117 Akbar Birbal Stories in Hindi | सम्पूर्ण अकबर-बीरबल की कहानियां

अंधों की सूची

एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा कि राज्य में कितने अंधे लोग रहते हैं। बीरबल ने यह बताने के लिए एक सप्ताह का समय माँगा। अगले दिन बाजार में बीरबल को जूते बनाते देखकर लोग अचंभित रह गए। जो भी उसे देखता, उससे पूछता, “बीरबल, तुम क्या कर रहे हो?” बीरबल बिना उत्तर दिए हुए अपनी पुस्तिका में कुछ लिख लेता था। दो दिनों के बाद अकबर स्वयं बाज़ार से गुजरे। अपने प्रिय मंत्री को जूते बनाता देख आश्चर्यचकित हो उन्होंने पूछा, “बीरबल, तुम यह क्या कर रहे हो?” बीरबल ने तुरंत अपनी पुस्तिका निकाली और उसमें कुछ लिख लिया। एक सप्ताह के बाद बीरबल ने अकबर को राज्य के अंधों की सूची दी । उस सूची में अपना नाम सबसे ऊपर देखकर अकबर विस्मित रह गया। “बीरबल, यह क्या मज़ाक है?” बीरबल ने उत्तर दिया, “महाराज, अन्य लोगों की तरह आपने भी मुझे जूते बनाते देखा फिर भी आपने पूछा कि मैं क्या कर रहा था। इसलिए मैंने आपका नाम भी इस सूची में लिख दिया था।” बीरबल का उत्तर सुनकर अचानक अकबर ठहाका मारकर हँस पड़े। दरबार में उपस्थित सभी लोग बीरबल की हास्यवृत्ति की प्रशंसा करने लगे।

बीरबल ने खिचड़ी पकाई

सर्दी का दिन था। अकबर ने घोषणा की, “सरोवर के ठंडे पानी में, जो व्यक्ति सारी रात खड़ा रहेगा उसे एक हजार सोने की अशर्फ़ियाँ पुरस्कार में दी जाएँगी।” एक गरीब व्यक्ति ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। अगले दिन अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा कि बर्फीले पानी में आखिर रातभर वह कैसे खड़ा रहा? उस व्यक्ति ने कहा, “ठंडे से अपना ध्यान हटाकर मैंने सड़क पर जल रही बत्ती पर अपना ध्यान टिका रखा था।” यह सुनकर अकबर ने क्रोधित होते हुए कहा कि इस व्यक्ति ने धोखे से चुनौती पूरी की है, अतः यह पुरस्कार का अधिकारी नहीं है। यह सुनकर उस व्यक्ति ने बीरबल से सहायता माँगी। अगले दिन बीरबल समय पर दरबार में नहीं आया। कारण जानने के लिए अकबर उसके घर गया। अकबर ने बीरबल को ज़मीन पर बैठा देखा। पास में ही आग जल रही थी और आग से पाँच फीट ऊपर एक हड़िया में खिचड़ी टंगी हुई थी। अकबर ने पूछा. “आग से हड़िया इतनी दूर है, तो भला खिचड़ी कैसे पकेगी?” वीरबल ने कहा, “ठीक उसी तरह जैसे गरीब व्यक्ति को सड़क पर जल रही बत्ती से गर्मी मिली थी।” अंततः अकबर को अपनी भूल का एहसास हो गया और उन्होंने उस गरीब व्यक्ति को पुरस्कृत किया।

कितने कौएँ?

गर्मी का दिन था। धूप खिली हुई थी। आगरा का मौसम बहुत ही सुहाना था। अकबर अपने साथ बीरबल को लेकर शाही बगीचे में टहलने निकले। दोनों अपने- अपने विचारों में खोए हुए हल्की गर्म हवा का आनंद ले रहे थे। तभी अचानक अकबर को एक पेड़ पर कौवों का एक झुंड दिखाई दिया। ” हूँ … बीरबल, क्या तुम बता सकते हो कि हमारे राज्य में कितने कौए हैं?” कुछ पल विचार कर बीरबल ने कहा, “मेरी जानकारी के हिसाब से हमारे राज्य में पंचानवें हज़ार चार सौ तिरेसठ कौएँ हैं।” बीरबल के उत्तर से अकबर ने अचंभित होते हुए कहा, “बीरबल, क्या तुम यह पक्के तौर पर कह सकते हो?” “जी हाँ, महाराज, मुझे इनकी संख्या का निश्चित रूप से पता है… आप चाहें तो उनकी गिनती करवा सकते हैं, ” बीरबल ने उत्तर दिया। “पर यदि तुम्हारी बताई हुई संख्या से कम कौएँ मिले तो?” अकबर ने पूछा। बीरबल ने उत्तर दिया, “ओह! तो इसका अर्थ यह है कि कुछ कौए अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए पड़ोसी राज्यों में गए हुए हैं।”

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