लालची कुत्ता
एक दिन एक कुत्ता किसी गली में घूम रहा था। घुमते-घूमते उसे हड्डी का एक टुकड़ा मिला। हड्डी का टुकड़ा पाकर कुत्ता बहुत प्रसन्न हुआ। उसने अपने घर जाकर आराम से उसे खाने का मन बनाया। अपने मुँह में हड्डी का टुकड़ा दबाए हुए वह घर जाने के लिए पुल पार करने लगा। अचानक उसने पानी में अपनी परछाईं देखी। उसे लगा कि दूसरे कुत्ते के पास उससे भी बड़ी हड्डी का टुकड़ा है। उसे लालच आ गया। क्रोध में वह गुर्राने और भौंकने लगा। हड्डी पानी में गिर गई और वह भी कुत्ते पर झपटा। पानी में कूदने पर उसे अपनी भूल का अहसास हुआ। बड़ी कठिनता से तैरता हुआ कुत्ता किनारे पहुँचा और अपनी जान बचाई। हड्डी तो चली ही गई… सारे दिन उसे भूखा भी रहना पड़ा… लालच के कारण उसकी जान पर भी बन आई थी।
सीख: जो मिले उसी में संतोष करना चाहिए।
दानव और मानव
एक मनुष्य के पास दो बहुत ही सुंदर, जवान और तन्दुरुस्त बछड़े थे। एक दिन एक चोर ने उन्हें चुराने का निश्चय किया। चोरी करने के इरादे से चोर जब वहाँ पहुँचा तो उसने एक डरावना प्राणी देखा। चोर ने उससे उसका परिचय पूछा। उसने अपना परिचय एक दानव के रूप में दिया। वह उस मनुष्य को खाने आया था। चोर ने उसे अपना इरादा बताया और फिर दोनों घर के भीतर प्रविष्ट हुए। चोर बछड़े चुराना चाहता था और दानव उस मनुष्य को पहले खाना चाहता था। दोनों में बहस छिड़ गई। आवाज से वह मनुष्य जाग गया। उसने दोनों की बातें सुनीं और उनका इरादा भी समझ गया। दानव को भगाने के लिए उसने पहले धूप जलाया और फिर जोर-जोर से प्रार्थना करने लगा। दानव डरकर भाग गया। फिर उस मनुष्य ने एक डंडा लिया और चोर को भी खदेड़ डाला। दोनों की बहस का लाभ उस मनुष्य ने उठा लिया था।
सीख: दो की लड़ाई का लाभ तीसरा उठा लेता है।
किसान और नाग
एक गरीब किसान था। एक बार उसने एक नाग को चींटी की बांबी में देखा। दयाभाव से उसने एक कटोरा दूध बांबी के पास लाकर रख दिया। अगले दिन किसान ने एक सोने का सिक्का दूध के कटोरे में पड़ा देखा। तब से हर दिन उसे दूध के बदले सोने का सिक्का मिलने लगा। एक दिन उसे किसी आवश्यक कार्य से शहर जाना था। उसने अपने पुत्र को नाग की बांबी के पास दूध का कटोरा रखने के लिए कहा। पुत्र कटोरे में सोने का सिक्का देखकर अचंभित हो गया। उसने सोचा कि बांबी में अवश्य ही ढेर सारे सिक्के होंगे… नाग को मारकर सारे सिक्के ले लेने चाहिए। उसने मन ही मन एक योजना बनाई। अगले दिन दूध देकर वह पेड़ के पीछे छिप गया। जब नाग दूध पीने आया तब उसने डंडे से उसे मारा। निशाना चूक गया। नाग लड़के को डसने के लिए लपका पर लड़का दौड़कर भाग गया। उसके बाद किसान को कभी भी सोने का सिक्का नहीं मिला।
सीख: विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए।
तीन ठग
एक पंडित अपने कंधे पर एक बकरी को लेकर घर जा रहा था। एक अमीर यजमान ने वह बकरी उसे दी थी। तीन ठगों ने उसे ठगने का निश्चय किया। एक ठग ने जाकर पंडित से पूछा कि वह एक कुत्ते को अपने कंधों पर क्यों उठाकर ले जा रहा था। पंडित क्रोधित हुआ पर चलता रहा। थोड़ी देर के बाद दूसरे ठग ने पास जाकर पूछा कि वह एक मरे हुए बछड़े को क्यों उठाकर चल रहा था। पंडित उसकी बात अनसुनी कर चुपचाप चलता रहा। थोड़ी देर बार उसे तीसरा ठग मिला। उसने कहा कि वह गधे को क्यों उठाकर चल रहा था। अब पंडित भयभीत हो उठा। उसने सोचा अवश्य ही इस जानवर में कुछ गड़बड़ है तभी तो वह अलग-अलग लोगों को अलग-अलग रूपों में दिखाई दे रहा था। भयभीत होकर, उसने बकरी वहीं छोड़ी और भाग खड़ा हुआ। तीनों ठग बकरी पाकर प्रसन्न हो गए।
सीख: दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए।
धूर्त मध्यस्थ
एक पेड़ के कोटर में एक तीतर रहता था। दाना चुगते-चुगते एक दिन वह एक पके हुए धान के खेत में पहुँचा और फिर वहीं रुक गया। कुछ दिनों बाद फिर वह लौटकर अपने कोटर में पहुँचा। वहाँ उसने एक खरगोश को रहता देखकर पूछा कि वह क्या कर रहा था। खरगोश ने कहा कि कोटर तो खाली था वह तीतर का घर ही नहीं था। दोनों इसी बात को लेकर लड़ने लगे। एक धूर्त बिल्ली ने उन्हें लड़ते देखा। उसे एक युक्ति सूझी। वह सन्यासी के रूप में उनके सामने आयी। उसे देखकर दोनों ने बिल्ली से मामला सुलझाने के लिए कहा। बिल्ली ने उनकी बात सुनकर कहा कि वह बहुत बूढ़ी हो गयी है। उसे कम सुनाई देता है। उसने दोनों को पास आने के लिए कहा। ज्योंही तीतर और खरगोश उसके पास गए बिल्ली उन पर झपट पड़ी।
सीख: शत्रु पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
उल्लुओं की मात
कौएराज और उल्लूराज एक दूसरे के शत्रु बन चुके थे। एक बार कौवों के मंत्री ने कहा कि उसके पास शत्रुओं से निपटने की एक योजना है। उसने कहा, “आप सब मुझे घायल करके फेंक दीजिए जिससे मैं मनगढंत कहानी सुनाकर उल्लुओं से मित्रता कर लूँ।” वैसा ही हुआ। घायल मंत्री कौए ने उल्लुओं को अपना दुखड़ा सुनाया और उल्लूराज की प्रशंसा करी। उनसे आश्रय मांगा और उनकी सेवा करने लगा। साथ ही आत्मदाह करके अगले जन्म में उल्लू बनने की इच्छा बताई। वहीं रहकर उल्लुओं की गुफा के दरवाजे पर उसने सूखी लकड़ियाँ इकट्ठी करीं। फिर अपने राज्य में जाकर कौवों को जलती मशाल के साथ, अगले दिन गुफा के द्वार पर बुलाया। उन्होंने इकट्ठी लकड़ियों पर अपनी जलती मशाल लाकर डाल दी। आग भभकी, गुफा धुँए से भर गया तो सारे उल्लू वहाँ से भाग खड़े हुए।
सीख: मुसीबतों से बचने के लिए बुद्धिमानी आवश्यक है।