Hello दोस्तों, अकबर-बीरबल की कहानी चतुराई, नौक-झोंक, हास-परिहास, बुद्धिमत्ता या हाजिर-जवाबी के लिए विश्वप्रसिद्ध है। बीरबल अकबर के राजसभा में नवरत्नों में से एक हैं। और अकबर को बहुत प्रिय भी हैं और हर बार बीरबल को परीक्षा लेते रहते हैं और हर बार अकबर बीरबल को अलग अलग उपहार देते रहते हैं। अकबर-बीरबल की कहानियां हमें हमेशा से ही नैतिक, बौद्धिक और विषम परिस्थिति में आत्म-सम्मान व दृढ़ता की सीख देती हैं।
हर बार अकबर बीरबल को नए नए पेचीदा मामलों का सामना करवाता है और हर बार दी गई चुनौतियों को बीरबल सहर्ष स्वीकार भी कर लेता है और उसे अपनी बुद्धिमत्ता से सुलझाता भी है। वैसे यह अकबर-बीरबल की कहानियां पुरानी जरूर हैं लेकिन इसका महत्त्व आज उतने ही है। क्यूंकि इससे हमें अपने प्रैक्टिकल लाइफ से रिलेटेड बहुत कुछ सीखने को मिलते हैं। इस पोस्ट में अकबर-बीरबल के अति-लोकप्रिय कहानियों का संग्रह किया गया है जो जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन जरूर करती हैं।
अकबर-बीरबल की कहानियां
तीन सवाल
एक दिन अकबर अपने दरवार में बीरबल को बुलाते हैं। और भरी सभा में बीरबल को बोलते हैं – “कल सुबह मैं तुमसे तीन सवाल पूछूंगा, अगर तुमने उन सवालों का सही उत्तर दिया, तब तो तुम मेरे नवरत्न में रहोगे, otherwise मैं तुम्हे मौत की सजा दे दूंगा” अब बीरबल परेशान हो जाते हैं, वो सोचते हैं बादशाह अकबर ने ये क्या बोल दिया, ये तो सच में मुझे फांसी पर चढ़ा देंगे और उन्हें नींद नहीं आयी रात भर, ये सोच सोचके। अगले सुबह ही बादशाह अकबर की सभा लगी। और बीरबल जल्दी जल्दी आये राज सभा में और अकबर को प्रणाम करके वो अकबर के सामने रहे हैं।
अब अकबर सबसे पहला सवाल पूछता है बीरबल से – “ये बताओ की खुदा कहाँ हैं ?” बीरबल तो बहुत ही चतुर है, वो बादशाह को बोलते हैं “महाराज क्या एक गिलास दूध और एक चम्मच चीनी मुझे मिल सकता है यहाँ ?” अकबर बोलता है “हाजिर किया जाये” अब बीरबल उस चीनी को दूध में अच्छे से मिला देते है। और बीरबल ने अकबर पूछा – “महाराज क्या आप इस दूध को पी सकते हैं?” अकबर उस दूध को पीते हैं। अब बीरबल पूछते हैं – “महाराज क्या ये दूध मीठा था?” अकबर बोलते हैं – “हाँ दूध तो मीठा था” बीरबल बोलते हैं – “चीनी कहा थी?” अकबर बोलते हैं – “चीनी तो घुल गयी न दूध में, और तभी तो मीठा था दूध, इतनी सी बात नहीं पता तुम्हे !” बीरबल अब बोलते हैं – “बादशाह सलामत, जिस तरह से वो चीनी इस दूध के अंदर घुल गयी, इसी तरह से खुदा भी हम सबके भीतर घुल सुका है, इस दुनिया की हर चीज के अंदर वो समां चूका है, जैसे की वो चीनी उस दूध के समां चुकी है” बादशाह अकबर कहते है – “तुमने अच्छा जवाब दिया, अब दूसरा सवाल”
दूसरा सवाल अकबर बीरबल को पूछते है – “मुझे ये बताओ की उस खुदा को कैसे पाया जा सकता है?” अब बीरबल कुछ सोचते हैं और बोलते हैं – “महाराज क्या इस सभा में एक पतीला भरके छाछ आ सकती है?” अकबर बोलते है – “हाजिर की जाये” जब छाछ ले आते है सभा में एक बड़ी पतीला में तब बीरबल ने बादशाह अकबर को पूछते है – “महाराज इसके अंदर मक्खन तो दिख नहीं रहा है” अकबर बोलते है – “अरे मक्खन निकालने के लिए तो इसे हिलाना पड़ेगा न, फेंटना पड़ेगा ना” अब बीरबल बोलते है – “जैसे इस छाछ को फेंटना पड़ेगा ना मक्खन के लिए, उसी तरीकेसे हमे अपने अंतर मन में जाना पड़ेगा, अपने आपको फेंटना पड़ेगा उस खुदा को पाने के लिए, कही और जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। जैसे मक्खन इस छाछ के अंदर है, खुदा या भगवान भी हमारे अंदर ही हैं, बस फेंटना पड़ेगा” बादशाह कहते हैं – “बहुत खूब बीरबल, अब तीसरा सवाल”
वो पूछते हैं बीरबल से – “ये बताओ जो ऊपरवाला, जो ये खुदा है वो क्या कर सकता है?” अब बीरबल कुछ सोचते हैं और फिर जवाब देते है – “महाराज इस जवाब के लिए आपको मुझे अपना गुरु मानना पड़ेगा” अकबर बोलते हैं – “ठीक है माना तुम्हे गुरु” अब बीरबल बोलते हैं – “महाराज अब आपने जो मुझे गुरु मान ही लिया तो मैं एक बात बता दूँ की गुरु का स्थान हमेशा शिष्य से ऊपर होता है, तो मेरी जगह आना पड़ेगा और मुझे आपकी जगह आना पड़ेगा” अकबर तुरंत नीचे आ जाते है और बीरबल को बोलते है गुरूजी आप ऊपर जाइये। और बीरबल जाके सिंहासन पे बैठ जाते हैं और अकबर को जवाब देते हुए कहते हैं – “महाराज ऊपरवाला चाहे न तो एक सेकंड में राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है” अब बीरबल अपने बादशाह को उनके सिंहासन फिर से दे देते हैं और बादशाह ने बीरबल को बहुत सारा इनाम देते हैं।
तो दोस्तों क्या आपको ऐसा लगता की ऊपरवाला किसी भी इंशान की जिंदगी एक सेकंड में बदल सकता है? मतलब ऊपरवाला चाहे तो कुछ भी कर सकते है।
किसका पानी अच्छा
एक बार अकबर ने भरे दरबार में अपने दरबारियो से पूछा, “बताओ किस नदी का पानी सबसे अच्छा है?” सभी दरबारियो ने एकमत से उत्तर दिया, “गंगा का पानी सबसे अच्छा होता है” लेकिन बादशाह के प्रश्न का उत्तर बीरबल ने नही दिया उसे मौन देखकर बादशाह बोले, “बीरबल तुम चुप क्यो हो?” बीरबल बोले, “बादशाह हुजूर पानी सबसे अच्छा यमुना नदी का होता है” बीरबल का यह उत्तर सुनकर बादशाह को बड़ी हैरानी हुई और बोले, “तुमने ऐसा किस आधार पर कहा है जबकि तुम्हारे धर्मग्रंथो में गंगा नदी के पानी को सबसे शुद्ध व पवित्र बताया गया है और तुम कह रहे हो कि यमुना नदी का पानी सबसे अच्छा होता है” बीरबल ने कहा, “हुजूर मै भला पानी की तुलना अमृत के साथ कैसे कर सकता हूँ। गंगा में बहने वाला पानी केवल पानी नही बल्कि अमृत है इसीलिए मैंने कहा था कि पानी यमुना का सबसे अच्छा है” बादशाह और सभी दरबारी निरुत्तर हो गए और उन्हें मानना पड़ा कि बीरबल सही कह रहे है।
छोटा बांस बड़ा बांस
एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी। बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए अकबर बोले, “क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे छोटा कर सकते हो?” बीरबल लतीफा सुनाता-सुनाता रुक गया और अकबर की आंखों में झांका। अकबर कुटिलता से मुस्कराए, बीरबल समझ गया कि बादशाह सलामत उससे मजाक करने के मूड में हैं। अब जैसा बेसिर-पैर का सवाल था तो जवाब भी कुछ वैसा ही होना चाहिए था। बीरबल ने इधर-उधर देखा, एक माली हाथ में लंबा बांस लेकर जा रहा था। उसके पास जाकर बीरबल ने वह बांस अपने दाएं हाथ में ले लिया और बादशाह का दिया छोटा बांस का टुकड़ा बाएं हाथ में। बीरबल बोला, “हुजूर, अब देखें इस टुकड़े को, हो गया न बिना काटे ही छोटा।” बड़े बांस के सामने वह टुकड़ा छोटा तो दिखना ही था। निरुत्तर बादशाह अकबर मुस्करा उठे बीरबल की चतुराई देखकर।