एक लायन (lion) शिकार करने से पहले क्या स्टेप लेता है? जी हां सही (guess) किया.
वो सबसे पहले अपना प्रे (prey) यानी शिकार चूज़ करता है.
इसी तरह आपको भी आपका टारगेट भी पहले से क्लियर होना चाहिए, और फिर बिना रुके अपना काम स्टार्ट कर दे.
गोल की क्लियेरिटी(clarity) ही नहीं इसे कैसे करना है इस बात की भी क्लियेरिटी रखे.
अगर आपको शोर्ट टाइम में अपनी प्रोडक्टीविटी(productivity ) इनक्रीज करनी है तो हम आपको 7 क्रूशियल स्टेप बताते है.
फर्स्ट स्टेप, डिसाइड कर लो कि तुम्हे क्या चाहिए.
ज़रा सोचो एक लायन के लिए इससे बुरा क्या होगा कि वो एक गलत शिकार के पीछे भागे.
सेकंड स्टेप, जो करने का सोचा है उसे लिख लो.
अपने गोल को पेपर पर लिखने से आप मोटिवेट होते हो, आपको उसे क्लीयरली और परफेक्टली पूरा करने की एनर्जी मिलती है.
थर्ड स्टेप, एक डेडलाइन(deadline) सेट कर लो.
लायन अपना शिकार हंट करने में इतना सक्सेसफुल कैसे हो जाता है?
क्योंकि वो इसमें देर नहीं करता है.
वो अपने प्रे को उसी वक्त हंट करेगा!
फोर्थ स्टेप है, एक लिस्ट बना लो कि अपना गोल अचीव करने के लिए आपको कौन-कौन से स्टेप्स लेने पड़ेंगे.
फिफ्थ स्टेप है, इस लिस्ट को ओर्ग्नाइज़ (organize )करो ताकि ये सिर्फ एक लिस्ट ना रहकर एक प्लान बन जाये.
प्रायोरिटी(priority) और सिक्वेंस(sequence) के हिसाब से ओर्गेनाइज़ करे.
और ये करना ज़रूरी इसीलिए है ताकि आपका टास्क छोटे-छोटे इंडिविजुअल असाइनमेंट्स(individual assignments) में डिवाइड किया जा सके जो ईजिली अक्म्प्लिश (accomplish) हो सके.
सिक्स्थ स्टेप है, जो भी एक्शन लेना है अभी इमिडीएटली(immediately) ले लो, कल का वेट मत करो, जो करना है अभी इसी वक्त करो!
और सेवंथ स्टेप है, हर रोज़ ऐसा कुछ ना कुछ करो जो आपको अपने गोल की तरफ ले जाता है.
फिर चाहे आप किसी न्यू लेंगुयेज (language) के कुछ वर्ड्स(words) लर्न करे या फिर रोज़ कुछ ना कुछ पढ़े.
मैटर बस ये करता है कि एक बार अगर आप स्टार्ट हो गए तो फिर रुकना नहीं है.
आपकी प्रोग्रेस छोटी ही सही पर है तो सही.
अच्छा, किसी को एलिफेंट(elephant) को खाने का सबसे ईजी तरीका क्या है ?
ज़ाहिर हैइसको छोटे-छोटे पीस में काट के.
सेम यही चीज़ गोल्स के साथ भी है.
ये टालमटोल से बचने का एक बड़ा एफिशिएंट(efficient) तरीका है, क्योंकि जब आपका गोल छोटे-छोटे टास्क में डिवाइड हो जाता है तो इन्हें पूरा करना ज्यादा ईजी रहता है.
और इसके साथ ही आपको एक बढ़िया प्लान बनाकर चलना होगा.
कोई भी ऐसा वैसा प्लान नहीं चलेगा.
अब यहाँ पर हम आपको सिक्स पी फार्मूला (six P formula) बताते है जो सारी कन्फ्यूज़न (confusion) दूर कर देगा.
ये कुछ ऐसे है, प्रॉपर प्रायर प्लानिंग प्रिवेंट्स पूअर परफोर्मेंस(proper prior planning prevents poor performance) अपने नेक्स्ट डे के टास्क लिख ले, इससे आपकी प्रोडक्टीविटी 25% बढ़ जाती है.
आपकी लिस्ट सब लेव्ल्ड(sub leveled) होनी चाहिए, मंथली, वीकली और डेली के हिसाब से.
इस लिस्ट में से आइटम ट्रांसफर(transfer) करके आप अपना मोस्ट प्रोडक्टिव डे क्रियेट कर सकते है.
अगर आपको कोई प्रोजेक्ट(project) पूरा करना है तो फर्स्ट स्टेप ये लो कि वो सारे स्टेप्स लिख लो जो आपको अपना गोल अचीव करने में चाहिए.
और जब आप इन स्टेप्स पर काम करो तो जो हो गए है उन्हें टिक ऑफ कर दो जिससे आपको फील हो कि टास्क पर आपका पूरा कंट्रोल है.
इमेजिन करो कि आपको कुछ इम्पोर्टेंट इमेल्स पढने है और ग्रोसरीज़(groceries) की शौपिंग के लिए सुपर मार्किट भी जाना है, तो आप क्या पहले करेंगे?
ज़ाहिर सी बात है, इमेल्स पढना ज्यादा इम्पोर्टेंट और वैल्यूएबल (valuable) है.
और यही 80/20 रुल है, जो भी आप करते है उसका 80% टास्क 20% वैल्यू रखता है.
इसलिए हमेशा इम्पोर्टेंट टास्क से स्टार्ट करे जिनकी वैल्यू बाकि सारे टास्क के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
अक्सर लोगो की आदत होती है कि वे इम्पोर्टेंट टास्क टालते रहते है और फालतू के कामो में बिजी रहते है.
और इसीलिए कई बार उन्हें लगता है कि वो बिजी है, कुछ काम कर रहे है जबकि असल में उस काम की रियल वैल्यू कुछ नहीं होती है.
इसलिए याद रखो कि हमेशा इम्पोर्टेंट टास्क पहले करो, खुद को मोटिवेट करने के लिए इमेजिन करो कि आप उन्हें फिनिश कर रहे है.
सक्सेसफुल लोग अपने डिसीज़न्स में टाइम फैक्टर(time factor) को काफी इम्पोर्टेंट देते है.
आफ्टरआल एक ऐसी कंपनी जो 20 सालो तक अपनी सक्सेस मेंटेन(maintain) कर सके, उस कंपनी से कहीं बैटर है जो आज की डेट में प्रॉफिट कमा रही है लेकिन नेक्स्ट 5 सालो में गायब हो जायेगी.
एक क्रूशियल(crucial) टास्क के ऑटोमेटिकली लॉन्ग टर्म पोटेंशियल कोनसिक्वेंस(potential consequences) हो सकते है अगर कुछ शोर्ट टर्म सेक्रीफाइस(sacrifices) किये जाए.
तो क्या आप ये डील करने को तैयार है?
आपको हमेशा ऐसे टास्क से स्टार्टिंग करनी चाहिए जिसके लार्जेस्ट पोटेंशियल(largest potential) पोजिटिव या नेगेटिव कोनसिक्वेंस हो.
खुद को मोटिवेट रखने के लिए रिमाइंड(remind) कराते रहे कि इस टास्क का पोजिटिव इम्पैक्ट(positive impact) आपकी लाइफ में क्या होगा.
खुद को अपने माइंड के हाथो फूल ना बनने दे कि आपके पास टाइम नहीं है, क्योंकि जैसा कि फोर्स्ड एफिशियेंशी(forced efficiency)का लॉ है उसके हिसाब से आपके पास इम्पोर्टेंट काम करने के लिए हमेशा टाइम है.
ये स्टडीज से प्रूव हुआ है कि अगर आप लास्ट मिनट में जल्दी-जल्दी काम समेटते है तो बेशक आप इसे फिनिश कर लेंगे लेकिन ये भी पक्का है कि इसमें मिस्टेक भी बहुत होंगी जो आप रीडू(redo) नहीं कर पायेंगे.
इससे तो बैटर है कि पहले से ही अपना सारा काम ओर्गेनाइज़(organizing) ताकि फिर डिले(delays) के लिए टाइम बच सके.
अगर आपको एक ही दिन में ढेर सारे फ्रोग्स (frogs) खाने पड़े तो आप क्या करोगे?
आप बोलोगे कि सबसे पहले फर्स्ट वाला फ्रोंग खायेंगे.
यही डिफ़रेंस है सक्सेसफुल लोगो और फेलियर्स के बीच में.
हर कोई टालमटोल करता है, किस बात पर टालमटोल करनी है आप वो चूज़ करे.
ना बोलना भी एक आर्ट है और आपको ये सीखना ही होगा !
हर वो चीज़ जो आपके काम की नहीं है, जो आपको अपने गोल की तरफ नहीं ले जाती, उसे ना बोल दे.
अपनी लाइफ से टाइम कन्ज्यूमिंग एक्टिविटीज़ को कट डाउन कर दे जैसे कि टेलिविज़न देखने के बजाये कोई काम की बुक पढ़े.
क्या आपके पास खाने को ढेर सारे फ्रोंग्स है?
एबीसीडी मेथड! जैसा कि नाम से ही पता चलता है ए (A) आपका सबसे इम्पोर्टेंट फ्रॉग है,
बी(B) वो टास्क है जो आपको करना चाहिए लेकिन अगर आप नहीं भी करते है तो लाइफ में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
दुसरे वर्ड्स में ये आपके लिए मस्ट(must) नही है.
सी(C) ऐसा टास्क है जिसे करना ठीक रहेगा लेकिन इसे ना करना आपकी लाइफ को बिलकुल भी अफेक्ट नहीं करने वाला.
डी(D) एक ऐसा टास्क है जो आप किसी दुसरे को असाइन(assign) कर सकते है.
ई(E) वो टास्क है जो आप अबोलिश(abolish) कर सकते है और ये आपकी लाइफ में कोई इम्पैक्ट नहीं डालेगा.
आपको काफी स्ट्रीकनेस(strictness) दिखानी पड़ेगी जिससे कि आप अपना टास्क इमीडीएटली(immediately) स्टार्ट कर दे और जब तक पूरा ना हो तब तक ना रुके.
जब कोई लायन(lion) किसी हिरन का शिकार करता है तो वो तुरंत उसे किल नहीं करता बल्कि अपने काम को सिंपलर और ईजी टास्क में डिवाइड कर लेता है.
जैसे एक्जाम्पल के लिए लायन पहले उसके पैरो को घायल करके उसे ज़मीन पर गिरा देगा.
फिर उसकी नेक(neck )पर अपने टीथ गाड़ेगा.
इसी तरह से आपको भी हर जॉब को फाइव या सेवन की रिजल्ट एरियाज में बाँट ले.
आपको अपने की रिजल्ट एरियाज(key result area) को पिनपॉइंट करना है यही आपके जॉब का मोस्ट इम्पोर्टेंट आउटपुट है.
जैसे कि किसी सेल्सपर्सन के लिए न्यू अकाउंटस(new accounts ) बनाना.
अपने की रिजल्ट एरिया(key result areas) को मास्टर करना ही सक्सेसफुल आउटपुट की गारंटी है.
जैसे आप किसी मील(meal) को प्रीपेयर करने से पहले सारी चीज़े अरेंज करके रख लेते है ताकि टाइम और एफोर्ट बच सके.
यही सेम चीज़ वर्किंग के साथ भी है.
अपने काम की स्टार्टिंग से पहले हर चीज़ अरेंज कर ले.
यहाँ तक कि कुछ देर के लिए हर चीज़ फ्लोर पर रखके अपनी डेस्क क्लीन करो.
आपका वर्क प्लेस एन्जोयेब्ल(enjoyable) होना चाहिए.
इसे जितना हो सके उतना क्म्फ्रटेबल बनाये ताकि जब आप स्टार्ट करे कोई भी चीज़ आपको रोक ना सके! टास्क फिनिशिंग में बॉडी लंगुयेज(Body language) का भी अपना रोल है हमेशा स्ट्रेट(straight) बैठे, फ्लोर पर पैर फ्लेट रखे, आपकी बैक चेयर से दूर फॉरवर्ड होनी चाहिए.
बेशक अभी आप तैयार नहीं है फिर भी स्टार्ट हो जाओ.
अपना 80% जॉब पूरा करो फिर करेक्शन बाद में कर लेना.
अपने माइंड में फियर को आने ही ना दो.
एक पुरानी कहावत है “अ जर्नी ऑफ़ अ थाऊजेंड लीग्स बिगेंस विथ अ सिंगल स्टेप”.
काम को टालने से बचने के लिए उसे आप छोटे छोटे स्टेप्स में डिवाइड कर दे, यकीन मानो गारंटी के साथ आपको सक्सेस मिलेगी.
कुल मिलाकर सक्सेस को ऐसे समराइज(summarize) कर सकते है –
1. टेकिंग द फर्स्ट स्टेप
2. टेकिंग वन स्टेप एट अ टाइम.
अगर आप सक्सेस चाहते है तो लर्निंग(learning) करना कभी ना छोड़े कुछ ना कुछ हमेशा लर्न करते रहे क्योंकि आप अगर टाइम के साथ बैटर नहीं होंगे तो ज़ाहिर है कि आप आगे प्रोग्रेस ही नहीं कर रहे.
जो भी आपके वीक पॉइंट्स है इन्हें दूर करे और खुद को बैटर से बैटर बनाने की कोशिश करे और लर्निंग तो कभी ना छोड़े.
जिस टास्क में आप अच्छे है उसे आज ही स्टार्ट कर दे, इससे बढ़िया मोटिवेशन और कुछ नहीं है.
अगर आप प्रॉपर एफर्ट(proper effort) और टाइम लगाए तो दुनिया में हर चीज़ सीखी जा सकती है तीन की स्टेप्स है जिन्हें फोलो करके आप अपने फील्ड के मास्टर बन सकते है.
फर्स्ट, जो भी आपकी फील्ड है उसके बारे में एटलीस्ट 60 मिनट डेली पढ़े. उसके बाद उससे रिलेटेड जितने भी कोर्स या सेमिनार्स(seminars) अवलेबल है अटेंड करो ताकि आप उस फील्ड में और भी बैटर हो जाओ.
और फाइनली अपनी कार में ट्रेवल करते हुए एजुकेशनल ऑडियो प्रोग्राम(educational audio programs) सुने जिससे आप ट्रेफिक जाम में भी कुछ ना कुछ लर्न कर सके.
किसी सेलर या फार्मर की तरह हर किसी को अपना बेस्ट स्किल पता होता है और वो उसे ट्रेनिंग और नॉलेज से नरिश(nourish) करता रहता है.
अपनी यूनीक वैल्यूज़(unique values) को जानो और फिर उन्हें नरिश करो.
जिस चीज़ के लिए आपको सबसे ज्यादा कोम्प्लिमेंट्स(compliments ) शुरुवात हमेशा उसी से करो.
जो आपको करने में एन्जोयेब्ल लगते है और सबसे इम्पोर्टेंट बात, जिस टास्क का आपकी लाइफ पर मोस्ट पोजिटिव इम्पैक्ट पड़ता है.
हर किसी का एक, लिमिटिंग फैक्टर(limiting factor) होता है जो उसे अपने गोल तक पहुँचने से रोकता है.
जैसे कोई लायन किसी शिकार के पीछे पड़ा हो.
इसलिए पहले अपनी लिमिटिंग फैक्टर कंसीडर करके उसे दूर करो.
जैसे एक लायन पूरी तरह अपने शिकार पर नज़र गडाए रखता है आप भी अपने लिमिटिंग फैक्टर से छुटकारा पाने के लिए अपनी सारी मेंटल एबिलिटी(abilities) लगा दो.
आपके लिमिटिंग फैक्टर्स 80% तो इंटरनल(internal) होते है जैसे कि क्वालिटीज और एबिलिटीज और 20%(external) होते है जैसे कि आपके कॉम्पटीटर्स(competitors).
इसलिए ध्यान से अपने राइट चोकपॉइंट(choke point) आइडेंटीफाई कर लो, कहीं ऐसा ना हो कि आप किसी गलत चीज़ को अपना लिमिटिंग फैक्टर समझ कर उसे करेक्ट करने के चक्कर में टाइम और मनी वेस्ट करे.
किसी मोटिवेशन का वेट करना जो कभी मिलने वाली नहीं है ठीक ऐसा ही है जैसे किसी बस का वेट करना जो कभी आएगी ही नहीं.
लीडर बनना है तो खुद पर ही प्रेशर डालना सीखो.
आपकी सेल्फ एस्टीम आपकी रेपुटेशन है.
देर तक काम करने की हैबिट बनाओ.
खुद को ग्रो करने का चांस दो.
इमेजिन करो कि कल ही आप ये टाउन छोड़कर जा रहे हो, तो ऐसा क्या है जो आपको जाने से पहले फिनिश करना है ?
मशीन को फ्यूल(fuel) चाहिए काम करने के लिए, ऐसे ही आपको खाना, पानी और रेस्ट चाहिए.
काम के खत्म होते होते प्रोद्क्टीविटी(Productivity) खत्म होने लगती है.
लॉन्ग आवर्स(long hours ) तक काम करने का मतलब है कि आप ज्यादा टाइम में थोडा ही अक्म्प्लिश(accomplish) कर पायेंगे.
पूरे दिन में मोस्ट प्रोडक्टिव आवर्स (most productive hours) चूज़ कर लो और अगर आप कुछ प्रोडक्टिव नहीं कर रहे है सारी रात जागना बेकार है.
प्रोडक्टिव लाइफस्टाइल के लिए रात में जल्दी सो जाओ और रेगुलर वेकेशन लेते रहो.
हेल्दी खाओ और अपने डेली रूटीन में फिटनेस सेशन के लिए भी जगह रखो. ये बड़ा सिंपल और ईजी लगेगा लेकिन यही चीज़ है जो आपके और आपकी लाइफ गोल्स के बीच है.
खुद के बारे में पोजिटिव सोचे, बोले, जो कुछ आपके साथ होता है उसका पोजिटिव मीनिंग निकाले.
ऑपटिमिस्ट(OPTIMIST) बनो.
किसी भी एक्सटर्नल सरकमस्टान्स (external circumstances) को अपना इनर मूड अफेक्ट(affect ) ना करने दे.
“आई फील टैरीफिक” और “आई कैन डू इट” जैसे सेंटेंस रिपीट (Repeat ) करते रहो जब तक कि आपको इस बात का पूरा यकीन ना हो जाए.
ऑपटिमिस्ट(optimist) बनना सीखा जा सकता है जोकि आपकी लाइफ के हर एस्पेक्ट(aspect) को अफेक्ट करेगा.
इसके लिए आपको हर सिचुएशन(situation) में अच्छाईदेखो, हर फेलियर में कोई लेसन देखो और हर परेशानी का सोल्यूशन देखो.
ऑपटिमिस्ट(Optimists) लोग हमेशा अपने गोल के बारे में सोचते और बाते करते है.
उन्हें माइंड में यही चलता है कि अब नेक्स्ट स्टेप क्या होगा और उन्हें अपना गोल अचीव करने के लिए अब क्या करना चाहिए.
डबल धारी तलवार की तरह टेक्नोलोजी आपकी दोस्त भी है और दुश्मन भी.
वर्ल्ड (world) के जितने भी ग्रेट बिजनेसमेन है वे सब अपने दिनभर के टाइम में से कुछ वक्त सोशल मिडिया और इन्टरनेट से दूर रहते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जो हर टाइम इन्टरनेट पे लगे होते है.
अपनी लाइफ को कंट्रोल करना आपके हाथ में है.
खुद को वर्चुअल लाइफ (virtual life) में डूबने ना दे, लाइफ में लर्निंग भी ज़रूरी है और सबसे पहले तो आप करंट मोमेंट(current moment) को एन्जॉय करना सीखे, बाकी सब उसके बाद.
अनइम्पोर्टेंट टास्क(unimportant tasks) दूसरो को करने दे.
हर रोज़ कुछ टाइम अपने लिए निकालना बहुत ज़रूरी है ताकि आपके परफोर्मेड टास्क(performed tasks) की वैल्यू इनक्रीज की जा सके.
खुद को टेक्नोलोजी का गुलाम ना बनने दे.
कोई आपसे अभी कम्यूनिकेट(communicate) करना चाहता है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप उसे अपना टाइम वेस्ट करने दे.
मीन्स ऑफ़ कम्यूनिकेशन(Means of communication) के मास्टर बने स्लेव(slave) नहीं.
टेक्नोलोजी हमारी लाइफ को बैटर और ईज़ियर बनाने के लिए है, हमे ट्वेंटी फॉर इन्टू सेवन 24/7 बिज़ी और रेस्टलेस बनाने के लिए नहीं.
ये चीज़ माइंड में रखे, अगर इम्पोर्टेंट है तो कोई ना कोई आपको इन्फॉर्म कर ही देगा और अगर नहीं तो इसके पीछे अपना टाइम वेस्ट ना करे.
एक बड़ा टास्क है और आपको पता नहीं कि शुरू कैसे करे ?
सलामी मेथड !(Salami method!) अपने बड़े से टास्क को सलामी की तरह छोटे-छोटे पीसेस में बाँट लो.
फिर एक एक करके हर पीस पर अपना पूरा एफर्ट डाल दो.
जैसे जैसे आप हर पीस को फिनिश करते रहेंगे आप अपने टास्क को उतनी ही जल्दी फिनिश करना चाहेंगे.
बिग टाक्स कम्प्लीट करने का एक और मेथड है जिसे स्विस चीज़ मेथड(Swiss cheese method) बोलते है.
जैसे आप चीज़ में पंच मारकर एक होल(hole) करते है वैसे ही अपने टास्क पर भी एक जोर का पंच मारे.
ये आपको पता चल जाएगा कि टास्क को टैकल करने के लिए क्या करना चाहिए.
क्योंकि इसमें एन्डरोफिन्स(endorphins) रिलीज होती है इसलिए टास्क फिनिश करना आपको एक तरह से “हाई”(‘high’) वाली फीलिंग दे सकता है.
डॉग्स कैसे जल्दी से अपना खाना फिनिश कर लेते है ?
क्योंकि पहले वे खाने के लार्ज चंक्स(large chunks ) काटते है और फिर उसे चबाने में और निगलने में टाइम लगाते है.
अपने टाइम का बढ़िया यूज़ करने के लिए सबसे पहले एफिशिएंटली(efficiently) आप अपना पूरे दिन का शेड्यूल बना ले और दिन का एक स्पेशिफिक टाइम पूरी तरह से सिर्फ अपने बड़े टास्क के उपर फोकस करे.
ध्यान रहे कि आपको चलते जाना है, एक भी मिनट वेस्ट नहीं करना है.
जब आप मोर्निंग में काम पे जाए उसी टाइम दिन भर की प्रीपेयरेशन(preparation)कर ले.
रोज़ के टाइम से थोडा पहले उठो, घर की थोड़ी ड्यूटीज़ दूसरो को भी दो.
अपनी लाइफ स्टाइल ऐसी रखो जो एक सक्सेसफुल इन्सान की होती है.
एक सक्सेसफुल एथलीट दिन रात हार्ड वर्क करता है जैसे किसी चैम्पियनशिप में जाना हो, वो एक दिन भी रेस्ट नहीं करता है.
खुद भी एक प्रो एथलीट मान कर चलो, अपने अंदर वो सेन्स ऑफ़ अर्जेंसी (sense of urgency)क्रियेट करो.
अपने माइंड को ज्यादा से ज्यादा स्टेट ऑफ़ फ्लो (state of ‘flow’) में जाने के लिए ट्रेन करे.
इसके लिए सबसे बढ़िया तरीका है कि आप एक सेंस ऑफ़ अर्जेंसी(sense of urgency) डेवलप करे.
यानी एक तरह से अपने लिए इमेजनरी डेड लाइन्स (imaginary deadlines) सेट कर ले.
एक बार जब आप टास्क स्टार्ट कर देंगे तो आप खुद ब खुद आगे बड़ते जायेंगे.
और इस तरह सेम चीज़ करने में आपको कम एफर्ट फील होगा.
किसी भी तरह की इंटरर्प्शन(interruptions) से बचे, खुद को बार-बार रीमाइंड (remind) कराते रहे कि आपको काम करना है.
एक लायन तब तक रेस्ट नहीं करता जब तक कि वो अपना शिकार कर ना ले.
अपना टास्क बीच में छोड देना और फिर से उसे स्टार्ट करना, ये सब बस टाइम वेस्ट है और कुछ नहीं.
एक बार जब टास्क पे लग जाओ तो रुको मत जब तक कि वो 100% पूरा ना हो जाए.
खुद को डिस्प्लीन(Discipline) करे ताकि आप जॉब कम्प्लीट (complete) होने तक नॉन-स्टॉप काम करते रहे.
तो इस summary में हमने अपनी productivity बढ़ाने के लिए कई important concepts देखे।
जैसे की हर दिन को पहले से ही plan करे, 80/20 Rule हर चीज में apply करे, consequences को ध्यान में रखे, हर काम में ABCDE method को use करे, हर काम को urgent में ले, खुद को motivate करे ताकि खुद से काम करवा सके और at a time एक ही task करे.
तो दोस्त आपको आज का हमारा यह Article (Eat that Frog Book Summary in Hindi : 21 Great Ways to Stop Procrastinating and Get More Done in Less Time.) कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताये और इस Article (Eat that Frog Book Summary in Hindi) को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?