ये कहानी है प्राची नाम कि लड़की की। जिसने कॉलेज passed out किया उसके बाद में सोचा कि जॉब नहीं करुँगी अपना खुद का बिज़नेस शुरू करुँगी।
तो उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया। 5-6 महीने तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन loss हुआ और वो स्टार्टअप बंद हो गया। दोस्तों ने भी काफी साथ दिया था। दोस्तों के साथ में सब कुछ शुरू किया था। लेकिन 5-6 महीने बाद जब वो बंद हुआ तो प्राची धीरे धीर डिप्रेशन कि तरफ जाने लगी।
उसको लगा एक सपना था, जो उसने देखा, जोकि अचीव नहीं हो पाया। उसकी फॅमिली ने काफी बार समझाया, लेकिन बात नहीं बनी, दोस्तों ने समझाया बात नहीं बनी। उसकी एक प्रोफेसर mam थी जिन्होंने उसे कॉलेज में पढ़ाया था।
एक mam ने प्राची को बुलाया कि बेटा घर पर मिलने के लिए आना। जब प्राची वहां पहुंची तो mam ने उसे कहाँ कि बेटा क्या कारण है, मुझे मालूम चला घर वाले आपको बता रहे थे, दोस्त बता रहे थे, आप बड़ी परेशान रहती हो।
तो प्राची ने बोला कि mam क्या बताऊँ ! मैंने 5-6 महीने उस स्टार्टअप को किया, बड़ी मेहनत की। तन-मन-धन के साथ में काम किया लेकिन कुछ भी नहीं बन पाया, सारे एफ्फोर्ट्स लगा दिए, लेकिन रिजल्ट 0 रहा।
उस प्रोफेसर ने कहाँ बेटा इसमें घबराने वाली बात क्या थी ! जिंदगी में काफी लोग फ़ैल होते हैं। कोई पहली बार तो किसी के साथ ऐसा हुआ नहीं है।
प्राची बोल रही थी mam मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है लाइफ में चल क्या रहा है! इतने एफ्फोर्ट्स करने के बाद में भी अगर रिजल्ट ना मिले तो मुझे नहीं लगता कि लाइफ का कोई मतलब है।
तो प्रोफेसर mam ने बोला कि बेटा मेरे साथ एक बार आओ। वो अपने गार्डन के तरफ लेकर के गयी प्राची को और गार्डन कि शुरुवात में एक टमाटर का पौधा उसको दिखाया जोकि मर चूका था। प्राची से कहा कि बेटा इसको देखो !
तो प्राची ने बोला mam इसको क्या देखूं, ये तो खुद मेरी तरह मरा हुआ है तो जो mam थी उन्होंने प्राची को समझाया की बेटा उल्टी-सीधी बातें ना करो। ये फालतू की डिप्रेशन वाली बातें ना करो। मैं आपको जो समझाना चाह रही हूँ वो ये समझाना चाह रही हूँ कि मैंने खुद भी इस टमाटर के पौधे को सारी वो चीजें दी जिसकी उसको जरुरत थी।
बीज डाला, उसके बाद में खाद डाला, कीटनाशक का स्प्रे किया सब कुछ, मतलब जिस जिस चीजों की जरुरत थी सब कुछ किया, लेकिन ये पौधा फिर भी मर गया। अब इस पर मेरा कण्ट्रोल तो है नहीं की मैं इसमें टमाटर भी लगवा दूँ। मेरा कण्ट्रोल था मेरी मेहनत पर, जो मैंने पूरी की।
तो प्राची ने बोला की mam जब आप यही बात खुद कह रही है तो मुझे क्यों समझा रही है ! आप खुद ही कह रही है कि मेहनत हम कर सकती है लेकिन रिजल्ट्स पर हमारा भरोसा नहीं हैं। मैं तो आपको ये बोलना चाह रही हूँ कि जब रिजल्ट पर हमारा भरोसा नहीं है वो उपरवाले के हाथ में हैं तो फिर हम एफ्फोर्ट्स भी क्यों कर रहे हैं??? हम क्यों अपने आपको परेशान कर रहे हैं! मैंने कॉलेज के बाद में जॉब इसलिए शुरू नहीं कि थी क्यूंकि मुझे स्टार्टअप करना था। मेरा अपना सारा मेहनत फ़ैल हो गया।
प्रोफेसर को वाकई में लगा कि प्राची बहुत ज्यादा डिप्रेशन की तरफ चली गयी है इसलिए सिर्फ और सिर्फ उल्टी बातें ही कर रही है।
उन्होंने एक बार फिर से समझाया कि बेटा मेहनत हमारे हाथ में हैं, रिजल्ट हमारे हाथ में नहीं हैं, फाइनल आउटकम हमारे हाथ में नहीं हैं। तुम समझो!
लेकिन प्राची समझने को तैयार ही नहीं थी।
वो जो mam थी उन्होंने बोला कि बेटा आओ एक बार कॉफ़ी पीते हैं। प्राची को भीतर लेकर गयी, लिविंग रूम में, कॉफ़ी लेकर के आयी mam, उसके बाद जब कॉफ़ी पी रहे थे और कॉफी पीने के बाद प्राची ने कहाँ कि mam मैं चलती हूँ, आपने समझाया उसके लिए थैंक यू।
आपने टाइम दिया, लेकिन जो होगा हो जायेगा। जो होना होगा हो जायेगा। आप परेशान मत हुईए मुझे लेकरके।
तो जो प्राची के mam थी उन्होंने कहा की बेटा जाने से पहले सिर्फ एक मिनट के लिए मेरे साथ आओ। वो प्राची को अपने घर के पीछे वाले एरिया में लेकर के गयी वहां स्टोर रूम था। वो स्टोर रूम का दरवाजा खोला। जैसेही दरवाजा खोला अंदर लाल टमाटरों का ढेर लगा हुआ था।
प्राची चौंक गयी, उसने बोला mam ये क्या टमाटर का पौधा तो मरा हुआ था। तो जो प्राची के mam थी उन्होंने बोला बेटा मैंने तुम्हें सिर्फ और सिर्फ गार्डन का पहला पौधा दिखाया था वो पहला पौधा दिखाने के बाद में तुम्हें वापस लेकरके आ गयी थी।
तुम्हें पूरा गार्डन नहीं दिखाया था। सिर्फ एक टमाटर का पौधा था जो मर चूका था बाकी सारे वो थे जिनकी वजह से यहाँ पर इतने टमाटर तुम्हें दिख रहे हैं।
मैं तुम्हें सिर्फ ये समझाना चाह रही हूँ कि जो पहली बार फ़ैल हो जाता है तो अगर उसने यही मान लिया कि फ़ैल होता रहूँगा तो वो कभी भी सक्सेस नहीं पायेगा। तुम्हें अपनी काम करने की तरीके को बदलना होगा, पाजिटिविटी लेकरके आनी होगी और एक बार अगर फेलियर मिला तो इसका मतलब ये नहीं कि हमेशा फ़ैल होती रहोगी।
Conclusion
ये छोटी सी कहानी हमें सीखाती है कि लाइफ में जितने महान लोग हुए हैं, जितनी भी बड़ी बड़ी पर्सनालिटीज के बारे में हम जानते हैं चाहे क्रिकेटर हों, एक्ट्रेस हों, सिंगर्स हों, बिजनेसमैन हों, पॉलिटिशंस हों, उन सबके साथ में ये हुआ है। काफी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।
अगर आपको लगता है कि आप किसी वजह से डिप्रेशन में जा रहे हैं, किसी वजह से आपको फेलियर का सामना करना पड़ा है तो कोशिश करते रहिए। लगातार कोशिश जब आप करते रहेंगे तो आपको भी मालूम नहीं चलेगा कि वो कोशिश आपको कब बहुत बड़ा रिजल्ट देकरके जाएगी। लगातार संघर्ष करते रहिये, जिंदगी बस इसी का नाम हैं।
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