क्या आप अपने कस्टमर्स का अटेंशन पाने का बेस्ट तरीका जानना चाहते है ? क्या आप एक इफेक्टिव मार्केटिंग केम्पेन क्रियेट करना सीखना चाहेंगे ? आपको पता है मार्किट में प्रोडक्ट्स की भरमार है. कितने की ऐसे दुसरे ब्रांड्स है जो कस्टमर्स का दिल जीतने के लिए जी जान से जुटे है. तो ऐसे में अपनी आवाज़ लोगो तक पहुँचाने के लिए आप क्या करेंगे ? आप कैसे उन्हें अपने प्रोडक्ट खरीदने के लिए मनाएंगे ?
इस बुक में आप एस बी 7 फ्रेम वर्क के बारे में सीखेंगे. आप उस परफेक्ट स्क्रिप्ट के बारे में जानेगे तो आप अपनी मार्केटिंग में यूज़ कर सकते है. अगर आप स्टोरी ब्रांड अप्लाई करते है तो आपके कस्टमर तक आपका मैसेज क्लीयरली पहुँचता है. उनकी स्टोरी की हैप्पी एंडिंग में आप उनकी हेल्प कर सकते है.
Building a Story Brand Book Summary in Hindi
द की टू बीइंग सीन, हर्ड एंड अंडरस्टूड
ऐसी ना जाने कितनी कंपनीज़ होंगी जो एडवरटाईजिंग और मार्केटिंग में खूब पैसे खर्च करती है फिर भी उनके प्रोडक्ट्स की सेल नही हो पाती. ऐसा क्यों होता है? ये कंपनीज़ अपनी वेब साईट डिजाईन के लिए बेस्ट डिज़ाईनर्स और ग्राफिक आर्टिस्ट्स सेलेक्ट करती है उसके बावजूद उनकी सेल्स में कोई इम्प्रूवमेंट नहीं आता. तो फिर भला ऐसा क्या है जो ये कंपनीज कहीं ना कहीं मिस कर रही ?
तो इसका आंसर ये है कि दरअसल ये ब्रांड्स कस्टमर तक अल्टीमेटली एक क्लियर मैसेज कम्यूनिकेट नहीं कर पाते है. उनकी पहली मिस्टेक यही है कि उनकी मार्केटिंग इस बात को पिन पॉइंट ही नहीं करती कि उनका प्रोडक्ट कस्टमर के लिए क्यों ज़रूरी है. क्योंकि ये सारी कंपनीज़ सिर्फ अपने बारे में बात करती है, कस्टमर के बारे में नहीं. वो अपने प्रोडक्ट्स की ग्रेटनेस तो बताती है मगर ये नहीं बताती कि उससे कस्टमर की हेल्प कैसे होगी ?
और फिर होता ये है कि लोग भी उनकी केयर नहीं करते. डे टू डे लाइफ में लोगो के लिए मार्केट का मीनिंग है सर्वाइव एंड थ्राईव. हम ह्युमन्स जो कुछ करते है उसके पीछे सरवाईवल एक मेन रीज़न होता है. लोगो को फ़ूड चाहिए, सेफ्टी चाहिए, रिलेशनशिप चाहिए क्योंकि इन सबका मीनिंग है सरवाईव करना. और जब तक आपकी मार्केटिंग उन्हें ये नहीं बताएगी कि उन्हें गुड फ़ूड कैसे मिल सकता है या फ्रेंड्स, मेट्स या एक्स्पिरियेंसेस कैसे मिल सकते है, तब तक लोग आपको भाव नहीं देने वाले.
भले ही आपका ब्रांड बेस्ट क्वालिटी प्रोडक्ट दे रहा हो फिर भी लोग वो प्रोडक्ट चूज़ करेंगे जो उन्हें क्लियर मैसेज दे फिर चाहे वो घटिया क्वालिटी का ही क्यों ना हो. एक और मिस्टेक जो कंपनीज़ करती है वो ये है कि वे बहुत ज्यादा इन्फोर्मेशन दे देती है. अपने प्रोडक्ट को लेकर कुछ ऐसी इररेलेवेंट चीज़े जो कस्टमर समझ नहीं पाता और कन्फ्यूज़ हो जाता है. तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपकी मार्केटिंग को समझने में लोगो को बहुत ज्यादा एनर्जी लगानी पड़े.
जब लोग वेबसाइट में आपके एड्स देखे तो उन्हें तुरंत आपका मैसेज समझ आना चाहिए कि आपकी कंपनी क्या ऑफर कर रही है ? आपके प्रोडक्ट उनकी कैसे हेल्प कर सकते है ? आपका ब्रांड उनके लिए क्या कर सकता है ? आपकी हेल्प से वो कैसे सर्वाइव कर सकते है ?
ये सारी चीज़े उन्हें साफ़ समझ आनी चाहिए. यही वो चीज़े है जो मैटर करती है बाकि सब शोर शराबा है. अगर आप उन्हें इररेलेवेंट और कंफ्यूज़िंग इन्फोर्मेशन देंगे तो लोग भला क्यों आपका प्रोडक्ट खरीदेंगे? अब जैसे माना स्टीव जॉब्स, क्या आपको मालूम है कि स्टीव जॉब्स ने अपने कंप्यूटर लिसा को प्रोमोट करने के लिए न्यू यॉर्क टाइम्स में पूरे 9 पेजेस का एड दिया था ?
ये 1983 की बात है. इस एड की टॉप लाइन्स में इस कंप्यूटर के टेक्नीकल फीचर्स के बारे में बताया गया था. दुःख की बात तो ये थी कि स्टीव जॉब्स की ये मार्केटिंग टेक्टिट बुरी तरह फेल हुई. क्योंकि कोई टेक गीक्स ही इस टेक्नीकल लेंग्वेज में लिखे गए 9 पेज के एड को समझ सकता था. लिसा पर काम करने के बाद स्टीव जॉब्स को कंपनी छोडनी पड़ी थी.
तब उसने एनिमेशन स्टुडियो पिक्सर चलाने का डिसीज़न लिया. और स्टोरीटेलर का काम करते हुए स्टीव जॉब्स के अन्दर कुछ चेंज आया. जब एप्पल में उनकी वापसी हुई तो जॉब्स अपने साथ एक क्लियर, कम्पेलिंग, कस्टमर सेंट्रिक मार्केटिंग केम्पेन लेकर आये.
9 पेज के एड के बदले एप्पल ने अब सिर्फ दो वर्ड्स में मार्किट को कम्यूनिकेट करने का इरादा दिया जो थे “थिंक डिफरेंट” .जॉब्स ने ये एप्पल के इस स्टेटमेंट का बिल बोर्ड पूरे अमेरिका में लगवा दिया. ये बात नोटिस की जा सकती है कि एप्पल के “थिंक डिफरेंट” स्टेटमेंट के बाद ही कंपनी पूरे मार्किट में छा गयी.
तो पिक्सर में जॉब्स के साथ ऐसा क्या हुआ था ? ये चेंज उनमे कैसे आया? असल में पिक्सर में काम करते हुए जॉब्स को रियेलाइज हुआ कि अच्छी मार्केटिंग के लिए एक गुड स्टोरी होना बहुत इम्पोर्टेन्ट है. और बड़े-बड़े ब्रांड्स के पीछे यही सीक्रेट है. एक गुड स्टोरी कैसे कम्यूनिकेट की जाती है, ये बात उन्हें मालूम है.
एक स्टोरी किसी भी ब्रांड के मैसेज को क्लीयरली बताती है. लोगो की अटेंशन ग्रेब करने का ये एक परफेक्ट तरीका है. अगर आपको अपने ब्रांड का क्लियर मैसेज देना है तो उसे एक स्टोरी के थ्रू दे. ये सारी कन्फ्यूजन दूर करके आपके मैसेज को सिम्पल और रेलेवेंट बनायेगा.
द सीक्रेट वीपन डेट विल ग्रो योर बिजनेस (सीक्रेट वीपन जिससे आपका बिजनेस ग्रो करेगा)
अच्छी स्टोरी कैसे बनती है ? आपको पता है कि हर ग्रेट स्टोरी के पीछे एक फार्मूला होता है. जो रीपीटीटिव है, प्रेडिक्टेबल है उसे एक फार्मूला इंट्रेस्टिंग बनाता है जिससे लोग घंटो बैठकर मूवी देखते है. ये मूवीज भी एक टाइप की मार्केटिंग केम्पेन ही है. अगर लोगो को स्टार्टिंग में ही मैसेज नहीं मिलेगा तो लोग तुरंत थियेटर से उठकर बाहर आ जायेंगे.
एक ग्रेट स्टोरी टेलर को पता होता है कि कैसे लोगो की अटेंशन ग्रेब की जाए, उन्हें लास्ट तक कैसे होल्ड किया जाए. यही वो इफेक्ट है जो आपको अपनी मार्केटिंग में चाहिए. इसके लिए आपको कस्टमर की स्टोरी जाननी होगी और उस स्टोरी में अपने ब्रांड को फिट करना होगा.
किसी भी ग्रेट स्टोरी के 7 एलिमेंट्स होते है. आपकी फेवरेट मूवी कौन सी है ? चाहे प्लाट कुछ भी हो इसमें 7 की एलेमेंट्स ज़रूर होंगे. सबसे फर्स्ट आता है केरेक्टर, सेकंड है प्रॉब्लम थर्ड है गाइड, और फोर्थ है पेन, फिर फिफ्थ है टेक एक्शन, और सिक्स्थ है अवॉयड फेलियर, और लास्ट में सेवंथ एलिमेंट है सक्सेस.
हर ग्रेट मूवी जो आपको पता है, इसी फोर्मुले को फोलो करती है जो इसकी ह्यूज सक्सेस का सीक्रेट है. एक सक्सेसफुल ब्रांड मार्केटिंग का भी यही सीक्रेट है. एस बी 7 मीन्स स्टोरी ब्रांड 7. मार्किट में क्लीयरली कम्यूनिकेट करने के लिए आपको यही फ्रेम वर्क चाहिए.
अब जैसे ,मूवी हंगर गेम्स को लेते है. जिसमे केटनिस एवरडीन एक केरेक्टर है. और उसकी प्रॉब्लम है एक “फाईट टू द डेथ” कॉम्पटीशन जोकि उनकी अब्यूसिव गवर्नमेंट का आर्डर है. अब जिंदा रहने के लिए उसे इस गेम में दूसरो को मारना पड़ेगा. केटनिस एक वीक लड़की है जिसे ज्यादा एक्स्पिरियेंश नहीं है, वो गेम में पीछे रह जाती है तो अब कैसे वो सर्वाइव करेगी ?
यहाँ उसकी हेल्प के लिए उसका गाइड हेमिच आता है जो लास्ट हंगर गेम्स का विनर रह चूका है. वो केटनिस का मेंटोर बन जाता है. वो गेम जीतने के लिए उसके साथ मिलकर प्लान बनाता है जिससे लास्ट में केटनिस गवर्नमेंट को हराकर गेम जीतने में कामयाब हो जाती है.
आप भी इसी तरह अपना मार्केटिंग मैसेज एकदम क्लियर रखे जिसमे ये 7 एलेमेंट्स पूरी तरह इन्वोल्व हो. जो भी चीज़ इररेलेवेंट लगे उसे हटा दे. स्टोरी ब्रांड 7 की हेल्प से आपको लोगो की अटेंशन मिलेगी. एक बार जब उन्हें आपका मैसेज समझ आएगा तो वो आपके ब्रांड तक ही स्टिक रहेंगे.
आपका मैसेज इतना सिंपल हो कि एक केवमेन को भी समझ आये. जब लोग आपकी वेबसाईट चेक करे या आपका कमर्शियल टीवी पे देखे तो उन्हें देखते ही आपके प्रोडक्ट के बारे में पता चल जाए और ये भी समझ आ जाए कि आपका प्रोडक्ट कैसे उनकी लाइफ बैटर बना सकता है.
सिंपल एस बी 7 फ्रेम वर्क
अल्फ्रेड हिच्कोक ने एक बार कहा था कि एक गुड स्टोरी होती है “एक ऐसी लाइफ जिसका डल पार्ट हटा दिया गया हो”. एक गुड ब्रांडिंग के लिए भी यही बात अप्लाई होती है.
ये तो श्योर है कि आपकी कंपनी और कोई सर्टेन प्रोडक्ट क्रिएशन कॉम्प्लेक्स होगा लेकिन ये इन्फोर्मेंशन कस्टमर के लिए काफी बोरिंग चीज़ है. अपनी मार्केटिंग इम्प्रूव करने के लिए आपको एक ऐसी स्टोरी चाहिए जो बोरिंग स्टफ को फिल्टर करके इस बात को हाईलाईट करे कि आपका ब्रांड लोगो को सर्वाइव करने में कैसे हेल्प करेगा ?
एस बी 7 फार्मूला यूज़ करना काफी सिंपल, इफेक्टिव और मजेदार है. जो मैसेज आप कस्टमर को देना चाहते है, वन सिंगल पेज में फिट होना चाहिए. ये आपके ब्रांड की स्क्रिप्ट है. और यही स्टोरी आप अपने सारे मार्केटिंग मेटीरिय्ल्स में यूज़ करेंगे.
फिर से बता दे कि आपकी ब्रांड स्क्रिप्ट कैसी होगी. इसमें होगा एक केरेक्टर यानी आपका कस्टमर जो कुछ अचीव करना चाहता है. लेकिन उससे पहले उन्हें अपनी प्रॉब्लम सोल्व करनी है.
और फिर आता है आपका ब्रांड जो उनका गाइड बनेगा. फिर आप अपने कस्टमर को एक प्लान प्रोवाइड करेंगे जिस पर वो एक्शन लेंगे. आप उन्हें ऐसा करने को बोलेंगे. आप उन्हें फेलियर अवॉयड करने में हेल्प करेंगे और फिर लास्ट में उन्हें सक्सेस मिलेगी.
स्टोरी ब्रांडिंग का फर्स्ट पार्ट है एक केरेक्टर
हर स्टोरी एक केरेक्टर और उसके एम्बिशन से स्टार्ट होती है. फिल्म में फर्स्ट टेन मिनट्स में राइटर ये डिफाइन करता है कि स्टोरी का हीरो चाहता क्या है. और यही वो चीज़ है जो लोगो को थियटर के अंदर दो घंटे तक बिठाए रखती है. वे ये जानने के लिए वेट करते है कि जो उस केरेक्टर को चाहिए वो उसे मिलेगा या नहीं.
मार्केटिंग में आपको ये डिफाइन करना है कि आपके कस्टमर्स को क्या चाहिए. एक बार अगर आपने ये डिफाइन कर लिए तो आपके कस्टमर को उसमे इंटरेस्ट आने लगेगा. वे पूछेंगे “मुझे जो चाहिए क्या ये ब्रांड उसे पाने में मेरी हेल्प करेगा?” एक हाई एंड रिजोर्ट ने डोनाल्ड मिलर और उनकी टीम को अपनी स्टोरी ब्रांड के लिए हायर किया था.
बाकी कई और कंपनीज की तरह ये एक्सपेंसिव रिजोर्ट भी आइडेंटिटी क्राईसिस सफर कर रहा था. रिजोर्ट के मार्केटिंग मेटीरियल में उनके स्टाफ, फ्रंट डेस्क और रेस्ट्रोरेन्ट की इमेजेस थी.
वैसे अगर वे कोई बिल्डिंग बेच रहे होते तो ये मार्केटिंग काम कर सकती थी लेकिन ये तरीका कोई इनवाईटिंग स्टोरी नहीं बता रहा था. किसी भी हाई एंड रिजोर्ट के कस्टमर्स भला क्या चाहेंगे ? एक हीरो के तौर पे उनकी क्या एम्बिशन हो सकती है ? सच तो ये है कि जो एक्जेक्ट चीज़ उन्हें चाहिए वो है रेस्ट और लक्जरी. और ये चीज़ उन्हें रिजोर्ट प्रोवाइड कर सकता है तो यही उनका मैसेज होना चाहिए था.
लेकिन जब डोनाल्ड मिलर ने इस स्टोरी ब्रांड पर काम किया तो इससे कम्पनी की वेबसाईट में एक ह्यूज़ चेंज आया. इसमें पहले कम्पनी के बारे में एक लंबी सी स्टोरी हुआ करती थी जिसमें वे खुद को हीरो की तरह पोज़ करते थे.
लेकिन स्टोरी ब्रांडिंग के बाद वेबसाईट में अब पलश रोब्स और टोवेल्स, वार्म बाथ्स और स्पा में रिलेक्स करते हुए कस्टमर्स की इमेजेस थी. यहाँ तक कि उन्होंने बैक पोर्च में रखी एक रोकिंग चेयर की लूपिंग क्लिप भी दी थी जिसके पीछे एक लश ग्रीन गोल्फ नज़र आ रहा था.
और साईट के मेन पेज में बस ये सिंपल वर्ड्स थे “फाइंड द लक्ज़री एंड रेस्ट देट यू हेव बीन लुकिंग फॉर”, और यही सिंपल वर्ड्स ब्रांड का मंत्रा थे. यही फ्रेज़ ऑफिस के वाल्स पे भी डिस्प्ले किया गया था.. आप किसी स्टाफ मेम्बर चाहे शेफ या जेनिटर से पूछो कि कस्टमर क्या चाहता है तो वो भी यही कहेगा “लक्जरी एंड रेस्ट”. और ब्रांड की इसी क्लियरटी रिजोर्ट स्टाफ को टीमवर्क की फीलिंग कराई.
वहां पर हर कोई अपना रोल अच्छे से जानता था और उसे पूरे बेस्ट वे में करने की कोशिश करता था. इस बात का एक्जाम्पल लेकर हम कह सकते है कि आपकी मार्केटिंग तभी इफेक्टिव होगी जब आप अपने कस्टमर्स की डिजायर समझ लेगें और उस डिजायर से क्लीयरली कम्यूनिकेट कर पायेंगे.
स्टोरी ब्रांडिंग का सेकंड पार्ट है केरेक्टर की प्रॉब्लम
आपका कस्टमर अब आपकी ब्रांड स्टोरी का हीरो है. आपने उसकी डिजायर भी डिफाइन कर ली है जिससे अब आपको उसकी अटेंशन भी मिल गयी है. अब नेक्स्ट चीज़ जो आपको करनी है वो है उसका इंटरेस्ट इनक्रीज करना जिससे उसका फोकस आपके ब्रांड पर बना रहे. और आप ये कर सकते है उनकी प्रोब्लम्स आइडेंटीफाई करके. हर हीरो को कोई ना कोई प्रॉब्लम होती ही है. यही चीज़ स्टोरी एंगेज रखती है.
आपके कस्टमर्स भी अपनी प्रोब्लम सोल्व करना चाहते है. इसमें आपका ब्रांड उनकी हेल्प करेगा. वो उनके स्ट्रगल को समझ कर उन्हें सोल्यूशन देगा क्योंकि बिना प्रॉब्लम हर स्टोरी डल लगती है. तो स्टोरी में प्रोब्लेम्स क्या होगी ?
मोस्टली तो विलेन ही होता है जो प्रोब्लम्स क्रियेट करता है. और विलेन जितना ज्यादा एविल होगा, कस्टमर उतना ही ज्यादा हीरो को जीताना चाहेंगे. सोचो अगर हैरी पॉटर की मूवी में वालडीमोर्ट नहीं होता तो मूवी कितनी बोरिंग लगती. और डार्थ वादर के बिना ल्यूक स्काईवाकर एकदम ओर्डिनेरी लगता.
अब आपको करना ये है कि अपने प्रोडक्ट या सर्विस को एक ऐसे वीपन की तरह प्रेजेंट करे जिससे कस्टमर विलेन को डीफीट कर सके. ये विलेन कोई एक्चुअल पर्सन नहीं है.
जैसे आप बाथरूम क्लीनर का एड ही ले लो. इसमें एडवरटाईजर्स उस प्रॉब्लम को पर्सोनिफाई कर देते है जो कस्टमर फेस रहा होता है. इस प्रॉब्लम को इतना बड़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है कि कस्टमर इस विलेन से छुटकारा पाने के लिए ईगर हो जाता है.
बथरूम क्लीनर कमर्शियल के एड में जर्म्स को टोएलेट बाउल में एक बढ़िया सी पार्टी करते दिखाए जाते है. ऑफ़ कोर्स यहाँ पर प्रोडक्ट यानी बाथरूम क्लीनर एक वीपन की तरह है जिसे कस्टमर अपने इन दुश्मनों को डीफ़ीट करने के लिए खरीदेगा.
प्रॉब्लम जितनी ज्यादा बड़ी होगी उतने ही ज्यादा लोग आपका प्रोडक्ट लेना चाहेंगे. आपको सर्फेस के नीचे जाना है. कस्टमर्स की प्रोब्लम सोल्व करने में आपको डीपेस्ट लेवल पर जाकर उनकी हेल्प करनी है. कस्टमर जो प्रॉब्लम फेस करते है उसके थ्री लेवल्स है जो है एक्सटर्नल, इंटरनल और फिलोसोफिकल.
तो इस बाथरूम क्लीनर एड में विलेन है जर्म्स. यहाँ एक्सटर्नल प्रॉब्लम है कि कस्टमर्स इन जेर्म्स से छुटकारा चाहते है. कस्टमर्स हाईजेनिक बनना चाहते है ये इंटरनल प्रॉब्लम है. और फिलोसोफिकल प्रॉब्लम हो सकती है कि वे अपनी फेमिली को बीमारियों से प्रोटेक्ट करना चाहते है. आपकी मार्केटिंग से ये कम्यूनिकेट होना ज़रूरी है कि आपका ब्रांड उनकी इन सारी प्रोब्लेम्स का एक सोल्यूशन है.
स्टोरी ब्रांडिंग का थर्ड पार्ट है “एक गाइड”
हर कोई अपनी स्टोरी का हीरो या हेरोइन खुद है. आपका ब्रांड आके उनके सामने दुसरे हीरो के तौर पर खड़ा नहीं हो सकता. आपको उनकी स्पॉटलाईट नहीं लेनी है बल्कि आपकी कंपनी एक गाइड के तौर पर उनकी हेल्प करेगी.
अगर आप कस्टमर को बैटर फील करने में हेल्प नहीं करते तो वो आपका प्रोडक्ट कभी नहीं खरीदेंगे. एक ब्रांड के तौर पर आपको अपने कस्टमर को सक्सेसफुल बनाना है. यही आपका मिशन होना चाहिए. और यही आपका रोल है. क्योंकि जैसे ही आप सिर्फ अपने ब्रांड की सक्सेस के बारे में सोचा उसी टाइम आप फेल है.
ये ना भूले कि कस्टमर इस स्टोरी का हीरो है तो आपको उसके स्ट्रगल के बारे में सोचकर सपोर्ट प्रोवाइड करना है. क्या आपको पता है कि जे ज़ी, रैप आर्टिस्ट, ने एक बार एक म्यूजिक स्ट्रीमिंग कम्पनी स्टार्ट की थी जिसका नाम था टाईडल ?
टाईडल स्पोटीफाई या आईट्यून्स की तरह थी लेकिन आप शायद ये नाम कभी नहीं सुना होगा पहले क्योंकि टाईडल बुरी तरह फ्लॉप हुई थी. क्योकि जेजी ने इसमें लोगो के बजाये खुद को ब्रांड बनाकर बड़ी टेरिबल मिस्टेक की थी. इस कंपनी में उसने $ 56 मिलियन इन्वेस्ट किये थे.
टाईडल का मेन मिशन था “टू गेट एवरीवन तो रिस्पेक्ट म्यूजिक अगेन”. जेजी का ये आईडिया था कि म्यूजिशियंस ही टाईडल को चलाएंगे. उन्हें कोई टेक कंपनी या म्यूजिक स्टुडियो कण्ट्रोल नहीं करेंगे. इसमें कोई मिडल मेन नहीं था जिससे कि म्यूजिशियंस को ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट मिल सके.
ये सब कुछ सुनने में काफी ग्रेट था, बस जेजी कस्टमर्स के बारे में भूल गए. टाईडल म्यूज़िशिय्न्स के लिए ही बनी थी जो इस ब्रांड स्टोरी के हीरो थे, नाकि कस्टमर्स जो उनका म्यूजिक सुनते थे. जेजी ने इसमें 16 फेमस आर्टिस्ट रखे थे जो सिर्फ टाईडल के लिए अपने सोंग्स रीलीज़ करते थे.
प्रेस कांफ्रेसं में जेजी ने कहा था “अगर आपको बेहतरीन सोंग्स सुनने है तो आर्टिस्ट को सपोर्ट कीजिये” और यही से टाईडल ने एक रोंग मैसेज दे दिया था. पब्लिक पर जेजी और बाकि दूस्र्रे आर्टिस्ट्स ने बड़ा बुरा इम्प्रेशन डाला था.
उनकी हर मार्केटिंग से लगता था कि जैसे वो कस्टमर से अपना म्यूजिक सुनने के लिए ज्यादा पे करने की डिमांड कर रहे है. टाईडल का कोई भी पार्ट ऐसा नही था जो कस्टमर को ये शो कराता कि ये ब्रांड उन्हें सर्व करने के लिए बना है.
स्टोरी ब्रांडिंग का फोर्थ पार्ट है “गिव देम अ प्लान”
लोग आपसे कुछ खरीदे इसके लिए उनका ट्रस्ट गेन करना ज़रूरी है. अगर आप उन्हें अपना रिपीट कस्टमर बनाना चाहते है तो ये ट्रस्ट और ज्यादा गहरा करना होगा. उनके साथ अपने रिलेशनशिप में एक कमिटमेंट रखे. क्योंकि कस्टमर एक नया प्रोडक्ट खरीदने का रिस्क लेते है इसलिए जब वो आपको आर्डर देते है तो अपनी हार्ड अर्न मनी का रिस्क ले रहे होते है.
वो आप पर ट्रस्ट करके ही आर्डर देते है कि आप उन्हें प्रोडक्ट डिलीवर करेंगे, उनकी प्रोब्लम फिक्स करेंगे. उन्हें ये फ़िक्र होती है कि वो प्रोडक्ट काम करेगा भी या नहीं. इसलिए यहाँ आपको एक प्लान बनाने की ज़रुरत पड़ेगी.
इमेजिन करो कि आपके कस्टमर को कोई रिवर क्रोस करनी है. तो आपको वहां रिवर पर स्टोन बिछाने है जिन पर चलकर वो रिवर क्रोस कर पाए. ये स्टोंस आपके कस्टमर्स को रिवर के करंट से सेफ रखेंगे. ये स्टोंस आपका प्लान है.
आपका ब्रांड स्टेप बाई स्टेप कस्टमर की हेल्प करेगा. प्लान उस रिस्क को कम करेगा जो कस्टमर फील करता है और इस तरह उनका आपके ब्रांड पर भरोसा इनक्रीज होगा. जैसे अब मान लो आप वैक्यूम क्लीनर बेच रहे है. अब आपके कस्टमर के दिल में यही सवाल उठेंगे “क्या ये काम करेगा? इसे कैसे यूज़ करते है?” तो आपको ये करना पड़ेगा कि आप उन्हें एक 3 स्टेप प्लान दो जो इसे उनके इजियर और सिंपलर बनाएगा. आपका प्लान कुछ ऐसा हो सकता है “स्टेप वन, प्लग द मशीन, स्टेप 2, प्रेस द ओन, और स्टेप 3, क्लीन अवे”
ये 3 स्टेप्स आपको ओबिवियस लग सकते है मगर कस्टमर को नहीं. लेकिन अगर आप ये 3 स्टेप प्लान बनाते है तो ये काम उनके लिए एकदम ईजी हो जाएगा और वो आपका प्रोडक्ट ट्राई करना चाहेंगे. ये प्लान उन्हें आईडिया देगा कि आपका ये प्रोडक्ट एकदम ट्रस्टवर्थी है.
स्टोरी ब्रांडिंग का फिफ्थ पार्ट है “आस्क देम टू टेक एक्शन”
अब आपने अपने कस्टमर्स को एक्साईट कर दिया है तो नेक्स्ट चीज़ जो आपको करनी है वो ये कि उन्हें एक्शन लेने के लिए चेलेंज करे. किसी भी स्टोरी में हीरो के लिए कोई ना कोई ट्रिगर होना चाहिए जिससे कि वो एक्ट कर सके. मूवी “टेकन” में लियाम नीसन को अपनी बेटी के किडनेपपर्स से एक कॉल आती रिसीव होती है जो उसके लिए एक चेलेंज बन जाता है कि वो उन विलेन्स को पूरे योरोप में चेज़ करके ढूंढें.
इसीलिए तो टीवी में शोपिंग शोज़के दौरान स्क्रीन में बड़ा बड़ा यही लिखा होता है कि “कॉल नाउ” या “आर्डर नाउ.” और वे लोग कस्टमर को चेलेंज करने के लिए ये चीज़ रीपीट करते रहते है. आपकी कम्पनी की वेबसाईट में आप भी पेज के टॉप, मिडल और बॉटम में “बाय नाउ” बटन डाल सकते है. बेशक ये ओबिवियस है मगर ये स्टैंड आउट होना चाहिए. ये बाकी कंटेंट से एकदम अलग दिखना चाहिए.
डोनाल्ड मिलर का एक फ्रेंड था जो कंपनीज बेचने और खरीदने का काम करता था. वो इस बात का हमेशा ध्यान रखता था कि कंपनी की हर चीज़, जैसे लोग, प्रोसेस, और प्रोडक्ट सब कुछ इफेक्टिव हो. लेकिन उसकी सक्सेस का सीक्रेट था कस्टमर को एक्शन के लिए चेलेंज करना और इसी बात पर वो फोकस करता था.
तो ये बंदा पहले लोवर प्राइस पर कोई कंपनी परचेज करता था फिर उसे एक बड़ी कंपनी बनाकर उसकी वैल्यू इनक्रीज करके सेल कर देता था. वो रीपीटिटिव एड देकर कस्टमर को एक्शन लेने के लिए चेलेंज करता था. और जब उस कंपनी के लिए कस्टमर्स की भीड़ लग जाती तो वो इसकी सेल का प्रोसेस स्टार्ट कर देता था.
एक एंटप्रेन्योर के तौर पे ये ओब्विय्स है कि आप यही चाहेंगे कि कस्टमर आपका प्रोडक्ट खरीदे. क्योंकि इसीलिए तो आपने ये प्रोडक्ट प्रोमोट किया है. लेकिन इतना करना काफी नहीं होगा. कस्टमर को नहीं पता कि आप क्या चाहते है. आपको उन्हें बताना है. आपको अपने मार्केटिंग मेटीरियल्स में “रजिस्टर नाऊ” या “शेड्यूल योर अपोइन्टमेंट नाऊ” ! का ऑप्शन रखना है.
स्टोरी ब्रांडिंग का सिक्स्थ पार्ट है” हेल्प देम अवॉयड फेलियर”
लोग स्टोरी के एंड तक बने रहते है क्योंकि उन्हें ये देखना है कि स्टोरी का हीरो अपने मिशन में सक्सेस हुआ या नहीं. यही डर उन्हें स्टोरी के साथ बांधे रखता है. अगर ऐसी कोई चीज़ नहीं स्टोरी में जो हीरो स्टेक पर रख सके तो व्यूवर्स बोर हो जायेंगे. किसी ड़ेंजेर का खतरा ही उनके लिए स्टोरी को इंट्रेस्टिंग बनाता है और वे दम साधे बैठे रहते है.
ठीक इसी तरह कस्टमर के लिए भी कोई ऐसी चीज़ ज़रूर स्टेक में होनी चाहिए, अगर वो आपका प्रोडक्ट ना ले तो. आपको क्या लगता है कि लोग कब केयर करते है ? आपकी ब्रांड स्टोरी में फेलियर की पोसिबिलिटी प्रेजेंट होनी चाहिए ताकि कस्टमर हुक्ड रहे. उन्हें ये डर रहे कि आपका प्रोडक्ट नहीं खरीदेगे तो क्या होगा ?
अपनी स्टोरी में राईट अमाउंट का फियर फैक्टर रखे. लेकिन बहुत ज्यादा होगा तो कस्टमर रेजिस्ट करेंगे और बहुत कम होगा तो उन्हें आपके प्रोडक्ट को खरीदने का कोई लोजिक समझ नहीं आएगा. एक एक्जाम्पल लेते है. शैम्पू के कमर्शियल में ब्रांड हमेशा “टेंग्ल्ड और फ्रीज़ी हेयर” का डर दिखता है और टूथपेस्ट के एड में डेंटिस्ट “टूथ केविटी” वाली स्टोरी बिल्ड करता है.
अब यहाँ पर आप क्या कर सकते है. आप यहाँ ब्लॉग लिख सकते है कि अगर आपका कस्टमर आपके प्रोडक्ट या सर्विस नही लेते तो वे क्या लूज़ कर रहे है. यही थ्रेट ऑफ़ फेलियर आप अपने ईमेल कंटेंट में भी इन्क्ल्यूड कर सकते है.
अपनी वेबसाईट में आप इसे बुलेट पॉइंट्स में भी डाल सकते है. जो भी आपका प्रोडक्ट है, कुछ ना कुछ तो ऐसा ज़रूर होगा जो लोगो का स्टेक पर लग रहा होगा अगर लोग आपका प्रोडक्ट ना खरीदे. आपको अपने बुलेट पॉइंट्स में क्या लिखना है, इस बारे में डीपली सोचो. ऐसी अर्जेंसी क्रियेट करो कि जो आप बेच रहे है, लोग खरीदने को तैयार हो जाए.
स्टोरी ब्रांडिंग का सेवंथ पार्ट है “इन द एडं ऑफ़ द केरेक्टर देट इज योर कस्टमर विन्स”
“पीपल वांट्स टू बी टेकन समवेयर” “एज़ ए ब्रांड आप अपने कस्टमर्स को कहाँ ले जा रहे है” ? क्या आप उन्हें स्टेट ऑफ़ फानेनिशियल सिक्योरिटी के साथ एक बेस्ट डाइनिंग एक्स्पीरियेंश देना चाहेंगे या फिर उन्हें और उनकी फेमिली को एक ड्रीम होम ? हर एक कस्टमर जिससे आप मिलेंगे वो यही जानना चाहेगा कि आप उसे कहाँ ले जा रहे है ?
जितने भी सक्सेसफुल ब्रांड है, वे अपने प्रोडक्ट के थ्रू क्लीयरली कम्यूनिकेट कर देते है कि उनका वो प्रोडक्ट कस्टमर्स की लाइफ में क्या चेनेज्स लाएगा.
जैसे कि स्टारबक्स लोगो यानी अपने कस्टमर्स को इन्सिपिरेशन और सेंक्चुयेरी देना चाहता है. एक टाइम में एक कॉफ़ी. नाइकी एथलीट्स को इनोवेट और मोटिवेट रखना चाहता है.
तो आपको भी ऐसे किसी विजन के बारे में सोचना है. क्योंकि अपने कस्टमर्स के लिए आपके पास कोई न कोई विजन तो होना ही चाहिए. आपको उन्हें एक हैप्पी एंडिंग देनी है.
आप अपने कस्टमर्स को सक्सेसफुल बनाओगे तो आपक ब्रांड खुद स्कसेसफुल हो जाएगा. अब, जो विज़न आप कस्टमर्स के लिए क्रियेट करना चाहते है, वो एकदम क्लियर होना चाहिए. ये डिफाइन और स्पेसिफिक होना चाहिए.
जैसे कि अगर आप कोई लेंगुएज स्कूल चलाते है तो उसमे अपने स्टूडेंट्स की ऐसी इमेजेस दिखाओ जिसमे वो लर्निंग के साथ फन भी कर रहे हो. और अगर आप कोई बेकिंग टूल बेच रहे है तो अपने बच्चो के लिए बेकिंग करती एक हैप्पी मदर की पिक्चर दिखा सकते है.
अपने कस्टमर्स को बताओ कि आपका प्रोडक्ट यूज़ करते हुए वे कैसे लगेंगे, कैसा फील करेंगे? उन्हें दिखाओ कि उनका टीपिकल दिन कैसा होगा और उन्हें क्या नया एक्स्पिरियेंश होगा. ये सब आप अपनी वेबसाईट, ईमेल्स या ब्लॉग पोस्ट के थ्रू कर सकते है.
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हाँ बर्निंग प्रॉब्लम होता तो है, लेकिन आपको यूनिक तरीकेसे ब्रांड मार्केटिंग करनी है।