माँ की सलाह
एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। नौकरी की तलाश में एक दिन वह दूसरे गांव जा रहा था। माँ ने उसे अकेले यात्रा नहीं करने की सलाह देते हुए एक कपूर के डिब्बे में एक केकड़ा रखकर उसे दिया और कहा, “बेटा, इसे अपने साथ लेता जा। मुसीबत में यह तुम्हारी सहायता करेगा।” वह अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। दोपहर में थककर वह एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। पेड़ के कोटर में रहने वाला सर्प बाहर निकलकर लड़के को काटने आया पर कपूर की सुगंध से आकर्षित होकर वह डिब्बे को निगलने के लिए उसकी ओर बढ़ा। किसी तरह केकड़ा बाहर आ गया और उसने सर्प पर हमला कर दिया। सर्प घायल हो गया। लड़के ने उठने पर घायल सर्प को तथा केकड़े को देखकर सारा हाल अपने आप समझ लिया और मन ही मन माँ का आभार व्यक्त किया।
सीख: यात्रा में एक साथी सदा साथ होना चाहिए।
ईमानदार फेरीवाले
एक दिन दो फेरीवाले, एक ईमानदार और दूसरा धूर्त, एक शहर में अपना सामान बेचने गए। धूर्त फेरीवाला कुछ सस्ते आभूषण लेकर बेच
रहा था। एक लड़की उन्हें खरीदना चाहती थी पर उसकी दादी के पास पैसे नहीं थे। लड़की ने पूछा कि एक पुराने कटोरे के बदले क्या वह आभूषण देगा… वह कटोरा सोने का था। धूर्त समझ गया पर उसे बेकार कहकर उसने फेंक दिया। बाद में ईमानदार फेरीवाला मोतियाँ बेचते हुए आया। लड़की ने दादी से वह कटोरा लेकर उसे दिखाया और बदले में आभूषण मांगा। फेरीवाले ने कटोरे का सही मूल्य लगाकर पैसे और सामान दिए। थोड़ी देर बाद धूर्त फेरीवाला कटोरे के लोभ में फिर आया तो दादी ने उसे अच्छी फटकार लगाई तथा उसके बदले मिलने वाले मूल्य की भी बात बताई। फेरीवाला चुपचाप चला गया।
सीख: धूर्तता से समृद्धि नहीं मिल सकती है।
एक चोर की स्वामीभक्ति
एक चोर की मुलाकात चार धनी व्यापारियों से हुई। वह उनके धन को चुराने की कामना से उनके पास गया। उसने कहा कि वह
अत्यन्त गरीब था, उनकी सेवा करना चाहता था इसलिए वे उसे नौकर रख लें। व्यापारी चोर की बातों में आ गए और उन्होंने उसे सेवक के रूप में रख लिया। धनी व्यापारी अपने धन को लेकर यात्रा नहीं करना चाहते थे अतः उन्होंने आभूषण खरीदकर अपनी जाँघ में छिपा लिया चलते-चलते वे डाकुओं के एक गाँव पहुँचे। डाकुओं ने उनकी तलाशी ली पर उन्हें कुछ नहीं मिला। पर डाकुओं ने पैसे दिए बिना उन्हें मारने की धमकी दी। चोर ने सोचा कि यदि उन्हें सच का पता चला तो सभी मारे जाएंगे। अतः उसने डाकुओं से व्यापारियों को जाने देने के लिए कहा और उसे काटकर जाँच कर लेने का प्रस्ताव रखा। पर डाकुओं को चोर के पास से कुछ न मिला। उन्होंने उसे भी छोड़ दिया।
सीख: बलिदान से बढ़कर कुछ नहीं।
बुनकर
एक बुनकर को अपनी मशीन के लिए लकड़ी के खूँटे चाहिए थे। वह खूँटे के लिए लकड़ी लाने जंगल गया। ज्योंही वह पेड़ को काटने ही वाला था कि उसे एक आवाज सुनाई दी, “कृपया रुक जाओ!” उसने पूछा, “तुम कौन हो?” आवाज आई, “मैं पेड़ की आत्मा हूँ… मुझे मत काटो । यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हें एक वर दूँगा।” बुनकर ने कहा कि अपनी पत्नी और मित्र से सलाह कर वह वर मांगेगा। मित्र ने सुझाया कि उसे राज्य मांगना चाहिए। पत्नी ने कहा कि उसे दो हाथ और एक सिर अपने लिए मांगना चाहिए जिससे वह अधिक काम कर अधिक कमा सके। प्रसन्न मन से उसने पत्नी का सुझाव वर के रूप में पेड़ से मांग लिया। पेड़ ने उसे वर दे दिया। वह दो सिर और चार हाथों वाला बन गया। लोगों ने इस रूप में उसे देखा तो उसे दैत्य समझकर डर गए। सबने उसकी पिटाई कर उसे गांव से ही भगा दिया।
सीख: सलाह भी ज्ञानियों से ही लेनी चाहिए।
सुनहरे अंडे
एक समय की बात है… एक किसान अपनी पत्नी तथा दो बच्चों के साथ रहता था। एक दिन किसान एक खूबसूरत बत्तख खरीदकर लाया। अगले दिन बत्तख ने एक सुनहरा अंडा दिया। किसान हैरान रह गया। उसने बाजार जाकर अंडा बेच दिया। अगले दिन बत्तख ने फिर से सुनहरा अंडा दिया। किसान और उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न थे। प्रतिदिन सुनहरे अंडे बेचकर किसान धनवान हो गया। पत्नी के मन में लोभ समा गया। उसने सोचा, “क्यों न इसके पेट से सभी अंडे निकाल लिए जाएँ !” किसान की पत्नी ने किसान से कहा, “यदि हमलोग एक ही साथ सारे अंडे बेच दें तो कितने धनी हो जाएंगे !” किसान को बात जँच गई। दोनों ने मिलकर बत्तख का पेट काटा। दोनों अचंभित रह गए क्योंकि पेट तो खाली था। दोनों अपनी मूर्खता पर विलाप करने लगे।
सीख: लालच बुरी बला है।
साधु और ठग
एक साधु अपने धन की थैली सदा अपने पास रखता था। एक दिन एक ठग ने यह देखकर सोचा कि हो न हो इसमें अवश्य ही कोई मूल्यवान वस्तु है। इसे अवश्य ही चुराना चाहिए। उसने साधु से जाकर कहा कि वह अनाथ पर ईमानदार व्यक्ति है और उनका शिष्य बनना चाहता है। साधु ने कुछ सोचा और फिर उसे शिष्य बना लिया। एक दिन वे दोनों एक जंगल से जा रहे थे। एक झरना बहता देखकर साधु स्नान करने के लिए रुक गया। अपने शिष्य के भरोसे अपना सामान छोड़कर वह नहाने लगा। उसे नहाने में व्यस्त देखकर ठग ने इसे अच्छा अवसर समझा और उसका सामान तथा थैली लेकर भाग गया। नहाकर वापस आने पर साधु ने शिष्य तथा सामान दोनों को गायब पाया। दूर-दूर तक कोई नहीं था । दुःखी होकर साधु ने सोचा कि वह कितना मूर्ख था जो उसने एक अजनबी पर भरोसा किया।
सीख: असावधानी विनाश का कारण बनती है।