svg

Complete Shri Krishna Katha – जन्म से लेकर गोलोक धाम तक

कहानी1 year ago383 Views

प्रद्युम्न

कृष्ण और रुक्मिणी का प्रद्युम्न नामक एक पुत्र था। वह बालक वस्तुतः प्रेम के देवता ‘कामदेव’ का अवतार था जिसे शिव भगवान ने अपने तृतीय नेत्र की अग्नि से भस्म कर दिया था। शम्भासुर नामक दैत्य प्रद्युम्न को मार डालना चाहता था। वह अवसर की तलाश में था क्योंकि उसने सुन लिया था कि एक दिन प्रद्युम्न ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। एक दिन प्रद्युम्न पालने में सो रहा था। अवसर पाकर शम्भासुर उसे उठा ले गया और उसे मारने के उद्देश्य से समुद्र में फेंक दिया। अपने शत्रु का अंत कर वह संतुष्ट हो गया था। रुक्मिणी को जब सारी बातों का पता चला तो प्रद्युम्न के लिए वह परेशान हो उठी। विलाप करती हुई रुक्मिणी को संभालना कठिन था पर कृष्ण तो सब जानते थे। वह शांत रहे। भाग्यवश, प्रद्युम्न की मृत्यु नहीं हुई। उस पर कृष्ण की कृपा होने के कारण उसे एक बड़ी मछली ने निगल लिया था और वह सुरक्षित था।

एक दिन कुछ मछुआरों ने एक बड़ी मछली पकड़ी। उस बड़ी मछली को शम्भासुर के रसोइए ने खरीद लिया। मछली का पेट काटने पर भीतर से एक जीवित शिशु को निकला देखकर रसोइया अचंभित था। रसोइए ने शंभासुर से डरकर उस शिशु को शंभासुर की नौकरानी मायावती को दे दिया। मायावती रति की अवतार थी। प्रद्युम्न को उसने पालने का निश्चय किया। नारद ने पहले ही आकर मायावती को दिव्य शिशु प्रद्युम्न के विषय में बता दिया था। इसीलिए प्रद्युम्न को देखते ही उसके प्रति मायावती को अत्यधिक प्रेम हो गया था। सारी बाधाओं से लड़ती हुई मायावती ने प्रद्युम्न को पाला । उसे सभी मायावी कलाओं में भी निपुण किया। उसके युवा हो जाने पर एक दिन मायावती ने उसे उसके पूर्व जन्म में कामदेव होने की बात बताई तथा शम्भासुर के विषय में भी बताया। सारी बातें ने जानकर प्रद्युम्न ने शंभासुर से प्रतिशोध लेने का निश्चय किया।

शंभासुर से मुक्ति

मायावती को शंभासुर ने कैद कर अपनी दासी बना रखा था। वह भी शंभासुर से मुक्ति चाहती थी। उसने प्रद्युम्न को अपनी सारी मायावी विद्या में प्रवीण कर दिया था जिससे वह शंभासुर से युद्ध कर उसे मुक्ति दिला सके। शंभासुर से मायावती मुक्ति पाकर प्रद्युम्न से विवाह करना चाहती थी। वस्तुतः मायावती पूर्व जन्म में रति थी। इस जन्म में भी वह अपने पति कामदेव को पति रूप में पाना चाहती थी। अंततः एक दिन प्रद्युम्न शंभासुर को हराकर मारने में सफल हो गया। उसने शंभासुर का सिर काटकर मायावती को आज़ाद कराया और उससे विवाह कर लिया। मायावती उड़ने की कला में प्रवीण थी। प्रद्युम्न तथा मायावती आकाश मार्ग से द्वारका जा पहुँचे। रुक्मिणी अपने पुत्र प्रद्युम्न को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उसने प्रद्युम्न और मायावती का धूम-धाम से विवाह करवा दिया। कृष्ण ने भी दोनों को आशीर्वाद दिया। उनके आने की प्रसन्नता में द्वारका में उत्सव मनाया गया।

Leave a reply

Loading Next Post...
svgSearch
Popular Now svg
Scroll to Top
Loading

Signing-in 3 seconds...

Signing-up 3 seconds...