प्रोएक्टिव कैसे बने?

प्रोएक्टिव कैसे बने? – Hello दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक इफेक्टिव (पावरफुल) लाइफ हैबिट के बारे में, जो हमारे लाइफ के लिए बहुत ही मतलब सबसे important है। अगर हम इस लाइफ हैबिट को हमारी डेली लाइफ में ले आते हैं तो हमें लाइफ में सक्सेसफुल होने से कोई रोक नहीं पायेगा।

आज जिस हैबिट के बारे में बात करेंगे वो आलरेडी सभी सक्सेसफुल लोगों की हैबिट है और इसलिए वे अपने लाइफ में सक्सेसफुल बन चुके हैं। हमारे देश के सबसे inspiring पर्सनालिटीस को ही देख लीजिये जैसे – विराट कोहली, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, पी.वी. सिंधु, रतन टाटा, नारायण मूर्ति।

तो दोस्तों उनकी लाइफ हैबिट्स में से सबसे इम्पोर्टेन्ट लाइफ हैबिट है जो हमारे लाइफ भी सबसे इम्पोर्टेन्ट है वो है – Proactive बने

प्रोएक्टिव कैसे बने?

Proactive का मतलब क्या है?

प्रोएक्टिव का मतलब है की जैसे मैं आगे बढ़के initiative लेता हूँ या मैं Action लेता हूँ। मतलब मेरा will पावर ज्यादा है और इसलिए मैं किसी भी को अगर करने के लिए ठान लूँ तो वो मैं करके ही रहता हूँ।

प्रोएक्टिव पर्सन वो जो अपनी लाइफ की खुद रेस्पोंसिबिलिटी लेता है। वो अपने एक्शन्स की खुद रिस्पांसिबिलिटी लेता है। अपने सक्सेस या फेलियर की खुद रिस्पांसिबिलिटी लेता है। यानी की मैं दूसरों को ब्लैम करने की बजाये अपने हाथ अपनी लाइफ की कण्ट्रोल लेता हूँ।मतलब मेरा ऊपर ही मेरा सक्सेस या फेलियर डिपेंड करता है।

Proactive रहने के लिए क्या करना है?

अगर प्रोएक्टिव बनना है तो आपको आगे बढ़के इनिशिएटिव लेना बहुत जरुरी है। ये इनिशिएटिव लेने से ही आप सक्सेसफुल बन पाओगे। क्या आप जानते है – सभी सक्सेसफुल लोग प्रोएक्टिव होते हैं!

कोई सक्सेसफुल लोगों के बारे जानिए उसमें आपको ये कॉमन पॉइंट देखने को मिलेगा की ये लोग कभी कम्प्लेन नहीं कर रहे होते हैं की ये मेरी लाइफ में नहीं है, उसने मेरे लाइफ को ख़राब कर दिया, उसकी वजह से मैं वो कर नहीं पाया, मेरे पास पैसा नहीं है इसलिए मैं वो नहीं कर पाया, etc.

कुछ लोग जो फ़ैल हो जाते हैं वो इसलिए फ़ैल हो जाते हैं क्यूंकि वे सभी एक्सटर्नल फैक्टर्स के ऊपर डिपेंड करते रहते हैं जो उसके कण्ट्रोल में नहीं हैं। जैसे – मुझे कही जाना है तो मेरे दोस्त इसी समय वहां जाते हैं मैं उसके लिए वेट कर रहा हूँ, हो सकता है उसको आपके बारे में पता तक नहीं की आप कही जाने वाले है और वो पूरी स्पीड से गाड़ी लेके आपके सामने से ही चले गए,

और वो मेरे दोस्त मुझे एग्जाम में आंसर दिखायेगा तो मुझे पढ़ने की जरुरत नहीं है और आप एग्जाम हॉल पहुंचे तो आपको वो लड़का कही और जगह बैठी हुई दिखाई दे तो आप क्या करोगे ! हो सकता है वो आपके साथ ही बैठे फिर उसके पास टाइम ही नहीं है की उसी 3 घंटे में वे अपने आंसर भी लिखे और आपको भी दिखाए।

ऐसे और भी हज़ारों एक्साम्पल है। जो की हमारे हमेशा दूसरों के ऊपर डिपेंड करके ही लाइफ में आगे बढ़ते हैं। क्यूंकि लोगों ने खुद की रेस्पोंसिबिलिटी लेना सीखा ही नहीं। वे अपने माँ-बाप या उनके देख-भाल करने वाले के उपर डिपेंडेंट हो जाते हैं ना। तो इसलिए दुनिया की 99% लोग कभी सक्सेसफुल नहीं होते हैं। इसलिए हमे ही अपने लाइफ की रिस्पांसिबिलिटी खुद को लेना सीखना होगा।

यानी की हमें प्रोएक्टिव बनके दूसरों के ऊपर डिपेंडेंट होने की बजाये, हमे अपनी रिस्पांसिबिलिटी खुद से ही लेना है। जो प्रोएक्टिव लोग है वो अलग अलग सीटुएशन्स में हम रेस्पोंद डिफरेंटली करते हैं। वो इनिशिएटिव लेके सिचुएशन को अपने कण्ट्रोल में लेने की कोशिश करते हैं।

लाइफ की रेस्पोंसिबिलिटी खुद कैसे लेंगे?

जैसे मेरे पास विल पावर है, फिजिकल स्ट्रेंथ बहुत है, एनर्जी भी है, मेंटल पावर भी है, और मेरे पास वो सभी रिसोर्सेस है जो मेरे काम के लिए जरुरी है। तो मैं खुद से ही कोई भी टास्क अचीव कर सकता हूँ।

मैं इन्हीं पे डिपेंड करके सक्सेसफुल बन सकता हूँ। ऐसा नहीं है की कोई दूसरा इंसान मेरा मदद करें तो ही हम आगे बढ़ेंगे या बढ़ पाएंगे या मुझे कोई काम करने के कुछ पैसा चाहिए तो कोई दूसरा इंसान आके मुझे कहेगा की ले ये 10 लाख रूपए ले और अपना काम कर (जो कभी होने वाला नहीं हैं)

तो हमे खुद रेस्पोंसिबिल्टी लेना है अपनी लाइफ की, अपने एक्शन्स की, अपने काम की, अपने सक्सेस की।

No.1 – Self Awareness

इसका मतलब है की मैं अपने बारे जानता हूँ। मुझे पता है की मेरे स्ट्रेंथ क्या हैं और मेरे वीकनेसस क्या है और मेरी फीलिंग्स क्या है! मतलब आप कैसा इंसान है आपको पता जरूर होना चाहिए।

अगर आपको पता है आप अंदर से कैसा है, क्यूंकि बाहर लोगों को दिखाने के लिए आप कुछ भी करें, कुछ भी दिखाए लेकिन आप अंदर से एक ही इंसान है। और आप खुद पूछिए की क्या आप अपने बारे में जानते हैं। क्यूंकि इस दुनिया में आप एक ही इंसान के बारे सच पता कर सकते हैं और वो है – आप खुद।

और सच आपको में आपको पता होगा की आप क्या कर सकते है, आप क्या जानते है, और आप क्या नहीं कर सकते और नहीं जानते हैं। और ये आपको पता लगेगा आपकी खुद की एनालिसिस से। आपको अपने आपको क्वेश्चन करना होगा। और तभी आप सेल्फ अवेयरनेस हो पाएंगे।

जैसे मैं कोई नौकरी करने के लिए नहीं बना हूँ, मैं अपना खुद का बिज़नेस करना चाहता हूँ, और अगर जबरदस्ती मेरे फॅमिली कोई भी जॉब करने के लिए प्रेशर दें तो मुझे जॉब अगर मिल भी जाये तो बॉस के झगड़ा करके मैं दूसरे दिन जॉब छोड़ दूँ और ये लाखों लोगों के साथ हुआ होगा।

जैसे मुझे क्रिकेट खेलना सबसे अच्छा लगता है लेकिन मुझे जबरदस्ती फुटबॉल खेलने के लिए कहे तो मैं कभी खेल नहीं पाउँगा। और हो सकता है मैं दूसरे या तीसरे दिन ही फुटबॉल छोड़के भाग आऊं।

जैसे आपको किसी बुक को पढ़ना अच्छा नहीं लगता है उसकी ऑडियो सुनना अच्छा लगता है तो आप को अगर पढ़ना पड़े तो आपको पढ़ने में मन ही नहीं लगेगा। और हो सकता है आप ऑडियोबुक से दिन भर सुन कर सीख सकते हैं आपको बोर नहीं लगेगा। जैसे मैं लोगों को अच्छी तरीकेसे मैथ्स सीखा सकता हूँ, लेकिन मुझे सोशल साइंस सीखाना पड़े तो मैं कभी अच्छे से सीखा नहीं पाउँगा। क्यूंकि जो चीज मुझे अच्छी तरीकेसे आता है वो मुझे पता है और मैं उसमें ही आगे बढ़ना चाहता हूँ।

लोग कहते हैं आपको ज्यादा स्किल या ज्यादा सब्जेक्ट्स सीखने की जरुरत है, अगर आपको किसी चीज के बारे में नहीं पता है तो आप उसे सीखें। लेकिन मैं कहता हूँ आप जो जानते हैं उसी में आगे बढिये। मतलब आपकी सेल्फ अवेयरनेस जो अंदर से है और आप जानते हैं उसी में आगे बढ़ने से आप लाइफ बहुत आगे बढ़ पाएंगे। तो ऐसे बहुत सरे एक्साम्प्ल है।

No.2 – Imagination

आप अभी जिस लेवल पे हैं, वो तो है ही, लेकिन आप अपनी नेक्स्ट लेवल को इमेजिन कर सकते हैं। आप आगे बढ़ने के लिए अपने सारे स्टेप्स के बारे में आप पहले ही इमेजिनेशन के थ्रू देख सकते हैं। ये एक ड्रीम ही है। सपना देखना बहुत जरुरी है, क्यूंकि तभी आप एक्शन ले पाएंगे, प्रोएक्टिव बनने के लिए। हाँ एक ही बार में आप सक्सेसफुल नहीं होंगे, उसके लिए आपको बार बार सपना देखना पड़ेगा और उसे वास्तविकता में लाना या एक्शन लेना होगा।

और हो सकता है आप एक ही बार में सक्सेसफुल हो जाओ। ये डिपेंड करता है आपके इमेजिनेशन के ऊपर। तो हमे प्रोएक्टिव बनने के लिए हमे इमेजिनेशन के वो चीजें सोचनी है जो हमे लाइफ में सक्सेस दे सकती हैं।

No.3 – Consciousness

हम सभी के अंदर कॉन्ससियसनेस्स भरा परा है, लेकिन वो एकदम हमारे अंदर गहरे एरिया में पड़े हुए हैं। तो कॉन्ससियसनेस्स बनने के लिए हमे क्या पता होना चाहिए – हमे राइट और रॉंग के बारे में पता होना चाहिए।

यानी हमारी कॉन्ससियसनेस्स ऐसी होनी चाहिए की अपने अंदर ही हमे पता लग पाए की हमारे लिए कौनसी चीज अच्छी है या सही है और कौनसी चीज बुरी है या गलत है और हमारे लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी की हम जो कर रहे हैं वो दूसरों के लिए अच्छी या सही है या बुरी या गलत है नुकसान देने वाली चीज है।

तो हमारा कॉन्ससियसनेस्स क्या है – जो हमे अंदर ही अंदर बताती है की अच्छी या सही और बुरी या गलत चीज कौनसी है, उसमें फर्क क्या है। तभी हम प्रोएक्टिव बन पाएंगे या फिर खुद की रेस्पोंसिबिलिटी ले पाएंगे।

अगर हम हमेशा दूसरों की नुकसान करने के बारे में सोच रहे हैं और उसके साथ अपना नुकसान भी होंगे और आपको पता भी नहीं लगेगा। और आप कभी सक्सेस अचीव नहीं कर पाएंगे। अपना नुकसान कैसे होंगे – वो मेन्टल लेवल पर होंगे। जब आप दूसरों की नुकसान के बारे सोच रहे हैं तो आपके माइंड में हमेशा नेगेटिव विचार ही आएंगे और आप उसी समय से नीचे गिर रहे होंगे।

और आग आप जो हमारे अंदर कॉन्ससियसनेस्स है और फिजिकल स्ट्रेंथ और मेन्टल स्ट्रेंथ है उससे खुद के और दूसरे के अच्छे के बारे सोचेंगे और एक्शन लेंगे तभी आप प्रोएक्टिव बन पाएंगे। और तभी सक्सेस अचीव कर पाएंगे।

हमेशा ये सोच के साथ काम कीजिये की दूसरों को नीचे दबाना नहीं है अपने आपको पहले से better बनाना है या ऊपर उठना है, स्ट्रांग बनाना है, ताकि दूसरा आपको दबा ना सके। और ये आप सुपर कॉन्ससियसनेस्स के साथ ही कर पाओगे।

No.4 – Independent Will

आपको अपने रेस्पोंसिबिलिटी खुद से ही लेना है। आप कोई भी अच्छी चीज करने के लिए इंडिपेंडेंट है। और आपको उसे यूज़ कर चाहिए। आप अपने खुदके काम करने के लिए एकदम सही है। आपको किसी की मदद नहीं चाहिए। और ऐसी mindset ही आपको आगे बढ़ाएगा।

जैसे – आपके दोस्त बोलते है चलो आज दारू पीते हैं। पार्टी करते हैं। और आपका बहुत इम्पोर्टेन्ट काम है लेकिन फिर भी आप उसके साथ चले जाते है, क्यूँ ? क्यूंकि आपके दोस्त बुरा मान जायेंगे या उसने आपको जाने के बहुत जोड़ दिया। ऐसे लोग ही दुनिया में भरे परे हैं और ऐसे लोग कभी सक्सेसफुल नहीं बन पाते हैं। लेकिन आपको करना यह है की आपको पूरी कॉन्ससियसनेस्स के साथ, सेल्फ अवेयरनेस के साथ उस तरह की चीजों को अवॉइड करना है।

या फिर आपको जिंदगी में कुछ करना है और आप टीवी देख पूरा दिन ख़त्म कर देते हैं या फिर सोशल मीडिया में पूरा दिन बिता देते हैं या दोस्तों के साथ घूमके टाइम बर्बाद कर रहें हैं। तो आपको इसके लिए खुद decision ले सकते हैं की आपको क्या करना है, कैसे करना है, कब तक करना है और उसके लिए आपको किस टाइप की मोटिवेशन चाहिए, किस प्रकार की मेहनत की जरुरत पड़ेगी।

तो इसके लिए हम अपने इंडिपेंडेंट विल के साथ कोई भी कठिन से कठिन फैसला भी ले सकते हैं। की अगर आपको सक्सेसफुल बनना है तो आज मैं दिन में एक घंटा काम कर रहा हूँ, लेकिन आज से मुझे दिन में 15 या 16 घंटा काम करना होगा।

तो आपको पता चल गया होगा की प्रोएक्टिव बनने के लिए आपको कौन कौन सी चीजों के बारे में पता होना चाहिए और क्या क्या करना चाहिए।

बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो हमे लाइफ में सिर्फ अवेयरनेस से ही मिल जाएँगी। तो हमे उसको प्रोऐक्टिवली पता करना होगा की वो opportunities (अवसर या मौका) कौनसी-कौनसी है। आप को चाहे कोई भी अवसर मिले उसको छोड़ना नहीं है। कही पे कुछ भी करने का मौका मिले तो उसको करें। क्या पता किसी एक चीज से आपका लाइफ बन जाये। इसलिए सब कुछ करना चाहिए जो भी हमें मौका या अवसर मिलें तो।

Rules for Proactive

अपनी ज़िंदगी की ज़िम्मेदारी खुद लो।
लाइफ में इनिशिएटिव लें।
आप उसी पर फोकस करें जिस पर आपका पूरा या 100% कण्ट्रोल हैं।

No.1 – Responsibility

मैं अपनी लाइफ की जिम्मेदारी खुद ले सकता हूँ। और खुद ही लेना चाहिए। मेरे लाइफ जो मैं कर रहा हूँ चाहे उसमें सक्सेस मिल रहा है या फेलियर मिल रहा है वो मेरे ही रिस्पांसिबिलिटी है।

No.2 – Initiative

हमने खुद की रेस्पोंसिबिलिटी तो ले ली अब हमे बैठे रहना है। नहीं, हमे प्रोऐक्टिवली अपने नई opportunities को ढूंढना है। कुछ करना है, बस सोचने से कुछ नहीं होता मेरे दोस्त। कुछ बनना है लाइफ में, कुछ एक्शन लेना है पूरी प्लानिंग के साथ। कोई स्टार्टअप बनाना है या आपको कोई नई जॉब्स खोजना है या कोई एक्टिविटी करनी है जिससे हमारा स्किल-सेट इम्प्रूव हो तो आपको initiative लेना बहुत जरुरी है। यानि एक्शन लेना बहुत जरुरी है।

No.3 – Control

हमारे कण्ट्रोल में क्या है? जैसे आपके मोबाइल आपके हाथ में है तो आप वहां पर अच्छी चीजें भी देख सकते है और बुरी चीजें भी देख सकते हैं। कुछ लोग कंप्यूटर से लोगों की बैंक अकाउंट हैक करके पैसा चुराते हैं और कुछ लोग उसी बैंक अकाउंट को सुरक्षा देके पैसा कमाते हैं। आपको पैसा कमाना है तो आपको कुछ काम करना पड़ेगा। आप ये नहीं कह सकते की मैं तो दिन में 12 घंटा काम करता हूँ मुझे दिन का एक रूपए मिलना चाहिए। मैं अपना एक दुकान खोल रहा हूँ तो उसमें बहुत ज्यादा कस्टमर्स आना चाहिए।

क्यूंकि सभी में आपका कण्ट्रोल नहीं है। आपका कण्ट्रोल जहाँ पर है वही पर फोकस कीजिये। जैसे आपका एक दुकान है तो उसमें ज्यादा लोग नहीं आते हैं तो आपको उसकी मार्केटिंग करनी चाहिए। आपको अपने दुकान में मिलें वाली प्रोडक्ट्स की क्वालिटी को इम्प्रूव करना चाहिए और कस्टमर्स अपने आप आएंगे। लेकिन अगर आप दिन भर कस्टमर्स नहीं आने के बारे में सोच रहे है तो कैसे होगा।

इसलिए जो आपके हाथ में है उसी में आपको काम करना चाहिए तभी जो आपके हाथ में नहीं है वो आपके हाथ में आ जायेगा। तो इन तीन बातों को अगर आप अच्छे से समझ पाए तो आप प्रोएक्टिव बन पाएंगे और सक्सेस अचीव कर पाएंगे।

Proactive vs Reactive

प्रोएक्टिव लोग जो होते हैं वो अपनी रेस्पॉन्सिबिलिटीज़ को अपने हाथ में लेते हैं मतलब अपनी लाइफ के जो रीज़नस है सक्सेस या फेलियर के बारे में खुद ही सोचते हैं। रिएक्टिव लोग ऐसे होते हैं जो ऐसे फैक्टर्स को ब्लैम करते रहते हैं जो उनके कण्ट्रोल में नहीं हैं और ये लोग आपको कभी सक्सेसफुल नहीं दिखेगा।

तो इसलिए ये आपके हाथ में हैं की आप प्रोएक्टिव बने या रिएक्टिव बने। रिएक्टिव होने का कोई फायदा नहीं है, क्यूंकि हम ऐसे ही ब्लैम करते रह जायेंगे और हम कभी भी कामयाबी की मुकाम को हासिल नहीं कर पाएंगे। हमे कामयाबी तभी मिलेगा जब हम हमारे कण्ट्रोल में रहने वाले चीजों के साथ आगे बढ़ेंगे।

ज्यादातर लोग यानी 99% रिएक्टिव हैबिट्स के होते हैं। जैसे आप एग्जाम में फ़ैल हो जाये तो आप कहोगे क्वेश्चन बाहर से आया था, पेपर ठीक नहीं था, मेरा बुखार था, कुछ भी चीजों को हम ब्लैम करने लग जाते हैं। ये पूरी तरीकेसे रिएक्टिव हैबिट की इंसान होते हैं।

और प्रोएक्टिव वाले जो 1% होते हैं वे यदि कोई एग्जाम में फ़ैल हुए हैं और उसे पता है की वे इसलिए फ़ैल हुआ क्यूंकि वे उस पढ़ ही नहीं पाया, तैयारी ही नहीं कर पाया, ठीक से आंसर लिख नहीं पाया, क्वेश्चन ही नहीं समझ पाया की उसका आंसर क्या लिखना है, तो वो किसी को ब्लैम नहीं करता हैं और वो आगे बढ़ जाता हैं।

ऐसे ही किसी चीज में होते हैं चाहे बिज़नेस हो या चाहे नौकरी हो ये उसमें जरूर काम आता है। प्रोएक्टिव लोग बिज़नेस में सक्सेस अचीव कर लेते हैं और रिएक्टिव लोग ब्लैम करते ही रह जाते हैं।

प्रोएक्टिव लोग हमेशा रीज़न के बारे पता लगाते है और सॉलूशन्स ढूंढते हैं। प्रॉब्लम ओरिएंटेड पीपल नहीं होते हैं, सलूशन ओरिएंटेड लाइक माइंडेड पीपल होते हैं। और आपको भी ऐसा ही करना चाहिए। वैसे आप ये डिसिशन लेने के लिए इंडिपेंडेंट है, फिर ये मेरा आपके लिए as a सलूशन की तरह ही है की आप प्रोएक्टिव बनो, खुद की हर एक चीजों के बारे में पूरी अवेयरनेस के साथ रिस्पांसिबिलिटी लें।

हमारे हाथ में जो हैं, जैसे – एजुकेशन या एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, आपकी स्किल्स और आपकी क्वालिटीज़, इसके इस्तेमाल से ही आप लाइफ में बहुत आगे बढ़ पाओगे, और हमारे हाथ में जो नहीं हैं, जैसे कोई भी रिजल्ट्स, बिज़नेस में कोई भी sell, या हेल्थ फैक्टर etc, आप इसके लिए कुछ नहीं कर सकते।

आप सिर्फ अपने तरफ से वही कर सकते हैं की आप अच्छे से एग्जाम दे सकते हैं, बिज़नेस में कोई भी प्रोडक्ट्स की अच्छी तरह मार्केटिंग कर सकते हैं, हेल्थ के लिए एक्सरसाइज और खान-पान के ऊपर ध्यान दे सकते हैं इसके अलावा आप कुछ नहीं कर सकते हैं।

तो आपको चिंता उस बात की करनी है जिसका 100% कण्ट्रोल आप रखते हैं और आप ही उसको चलाते हैं और उसके बारे में कभी चिंता ना करें जो आपके हाथ में है ही नहीं।

Conclusion

तो दोस्तों आज हमने जो सीखा उसको अगर summarise किया जाये तो आपको प्रोएक्टिव बनने के लिए इन सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • सेल्फ अवेयरनेस
  • सेल्फ कण्ट्रोल
  • सेल्फ रिस्पांसिबिलिटी
  • टेकिंग एक्शन
  • सेल्फ कॉन्ससियसनेस्स
  • इमेजिनेशन या ड्रीम देखना
  • सेल्फ डिसिशन
  • फाइंड पावर ऑफ़ योर विल पावर
  • फोकस ऑन व्हाट यू हैव or व्हाट इज इन योर कण्ट्रोल

अगर पूरी आर्टिकल पढ़ने के भी आपको प्रोएक्टिव नहीं बनना है तो इसके लिए इंडिपेंडेंट है। वैसे अगर आपके अंदर इतना पेशेंस है तो मैं 100% कह सकता हूँ की आप एक प्रोएक्टिव हैबिट वाले इंसान ही हैं। और आप शायद सक्सेस को अचीव कर चुके हैं या आने वाले कुछ महीनों में या दो साल के अंदर अंदर सक्सेस को अचीव करने वाले हैं।

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