लिखे. हो सकता है कि वो अब आपकी लाइफ में ना हो या फिर दुनिया से जा चूका हो, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर लैटर लिख कर आप अपनी फीलिंग्स को रिलीज़ कर रहे है. ये एक हीलिंग की तरह काम करता है. ये करना ज़रूरी है क्योकि आप अपने पास्ट की वजह से अपनी प्रेजेंट लाइफ को बर्बाद नहीं कर सकते.
लाइफ की जर्नी में लव के फॉर सीजन्स सबके लिए आते है. यही लाइफ की सच्चाई है. जब स्प्रिंग आएगा तो आपका लव भी ब्लूम होगा, आपको किसी से प्यार होने लगेगा. आपको लगेगा कि जैसे ये हेप्पीनेस जिंदगी भर रहेगी.
समर सीजन आते ही जब स्टार्टिंग फेस ओवर हो जाता है आपके सामने भी एक सच्चाई आती है. अब आपको फील होने लगता है कि आपका पार्टनर इतना भी परफेक्ट नहीं है. जाने या अनजाने वो कुछ ऐसा कर सकते है जो आपको हर्ट करे. यही वो टाइम है जब पेशेसं और काइंडनेस के साथ इस हर्डल से निकलने के लिए आपके लव का टेस्ट होगा.
ऑटोम यानी पतझड़ के आते-आते आपका प्यार अब मैच्योर हो चूका होगा. अब आपको लम्बे इंतजार का मीठा फल मिलेगा, आपको फील होगा कि इस प्यार के लिए इतनी मेहनत वर्थ थी.
विंटर सीजन में आपको टेस्ट करने के लिए फिर से आपके सामने लॉन्ग टर्म चैलेंजेस आयेंगे. यही तो लाइफ है.. एक बार फिर आपको अपने पार्टनर का हाथ पकड़ कर तूफ़ान से गुजरना पड़ेगा. आपको वो सारी रेमेडीज ट्राई करनी पड़ सकती है जो आपने इस बुक में पढ़ी है तभी आप एक विनर बनके निकल पायेंगे. तब जाकर आप और आपका पार्टनर अपनी लाइफ की स्टोरी जी सकते है. मै दुआ करता हूँ कि आप दोनों एक साथ प्यार भरी लाइफ जीये.
कन्क्ल्यूजन
तो इस समरी में हमने सीखा कि आदमी और औरत की कम्प्लीटली डिफरेंट लव लेंगुएजस है. आदमी जब फ्रस्ट्रटेड फील करता है तो एक्शन चाहता है जबकि सेम सिचुएशन में औरते चीजों को डिस्कस करना ज्यादा पसंद करती है.
अगर हमें ये बेसिक डिफरेंसेस समझ आ जाए तो हम अपने पार्टनर को और भी गहराई से प्यार कर सकते है.
तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह Men are from Mars Women are from Venus Book Summary in Hindi कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ इस Book Summary को share जरूर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,