Hello दोस्तों, अगर आपने अभी तक जिंदगी में कुछ उखाड़ा नहीं है तो यह आर्टिकल पढ़ो, आज ही मोटिवेशन से भर जाओगे और आज ही कुछ करना शुरू कर दोगे। अगर आप डिमोटिवेट फील कर रहे हैं तो यह आर्टिकल आपको बड़ी मदद करेगी, ऐसे ही नहीं बताया मैंने कुछ भी, सब कुछ प्रैक्टिकल बात बताये हैं। तो बिना देरी के चलिए शुरू करते हैं –
Be Fearless
दुनिया में हर एक इंसान के अंदर कोई ना कोई Strength है। कुछ न कुछ है अंदर, बस उसको ढूंढना है। जब आपके अंदर ये Desire आयेगा की मुझे जानना है भाई, की मेरी Strength क्या है, मेरे में कोई Unique क्या है, जो इस पूरी दुनिआ में किसी में नहीं है!! उसी वक़्त से आपको जवाब मिलने शुरू हो जायेंगे।
आपकी Success आपके अंदर है, बाहर नहीं है। Passion आपका अंदर है, आपकी strength आपके अंदर है, जो भी आप बनना चाहते हो वो सब आपके अंदर है, आपकी Will Power की आगे दुनिआ की कोई भी ताकत टिक नहीं सकती।
बस हमें उठने कि देरी है, इसलिए अभी उठो, और पहला कदम बढ़ाओ, दूसरा कदम अपने आप बढ़ेगा।
जिस दिन आपने सोच लिया कि मुझे यह करना है, तो कितनी Problems आएंगी, आने दो, मुझे करना है, सब कुछ खो सकता है, खोने दो, मुझे करना है, दर्द होगा, होने दो, मुझे करना है, उसी दिन से आप Fearless बन जाते हो।
आपको पता होगा की मैं यह कर सकता हूँ, तो मैं यह भी कर सकता हूँ, मैं यह भी कर सकती हूँ, मैं वह भी कर सकता हूँ, मैं सब कुछ कर सकता हूँ।
अगर आपके अंदर लड़ने की spirit है तो आप कुछ भी जीत लोगे।
अरे मिलेगा भाई इतना मिलेगा जितना आप सपने में भी नहीं सोच सकते। खिलाड़ी तो बनो, अपने field के पक्के खिलाड़ी तो बनो।
एक तरफ है जो आप करना चाहते हो, जो आप बनना चाहते हो और दूसरी तरफ है जो ये दुनिआ आपसे करवाना चाहती है, अपने आपको बोलना है की – मेरे अंदर Infinite Powers है, अगर मैं कुछ ठान लूँ तो मैं वो कर सकता हूँ, Fail होने के बाद भी मेरे अंदर ये Courage है की मैं आगे बढ़ता रहूँगा, मैं हार नहीं मान रहा, तो अगर इतनी पूरी energy से जब मैं उपर उठूँगा तो मैं क्या होंगा।
एक ही दिन में आपको सब कुछ नहीं मिलेगा, लेकिन अगर आप मेहनत करते रहो स्मार्टली तो एक दिन सब कुछ मिलेगा।
अरे दुनिया जो बोलते हैं ना मेहनत से कुछ नहीं होता, मेहनत से कुछ नहीं होता, तुम एक काम करो आज से मेहनत करना शुरू कर दो, किसी भी Field में जो तुमने ढूंढ निकाले हैं और एक साल लगातार मेहनत करो, उसको सीखके करो और एक साल बाद देखना तुम कहाँ से कहाँ तक पहुँचते हो।
दुनिया तो कुछ भी बोलते हैं जिसने बोला मैं मेहनत नहीं करता, उससे ज्यादा मेहनती और कोई नहीं है और उसी के बदोलत उसको सक्सेस मिला, अगर बिना किसी मेहनत के सक्सेस मिलता तो सबसे पहले उसी को मिलता जो दिन भर निकम्मा बैठा हुआ है।
रिक्सेवाले भी बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं, लेकिन उसे यह नहीं पता होता है कि Successful कैसे बनते हैं, सक्सेसफुल तभी बनते हैं जब लोग हमेशा सीखते रहते हैं।
हाँ अगर सिर्फ मेहनत के बल पर सक्सेस मिला होता तो सबसे पहले ठेलावाला और रिक्शावाला को ही सक्सेस मिल गया होता, तो सिर्फ मेहनत के बल पर सक्सेस मिलना कठिन है, लेकिन Smartly मेहनत करो तो सक्सेसफुल जरूर बनोगे।
जब तुम अपने दम पर कुछ करते हो ना अपने Uniqueness को बाहर निकाल करके, अपने Strength को बाहर निकाल करके तो तुम Fearless बन जाते हो, हाँ उसके लिए टाइम, और थोड़ा पैसा, और एक Mentor और अपना Will Power और अपना Passion चाहिए होता है।
अगर तुमने मान लिया, सिर्फ मानने के लिए नहीं, सच में मान लिया कि तुम दुनिया बदल सकते हो, तो एक दिन तुम्हारी वजह से दुनिया जरूर बदलेगी। एक चीज को पकड़ लो और उसको तक तक करो जब तक तुम्हें सक्सेस न मिल जाये, उस काम को खत्म करे बिना उससे भागो मत, लगे रहो।
सक्सेसफुल लोग इसलिए सक्सेसफुल हुए हैं क्यूंकि उन्होंने इधर-उधर सब जगह हाथ-पैर मारने के बजाय एक चीज को पकड़ा और उसको अपना धर्म, अपना कर्म, अपना पति, अपनी पत्नी, अपनी माँ, अपने बाप सब कुछ बना लिया और उसमें Smartly दिन रात मेहनत करते गए और आज सक्सेसफुल है।
इसलिए मैंने कहाँ जो बोलते हैं ना कि मेहनत से कुछ नहीं होता, अरे उससे ज्यादा मेहनती और कोई नहीं। तो तुम मेहनत करके तो देखो, सक्सेस कब-कैसे मिलेगा पता ही नहीं चलेगा।
जिस दिन तुम अपने मेहनत पर, अपने Strength के दम पर, अपने Passion के दम पर कुछ पाओगे ना, तब तुम कह पाओगे आज मैं Fearless हूँ। और ऐसा ही सबको बनना चाहिए।
हम लाइफ में कुछ न कुछ करना तो चाहते है but अंदर एक fear होता है, की करू, ना करू, ये किया तो अगर ये नहीं हुआ तो, यही fear हमको ऊपर उठने नहीं देती है, तो कैसे हम लोग कोई action लें तो उसमें कोई fear न रहे, मतलब बिना डर के हम कैसे act कर सकते है –
डर है क्या?
तो पहले ध्यान से समझो डर किस चीज का होता है ? सबसे ज्यादा डर हमें इस चीज का होता है की लोग क्या कहेंगे ! आप जो भी करो वही डर हमेशा लगता है आपको। तो आपकी अंदर एक attitude होना चाहिए की लोग कुछ भी बोल रहे है, कुछ भी सोच रहें है उससे हमे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए, हमें जो करना है वो तो करना ही है, हम हमेशा results के पीछे भागते रहते है, तो हमको results को ही छोड़ना होगा, result जो भी है उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
आप सिर्फ ये करो की काम को करो, किसी को कुछ भी बोलना है तो आप डरो मत बोल दो, इसका मतलब ये है की आपका डर पूरी तरह से खत्म हो गए, जो लोग consequence की परवाह नहीं करता उसके अंदर डर नहीं होता है, मतलब आपको consequence को छोड़ना है।
तो अब किन consequences को हम छोड़े?
दो तरह की consequence है –
- एक है – Physical,
- दूसरा है – Psychological.
आप psychological consequences को छोड़ दो, physical के लिए plan कर लो, मतलब की कोई काम आप करने वाले हो आपको डर लग रहा है, पहले आपको देखना है किस वजह से डर लग रहा है, that fear is psychological or that is physical.
जैसे मैं एक पहाड़ के ऊपर खड़ा हुआ हूँ, मुझे डर लग रहा है ऊपर से नीचे छलांग लगाने में, वो लगना भी चाहिए, that is not psychological, that is what physical.
physical fears के लिए क्या करना है plan करना है, वहा पर planning काम आती है, psychological fears में कोई planning काम नहीं आती है, वहा पर सिर्फ समझ काम आती है।
जैसे आपको डर है public speaking का, वो psychological fear है, क्यूंकि physically आप public के सामने कुछ भी करके चले जाये, कोई कुछ नहीं करने वाला, सब देखेंगे लेकिन 2 – 4 मिनट में सब कुछ भूल भी जायेंगे।
आप कोई काम करने वाले हो और आप कह रहे हो की मेरे को वो काम करने से डर लग रहा है, क्यूँ डर लग रहा है इसको figure out करना है आपको, क्या इसलिए डर लग रहा की मैं वो काम करूँगा तो लोग क्या कहेंगे, मेरे घरवाले क्या कहेंगे, किसी को बुरा न लग जाये, ये सब क्या है – psychological fear है।
या फिर डर इसलिए लग रहा है की मैंने 5 साल तक काम करके कुछ पैसा जोड़ा है, मानलो 5 लाख रूपए जोड़ा है, और ये पैसा बड़ी मेहनत करके सुबह से रात तक पैसा जोड़ा है, तो मुझे डर लग रहा है की मैं ये काम करू और वो पैसा चला न जाये, ये physical है, ये डर होना भी चाहिए, जिनमें ये डर नहीं होता वो सड़क पे आ जाते हैं, बर्बाद होने में 2 मिनट लगते है। तो बस ये 2 ही तरह के fears होते है, physical है, psychological है।
Physical फियर में क्या काम आता है – planning, learning, knowledge, understanding of that thing you are doing, जैसे अगर पहाड़ से आपको छलांग लगानी ही लगानी है तो bungee jumping करो ना, physical के लिए we need to do a lot of things, in psychological fears nothing needs to be done, it just needs to be understood, उसको समझ लेना है और समझ करके act करना है, और जब आप act करोगे आप देखोगे की अरे इसमें तो डरने वाली कोई बात ही नहीं है, कोई भी चीज जबतक अपने नहीं सीखनी होती है तबतक डर लग रहा होता है या जब सीख जाते हो उसके बाद भी डर लगता है, और सीखने के बाद अगर आपको डर लग रहा है तो वो psychological नहीं है, वो physical है।
यानि आपको swimming आगया है, जबतक swimming नहीं आता है तबतक पानी से बड़ा डर लगता है, जब swimming आ जाता है तो क्या swimming pool से आपको swimming करने से डर लगता है – नहीं ना, but अगर समुद्र में swimming कर रहे हो वहा तो डर लगता है और वो डर लगना भी चाहिए, तो सीखने के बाद भी आपको डर लग रहा है that is a strong possibility that is a physical fear not a psychological fear, और होना भी चाहिए।
इन दोनों का बीच का फर्क अगर हमको समझ आता चला जाता है तो हमको बिलकुल clear हो जाता है किस तरह से अपनी लाइफ में आगे बढ़ना है, psychological fears धीरे धीरे जैसे जैसे हमारी समझ गहरी हो जाती है तो fears जीरो हो जाते है, मर गया तो क्या होगा? – ये क्या है? मेरे साथ में जो लोग है वो मर गया तो क्या होगा – ये physical fear है या psychological है? – of course psychological है।
लेकिन अगर आप अँधेरी रात में चले जा रहे हो किसी सुनसान सड़क पर आपके सामने से दो बंदे आ रहे gun या knife ले करके, अब आपको डर लग रहा है – ये physical fear है, ये fear होना भी चाहिए, जेम्स बांड नहीं बनना है जी, समझदारी से आगे बढ़ना है लाइफ में। अगर इस तरह से आप अलग अलग करके देखोगे तो ऐसा कोई डर नहीं है इस दुनिया में जिसको conquered न किया जा सके।