Monk Who Sold His Ferrari Book Summary in Hindi. Hello दोस्तों, ये है रोबिन शर्मा की किताब “Monk Who Sold His Ferrari” की Summary. ये बहुत ही interesting बुक Summary है अगर time है आपके पास तो पूरा पढ़े,
क्यूंकि अगर आप इस Summary को नहीं पढ़ेंगे तो जीवन का कोई महत्व आपको समझ में नहीं आएगा। बाद अगर आप किसी व्यक्ति को इस बुक की बात करते हुए मिलेंगे तो आप जरूर पछताओगे की क्यूँ मैंने इस बुक को नहीं पढ़ा।
आज से ही बुक पढ़ने की आदत अपना ले, जिंदगी बदल जायेगा सच में।
सन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी Monk Who Sold His Ferrari Book Summary in Hindi
1. THE WAKE UP CALL
मै हैरान था !!
अचंभित था ये देख कर कि जिस इंसान ने अदालत में खड़े होकर अनगिनत कानूनी मामले जीत कर पूरे देश में नाम और शोहरत कमाया था…आज वही प्रख्यात वकील उसी भरी अदालत में ज़मीन पर गिरा हुआ था।
वो इंसान जो अपने काम और सफलता के लिए मशहूर थे, जिनके शानो-शौकत के चर्चे होते थे। आज वही इंसान ज़मीन पर तड़प रहे थे। उनको आराम देने की सभी कोशिशे व्यर्थ लग रही थी,
और मै बैठा यही सोच रहा था, “नहीं, आप ऐसे नहीं मर सकते”.
“जिस इंसान ने ज़िन्दगी अपनी शर्त पे जी हो। जिसने अपना मुकद्दर खुद लिखा हो, वो इन्सान ऐसे नहीं मर सकता।
वो इंसान जिसने अपने हुनर, काबिलियत और कठोर परिश्रम से इतनी सफलता और शोहरत पायी हो, वो इतनी आसानी से नहीं मर सकता”.
महान जुलियन मेंटल से मेरे ताल्लुकात 17 साल पुराने है, जब मैंने उनके दफ्तर में काम करना शुरू किया था। धीरे-धीरे हमारे सम्बन्ध अच्छे होते गए, शायद मै उनको सबसे करीब से जानने लगा था।
यकीन नहीं हो रहा था..कि ये वही जूलियन मेंटल है..17 साल पहले क्या तेज़ था इनकी आँखों में ! मानो पूरी दुनिया इन्ही पर निर्भर करती हो। हर चीज़ को अपनी ही शर्तो पर करना…या यूँ कहूँ कि हर परिस्तिथि को अपने काबू में रखना इनकी आदत सी थी।
शायद मुझ में भी कुछ बात रही होगी…तभी तो इतने सारे लोगों के बीच उन्होंने मुझे चुना। एक मामूली लड़के को जिसका दूर दूर तक चालाकी से कोई ताल्लुक नहीं थी, हाँ बस ये कि मै अपने बलबूते पर Harvard Law School से पढ़ कर आया था।
जूलियन के साथ काम करना खुशनसीबी थी मेरी। आपको ये जानकर शायद हैरानी हो, जितनी शक्ति वो दुनिया को दिखाया करते थे..उनके अन्दर उतना ही नर्म दिल एक बच्चा छुपा हुआ था। जो भावुक भी था और नादान भी। लेकिन जो दुनियादारी की फ़िक्र से बंधा हुआ था।
उनका शानदार भव्य बंगला या चमचमाती लाल रंग की फेरारी के पीछे कुछ तो रहस्य था जो सब कुछ होते हुए भी उनके अन्दर एक अजीब सा अकेलापन होने लगा था।
कुछ तो राज़ था जिसका असर उनके काम और व्यवहार दोनों पे दिखने लगा था, और शायद यही उनकी बेचैनी का कारण भी बन रही थी।
शायद दुनिया की इस दौड़ में वो पीछे रहना नहीं चाहते थे, तभी तो शोहरत और कामयाबी की भूख उन्हें दिन-ब-दिन निगल रही थी।
ये तुम क्या कर रहे थे जूलियन…सब कुछ तो था तुम्हारे पास फिर भी ये कैसे भूख थी तुम्हे ? क्या कुछ पाना था तुम्हे ? क्या चाहिए था तुम्हे ? किस चीज़ की तुम्हे तलाश थी ?
आधी उम्र के होके भी वो बुज़ुर्ग लग रहे थे। एक गहरी थकान उनके चेहरे पर हमेशा कायम थी…और साथ ही वो हँसना भी भूलने लगे थे।
मुझे अब भी याद है, जब वो मुझसे अपने खालीपन की शिकायत करते थे..वो कहते थे कि अब वो वकालत से ऊब चुके है।
आज दिल का दौरा पड़ने से वही महान इंसान ज़मीन पर यूँ गिरे हुए थे जैसे मानो कि प्रकृति ने उन्हें जिंदगी के असली मायनों से मिला दिया हो।
दुसरो के लिए जीना यही वजह थी जो कि नौजवान जूलियन ने वकील बनने का सपना देखा था। पर अब ये वजह कहीं गुम हो चुकी थी…इस खालीपन के पीछे एक गहरी कहानी थी,
कुछ लोगों ने मुझे बताया था कि मेरे दाखिले से पहले फर्म में जूलियन के साथ एक बड़ी घटना घटी थी..जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। तब मुझे ये दीवारे पर्दों से मजबूत मालूम पड़ी।
इस राज़ से में अब तक अनजान था..कोई भी उस बात का जिक्र नहीं करता जिसने जूलियन से शायद उनका ज़मीर छीन लिया। मुझे जानना था कि उस रोज़ जूलियन के साथ ऐसा क्या हुआ था? जिसने मेरे सबसे अच्छे दोस्त की ये हालत की।
और आज…मेरे ही सामने जूलियन पड़े हुए थे, और मै हमेशा की तरह कुछ न कर सका!!
2. वो रहस्यमयी अतिथि
अब कंपनी जूलियन के बिना अपाहिज सी होने लगी थी और तुरंत ही आपातकालीन बैठक बुलाई गयी, इस बैठक में जो कुछ भी कहा गया उसने मुझे झंझोड़ कर रख दिया!
सबसे पहले सभी को सूचित किया गया कि जूलियन मेंटल को दिल का दौरा पड़ा था और कि उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है। आगे जो मैंने सुना वो शब्द मुझे आज तक याद है।
“मुझे ये बताते हुए बेहद दुःख है कि जूलियन मेंटल ने हमारे परिवार को अलविदा कहने का निर्णय ले लिया है”.
मुझे लगता था कि मै जूलियन को सबसे करीब से जानता था। पर शायद ऐसा नहीं था, मै जानता था कि उन्हें ये सब बोझ लगने लगा था, लेकिन मुझे ये अंदाजा नहीं था कि ये नौबत इतनी जल्दी आ जायेगी।
हाँ! ये सच था.. देश के सबसे बड़े वकीलों में से एक महान जूलियन मेंटल अब कभी वकालत नहीं करेंगे !
आज पूरे 3 साल बीत चुके है, मुझे आज..जूलियन के बारे में सिर्फ इतना पता है कि उन्होंने अपना आलिशान बंगला और उस लाल फेरारी को बेचकर मन की शांति के लिए वो भारत रवाना हो गए थे “शायद अपने जीवन के कुछ प्रश्नों के ज़वाब ढूँढने”.
इन 3 सालो ने, मुझे भी काफी हद तक बदल दिया…मै अपने परिवार के महत्त्व को समझने लगा हूँ, और कभी कभार आज भी अपनी मसरूफियत से वक्त निकाल कर जूलियन मेंटल को याद कर लेता हूँ। मगर ये जिंदगी मुझे चौंकाना छोड़ दे तो इसे जिंदगी कैसे कहेंगे?
एक दिन मेरे दफ्तर में लगभग 30 साल का एक नौजवान व्यक्ति आया…वैसे ज्यादा काम होने की वजह से मैं लोगों से कम ही मिलता जुलता हूँ।
पर कुछ तो बात थी उस व्यक्ति में जो उस पर नज़र पड़ते ही मै काफी मोहित हो गया, एक अलग सा ही सुकून था उसके चेहरे पर जो उसे बाकियों से अलग कर रहा था।
मै मानो उसकी मौजूदगी से सम्मोहित हो चूका था कि तभी अचानक उस व्यक्ति ने बड़ी ही विनम्रता से मुझसे कहा –
“क्या आप अपने सभी मेहमानों से इसी तरह पेश आते है? जिसने आप को अदालत के दांव-पेंच सिखाये है उनसे भी ?
ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए! मै चौंक गया, जूलियन…ये तुम हो? हाँ, वो नौजवान सा दिखने वाला व्यक्ति जूलियन है!!
उत्साह की लहर मेरे अन्दर मानो उमड़ती जा रही थी। ये आखिर कैसे मुमकिन हो सकता है ? मुझे समय लगा ये यकीन करने में….पर ये सच है। एक बदला हुआ जूलियन मेंटल मेरे सामने इस तरह खड़ा है मानो फ़रिश्ते भी उसे देख कर शरमा जाए!
ये शहद सी मीठी आवाज़, ये तेज़, ये ठहराव…आखिर क्या किया था जूलियन ने इन 3 सालो में कि उसे पहचान पाना भी अब मुश्किल हो रहा था।
3. जूलियन मेंटल का जादुई काया-कल्प
और एक बार फिर जूलियन मेंटल ने मुझे अचंभित कर दिया!!
आखिर हिमालय की पहाड़ियों से ये कौन सी संजीवनी बूटी खाकर आये थे ? मै मन ही मन ये सोचने लगा…क्या वहां कोई जादुई कुंवा है जो इंसान को जवान बना देता है?
कैसे ये बुज़ुर्ग से दिखने वाले जूलियन इस तरह बदल गए कि मानो सभी देवी देवता इन्ही पर मेहरबान हुए हो। आखिर इन 3 सालो में जूलियन कहाँ थे ? और क्या कर रहे थे ? ये सभी सवाल मुझे उत्सुक कर रहे थे।
लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाता, जूलियन ने मेरे सभी सवाल मानो मेरी आँखों से पढ़ लिए हो
जूलियन ने सबसे पहले ये बात कुबूल की कि वो कितने गलत थे..उनकी जिंदगी किस तरह ख़ुशी और महत्वपूर्ण सफलता के रास्ते से भटक गयी थी।
बीमार पड़ने के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें अब कामयाबी की भूख त्यागनी होगी। क्योंकि यही बात अब उनकी जान की दुश्मन बन बैठी थी। उस वक्त जूलियन ने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला लिया। ये फैसला था अपनी जिंदगी को चुनने का।
एक अजीब इस रौनक थी उनके चेहरे पर जब जूलियन मुझे ये बता रहे थे कि किस तरह उन्होंने अपना घर और अपनी चहेती लाल फेरारी बेच कर भारत जाने का फैसला लिया।
जूलियन किसी बच्चे की तरह उत्साहित होकर मुझे अपनी कहानी सुना रहे थे..उस जगह के बारे में जहाँ सारी जीवन शैली प्रकृति की गोद में खेलती है, किस तरह वो गाँव-गाँव में कभी रेल से तो कभी मीलों पैदल चलकर अपना बिखरा हुआ जीवन समेट रहे थे।
मैं खुश था..कि जूलियन अब दुबारा हँसना सीख चुके थे।
जूलियन ने तब मुझे बताया कि जगह-जगह घूमने पर उन्हें हिन्दुस्तानी सन्यासियों के बारे में पता चला। ये सन्यासी उम्र के मोहताज़ नहीं होते और कुछ ऐसे सन्यासी जिन्होंने इंसानी दिलो-दिमाग पर काबू करना सीख लिया था।
मुझे हैरानी हुई ये जानकर कि मेरे दोस्त जूलियन इन्ही सन्यासियों के साथ अपना समय बिता कर आये है। उन अध्यापिको के साथ रहकर आये है जो बिना दक्षिणा के जीवन जीने का सलीका सिखाते है।
तभी जूलियन ने मुझे कुछ ऐसे बात बताई जिसने मेरे पैरो तले ज़मीन हिला दी। कश्मीर की वादियों में घुमते वक्त वो एक ख़ास योगी से मिले जिन्होंने जूलियन को उम्मीद की किरण दिखाई।
जूलियन की ही तरह वो योगी भी एक सफल वकील थे जिन्होंने मोह माया त्याग कर सन्यासी जीवन को चुना। योगी ने जूलियन को बताया कि कश्मीर से मीलों दूर हिमालय की चोटियों पर सीवाना नाम की एक बस्ती है..जहाँ हिमालय के सबसे आध्यात्मिक सन्यासियों का वास है।
ये सन्यासी उम्र के हर पड़ाव को पार चुके है और कुछ तो अद्भुत शक्तियों के मालिक है। वो जीते-जी ज्ञान के सागर है जिन्हें आत्मा और शरीर को तृप्त करने के सन्दर्भ में प्राचीन कला हासिल है। उन सन्यासी को कोई भी सामान्य व्यक्ति नहीं ढूंढ पाता।
ये सुनते ही जूलियन को मालूम हो चूका था कि अब उनकी मंजिल कहाँ थी..तब बिना वक्त गवांये वो सिवाना की खोज में जुट गए।
अगली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही जूलियन की तलाश भी शुरू हुई। शुरुवाती दिनों में उसे बहुत दिक्कतों का सामना तो नहीं करना पड़ा लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया जूलियन की मुश्किलें बडती गयी।
रास्ते कठिन और जानलेवा बन चुके थे, और अब तो खाना और पानी भी काफी नहीं पड रहा था। लेकिन जूलियन ने हार नहीं मानी। हिमालय की ऊँची पहाड़ियों पर उन खूबसूरत वादियों में अकेले ही चड़ाई पर निकल पड़े।
मैंने दबी हुई आवाज़ में जूलियन से पूछा कि क्या घर-बार छोड़ना कठिन नहीं था..उनका ज़वाब उनकी ही तरह बेबाक था। जूलियन ने कहा कि मोह को त्यागना उनके जीवन का सबसे कठिन नहीं बल्कि सबसे आसान उपाय था। क्योंकि इसके बदले उन्हें तृप्ति और अपार शान्ति नहीं मिलती।
जूलियन कई दिनों तक हिमालय पर भटकते रहे और अंत में उनकी सेहत भी उनका साथ छोड़ने लगी थी। एक मोड़ पर आकर वे टूट से गये..उनकी आँखों के सामने उनकी पिछली जिंदगी के पल किलकारियां भर रहे थे..वो क्या ढूँढने आये थे यहाँ ? और क्या उन्हें वो मिल पायेगा ? यही सोचते-सोचते जूलियन की आँखे बंद हो रही थी।
लेकिन तभी…जूलियन ने अपने सामने एक छवि देखी।
मैं ये सोच रहा था कि उस सुनसान और अंजान इलाके में किसी मनुष्य का होना कितना संभव होगा !!!
खैर, जूलियन ने होश संभालते हुए लाल कपड़ो में लिपटे उस व्यक्ति से मदद की गुहार लगाईं। जैसे ही वो व्यक्ति जूलियन की तरफ मुडा, उसकी दिव्यता देखकर जूलियन दंग रह गए।
ऐसा अद्भुत स्वरुप जूलियन ने पहले कभी नहीं देखा था जिससे प्रभावित होकर जूलियन को ये समझ आ चूका था कि ये सिवान के उन सन्यासियों में से एक होंगे।
उस व्यक्ति ने जूलियन से पूछा कि आखिर वो सिवान के सन्यासी को क्यों ढूंढ रहा था? तभी जूलियन ने उन्हें अपनी पूरी कहानी बताई, और तब सन्यासी उन्हें एक शर्त पर अपने साथ सिवान ले जाने के लिए राजी हो गए।
शर्त ये थी कि सन्यासी के द्वारा मिलने वाले ज्ञान को दुनिया भर में फैलाना, और उन्ही फलसफों से ज़रूरतमंदो की मदद करना। उस पल से ही सन्यासियों की ही तरह जूलियन का मकसद भी दुनिया को जीने की एक बेहतर जगह बनाना होगा।
4. सिवान के चमत्कारी साधुओ से एक अनोखी मुलाकात
अब जूलियन ने चैन पाया और सिवान के उस संन्यासी के साथ निकल पड़े, रहस्यमय सिवान तक पहुचने के लिए। कई घंटो तक घुमावदार और जटिल रास्तो को पार करके जूलियन और संन्यासी एक हरी-भरी घाटी में पहुंच गए।
एक तरफ हिमालय की उंची पर्वतमाला तो दूसरी ओर चीड़ के घनघोर पेड़। इन दोनों के सम्मिलन ने घाटी की सुन्दरता को अद्भुत उंचाईयों पर पहुंचा दिया था।
बस अब यही वो पल था। जूलियन का इंतज़ार ख़त्म हुआ जब संन्यासी ने उनसे कहा – सिवान में आपका स्वागत है!
यहाँ दोनों फिर घाटी की ओर बढने लगे जो जंगल से होकर गुज़रता था। चीड़ और चन्दन के पेड़ो की खुशबू ने पूरे वातावरण को सम्मोहक कर दिया था। जंगल में चहचहाते पंछी मानो पेड़ो पर नाच रहे हो, धरती पर अगर स्वर्ग होता तो शायद ऐसा ही होता।
कुछ दूरी तक चलने के बाद आखिरकार सिवाना नामक वो बस्ती जूलियन के बिलकुल सामने थी। गुलाब के फूलों से सजी हुई इस बस्ती के बीचो-बीच एक मंदिर बना हुआ था। इस बस्ती का हर व्यक्ति एक संन्यासी था। हर एक चेहरे पर हंसी और मुस्कराहट थी।
जूलियन को ऐसा लग रहा था मानो तनाव नाम की बिमारी इस गाँव में थी ही नहीं और ना ही कभी किसी ने तनाव अनुभव किया होगा।
जैसे-जैसे जूलियन ने यहाँ समय बिताया उसे इस जगह की दिव्यता और अद्भुतता का एहसास होने लगा। मानो यही वो जगह थी जो जूलियन की खोयो हुई जीने की चाह को दुबारा जगा सकती थी जो कि अपनी कारोबारी जिंदगी में गुमराह होकर उन्होंने त्याग दी थी।
इसी तरह जूलियन के जीवन की एक नयी शुरुवात होने लगी जो उसके पिछले जीवन से बिलकुल अलग काफी असाधारण थी।
5: अद्भुत सन्यासियों का एक अध्यात्मिक चेला
जूलियन की अविश्वनीय कहानी सुनते-सुनते कब सुबह से शाम हो गयी पता ही नहीं चला। एक वक्त के लिए ऐसा लगा कि मानो मैं भी उन्ही के साथ हिमालय की सैर पर था।
लेकिन अब जूलियन का बदला हुआ व्यक्तित्व मुझे भी अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। अब तो मेरा भी मन है इस सम्मोहित तृप्ति को अनुभव करने का। पर मुझे अदालत में होने वाली कल की सुनवाई की तैयारी करनी है।
पर आज जूलियन की बातों ने, उसकी अधूरी कहानी ने मुझे आईना दिखाया है। ये एहसास दिलाया है कि कहीं न कहीं मैंने भी पुराने जूलियन की ही तरह अपने कल वाले व्यक्तित्व को खो दिया है।
कभी मुझे भी छोटी से छोटी चीज़ में ख़ुशी मिलती थी और अब मुझे उस एहसास की झलक भी याद नहीं है। मेरी रूचि को भांपते हुए जूलियन ने अपनी कहानी की गति बड़ाई। सिवाना समुदाय के लोगों ने अपना स्नेह जूलियन के प्रति व्यक्त करते हुए उन्हें अपने समुदाय का हिस्सा बना लिया।
जूलियन अपने ज्ञान को बढाने हेतु अपने तन और मन से हर एक पल योगी की तरह बिताने लगे। उन सन्यासियों का वो ज्ञान कई वर्षो की कठोर तपस्या का नतीजा था और वो सब उस ज्ञान को जूलियन के साथ बांटने के लिए तैयार थे और वो भी बिना किसी संशय के।
जूलियन उन सन्यासियों के साथ बैठकर जीवन के कई अद्भुत विषयों पर विचार करते जो उन्होंने जीवन में प्राप्त की थी। जल्द ही जूलियन समझ चुके थे कि वो अपने मन को विचलित होने से कैसे रोक सकते है।
जैसे-जैसे दिन, रात,महीने बीतते गए जूलियन को एहसास होता चला गया कि अब उनके अन्दर एक क्षमता है जिसे वो दूसरों की भलाई के लिए उपयोग में ला सकते है।
सिवाना के पहले 3 हफ्तों में ही जूलियन को अपने अन्दर एक बदलाव महसूस होने लगा। उनको हर एक छोटी से छोटी चीज़ में आनंद आने लगा चाहे वो अँधेरे में चमचमाते सितारें हो या फिर मकड़ी का एक जाला ही क्यों न हो!
उन्होंने बताया कि कुछ महीनो में ही उन्हें मन की शान्ति और आत्मा की तृप्ति का एहसास होने लगा जो उन्होंने कई सालो तक शहर में रखकर अनुभव नहीं किया था।
अंत में जूलियन को अपने जीवन की कीमत का अंदाज़ा हुआ और अपनी असली मंजिल का एहसास हुआ। ये सब उन साधुओ की वजह से मुमकिन हो पाया था।
मधुर आवाज़ में उन्होंने ये भी बताया कि “हमें पहले अपने मन और आत्मा को तृप्त करना आना चाहिए, तभी हम अपने जीवन और अपने सपनो को जी सकते है”.
तभी अचानक जूलियन ने जाने की बात की क्योंकि मेरे दफ्तर का समय हो चूका था। मेरे बहुत विनती करने पर भी वो नहीं रुके। उन्होंने कहा कि – तुम्हारे और इस पूरे समाज को बुद्धिमता प्राप्त करने का अधिकार है। मैं तुमसे वादा करता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ अपना ज्ञान ज़रूर बांटूंगा।
वो मेरे दफ्तर से तो जा चुके थे लेकिन अपनी छाप मुझ पर छोड़ चुके थे और मैं ? मैं अपना सर पकड़ कर सोचने लगा कि मेरी दुनिया कितनी छोटी थी।
मुझे आज एहसास हो रहा है कि बचपन में जो उल्हास और मासूमियत मुझमे थी अब वो नहीं रही, और किसे पता शायद जूलियन की ही तरह मैं भी किसी दिन ये सब दुनियादारी छोड़ कर उन्ही की तरह तृप्ति की तलाश में कहीं दूर निकल जाऊं!!
इन सभी ख्यालो के साथ मैं अपने दफ्तर से बाहर निकला और तेज़ धूप में अपनी मंजिल की ओर चल पड़ा।
6: अंतर्मन के ज्ञान का चमत्कार
जैसा कि जूलियन ने कहा था, वो शाम को मेरे घर पहुँच गए। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला जूलियन को लाल रंग के अजीब से एक पोशाक में देख कर मैं हैरान हो गया।
जूलियन से दुबारा मिलने की उत्सुकता में दिनभर मैं मुश्किल से कुछ काम कर पाया था। इसलिए जूलियन ने भी बिना वक्त गँवाए उन रहस्यों को मेरे सामने एक-एक कर खोलना शुरू दिया और अपनी अधूरी कहानी के बारे में बताने लगे।
पर ना जाने क्यों मेरे मन को अभी भी जूलियन की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। अचानक से मेरे मन में एक उलझन सी आने लगी। क्या हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढा हुआ ये वकील सच में अपना घर-बार त्याग सकता है? कहीं जूलियन मुझसे कोई शरारत तो नहीं कर रहे थे?
लेकिन फिर जूलियन ने मेरा शक दूर किया..
जूलियन शांति से चाय की प्याली में चाय भरने लगे…चाय प्याली में भरकर गिर रही थी पर जूलियन रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
आखिर मेरे सब्र का बांध टूटा और मैंने पूछ ही लिया – ये क्या कर रहे हो तुम? इसमें और चाय नहीं आएगी, ये भर चुका है”.
और जूलियन ने मुस्कुराते हुए कहा “ जिस तरह इस भरी हुई चाय की प्याली में और चाय नहीं आ सकती, उसी तरह तुम्हारा दिमाग भी तुम्हारे अपने ही ख्यालो से भर चूका है. ऐसे में नया ख्याल उसमे कैसे भर सकते हो तुम”?
उसकी बातों की सच्चाई सुनकर मैं थम सा गया
मुझे यकीन दिलाने के बाद आखिरकार जूलियन ने मुझे बताया कि किस तरह सिवाना के उस संन्यासी से जीवन का सबसे अहम् और सबसे बड़ा ज्ञान हासिल हुआ है..जिसने उनकी जिंदगी बदल दी थी। ये ज्ञान था जीवन के उन अनमोल 7 सूत्रों का।
जूलियन ने अपनी आँखे बंद कर ली जैसे मानो वो इस दुनिया से परे वापस हिमालय की उन्ही वादियों में चले गए हो। उन्होंने मुझे भी अपनी आँखे बंद करके वो जो बता रहे थे उसकी कल्पना करने को कहा।
ये वही कहानी थी जो उस संन्यासी ने जूलियन को सुनाई थी…और अब यही कहानी जूलियन मुझे सुना रहे थे।
जूलियन कहने लगे…
“तुम एक शानदार हरे-भरे और सुन्दर बगीचे में बैठे हो”
पूरा बगीचा बहुत ही सुन्दर फूलों से भरा हुआ है। तुम्हारे आस-पास सब कुछ बहुत शांत है। इस बगीचे में तुम सच का स्वाद लो..मानो जैसे तुम्हारे पास समय ही समय है।
अब सामने की और तुम्हे एक लाल रंग का एक बड़ा लाईट हॉउस नज़र आता है…और अचानक से उस बगीचे की शान्ति भंग हो जाती है। तभी एक दरवाज़े के टूटने की आवाज़ आती है जिसमे से एक सूमो पहलवान बाहर आता है और बगीचे के बीचो-बीच घूमने लगता है।
उस सूमो पहलवान ने एक पतली सी तार का लंगोट बनाकर पहन रखा है..जैसे ही सूमो पहलवान आगे बढता है उसे अपने सामने एक सोने की घडी दिखाई देती है जो मानो कई सालो से वही पड़ी हो.. उस घडी पर पैर पड़ते ही वो सूमो पहलवान गिर पड़ता है और बेहोश हो जाता है।
कुछ देर बाद सांस लेते ही उसे गुलाब के फूलों की सुगंध आती है और वो तुरंत से वापिस खड़ा हो जाता है। होश संभालते हुए वो आस-पास देखने लगता है और उसे झाड़ियों में से एक रास्ता दीखता है जो ढेर सारे हीरों से भरा पड़ा है। बिना वक्त गवांये वो सूमो पहलवान उस रास्ते पर निकल पड़ता है, और तुम्हारी आँखों से ओझल हो जाता है।
“ये कैसी अजीब सी कहानी थी? क्या तुम इस कहानी को सुनाने इतनी दूर गए थे?” मैंने जूलियन से बड़ी ही बेबाक आवाज़ में पूछ लिया।
इस पर जूलियन ने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि उसने भी सिवाना के संन्यासी से कुछ ऐसा ही पूछा था…जब उस महान संन्यासी ने जूलियन को ये कहानी सुनाई थी, और मैंने भी जूलियन की ही तरह कहानी में छुपे हुए उन 7 सूत्रों को नज़रंदाज़ कर दिया था।
और अब बारी थी…जिंदगी के इन्ही छुपे हुए 7 सूत्रों को जानने की..
7:- 7 सूत्रों वाला एक बहुत ही अनूठा बागीचा
पहला सूत्र –
इस काल्पनिक कहानी में बागीचा हमारे मन को दर्शाता है। अगर आप अपने मन को विचलित होने से रोकते है, उसकी देखभाल करते है, उसे उपजाऊ बनाते है तो तुम्हारा मन तुम्हारे विचारों से कई ज्यादा खिलेगा,
और अगर तुम उसमे गलत विचार पालते हो तो तुम्हारे मन के बगीचे में नकारात्मक ऊर्जा या नेगेटिविटी पैदा होगी..एक बगीचे में हम जैसे बीज बोते है..हमें उसी तरह के फल और फूल मिलते है !
ठीक इसी तरह जब हम अपने दिमाग में लगातार सकारात्मक बातों के बारे में सोचते है…हमारा दिमाग भी उसी खूबसूरत बगीचे की तरह हमें अंदर से संतुष्ट और उपजाऊ रखेगा,
लेकिन अगर हम अपने अंदर नकारात्मक विचार भरते है तो इसका अंजाम भी गलत ही निकलता है। हमारे जीवन में गलतियों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हमें हमारे जीवन के हर एक सबक से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए..यही है हमारे जीवन का पहला सिद्धांत।
दूसरा सूत्र
इस कहानी का दूसरा सूत्र छुपा हुआ है उस लाईट हाउस में। जो कि हमारे जीवन के सभी उद्देश्यों को दर्शाता है। जिस तरह एक लाईट हाउस सटीकता से किसी भी नौका या ज़हाज़ को अपनी रौशनी से सही रास्ता दिखाता है..ठीक उसी तरह हमें भी अपने जीवन के लक्ष्य और महत्वाकान्क्षाओ की ओर सटीकता से बढना चाहिए। उन्हें पूरी तरह से जानना ही हमारा सबसे पहला कर्तव्य है।
भले ही इसमें देर लगे..लेकिन एक ना एक दिन हम अपनी मंजिल तक पहुँच ही जायेंगे. हमें हमारे लक्ष्य की ओर बड़ने के लिए एक “जूनून” की बहुत ज़रुरत है…और उस जूनून को पाने के लिए हमें अपने अंदर आत्मशक्ति और धैर्य का निर्माण करना आना चाहिए।
ये करने के लिए हमारे पास 5 तरीके है –
1.हमें हमारे मन में अंतिम परिणाम का साफ़ चित्रण रखना होगा, उस इनाम की कल्पना करनी होगी जिससे हमें आगे बड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
2.हमें हमारे ऊपर सकारात्मक दबाव बनाए रखना होगा जिसे हम हमारे लक्ष्य के मार्ग से भटक ना जाए।
3.मंजिल हासिल करना यही एक महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है…उस मंजिल तक पहुँचने के लिए एक निर्धारित समय भी तय करना अनिवार्य है, क्योंकि हमारे जीवन में कई सारे लक्ष्य है जिसे हमें पाना है।
4.अपने लक्ष्य को किताब में लिखकर रखे और रोज़ सुबह उठकर उस किताब को खोलकर देखे, जिससे तुम्हारे अंदर अपने लक्ष्य की ओर पहुँचने की प्रेरणा बनी रहेगी, और तुम्हारा मन विचलित नहीं होगा।
5. 21 अंक का जादुई नियम – ये सब तकनीक और जादुई नियम तुम्हे लगातार 21 दिनों तक और निरंतर एक ही समय पर करना होगा, जिससे वो बात तुम्हारे रोजाना नियम यानी रूटीन का एक अहम् हिस्सा बन जाएगा।
तीसरा सूत्र
जिंदगी का वो तीसरा सिद्धांत कहानी में अजीब से दिखने वाले उस सूमो पहलवान – कैजें, से जुडा हुआ है, कैजें एक जापानीज़ चिन्ह है जिसका मतलब होता है निरंतर सीखना और निरंतर सुधार करते रहना। एक सूमो पहलवान को अपनी खुराक के साथ-साथ अपने अनुसाशन का भी ख्याल रखना पड़ता है।
ठीक इसी तरह हमें भी अपने जीवन में मेहनत के साथ-साथ अनुसाशन का भी ख्याल रखना चाहिए। हमें अपने मन को काबू में रखना भी आना चाहिए। हमें उसे अपने शरीर का एक अहम् हिस्सा बना लेना होगा।
कामयाबी हमेशा हमारे ही भीतर से आती है…हमें अपने आप को, अपने विचारों को कैसे रखते है…कामयाबी उसपर निर्भर करती है। हमें हमारे मन और आत्मा को निरंतर शुद्ध करते रहना चाहिए…तुम्हारे सामने कई कठिनाईया आएँगी पर उनसे घबराने से उनका समाधान नहीं मिलेगा…जो व्यक्ति अपने डर पर काबू पा लेता है वो अपने जीवन में कभी असफल नहीं होता।
चौथा सूत्र
4th सिद्धांत समझ आता है उस सूमो पहलवान के लंगोट में। जी हाँ,..वो लंगोट जो पतले तार से बनी हुई थी…कोई भी तार ढेर सारे पतले तारों को जोड़ कर बनती है। भले ही ये पतली तारे अपने आप में कमज़ोर हो, लेकिन साथ मिलने पर ये एक मज़बूत तार बनाती है।
ठीक इसी तरह हमारे जीवन में वो बहुत सारी छोटी लेकिन अच्छी आदतें होती है, जिनपर अक्सर हम ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन ये सभी साथ मिलकर एक बड़ा फर्क लाती है। फिर चाहे वो सुबह जल्दी उठना हो,,या फिर पौष्टिक खाना खाना हो।
ये सभी आदतें भले ही ज्यादा बड़ी ना लगती हो। लेकिन एक लम्बे समय बाद यही चीज़े आपको एक बेहतर इंसान बनाती है, और आपकी सफलता तय करती है! अपने अंदर हमेशा एक सकारात्मक इच्छा शक्ति का संचार बनांये रखे जिससे आत्मा हमेशा शीतल बनी रहेगी।
पांचवा सूत्र –
इस कहानी का पांचवा सिद्धांत उस सोने की घडी से जुड़ा हुआ है जिसे उठाते वक्त सूमो पहलवान गिर जाता है। आप समझ ही गए होंगे कि ये घडी हमारे जीवन के समय को दर्शाती है।
अमीर हो या गरीब सभी के पास हर रोज़ 24 घंटे ही होते है। हम में से बहुत से लोग ऐसे होते है, जिन्हें बेवजह काम टालने की आदत होती है। ये सरासर वक्त की बर्बादी है।
समय का ध्यान रखने का मतलब ये नहीं कि हम हर वक्त काम ही काम करे। लेकिन अपने काम, सामाजिक जिंदगी और परिवार के बीच इसी समय का एक अच्छा संतुलन बनाए।
क्योंकि हर सफल इंसान दिन में उसी 24 घंटे में वो सब कुछ कर लेता है…जिसके बारे में हम सिर्फ सोचते ही रहते है। एक बार समय हमारे हाथ से फिसल गया तो वापिस कभी लौट कर नहीं आने वाला…इसलिए हमें समय का सम्मान करते हुए उसका आदर करते हुए,,उसका हमेशा पालन करना आना चाहिए।
छठा सूत्र –
छठा सिद्धांत जुडा हुआ है गुलाब के फूल से जिसे सूंघकर उस पहलवान को होश आया था। एक मशहूर चीनी कहावत है कि जो लोग दुसरो को फूल देते है, अक्सर उनके हाथो में फूलों की खुशबू रह जाती है, और यही खुशबू दर्शाती है एक सामाजिक कारण को।
भले ही आप कितने भी अमीर क्यों ना हों, दुसरो की मदद करने से जो सुकून मिलता है उसकी कीमत आप नहीं लगा सकते। इसी लिए दुनिया के सबसे अमीर लोग दान-पुन्य कर अपने मन को संतुष्ट करते है। तो यदि आपको भी यही सुख चाहिए तो दूसरों की मदद करना सीख लीजिये।
एक मशहूर कहावत है – कर भला तो हो भला। ये कहावत इसी सिद्धांत को दर्शाती है..हमें अच्छाई का काम कभी छोड़ना नहीं चाहिए और किसी अच्छे काम के बदले अच्छे फल की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। हमें बिना किसी स्वार्थ के भलाई का काम करना चाहिए तभी हमारी अंतर आत्मा को जो ख़ुशी मिलेगी उसे हम चंद शब्दों में बयान नहीं कर सकते।
सातवां सूत्र –
आखिरकार इस कहानी का आखिरी यानी जीवन का सातंवा सिद्धांत जुड़ा हुआ है…कहानी के नायक के रास्ते से। ये हीरे कुछ और नहीं बल्कि जिंदगी के वो छोटे – छोटे पल है जो हमें ढेर सारी खुशियाँ देते है।
लेकिन हम अक्सर इन्हें नज़र अंदाज़ कर अपने अतीत के बारे में सोच-सोच कर दुखी होते है, या फिर अपने भविष्य के लिए परेशान, और इन सब में हम अपने आज को जीना भूल जाते है।
फिर चाहे वो अपने परिवार के साथ समय बिताना हो या अपने बच्चो के साथ खेलना या फिर किसी दोस्त के साथ एक कप चाय पीना। ये सभी हसीन पल हमारे जीवन में उन अनमोल हीरों की तरह होते है जिन्हें हमें संभाल कर रखना चाहिए!
कामयाबी के लिए कभी भी अपनी खुशियों का गला मत घोंटना। जिस रास्ते पर तुम चल रहे हो जीवन के उसी रास्ते पर चलते-चलते तुम्हे अपनी खुशियों का एहसास ज़रूर होगा क्योंकि खुशियाँ ढूँढने से नहीं मिलती बल्कि हर छोटी चीज़ में इस खूबसूरत एहसास का आनंद लिया जा सकता है। ”
दोस्तों, अगर आपको ये बुक Summary (Monk Who Sold His Ferrari Book Summary in Hindi) अच्छा लगा तो आप इस article (Monk Who Sold His Ferrari Book Summary in Hindi) को अपने दोस्तों के शेयर करें।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.