Hello दोस्तों, हनुमान जी जो दुनिया की 7 चिरंजीवी में से एक हैं, उसका ही गुणगान यह हनुमान चालीसा हैं, जिसे गोस्वामी तिलसीदास जी ने रामचरितमानस रचना करने के बाद रचना की हैं। और कहाँ जाता है हर दिन अगर आप हनुमान चालीसा का विधि पूर्वक पाठ करेंगे तो हनुमान जी के आशीर्वाद से मनुष्य के जीवन के हर परेशानी दूर हो जाएँगी। और यह बिलकुल सत्य कथन है। क्यूंकि दुनिया में जिन्होंने ही हनुमान चालीसा का पाठ की हैं उनका ज्यादातर दुःख, दर्द, परेशानी दूर हो चुकी हैं और यह भक्तों द्वारा प्रमाणित हैं।
वैसे हनुमान चालीसा में इससे रिलेटेड एक चोपाई में तुलसीदास जी लिखते हैं कि जो इसे दिन में 100 बार उसकी हर परेशानी दूर होंगी लेकिन अगर मनुष्य के पास 100 बार पढ़ने का समय नहीं हैं तो इसे अगर दिन में 7 बार भी पाठ करेंगे तो आपके दिन प्रतिदिन आने वाली हर परेशानी दूर हो जाएँगी। इसलिए आज ज्यादातर लोग हनुमान चालीसा को पढ़ते हैं और यह पढ़ने में इतना समय लगता भी नहीं है तो भक्तजन आराम से कही भी पढ़ लेते हैं।
दोस्तों कहाँ जाता है कि किसी भी शास्त्र को विधिपूर्वक ही पढ़ना चाहिए तभी उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा आप उठा सकते हैं और अगर आपने पुरे हनुमान चालीसा को याद कर लिया समय के साथ-साथ तब तो आप कही भी कभी भी उसे अपने मन के अंदर ही पाठ कर पाएंगे। दोस्तों एक बात और बता दूँ इसे पढ़ने पर आपके अंदर अनंत Confidence बिल्ड होना शुरू हो जायेंगे। और आपके अंदर पॉजिटिव एनर्जी का भरमार होंगे। और हर बार जब इसे पढ़ें तो श्री राम को याद करके पढ़ना। क्यूंकि हनुमान जी खुद कहते हैं जहाँ राम नाम वहां हनुमान।
तो इस पोस्ट में आपको 2 तरह के हनुमान चालीसा के PDF डाउनलोड करने को मिलेंगे एक व्याख्यासहित और पाठ विधि के साथ और दूसरा सिर्फ हनुमान चालीसा जहाँ पर सिर्फ दोहा और चौपाई ही हैं व्याख्या नहीं हैं। एक या दो बार हनुमान चालीसा का पूरा पाठ विधि और अर्थ सहित समझ लेने के बाद आप सिर्फ इसका दोहा और चोपाई ही प्रैक्टिस कर सकते हैं।
आप चाहे तो इसका प्रिंटआउट भी निकाल सकते हैं।
PDF Name | सम्पूर्ण श्री हनुमान चालीसा (आरती, पूजा विधि, बजरंग बाण, श्री राम स्तुति और हिंदी अर्थ सहित) |
Author Name | गोस्वामी तुलसीदास |
Book Size | 5.75 MB |
No. of Pages | 60 pages |
Publisher | – |
Language | हिंदी |
PDF Category | eBook |
Source | InstaPDF.in |
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आप इस बुक को 3 dot पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं।
PDF Name | श्री हनुमान चालीसा (आरती, पूजा विधि, बजरंग बाण, श्री राम स्तुति और हिंदी अर्थ सहित) |
Author Name | गोस्वामी तुलसीदास |
Book Size | 391 KB |
No. of Pages | 4 pages |
Publisher | – |
Language | हिंदी |
PDF Category | eBook |
Source | archive.org |
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दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
बोलो सियावर रामचंद्र की जय।। बोलो पवनसुत हनुमान की जय।। बोलो उमापति महादेव की जय।। बोलो सत्य सनातन की जय।।