हाथी और सियार
एक हाथी को अपनी शक्ति और क्षमता पर बहुत घमंड था। वह जंगल के राजा शेर का तनिक भी आदर नहीं करता था। एक दिन भोजन ढूँढते हुए एक चतुर सियार ने उसे देखा। हाथी को अकेला देख उसे एक युक्ति सूझी। उसने हाथी की प्रशंसा कर कहा कि वह पास के जंगल में रहता था। वहाँ के जानवर एक राजा ढूँढ रहे थे। हृष्ट पुष्ट होने के साथ-साथ उसमें राजा के सभी गुण थे। सियार ने हाथी से राजा बनने का अनुरोध किया। हाथी अपनी प्रशंसा सुनकर फूला नहीं समा रहा था। वह खुशी-खुशी सियार के साथ चल दिया। जाते समय उसे गड्ढा नहीं दिखा और हाथी उसमें गिर गया। उसने सियार से सहायता माँगी पर उल्टा सियार उस पर झपट पड़ा। किसी तरह हाथी ने सियार से जान बचाई और भाग गया।
सीख: घमंड कभी नहीं करना चाहिए।
शेरनी की दया
एक बार एक शेर को दिनभर शिकार ढूँढने के पश्चात् भी कुछ न मिला। घर वापस लौटते समय उसे सियार का एक बच्चा मिला। बच्चे को उठाकर शेर घर ले आया। उसने बच्चे को शेरनी को खाने के लिए दिया। शेरनी को उस पर दया आ गई। वह तीसरे बच्चे की तरह अपने बच्चों के साथ उसे पालने लगी। वह शेर के दोनों बच्चों के साथ बड़ा होने लगा। एक दिन उधर से जाते हुए हाथी को देख शेर के बच्चे उस पर हमला करना चाहते थे पर सियार के बच्चे ने उन्हें रोक दिया। शेर के बच्चों ने माता-पिता को यह बताया और सियार के बच्चे का मजाक उड़ाया। क्रोधित होकर सियार के बच्चे ने उन्हें मारने की धमकी दी। यह सुनकर शेरनी को बहुत बुरा लगा और शेरनी ने उसे बताया कि किस प्रकार दया दिखाकर उसने उसे पाला था। बच्चों को पता चलने से पहले ही शेरनी ने उसे भाग जाने की सलाह दी। मुसीबत देख सियार का बच्चा भाग गया।
सीख: जन्मजात गुण परिवर्तित नहीं होते हैं।
कुम्हार
एक बार एक कुम्हार पैर में ठोकर लगने से मिट्टी के बर्तनों पर गिर पड़ा। बर्तन के टुकड़ों से उसके चेहरे पर बहुत चोट आई। जख्म गहरे थे ठीक तो हो गए पर निशान रह गये। गाँव में एक बार भयंकर अकाल पड़ने से वह दूर देश जाकर राजा की सेना में झूठे बहादुरी के किस्से सुनाकर भर्ती हो गया। एक दिन राजा ने उसे देखा। उसके चेहरे के निशान से राजा ने उसे एक महान योद्धा समझ लिया। राजा उसे बहुत पसंद करने लगा और अपनी सेना में प्रमुख स्थान दे दिया। एक दिन राजा ने उससे पूछा कि किस युद्ध में वह घायल हुआ था। कुम्हार ने अपने घायल होने की कथा राजा को सुना दी। राजा धोखे में रखे जाने के कारण बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने अपने सैनिकों को उसकी पिटाई करने की आज्ञा दी। कुम्हार ने बहुत अनुनय किया कि एक बार उसे शक्ति दिखाने का अवसर दिया जाए पर राजा ने उसकी एक न सुनी।
सीख: सदा सत्य बोलना चाहिए।
मूर्ख खरगोश
एक बेल के पेड़ के नीचे बने बिल में एक खरगोश रहता था। एक दिन पेड़ के नीचे पड़े सूखे पत्तों पर एक पका बेल टूटकर अपने आप गिरा जिससे एक विचित्र आवाज हुई। खरगोश ने समझा कि धरती दरक रही है… भयभीत होकर उसने भागना शुरु कर दिया। भागते-भागते दूसरे खरगोशों को उसने बताया तो वे भी भागने लगे। धीरे-धीरे सभी जानवरों को पता लगा और देखा-देखी सभी भागने लगे। सभी जानवरों के इस भय का कारण शेर ने जानना चाहा। कारण पता चलने पर उसने पूछा कि किसने धरती को दरकते देखा था। सभी ने खरगोश की ओर इशारा किया। शेर के कहने पर खरगोश उसे उस जगह पर ले गया जहाँ उसने विचित्र आवाज सुनी थी। शेर ने एक पका हुआ बेल देखा और उसे सारी बात समझ में आ गई।
सीख: बेवजह डरना और घबराना नहीं चाहिए ।
गौरैया और बंदर
किसी जंगल में एक पेड़ पर गौरैया का जोड़ा रहता था। एक दिन मूसलाधार बारिश हुई। चारों ओर पानी ही पानी हो गया था। एक बंदर आश्रय ढूँढता हुआ वहाँ आया। जिस पेड़ पर गौरैया रहती थी उसी पेड़ की एक डाल पर बंदर बैठ गया। वह पूरा भीगा हुआ था। बंदर की दयनीय हालत देखकर गौरैया बहुत दु:खी हुई। गौरैया को सलाह देने की आदत थी। उसने बंदर से कहा कि ठंड से बचने के लिए उसे अपना घर बनाना चाहिए था। बंदर को सलाह पसंद नहीं आई। एक तो वह दुखी और परेशान था ऊपर से गौरैया उसे बार-बार समझाती रही। बंदर क्रोधित हो उठा। वह चिल्लाया कि उसे सलाह नहीं चाहिए। गौरैया चुप हो गई। क्रोधित बंदर ने गौरैया को अपनी शक्ति दिखाने का निश्चय किया। पेड़ पर चढ़कर उसने गौरैया का घोंसला तोड़कर उसे वहाँ से भगा दिया।
सीख: हर किसी को सलाह नहीं देनी चाहिए। यदि सलाह दें भी तो सही समय देख कर।
कुत्ता और लोमड़ी
जंगल में रहने वाली एक लोमड़ी एक दिन भोजन की खोज में एक गाँव में आ गई। वह भोजन ढूँढ ही रही थी कि उसकी मुलाकात एक मोटे-तगड़े पालतू कुत्ते से हुई। भूखी लोमड़ी को देखकर कुत्ते ने कहा, “मेरे मालिक के पास चलो। वह तुम्हारा ख्याल रखेंगे और अच्छा खाना भी देंगे।” लोमड़ी बहुत प्रसन्न हुई। दोनों साथ-साथ चलने लगे। थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक लोमड़ी ने देखा कि कुत्ते की गर्दन के पास बाल थोड़े कम थे। उसने कुत्ते से इसका कारण पूछा तो कुत्ता बोला, “यह तो गले में बांधने वाले पट्टे का निशान है। मुझे रात में बांधकर रखा जाता है।” यह सुनकर लोमड़ी बोली, “अपनी स्वतंत्रता के बदले मुझे तुम्हारा भोजन नहीं चाहिए। तुम्हारा भोजन तुम्हीं को मुबारक हो” यह कहकर लोमड़ी वापस जंगल की और भाग गई।
सीख: स्वतंत्रता अमूल्य है।