In Pursuit of Garlic Book Summary in Hindi – In Pursuit of Garlic में हम लहसुन के फायदों के बारे में जानेंगे। इस किताब की मदद से आप यह जान पाएंगे कि लहसुन के इस्तेमाल से कौन कौन सी बीमारियां ठीक की जा सकती हैं।
ये बुक लिज़ प्राइम्यू (Liz Primeau) जी ने लेखी है। जो कैनेडा की एक लेखिका हैं जो पिछले 30 सालों से कैनेडा की मशहूर मैगज़ीन्स में लिखने का काम कर रही हैं। वे एक जर्नलिस्ट हैं और अपनी किताब फ्रंट यार्ड गार्डन के लिए जानी जाती हैं।
In Pursuit of Garlic Book Summary in Hindi – लहसुन के बड़ा फायदा जानिए
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
हम में से हर किसी का सामना कुछ छोटी छोटी परेशानियों से अक्सर होता रहता है जैसे खाँसी, कीड़ों के काटने से सूजन, गले की खराश, पेट की बीमारी, चमड़ी में जलन आदि। इन बीमारियों को ठीक करने के लिए हम अक्सर दवाइयों का सहारा लेते हैं जो हमें महंगी पड़ जाती हैं।
इस किताब में हम उस चीज़ के बारे में जानेंगे जो लगभग हर घर में पाया जाता है और जो इन बीमारियों को ठीक कर सकता है। यह किताब हमें लहसुन के फायदे, लहसुन के इतिहास, लहसुन की खेती और लहसुन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बारे में पूरी जानकारी देती है। साथ ही यह किताब हमें बताती है कि लहसुन खाने से हम किन किन बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।
लहसुन का इस्तेमाल सदियों से तरह तरह की बीमारियां ठीक करने के लिए हो रहा है।
लहसुन को खाने में डालने से उसका स्वाद तो बढ़ ही जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका इस्तेमाल अलग अलग देशों में अलग अलग बीमारियों को ठीक करने के लिए भी किया जाता था?
एज़ाम्पल के लिए जिउहांग बेंकाओ को ले लीजिए जो कि मिंग वंश के वक्त लिखी गई किताब थी। इसमें यह बताया गया है कि लहसुन का इस्तेमाल इंफेक्शन को ठीक करने के लिए, कीड़ों के काटने से हुई सुजन को खत्म करने के लिए, रिंगवार्म और डाइसेंट्री जैसी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। भारत में भी लहसुन का इस्तेमाल डाइसेंट्री के इलाज के लिए काफी समय से किया जा रहा है। इसके अलावा भारत में इसका इस्तेमाल चमड़ी और पेट की बीमारियां ठीक करने के लिए भी किया जाता था। लोग इसे शहद में मिला कर इसका इस्तेमाल खाँसी, बुखार, सूजन को ठीक करने के लिए करते थे।
रोम के लेखक प्लिनी ने बताया था कि लहसुन को सिरके और पानी में पीस कर मिलाने से और गार्गल करने से गले की खराश से राहत मिलती है। जब इसे तेल में भूना जाता है तो इससे कीड़ों के काटने से होने वाली जलन खत्म की जा सकती है। जब इसे दूध के साथ उबाला जाता था तो म्यूकस खत्म करने में मदद मिलती थी और जब फैट से मिलाया जाता था तो इससे ट्यूमर का इलाज हो सकता था।
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क में यह पाया गया कि लहसुन की मदद से E. Coli बैक्टीरिया को फैलने से रोका जा सकता है। लहसुन में एलिसिन नाम का एक कंपाउंड होता है जो कि इन बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।
साथ ही यूनिवर्सिटी की स्टडी में यह भी पाया गया कि जो स्टूडेंट्स 2.5% लहसुन के माउथवाश से मुँह साफ किया करते थे उनके मुँह में इंफेक्शन फैलाने वाला बैक्टीरिया पोर्फाइरोमोनस कम पाया गया, जिससे उसके मसूड़ें स्वस्थ रहते थे। इसके अलावा लहसुन यीस्ट स्ट्रेन को खत्म करने में भी हमारी मदद करता है।
इस तरह से हम आज भी लहसुन की खूबियों को समझ रहे हैं और उसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
बहुत से लोग लहसुन खाने से सालों तक कतराते रहे, लेकिन अंत में यूरोपीयन्स ने उसे अपनाया।
रोम के शाही परिवार के लोग लहसुन नहीं खाते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह किसानों का खाना है और इसे बीमार लोग खाया करते हैं। यहाँ तक कि जब रोम साम्राज्य खत्म हो गया, तब भी लोग इसे खाने से कतराते रहे। उनके अलावा एंग्लो-सैक्सन्स के लोग भी इसे नहीं खाते थे।
रोम की सभ्यता का जन्म ब्रिटैनिया की सभ्यता से हुआ था। पहली से पाँचवीं सदी के बीच में ब्रिटेनिया में पास्ली, थाइम, पत्ता-गोभी, एस्पार्जस, लीक, शौलाट और लहसुन की खेती शुरु की गई थी। लेकिन समय के साथ रोमन्स ने ब्रिटैनिया के साथ साथ वहाँ का खाना खाना भी छोड़ दिया। उन्हें देखकर बहुत से दूसरे लोगों ने भी उनकी नकल की और उन्होंने ने भी लहसुन खाना छोड़ दिया। रोम के सैनिक भले लहसुन खाते हों, लेकिन शाही लोग कभी उसे हाथ नहीं लगाते थे। उनका मानना था कि यह सिर्फ डाक्टरों के इस्तेमाल के लिए होता है।
लेकिन मध्य काल में सब बदलने लगा। यूरोप के लोगों ने अपने खाने में लहसुन का इस्तेमाल करना शुरू किया। इसकी शुरुआत में (साधुओं) ने की थी। वे उसे पहली से पाँचवीं सदी तक अपने बगीचों में उगाया करते थे और उसे अपने खाने के साथ खाया करते थे।
आखिरकार शाही परिवार के लोगों ने भी लहसुन को अपनाना शुरू किया। जब कैथरीन दी मेडिसी की शादी फ्रांस के राजा हेनरी ॥ से हुई, तो वे अपने खुद के बावर्चियों को फ्राँस लेकर आई। वहाँ पर उन बावर्चियों ने लहसुन को खाने में मिलाकर उसे पकाना शुरु किया। लोगों को यह बहुत पसंद आया। लहसुन के दीवानों में से कैथरीन के दामाद भी शामिल थे, जो इसकी सुगंध से ही प्यार कर बैठे थे।
इस तरह से सालों तक नकारे जाने के बाद लहसुन को खाने में शामिल किया गया।
लहसुन उगाने के लिए ठंडे मौसम और पानी की जरुरत होती है।
अब हम देखेंगे कि किस तरह से आप लहसुन उगा सकते हैं।
लहसुन ठंडियों में उगते हैं। ओस पड़ने के तीन या चार हफ्ते पहले आपको इन्हें बोना है। इन्हें ऐसी जगह पर लगाइए जहाँ इन्हें धूप मिल सके। अक्सर लोग लहसुन को दूसरी फसलों के बगल में लगाते हैं, लेकिन आप चाहें तो इन्हें अपने बगीचे के फूलों के बगल में भी लगा सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखिए कि जिस जमीन में आप इस साल लहसुन लगाइए, उसमें अगले साल मत लगाइए। इससे आप पौधों को होने वाली बीमारी से उन्हें बचा पाएंगे ।
लहसुन लगाने के लिए आपको ऐसी मिट्टी चाहिए जिसे हल्का सा दबाने पर वो आसानी से पाउडर बन जाए। उसमें नेचुरल खाद डालिए। उसे ऐसा बनाइए कि वो पानी आसानी से सोख ले। मिट्टी की pH वैल्यू 6.0 से 7.5 होनी चाहिए। आप मिट्टी में कम से कम 6 इंच तक काम्पोस्ट और खाद मिलाइए।
इसके बाद आपको लहसुन को उगने के लिए जगह, पानी और थोड़ी खाद देनी होगी। पौधे लगाने के लिए आप लहसुन के टुकड़ों को जमीन में हाथ से घुमाकर गाड़ना शुरु कीजिए। उन्हें इस तरह से गाड़िए कि उनके ऊपर की पेपर जैसी परत ना निकले। हर पौधे के बीच में कम से कम 6 इंच का स्पेस छोड़िए। हर लाइन के बीच में 8 इंच का स्पेस छोड़िए ताकि उन्हें जरूरत भर धूप मिल सके।
साथ ही आप अपने पौधों को हफ्ते में एक दिन पानी दीजिए। इतना पानी दीजिए कि जमीन 2 इंच गहराई तक भीग जाए। खाद मिलाना उतना भी जरूरी नहीं है, लेकिन उसे मिला देने से उन्हें उगने में मदद मिलेगी। नाइट्रोजन के खाद लहसुन के लिए फायदेमंद होते हैं।
इतना करने के बाद आप बस उसे समय समय पर पानी देते रहिए। कुछ महीनों के बाद आपके लहसुन के बल्ब तैयार हो जाएंगे।
जब लहसुन के पौधों की पत्तियाँ सूखने लगें, तो उन्हें निकालने का समय आ गया है।
वैसे लहसुन को कब खोदकर निकालना है इसका कोई एक समय नहीं होता। लेकिन बहुत से किसानों का मानना है कि जब लहसुन के आधे पत्ते सूखकर भूरे हो जाएं, तो उसे खोदकर निकाल लेना चाहिए। बहुत से किसान अंदाजे के हिसाब से अपने लहसुन को बाहर निकालते हैं। जब उसके पत्ते सूखने लगते हैं, तो वे हर दिन उसपर निगरानी रखते हैं और जब उन्हें लगता है कि उनका लहसुन पूरी तरह से तैयार है, तो वे उसे निकाल लेते हैं।
लहसुन को अगर आप बहुत जल्दी निकाल लेंगे तो उसके बल्ब अच्छे से विकसित नहीं हो पाएंगे। अगर आप उसे देर से निकालेंगे तो उसमें बैक्टीरिया लग जाएंगे और वो खराब हो जाएगा। इसलिए लहसुन को समय से मिट्टी से बाहर निकालना बहुत जरूरी है।
लहसुन को निकालते वक्त उसके आसपास की मिट्टी को खोदकर निकाल दीजिए, ताकि उसे खींचने में आसानी हो। उसे निकालने के बाद उसके ऊपर की मिट्टी को ब्रश से साफ कर दीजिए।
लहसुन को स्टोर करके रखने के लिए आपको उन्हें एक ठंडी जगह पर रखना होगा। लहसुन को धो देने के बाद आप उन्हें किसी डारे पर लटका कर एक हफ्ते के लिए सूखने दीजिए। इसके बाद फिर से उन्हें ब्रश से अच्छे से साफ करके उन्हें एक महीने के लिए लटका कर छोड़ दीजिए।
ठडियों में लहसुन को बचा कर रखने के लिए उन्हें 56 से 59 डिग्री फैरेहाइट के तापमान पर 45% से 50% ह्यूमिडिटी में रखिए। लेकिन उन्हें फ्रिज में रखने की गलती मत कीजिए, क्योंकि इससे उनकी जड़ें उगने लगेंगी और उनका स्वाद खराब हो जाएगा।
यह सब करने में कुछ समस्या हो सकती है और कुछ समय लग सकता है, लेकिन एक बार जब आप घर में उगे लहसुन खाएंगे, तो फिर कभी बाजार से उसे खरीदने नहीं जाएंगे।
चाइना में सबसे ज्यादा लहसुन उगाया जाता है और अंतर्राष्ट्रीय लहसुन के मार्केट पर उसका कब्जा है।
नार्थ अमेरिका के मार्केट में चाइना से इंपोर्ट किया गया लहसुन मिलता है। इस लहसुन की क्वालिटी के साथ साथ कीमत भी बहुत कम होती है। यूनाइटेड नेशन्स फूड एक एग्रिकल्चर आर्गनाइजेशन की मानें तो दुनिया भर का 75% लहसुन चाइना में उगया जाता है।
अमेरिका के किसानों के लिए यह समस्या की बात है। 2000 से 2005 के बीच में अमेरिका लहसुन का इंपोर्ट 3,65,000 पाउंड से बढ़कर 8 करोड़ 60 लाख पाउंड तक पहुंच गया है। कैलिफोर्निया में हर साल इससे 50 लाख पाउंड कम लहसुन उगाया जाता है। कैनेडा लहसुन अच्छे से उगा ही नहीं पाता।
दुनिया भर के किसानों को चाइना के लहसुन से प्रतियोगिता करनी पड़ती है और इसमें वे अक्सर हार जाया करते हैं। एग्ज़ाम्पल के लिए थाइलैंड को ले लीजिए। उसका लहसुन 60 सेंट में बिका करता था । लेकिन चाइना से प्रतियोगिता की वजह से उसके लहसुन की कीमत घटकर 25 सेंट हो गई है।
एशिया के किसानों की हालत और भी बुरी हो चुकी है। वहाँ की सरकारों ने अपने किसानों को बचाने के लिए चाइना के लहसुन पर जमकर टैक्स लगाना शुरु कर दिया है। एग्ज़ाम्पल के लिए साउथ कोरिया ने चाइना के लहसुन पर 315% का टैक्स लगाया है। इसपर चाइना ने साउथ कोरिया के मोबाइल फोन्स और दूसरे पॉलिथीन के प्रोडक्ट को बैन कर दिया। 2011 में चाइना 1,000 पाउंड लहसुन इंडिया में स्मगल कर रहा था, लेकिन बिहार की सरकार ने उन्हें पकड़ लिया।
इस तरह से चाइना के लहसुन पर एकाधिकार की वजह से लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अगर अपना लहसुन खुद से उगाएंगे तो आपको इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
लहसुन के फायदों के पाने के लिए उसे कच्चा ही खाना शुरु कीजिए।
लहसुन के एक टुकड़े में लगभग 5 मिलीग्राम एलिसिन होता है। एलिसिन एक एंटिआक्सिडेंट है जो आपके शरीर में हो रही जलन और यीस्ट इंफेक्शन को ठीक करता है और साथ ही आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। लहसुन को कच्चा खाने से दिल की बीमारियों का और तरह तरह के कैंसर और इंफेक्शन का रिस्क कम हो जाता है। लेकिन अगर आप इसे हल्का सा भी पका देंगे, तो इसका जादू खत्म हो जाएगा।
लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप लहसुन को कच्चा ही चबाना शुरु कर दें। दुनिया में बहुत सी ऐसी डिश हैं जिसके ऊपर कच्चा लहसुन डालकर खा सकते हैं। एओली का सॉस, चिमिचुरी, पेस्तो, टेपनेट और हम्मस जैसे डिशेस के ऊपर लहसुन डालकर आप इन्हें खा सकते हैं।
आप चाहें तो अपने पास्ता के ऊपर भी कच्चा लहसुन डालकर उसे खाना शुरु कर दीजिए।
लहसुन की बहुत सी रेसिपी आपको इंटरनेट पर मिल जाएगी। लहसुन को कच्चा खाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसके फायदे के सामने वो मुश्किलें कुछ भी नहीं हैं।
Conclusion –
लहसुन के बहुत से फायदे होने के बाद भी लोग इससे काफी समय तक कतराते रहे। मध्य काल में यूरोपियन्स ने पहली बार इसे अपने हर रोज के खाने में मिलाकर खाना शुरु किया। आज के वक्त में भी लहसुन के ऊपर बहुत सी स्टडीज़ की जा रही हैं। लोग इसके फायदे को समझ रहे हैं और इसका इस्तेमाल खाने के साथ साथ अपने हर रोज की छोटी मोटी बीमारियों को ठीक करने के लिए भी कर रहे हैं।
क्या करें?
अगर आपके पैर के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन है, तो इस लहसुन के नुस्खे को अपनाएँ।
बूढ़े लोगों के पैर के नाखूनों में अक्सर फंगल इंफेक्शन हो जाता है। दुकानों से महंगी दवाइयां लेने के बजाय आप इस घरेलू नुस्खे को अपना सकते हैं। लहसुन के एक या दो टुकड़े, थोड़ा सा वोदका, एक रुई का कपड़ा और एक रबर का दस्ताना लीजिए। दस्ताने में से एक उंगली काट लीजिए। एक कटोरी में वोदका लेकर उसमें लहसुन रखकर उसे दबा दीजिए। इसके बाद रुई के कपड़े को उसमें मिगो कर अपनी इंफेक्शन वाली उंगली पर लपेट लीजिए। इसके बाद उसपर उस रबर के दस्ताने की उंगली को पहन लीजिए। इसी तरह रात को सोने चले जाइए और उसे सुबह निकालिए। दो हफ्ते तक यह करते रहिए, आपका इंफेक्शन खत्म हो जाएगा।
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आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.