Overthinking से कैसे बचे ? – Hello दोस्तों, दोस्तों आज के टाइम में डिजिटल वर्ल्ड में लोग इतना खो चुके है, जिससे ज्यादातर लोगो में ये पाया गया है कि लोग कुछ भी देखते हैं, कुछ भी सुनते है, और मन में उससे रिलेटेड सोच डेवेलोप करता चला जाता है और ये पता भी नहीं होता है। इसी को overthinking बोलते है। मतलब लोग सोचते ज्यादा है और वो भी नकारात्मक सोच, और ये थिंकिंग दिन व् दिन बढ़ता ही चला जाता है।
आपको जब पता लगता है कि आप इतना ज्यादा सोच रहे हैं बिना मतलब के, तब आप इससे बचने का उपाय खोजने लगते है क्यूंकि तभी आपको पता लगता है कि आप जो दिन भर सोचते रहते हैं उसका सिर्फ 1% ही आपके काम का है और बाकि 99% थॉट्स आपके किसी काम का नहीं है। और आपके माइंड बहुत ज्यादा डिस्टर्ब रहता है।
तो आज हम इसी Overthinking से बचने के बहुत ही इजी और एक्शनेबल तरीका बताऊंगा, जिसके चलते आप 100% Overthinking से बच सकेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं –
दोस्तों आपको शायद पता नहीं होगा कि जब आप Overthinking करते हो, तब ये आपके शरीर में भी बहुत ज्यादा प्रभाव डालता है, जैसे की Stress, Tension और जिसकी वजह से आपके शरीर में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, बदहजमी, हार्ट की प्रॉब्लम, बहुत तरह की फोबिआ, इंसोम्निया की प्रॉब्लम और आपके शरीर धीरे धीरे ख़त्म होता चला जाता है।
दोस्तों हमारी बॉडी में दो हिस्से होते हैं –
1. Voluntary Muscles or Parts
2. Involuntary Muscles or Parts
1. Voluntary Muscles or Parts – इसमें होता क्या है कि आपके जो हाथ-पैर है, उंगलिया है, मुँह है, दाँत है, इस तरह जो पार्ट्स आपके कण्ट्रोल में है, जागते समय साँस लेना, वही है Voluntary Muscles or Parts.
2. Involuntary Muscles or Parts – क्या पलके आप झपकाते हो? क्या आप अपने पेट के अंदर जाकर आपके खाने की हजम करते हो? क्या आपके अंदर होने वाले किसी भी डिजीज को आप ठीक करते हो, सोते समय साँस अपने आपसे से ले रहे हो या आप खुद सांसो को भर रहे हो ?
तो मेरे कहने का मतलब यही है की ये सभी पार्ट्स के काम आपके हाथ में नहीं है। आपके विचार या सोच भी आपके कण्ट्रोल में नहीं है।
आपके सोच पर आपका कोई डायरेक्ट कण्ट्रोल नहीं है तो आप तो overthinking होगी ही। तो इसलिए आप ज्यादा समय अपने सोच को कण्ट्रोल नहीं कर पाते हैं।
एक मिनट के सोचा की अब मैं कुछ भी नहीं सोचूंगा नहीं और 20-30 सेकंड बाद ही आपको पता भी नहीं लगता और आपके माइंड में overthinking शुरू हो जाता है।
तो इससे बचने के लिए आपको कोई दवाईयां लेने की जरुरत नहीं है। वैसे ये नेचुरल है, फिर भी अगर बहुत ज्यादा सोचने के कारण से आपके शरीर को हानि पहुंचाता है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसको ठीक नहीं किया जा सकता, कुछ तकनीक से इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
क्या आपने कभी अपने विचारों के ऊपर ध्यान दिया, कि जैसे विचार वैसे इमोशन।
मान लीजिये आप एक कमरे में बैठे हुए हो और एकदम से दूसरे कमरे में कुछ गिरने की आवाज आयी, तो आपके मन में क्या विचार आया, कहीं ये बिल्ली तो नहीं है!
तो जैसे ही आपके मन में ये विचार आया तो आपके एक्शन कैसे होंगे आप गुस्से से भागोगे बिल्ली की तरफ।
अब मान लीजिये कमरे में कुछ गिरने का आवाज आया तो आप सोच रहे हो कही ये भुत तो नहीं है, तो आप एकदम से डरने लग जाओगे।
अब क्यूंकि आपके मन में विचार चल रहा है तो आपके इमोशन भी साथ में चल रहे हैं।
अब जो आपके इमोशंस होते है वो बहुत सारे तरीके की इमोशंस हो सकते है – कभी गुस्सा, कभी डर, कभी जेलॉस, कभी फ़्रस्ट्रेशन, कभी डिप्रेशन, कभी प्यार, कभी खुश, कभी दुःख etc.
और जैसे आपके विचार होंगे वैसे ही आपके शरीर भी रियेक्ट करेंगे। मतलब अगर आप नेगेटिव थिंकिंग कर रहे हैं तो आपके शरीर में कई तरह की बीमारिया देखने को मिलेंगी।
और अगर आप पॉजिटिव थिंकिंग कर रहे हैं तो आपके शरीर में पॉजिटिव एनर्जी पलने लगेंगे।
लेकिन ज्यादातर रिसर्च में पाया गया है कि लोग जब सोचते है तो गलत विचार ही सोचते हैं। 100 में से कुछ 1 पॉजिटिव विचार और 99 नेगेटिव विचार।
तो इसका मतलब यही है की Overthinking में सिर्फ नेगेटिव थिंकिंग आते हैं लोगो के माइंड में।
जैसे जैसे आपके माइंड में नेगेटिव थिंकिंग बढ़ता चला जाता वैसे वैसे आपके शरीर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ता चला जाता है।
और एक पैटर्न बनता चला जाता है। तो आपके दिमाग में बहुत तरीके की कुछ कमेंट्री चलती रहती है।
अगर गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हुआ तो अब वही कमेंट्री चलती रहेगी।
किसी अपने की डेथ हो गयी तो अगले कुछ सालों के लिए वो कमेंट्री चलती रहेगी।
ऑफिस में बॉस ने सबके सामने कुछ गलत कह दिया तो उससे रिलेटेड दिनभर कुछ गलत विचार चलती रहती है। etc.
तो जैसे विचार चलते रहते है वैसे ही आपके गलत इमोशन ने आपके शरीर में घेरा बना लेता है। और ये अपना बनाया ही चक्रव्यूह में ही इंसान फंसता चला जाता है।
मतलब विचारो पे कण्ट्रोल नहीं है तो इमोशंस पे भी कंट्रोल नहीं होता है।
दोस्तों जैसे मैंने ऊपर बताया की हमारे सांसो पर हमारा कण्ट्रोल नहीं है, और वो तब पता लगता है जब हम सोते रहते हैं।
लेकिन जब हम जागते रहते हैं तो तब हमारे ब्रीथिंग पर हमारा कण्ट्रोल होता है। वैसे ब्रीथिंग तो अपने आप ही चलता रहता है, फिर भी हम उसको अपने हिसाब से चला सकते हैं।
आप खुद देखो – अभी आप गहरी साँस लो, और गहरी साँस छोड़ो, आप जल्दी जल्दी साँस लो।
तो आप ये कर सकते हो, मतलब साँस अभी आपके कण्ट्रोल में है।
अब आपको ये बात भी पता होना चाहिए की जैसे आपके विचार है और वैसे आपके इमोशन भी है और वैसे ही आपके ब्रीथिंग भी चलती है।
अगर आप बहुत ज्यादा गुस्से में हो तब आपकी ब्रीथिंग बहुत तेज हो जाएगी और आपकी ब्रीथिंग छाती से चलेगी। और कभी कभी तो बहुत ज्यादा गुस्सा होने के कारण भी लोग हार्ट अटैक का शिकार हो जाते हैं।
अगर आपके अंदर घबराहट हो रही है तो आपके सांसे छोटी हो जाएगी।
तो इसमें आपको ब्रीथिंग के पैटर्न को चेंज करना है। मतलब मैंने बोला की जैसे विचार, वैसे इमोशन और वैसे ही आपकी ब्रीथिंग। और ये तीनों चीजें इंटरकनेक्टेड है।
तो आपने ब्रीथिंग को चेंज किया और आपके इमोशन चेंज, तो आपके विचार भी चेंज हो जायेगा।
मतलब अगर आपको आपके विचार के ऊपर कण्ट्रोल पाना है तो अपने ब्रीथिंग के ऊपर काम करना ही पड़ेगा।
अगर Overthinking से बचना है तो आपको ब्रीथिंग की जो बहुत सारी एक्सरसाइजेज होते उसको डेली प्रैक्टिस करना होगा। इसको हम प्राणायाम बोलते हैं।
जैसे Deep Breathing, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, etc.
तो आप इन में से एक से शुरुआत कर सकते हो।
गहरी सांसे लेंगे तो आपके विचार आपके कण्ट्रोल में आने लगेगा। आपके दिमाग शांत होता चला जायेगा। और शांत दिमाग में कहाँ Overthinking की प्रॉब्लम होते हैं !!!
आपको सुबह उठ कर या आपको जब भी टाइम मिले तो आपको बस 10 मिनट्स डीप ब्रीथिंग की प्रैक्टिस करना है।
हम सभी गलत तरीकेसे डीप ब्रीथिंग करते हैं। डीप ब्रीथिंग का हम समझते हैं की गहरी साँस अंदर लेना है। नहीं !
डीप ब्रीथिंग का मतलब होता है आप पहले डीप ब्रीथिंग बाहर निकालो।
मतलब पहले आप गहरी साँस बाहर छोड़ो और अब आप गहरी सांसे अंदर लो। और ये आपको धीरे धीरे करना है।
आप चाहो तो सेकण्ड्स का गिनती कर सकते हो यानी की 5 सेकंड आप अपनी सांसो को बाहर छोड़ो और उसके बाद 5 सेकंड सांसों को अंदर खींचो।
आपको एक बात हमेशा ध्यान में रखना है जैसे ही आप ठीक से ब्रीथिंग बाहर छोड़ोगे तो ठीक से सांस अंदर भी ले पाओगे।
दोस्तों ॐ मंत्र में इतनी शक्ति है आपकी कितनी भी Overthinking की प्रॉब्लम हो वो ठीक हो जाता है।
आप एक ॐ बोलके देखो, आपको पता लगेगा, ॐ मंत्र में आपके सांसे बहार निकल रहे हैं, बहुत ही ज्यादा धीरे धीरे।
फिर आपको गहरी साँस लेनी पड़ती है आपको। और वापस से आप गहरी साँस छोड़ती हो ॐ मंत्र के जरिये और फिर गहरी साँस लेते हो।
ऐसे में आपके विचार भी खत्म होता चला जाता है।
आप अलग अलग तरीके की प्राणायाम को करके देख सकते हो। आपको बहुत ज्यादा फायदा मिलेगा।
जैसे ही आप ब्रीथिंग का पैटर्न चेंज करोगे वैसे ही आपके थिंकिंग का पैटर्न चेंज हो जायेगा।
आपके सांसे गहरी करोगे तो आपके विचार शांत हो जायेंगे।
तो दोस्तों इस प्रैक्टिस को आप 10 मिनट डेली करके देखो। इसको आप बढ़ा भी सकते हो।
सुबह शाम इसकी प्रैक्टिस आपको Overthinking की प्रॉब्लम से बचा सकती है।
और ब्रीथिंग की प्रैक्टिस करने से आपकी अलग अलग बीमारियां भी धीरे धीरे खत्म हो जायेगा, अगर आपके हार्ट कमजोर है तो आपके हार्ट एकदम स्वस्थ हो जायेगा, ब्लड प्रेशर खत्म हो जाता है etc.
सांसो के ऊपर काम करने से धीरे धीरे आपके विचार शांत होंगे, आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, आपके अंदर पॉजिटिव एनर्जी बढ़ने लगेगी, हैप्पीनेस आएगी, आप एक अच्छी लाइफ जी पाओगे।
सबसे जरुरी कि आप प्रेजेंट मोमेंट में जी पाओगे रह पाओगे।
दोस्तों आपको Overthinking से बचने के तरीके तो मिल गए है।
अब आप मुझे ये बताइये कि क्या आपको इससे फायदा मिला ?
आप ने इंटरनेट पर बहुत ढूंढा होगा की Overthinking से कैसे बचे, लेकिन मुझे उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल से ही बहुत ज्यादा फायदा मिला होगा।
अगर फिर भी आपके मन में कुछ भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,
Wish You All The Very Best.