Hello दोस्तों, आज हम बात करेंगे गोल सेटिंग के बारे में। क्यूंकि अगर आपको अपना पर्सनालिटी डेवेलोप करना है तो ये गोल सेटिंग बहुत ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होता है। क्या आपके मन कभी ये सवाल आता है की हम स्कूल/कॉलेज जाते ही क्यूँ हैं, कोई डिप्लोमा या डिग्री क्यूँ करते हैं या हम पढाई ही क्यूँ करते हैं! आखिर क्यूँ???
क्यूंकि हमे अपने जीवन के गोल्स अचीव करना है। पैसा चाहिए, रहने के लिए अच्छी घर चाहिए, अच्छी जीवन संगिनी चाहिए और ज्ञान से हम किसी के साथ से कन्वर्सेशन कर सकते हैं, किसी को कुछ समझा सकते हैं, etc.
गोल सेटिंग कैसे करें?
तो अगर गोल्स अचीव करना ही है तो करे कैसे ? उनका एक प्रॉसेस होता है। जैसे एक गाड़ी को बनाने के लिए पहले बॉडी उसके बाद पहिये और उसके बाद इंजन और उसके बाद बाकि एक्सेसरीज लगाते है और उसके बाद उस गाड़ी को चलाके देखते हैं, ये सारे एक प्रॉसेस है वैसे ही अगर जीवन के गोल्स अचीव करना है तो उसके लिए भी कुछ प्रॉसेस होता है।
तो हम आज इसके बारे में ही बात करेंगे।
हम जब भी अपने जिंदगी में कोई गोल्स सेट करते हैं। वही हम गलती करते हैं। क्यूंकि हम जब गोल्स बनाते हैं तब हम अपने डिजायर और एस्पिरशंस पे कन्फ्यूज्ड क्रिएट कर देते हैं।
एक बहुत ही सिंपल सा एक स्टेप है गोल्स सेटिंग का जो है – SMART Goal Setting
लेकिन इससे पहले आपकी जिंदगी का जो गोल है जिसकी तरफ आप आगे बढ़ना चाहते हैं उसको एक नोटबुक या सिंगल पेपर में लिख लीजिये। (बड़े बड़े अक्षरों में)
SMART गोल सेटिंग का मतलब क्या है?
SMART गोल सेटिंग का मतलब है किसी गोल को एक टाइम के साथ क्या करना है कैसे करना या कहाँ करना है और उसके लिए कौनसी चीजों की जरुरत पड़ेगी उन सारी प्रोसेस के साथ बनाया हुआ गोल ही स्मार्ट गोल है।
लेकिन इसका एक सीक्रेट डेफिनेशन भी है –
- S का मतलब – Specific (विशिष्ट)
- M का मतलब- Measurable (मापने योग्य)
- A का मतलब – Actionable/Achievable (काम करने/अचीव करने योग्य)
- R का मतलब – Relevant (मिलता जुलता)
- T का मतलब – Time-Bound (समयबद्ध)
S – Specific (विशिष्ट)
आप जब अपना गोल सेट करते हैं तो उसके लिए सबसे पहले ये ध्यान दीजिये की वो काफी स्पेसिफिक हो। क्यूंकि ये बहुत आसान है ये गोल बनाना की मैं अमीर बनना चाहता हूँ। क्या आपको पता है की ये गोल सेटिंग नहीं है। या आपको लगता है की बस मैंने सोच लिया है मुझे अमीर बनना है तो मेरा गोल सेट हो गया है। नहीं
क्या आपको ये पता है की ये सिर्फ और सिर्फ डिजायर की लेवल पर ही है। लेकिन इसको आपको स्पेसिफिक बनाना होगा। बगैर स्पेसिफिक गोल के आप कभी अमीर नहीं बन सकते।
स्पेसिफिक मतलब है की आप अमीर बनना चाहते हैं, ठीक है, आपको कितने पैसे चाहिए अमीर बनने के लिए, कब तक चाहते हैं और कैसे आप उतने पैसे कमाएंगे अमीर बनने के लिए, वो सारी चीजें बहुत जरुरी है।
तो जो भी आप अपने जिंदगी में गोल सेट करेंगे उसको स्पेसिफिक बनाना बहुत जरुरी है। क्यूंकि आपको पता तो लगे की आप अगर अमीर बनना चाहते हैं तो पहले आपको क्या करना होगा, उसके बाद आपको वो करके क्या मिलेगा और उससे आपको क्या चाहिए, कब तक चाहिए।
एक्साम्पल – एक इंसान जिसने बोला है की अगले तीन महीने में मैं अपना वजन 10 किलो कम करना चाहता हूँ। ये एक स्पेसिफिक गोल है, क्यूंकि उसको पता है की क्या चाहिए, कितना चाहिए और कब तक चाहिए।
M – Measurable (मापने योग्य)
ये बोलने में बहुत आसान है की आप बोले मैं एक अच्छी सरकारी नौकरी चाहता हूँ। क्या आपको पता है सरकार नौकर भी रखता है और ऑफिसर भी रखता है और मध्यम वर्ग की पोस्ट भी रखता है तो आपको यही पता नहीं है की उसमें से आपको कौन सी पोस्ट के लिए नौकरी चाहिए।
इसलिए ज्यादातर लोग कुछ भी नौकरी कर लेते हैं। मतलब अगर उनको peon की जॉब भी मिले तो कर लेगा और अगर क्लर्क की जॉब भी मिले तो कर लेगा या कोई हेड ऑफ़ दी डिपार्टमेंट का जॉब भी मिले तो कर लेगा।
अरे अच्छी सरकारी नौकरी मतलब क्या होता है ? अच्छी नौकरी measure कैसे करी जाती है ?
बहुत आसान है की ये बोलना की मैं जिंदगी में बहुत खुश रहना चाहता हूँ। तो खुश रहना क्या होता है ? खुश रहने को measure कैसे किया जाता है ?
जो भी आप गोल सेट करते हैं अपनी लाइफ में उसको measure करना बहुत जरुरी है। क्यूंकि जब तक आप उस चीज को measure नहीं करेंगे तो आप ये कभी नहीं जान पाएंगे की आप उसको हासिल कर पाए है या नहीं।
अगर आप बोलेंगे की मैं तीन महीने में 10 किलो वेट लॉस करना चाहता हूँ, तो ये एकदम measurable है। क्यूंकि तीन महीने में सिर्फ 5 किलो ही कम हुआ है तो आपने अपने गोल अचीव नहीं किया है और 15 किलो कम कर लिया है मतलब आपने अपने जीवन में गोल सेट करना अच्छे से सीख लिया है और उसको हासिल करने के लिए आप किसी भी हद तक जा सकते हैं।
तो आप जब भी गोल बनाये तो आपको ये ध्यान रखना है की वो गोल Measurable हों।
A – Actionable/Achievable (काम करने या अचीव करने योग्य)
अपने जो भी गोल सेट किया है उसके लिए आपको कैसे एक्शन लेना है और कैसे आप एक्शन ले पाएंगे। आपको पता होना चाहिए की कैसे उस गोल तक पहुँचने के लिए आपको क्या क्या चीजें करनी हैं।
क्यूंकि अगर आप एक ऐसा गोल बना देतें हैं जिसका आपको कोई तरीका ही नहीं पता है, कही पहुँचने का रास्ता नहीं पता है तो वो गोल आपको कभी अचीव नहीं होंगे। उसको बनाने का कोई फायदा नहीं होगा।
अगर आप बोलेंगे की मैं अगले तीन महीने में 10 किलो वेट लॉस करूँगा, और मैं gym जा के वेट लॉस करूँगा तो गोल एक actionable गोल बन जाता है। क्यूंकि क्या करना है और कब करना है वो भी क्लियर है और कैसे करना है वो भी क्लियर है। मतलब आपको पता है वो 10 किलो आप क्या करके लॉस कर सकते है।
R – Relevant (मिलता जुलता)
आपका गोल आपकी जिंदगी में मायने रखता है या नहीं ! क्या आप ऑलरेडी पतले हैं और 10 किलो और लॉस करना चाहते हैं, या फिर आप एक ऑलरेडी नौकरी कर रहे हैं और साथ में एक और नौकरी चाहते हैं, क्या आप ऑलरेडी किसी ऐसे गोल में फंसे हुए हैं और जहाँ पर आप एक और गोल करके कोई रेलेवंस नहीं रहे हैं।
आपके गोल का आपकी जिंदगी में रेलेवंस क्या है, महत्व क्या है – ये जानना बहुत जरुरी होता है। क्यूंकि जब तक वो आपको क्लियर नहीं पता होगा तब तक कोई गोल को पाने के लिए जो मोटिवेशन चाहिए वो आपको नहीं मिलेगा।
T – Time-Bound (समयबद्ध)
कोई गोल जिंदगी भर नहीं हो सकता। उसका एक एंडिंग होना जरुरी होता है। अगर आप बोलते हैं की आपको 10 किलो वेट लॉस करना है, तो वो गोल तभी होगा जब आप बोलेंगे की आप कब तक वो वेट लॉस करना चाहते हैं। जैसे मैंने एक्साम्पल दिया हुआ है आपको तीन महीने में 10 किलो वेट gym जा के लॉस करना है। उसमें सब कुछ आ गया।
और क्या करना है, कैसे करना है और कब तक करना ही है वो जानना बहुत इम्पोर्टेन्ट है। क्यूंकि आप माइंड को ये आदेश दे सुके है की आपको वो गोल कब तक, कैसे हासिल करना है।
Conclusion –
आप अपने गोल को लिख सकते है ऐसे पूरा स्पेसिफिक, Measurable, एक्शनेबल, रेलेवेंट और समयबद्ध तरीके से बनाकर। पहले जो आपने गोल लिखा था जो आप अचीव करना चाहते हैं, उसके बारे में सोचिये की क्या वो स्पेसिफिक, Measurable, एक्शनेबल, रेलेवेंट और समयबद्ध तरीके से बनाया हुआ है आपने। अगर नहीं बनाया है आप अभी बनाये।
पहले शायद आपको नहीं पता था की आपने तो बहुत सारा गोल बनाया है लेकिन वो कभी अचीव नहीं हो पाया है। और अब आप अपने गोल को SMART गोल के तरीके से बनाये और आपको पता लगेगा की आप वो गोल उसी टाइम तक अचीव कर रहे होंगे, जितने टाइम बाउंड आपने चॉइस किया हुआ है।
पहले आप गोल बनाते होंगे की मैं बुक पढूंगा। लेकिन आपको अब इसी SMART गोल की तरह गोल बनाना है की मैं एक बुक पढूंगा, आपने एक बुक ख़रीदा और बोला की इस बुक में 200 पेजेज हैं तो मैं डेली 6 पेज पढूंगा और एक महीने के लिए पढूंगा। तो आप वो गोल easily अचीव कर पाएंगे। क्यूंकि आपको अच्छे से पता है की क्या करना है, कैसे करना है और कब तक करना है ताकि आपका गोल अचीव हो जाये।
तो जब भी आप गोल बनाओ तो इसी SMART गोल तकनीक का यूज़ करके गोल बनाये, एकदम टाइम पे आपका गोल जरूर अचीव होगा।