बादशाह और पालतू कुत्ता

ये कहानी है एक बादशाह की, जिन्हें अपने पालतू कुत्ते से बड़ा प्यार था। वो शाही अंदाज में रहता था। उस राज्य में लोग कहते थे की काश हम बादशाह के कुत्ते होते तो हमारी जिंदगी भी थोड़ी ठीक हो जाती।

वो अपनी प्रजा पर कम ध्यान देता था। सारा ध्यान, सारा खर्चा अपने डॉगी पर करता था। इतनी मुहब्बत उसे उस डॉगी से थी। कुछ मिसाल दिया करते थे की जानवरों से प्रेम करना हों तो बादशाह से सीखिए।

बादशाह जहाँ भी जाते थे कही भी कुछ भी मीटिंग में जाते थे, पोलिटिकल मीटिंग हो या प्रजा के सामने मीटिंग हो, हर जगह पे अपने डॉगी को साथ में रखते थे। दरबार में भी वो बैठा करता था।

एक बार उन्हें किसी दूसरे राज्य के राजा से मिलने के लिए जाना था समुद्री रास्ता था। नाँव में सवार हुए। और जब नाँव में सवार हुए तो बादशाह के सामने कुछ सैनिक थे और उनके कुछ मंत्री थे और उनके अलावा भी कुछ प्रेसेंजर्स उस नाँव में बैठे हुए थे।

अब बादशाह जहाँ जाते थे साथ में तो वो डॉगी भी जाता था, तो डॉगी भी नाँव में बैठा हुआ था। ये उस कुत्ते के लिए पहला सफर था जब वो समुद्री रास्ता तय कर रहा था यानी नाँव में बैठा था।

वो डॉगी जो बादशाह के साथ ही था। जैसे ही नाँव रवाना हुई, तो पानी में जब नाँव चलती है तो जो हल-चल होती है, उसकी वजह से वो डॉगी उनकंफर्टेबल फील करने लगता है। वो असहज महसूस कर रहा था, उछल-कूद कर रहा था, इधर से उधर जा रहा था। तो उस नाँव में जो बाकि प्रेसेंजर्स था उनको भी डर लग रहा था।

हर कोई डॉगी के साथ कम्फर्टेबल नहीं होता है तो उनको लग रहा था, कहाँ ये बादशाह इस कुत्ते को साथ में ले आये। अब उस डॉग के उछल-कूद करने की वजह से नाँव में बड़ी चिंता हो रही थी, की कही नाँव पलट ना जाये, कही कोई प्रेसेंजर पलट ना जाये, कही कोई दिक्कत ना हो जाये। हर कोई चाह रहा था की काश ये बात बादशाह को पता चल जाये।

लेकिन बादशाह को शुरू शुरू में बड़ा अच्छा लगा और बोलता है कि हमारा डॉगी कितना प्यारा है, खेल-कूद रहा है।

थोड़ी देर के बाद बादशाह को भी ये इरिटेट लगने लगा। उन्हें भी लगने लगा की कही कोई खतरा ना हो जाये। इस डॉग की बार बार उछलने-कूदने की वजह से कही नाँव ना पलट जाये। लेकिन वो कैसे समझाए डॉग को, वो तो उनके दिल के करीब था।

वो जो प्रेसेंजर्स बैठे हुए थे, उनमें एक फिलोसोफर (दार्शनिक) बैठा हुआ था। उस दार्शनिक ने हिम्मत की और बादशाह के पास जा करके बोला “गुस्ताखी माफ़ हुज़ूर, लेकिन हमे कुछ ना कुछ करना होगा, वरना ये जो आपका प्यारा डॉगी है ये हम सबको मुसीबत में डाल देगा, ये नाँव पलट जाएगी।”

बादशाह ने कहा “ठीक है, आप क्या करना चाहते हैं, आपको जो समझ में आये आप कर लीजिये, मेरी तरफ से आपको इजाजत है!”

वो दार्शनिक गया अपने प्रेसेंजर्स के पास में जो उनके साथ बैठे हुए थे, और वो जाकर दो लोगों को पूछा “क्या मेरे साथ आप एक काम कर सकते हैं ?”

तो उन प्रेसेंजर्स में से दो लोग तैयार हो गए काम करने के लिए दार्शनिक के साथ। तो उन तीनों मिल कर के उस डॉगी को उठाया और समुद्र में फेंक दिया।

और जैसे ही समुद्र में कुत्ते को फेंक दिया, वैसे ही जान पर बन आयी, उसने समझ नहीं पाए क्या करें, वो तड़पता हुआ, तैरता हुआ नाँव के साइड में लगी रस्सी को पकड़ लिया उसने। थोड़ी देर तक वो वैसे ही रस्सी को पकड़ करके चलती नाँव के साथ में चलता रहा।

उसके बाद में दार्शनिक जो था उसने अपने साथिओं से कहाँ “इसको वापस उठा कर के नाँव में ले आते हैं”

वापस में उन तीनों ने मिलकर उस डॉग को उठाया और नाँव में बिठा दिया। वो जो शाही डॉग था, बादशाह का बड़ा प्यारा था, जो उछल-कूद रहा था, वो चुपचाप से नाँव में जाकर के एक कोने में बैठ गया।

बादशाह को समझ नहीं आया, बाकि प्रेसेंजर्स को भी कुछ समझ नहीं आया की ये क्या हो गया है ! अचानक से इसकी उछल-कूद बंद हो गयी। तो बादशाह ने पूछा उस दार्शनिक से की “ये क्या किया, जो इतना उछल-कूद रहा था, वो अचानक से पालतू बकरी बन गया है !!! “

तो दार्शनिक ने कहा – “बादशाह, ये तो बड़ी सिंपल सी बात है, जिंदगी में जब खुद पर कोई विपत्ति नहीं आती, खुद पर कोई प्रॉब्लम नहीं आती, तब तक हमे दूसरे की प्रॉब्लम, दूसरे की सिचुएशन समझ नहीं आती है”

Conclusion

इंसान दुनिया की हर बुराई को, हर कमी को देख पाता है मगर खुद की बुराई या कमी उसे कभी नहीं दिखती।

जब अपने जान पर बन आती है तब हम दूसरे की सिचुएशन अपने आप समझ जातें हैं। सामने वाली की जिंदगी में क्या चल रहा है, किन वजहों से चल रहा है, आप और हम कुछ नहीं समझ पाते।

सामने वालों के जिंदगी में कमेंट करने से पहले दस-बारह बार सोचियेगा।

ये कहना बड़ा आसान होता है की लास्ट बॉल पर सिक्स लग सकता था, लेकिन मैदान में जा करके उस गेंद का सामना करना जो 150 km/hour की स्पीड से आती है वो एक अलग कहानी होती है।

तो इसलिए कोशिश कीजियेगा की आप दूसरों पर कुछ कहने से पहले से बचे, अपनी सिचुएशन और अपनी लाइफ को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिये। ये छोटी सी कहानी बस यही बात सिखाती है।

अगर कमी देखनी है तो सबसे पहले अपनी देखिये, और उसे ठीक कीजिये, उसके बाद दुनिया के बारे में कुछ कहना शुरू कीजिये।

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