Durga Saptashati PDF Download | सम्पूर्ण दुर्गासप्तशती पीडीऍफ़ व्याख्यासहित

Hello दोस्तों, माँ भगवती दुर्गा देवी को जगत जननी के नाम से जाने जाते हैं। क्यूंकि वे ही शक्ति रूप में पुरे विश्व-ब्रह्माण्ड के स्वामिनी हैं । उनके बिना ये जगत निर्जीव हो जायेगी। दुर्गासप्तशती को देवी माहात्म्य एवं चण्डी पाठ भी कहा जाता है। दुर्गासप्तशती में भगवती माँ दुर्गा की कृपाके सुन्दर इतिहास एवं गूढ़ रहस्य से भरे हैं। कोई भी भक्त सरल तथा विधिपूर्वक भक्ति के माध्यम से अगर दुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं तो उनको इस जीवन-मरण के चक्कर से मुक्ति यानी उन्हें मोक्ष मिल जाते हैं। कहा जाता है शक्ति के बिना कोई भी देवता, मनुष्य, प्राणी अपूर्ण है और माँ दुर्गा ही अपने अनेकों रूप में इस संसार में शक्ति प्रदान करती हैं। हमारे अंदर जो भी शक्ति है सब उस जगज्जननी के द्वारा दिया गया ममता अर्थात प्रसाद है।

माँ दुर्गा या माँ महामाया मूल स्वरुप के अलग अलग रूप को इन नामों से जाना जाता है – श्री महालक्ष्मी, श्री महासरस्वती, महिषासुर मर्दिनी, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री। इस दुर्गासप्तशती माँ दुर्गा या माँ महामाया के अनेकों रूपों (नव दुर्गा) का सुन्दर वर्णन किया गया है और उनके 13 लीलाओं का वर्णन भी दिया गया है और दुर्गासप्तशती मार्कण्डेय पुराण के ही भाग है। सम्पूर्ण दुर्गासप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं जिनमें से 535 पूर्ण श्लोक, 108 अर्ध श्लोक और 57 उवाच है। माँ दुर्गा एवं माँ महामाया को प्रसन्न करने के लिए इस देवी माहात्म्य का पाठ प्रतिदिन करनी चाहिए, चाहे थोड़ा सा ही पाठ करें। आप दुर्गासप्तशती में उल्लेखित पाठ विधि के हिसाब से इसका पाठ किया कीजिये।

Durga Saptashati PDF

PDF NameComplete Durga Saptashati PDF by Geetapress (व्याख्यासहित)
Author Nameमार्कण्डेय ऋषि
Book Size607 KB
No. of Pages240 pages
Publisherगीताप्रेस, गोरखपुर
Languageहिंदी
PDF CategoryeBook
Sourcearchive.org

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