50+ Real Success Stories in Hindi | महान लोगो की सफलता की कहानी

Henry Ford

जब कार बनना शुरू हुई थी तब आम लोगों के लिये इसे खरीदना लगभग नामुमकिन था क्योंकि या तो वो बहुत ज़्यादा महँगी थी या उन्हें बिना ट्रेनिंग के चलाना इतनी आसान बात नहीं थी, लेकिन गाड़ियों को आम जनता की सुविधा के अनुसार बनाने में अगर किसी का हाथ है तो वो हैं Henry Ford, जिन्होंने फ़ोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना की और गाड़ियों को आम जनता के लिए आसान, हल्का और सुविधा जनक के साथ काफ़ी सस्ता भी बना दिया था।

Henry Ford का जन्म 30 जुलाई 1863 को ग्रीनफ़ील्ड टाउनशिप, मिशिगन, अमेरिका में हुआ। Henry अपने 6 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता एक किसान थे और वो चाहते थे कि Henry भी उनके साथ खेत में उनकी मदद करे लेकिन उनको बचपन से ही मशीनों और मैकेनिकल चीज़ों से लगाव था इसी के चलते वो लोगों की घड़ियाँ भी ठीक किया करते थे जब Henry 15 साल के थे तो उनके माता-पिता की डेथ हो गयी फिर Henry 1879 में डेट्रॉइट चले गए।

डेट्रॉइट जाने के बाद Henry ने James F. Flower & Brothers के साथ में काम किया और इसी साथ में कई वर्कशॉप में काम करके एक्सपीरिएंस लिया। वहाँ उनकी सैलरी पर्याप्त न होने की वजह से वो रात में घड़ियाँ ठीक करने का काम करते थे, जिससे कुछ एक्स्ट्रा इनकम हो सके। 7 साल तक अलग-अलग कारखानों में काम करने के बाद Henry अपने पिता के फ़ार्म पर वापस आ गए फिर वो वेस्टिंगहाउस में स्टीम इंजन पर काम करने लग गए, जो कंपनी फार्मिंग में यूज़ किये जाने वाले स्टीम इंजन बनाती थी।

अपने फ़ार्म पर वापस आकर उन्होंने मशीन और इंजन ठीक करने का कारखाना खोला और उसी दौरान 11 अप्रैल 1988 को उन्होंने Clara Jane Bryant से शादी कर ली। शादी के बाद उनका मशीन बनाने का कारखाना यंत्रों की कमी से बंद करना पड़ा और वो फिर से डेट्रॉइट चले गए। डेट्रॉइट वापस जाने के बाद उनके हुनर और मशीन के प्रति लगाव को देखकर उन्हें जुलाई 1891 में Edison Illuminating Company में बतौर इंजीनियर नौकरी मिल गयी और 6 नवम्बर 1893 को Henry चिफ़ इंजीनियर के पद पर प्रमोट हो गए।

उसके बाद उनकी पैसों की समस्या थोड़ी कम हुई लेकिन उनका सपना एक अच्छी नौकरी पाना था, वो गैसोलीन से चलने वाले इंजन के प्रति ज़्यादा इंटरेस्टेड थे, उन्होंने उसको लेकर कुछ बड़ा करने की मन मे ठान ली थी और ऐसा ही हुआ साल 1893 में उन्होंने पेट्रोल से चलने वाला इंजन भी बनाया। उसकी सक्सेस के बाद वो उसी इंजन को लेकर कार बनाने के काम पर लग गए और 1896 में पहली कार बनाई जिसका नाम उन्होंने Quadricycle रखा। उसके बाद उन्होंने खुद की ऑटोमोबाइल की कंपनी बनाने की सोची, वहीं Edison की कंपनी ने उनके सामने 1200 डॉलर्स सैलरी का प्रपोज़ल रखा और जनरल सुपरिटेंडेंट का पद देने की बात कही।

Ford वो सैलरी और पद चाहते थे क्योंकि उनके पास नई कंपनी बनाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, लेकिन आखिर उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने में ध्यान दिया। अगस्त 1899 में उन्होंने Edison की कंपनी छोड़ दी और डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल नाम की खुद की कंपनी बनाई, जिसकी फंडिंग उन्हें William H. Murphy नाम के नामी बिज़नेसमैन से मिली जो 18 महीनें बाद दिवलिया हो गयी और Ford का सपना एक बार फिर से टूट गया। उसी दौरान Henry Ford ने कुछ रेसिंग कार्स बनाई थी जिन्होंने रेस में काफ़ी अच्छा परफॉर्म किया था जहाँ उन्होंने Alexander Winton को रेस में हरा दिया। उसके एक महीने बाद Henry ने अपनी दूसरी कंपनी बनाई जिसका नाम उन्होंने Henry Ford कंपनी रखा, जो बाद में जाकर Cadillac Motor Car Company बनी।

दो बार हार का सामना करने के बाद फ़ाइनली उन्होंने 16 जून 1903 को Henry Ford Motor Company की स्थापना की, जिसमें 12 इन्वेस्टर्स ने मिलकर 28000 डॉलर्स इन्वेस्ट किये, जिसमें Henry का शेयर 25.5% था और 15 जुलाई 1903 को Ford ने अपनी पहली कार बेची जिसका नाम Model A था और पहले साल में उन्होंने 1708 कारें बेचीं और दूसरे साल लगभग 5000 कारें बेची। 1906 में Henry, कंपनी के प्रेज़िडेंट बने और उन्होंने सभी शेयर होल्डर्स को उनके शेयर देकर खुद कंपनी के मालिक बन गए। फिर उन्होंने काम को बढ़ाने के लिए मूविंग असेंबली लाइन के तरीके को खोजा और आज बड़ी-बड़ी कंपनीज़ में जिस तरह से काम होता है उसकी खोज असल मे Henry Ford ने की थी, वो किसी भी काम को नए तरीके से करना और क्वालिटी को बनाये रखते हुए काम को आसान करना जानते थे।

Ford प्रेज़िडेंट बन गए लेकिन उनका असली मक़सद एक बड़ी कंपनी का मालिक बनना नहीं था बल्कि ट्रांसपोर्टेशन का ऐसा साधन बनाना था जिसको आम लोग आसानी से खरीद सके, इसी को ध्यान में रखते हुए Ford ने 1908 में Model T नाम की कार बनाई, ये कार इतनी सस्ती थी कि आम आदमी भी इस कार को खरीदने में समर्थ था, ये कार इतनी कामयाब हुई कि मेजोरिटी अमेरिकन के पास Model T कार थी और इसकी वजह से अमेरिकन हाईवे को बनाने का प्रस्ताव पास हुआ और ऑयल का यूज़ भी बढ़ा। 1924 के आते-आते Ford ने ट्रैक्टर्स और ट्रक भी बनाना शुरू कर दिया था और 1931 के आते-आते Ford Motor Company 2 करोड़ से ज़्यादा ऑटोमोबाइल्स बना चुकी थी।

1929 में उन्होंने “The Henry Ford Museum” और “Edison Institute Of Technology” की स्थापना की। Henry Ford एक बिज़नेसमैन होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी थे, उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स को किसान और ग्रामीण लोगों के अनुसार सस्ता बनाया। शुरुआत में मिली दो बड़ी असफ़लताओं के बाद अगर Henry ने हार मान ली होती तो वो कभी सफ़लता के इतने बड़े आयाम नहीं देख पाते और हम आज उनकी बनाई बेस्ट परफॉर्मेन्स कार को नहीं देख पाते, उनके इस पैशन की वजह से उन्हें कार्स की दुनिया का जनक कहा जाता है जो 7 अप्रैल 1947 को चल बसे और उनकी डेथ के बाद वो आज भी दुनिया पर राज करते हैं।

Jeff Bezos

ऑनलाइन शॉपिंग की बात की जाए तो सबसे पहले दिमाग़ में एक ही वेबसाइट Amazon आती है, जिसकी शुरुआत एक घर के गेराज से हुई और आज वो दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट है और ये सिर्फ़ एक व्यक्ति के दिमाग़ की उपज है जिनका नाम Jeff Bezos हैं। उन्होंने इस वेबसाइट के ज़रिए लोगों का शॉपिंग करने का तरीका ही पूरी तरहसे बदल डाला।

Jeff Bezos का जन्म 12 जनवरी 1964 को अमेरिका के न्यू मेक्सिको सिटी में हुआ, उनके जन्म के टाइम उनकी माँ हाई स्कूल में पढ़ाई कर रही थी और उस समय उनकी उम्र सिर्फ़ 17 साल थी और उनके पिता उन्हें और उनकी माँ को छोड़कर चले गए उस वक़्त Jeff Bezos की उम्र सिर्फ़ 18 महीने थी।

पिता ने छोड़ जाने के बाद उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली और Jeff Bezos हॉस्टन शिफ़्ट हो गए, जहाँ उन्होंने रिवर ओक्स एलिमेंट्री स्कूल से प्राइमरी स्टडी की। फिर उनका परिवार फ्लोरिडा शिफ़्ट हो गया जहाँ उन्होंने मिआमि पालमेटो हाई स्कूल से अपनी स्कूलिंग की और बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के साइंस ट्रैन प्रोग्राम में हिस्सा लिया और 1982 में उन्हें सिल्वर नाइट अवार्ड भी मिला। फिर साल 1986 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस में यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिंसटन से ग्रेजुएशन की।

जब Jeff 16 साल के थे तब वो मैकडोनाल्ड में टेबल साफ करने का काम करते थे, एक बार उन्होंने बताया कि वहाँ काम करते वक़्त उनके हाथ से 5 गैलन कैचअप का कंटेनर गिर गया था, जिसकी भरपाई उन्हें वहाँ काम करके चुकानी पड़ी थी जिनसे उन्हें बहुत निराशा मिली थी। शुरुआत के दिनों में अपने नाना के साथ उनके फ़ार्म पर भी काम करते थे, जहाँ कुछ टाइम काम करने के बाद उन्होंने खुद के फ़ार्म पर काम करना शुरू किया। ग्रेजुएशन के बाद Bezos ने 1990 में वॉल स्ट्रीट में D.E. Shaw & Company में इन्वेस्टमेंट को प्रेडिक्ट और एनालाइज़ करने का काम किया और 1992 में कंपनी ने उनके काम को देखते हुए उन्हें वहाँ का सबसे कम उम्र का सीनियर वाईस प्रेज़िडेंट बना दिया। जहाँ उन्होंने 1994 तक काम किया फिर उन्होंने खुद का काम शुरू करने के लिए वो नौकरी छोड़ दी।

नौकरी छोड़ने के बाद Bezos 1994 में अपने घर के गेराज में Amazon कंपनी की नींव रखी, जिसमें स्टार्टिंग में वो ऑनलाइन बुक्स को बेचा करते थे, फिर जून 1998 में उन्होंने ऑनलाइन CD को बेचना शुरू किया और 1999 में उन्होंने Pawn Shops को अपनी वेबसाइट से जोड़ा जिसमें लोग ऑनलाइन ही घर बैठे ऑक्शन के ज़रिए सामान को बेच और ख़रीद सकते थे। उसी साल 1999 में Jeff बिलेनियर बन चुके थे और कुछ ही सालों में Amazon ई-कॉमर्स की दुनिया में सबसे आगे हो चुका था और 2005 में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर के सामान को भी अपनी वेबसाइट के थ्रू बेचना शुरू कर दिया।

उन्होंने अपनी अलग सोच और लोगों को सुविधा देने के लिए Amazon तो बनाया, साथ ही 2000 में उन्होंने ब्लू ओरिजिन एयरोस्पेस कंपनी बनाई जिसमें उनका विज़न लोगों को स्पेस में कम से कम खर्च में भेजने का है, 2019 के अनुसार इस प्रोजेक्ट में 2500 लोग काम करते हैं। 5 अगस्त 2013 को Bezos ने अमेरिका की वाशिंगटन पोस्ट को 250 मिलियन डॉलर मे खरीदा। इस समय Jeff Bezos 185 बिलियन डॉलर्स के साथ आज दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं, अपने गेराज में 21 लोगों से शुरुआत करने से आज Amazon को दुनिया की 4th सबसे बड़ी कंपनी बना दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स में 1st है, जिसमें 2020 के अनुसार 1,125,300 एम्प्लॉयीज़ काम करते हैं।

यह सब उनका हार्डवर्क और लोगों को बेहतर सुविधा देने की पॉजिटिव थिंकिंग के रिज़ल्ट्स है। उन्हें 1999 में टाइम मैगज़ीन के द्वारा पर्सन ऑफ दी ईयर क्लब के ख़िताब मिला था और 2008 में उन्हें US न्यूज़ एंड वर्ल्ड रिपोर्ट के द्वारा अमेरिका का बेस्ट लीडर चुना गया, साथ ही वो फिलैंथरोपिस्ट भी है जो लोगों के हित के लिए दान देते हैं।

Pablo Picasso

दोस्तों जब भी पेंटिंग का नाम आता है तो सबसे पहले जिस इंसान का नाम लिया जाता है वो है Picasso. वैसे तो दुनिया भर में कई पेंटर हुए लेकिन Pablo Picasso का नाम उन सब में सबसे ऊपर है, Picasso को पेंटिंग का भगवान कहा जाता है, उन्होंने अपनी पूरी लाइफ़ पेंटिंग बनाने में दे दी, उनकी पूरी लाइफ़ में उन्होंने लगभग 50 हज़ार पेंटिंग बनाई, जिनकी क़ीमत आज के समय में करोड़ो में हैं।

Pablo Picasso का जन्म 25 अक्टूबर 1881 को Malaga, Spain में हुआ था, उनके पिता एक आर्ट्स टीचर थे और उन्हें शुरुआती पेंटिंग भी उनके पिता ने ही सिखाई। उनके बचपन का एक किस्सा है जब उनकी माँ उन्हें कहती थी कि अगर तुम एक सोल्जर बनोगे तो जनरल बनोगे, अगर सेंट बनोगे तो पॉप बनोगे तब Picasso ने कहा था कि वो एक दिन Picasso बनेंगे और उनके इसी जवाब में उनका फ़्यूचर छुपा था। Picasso पढ़ाई में इतने अच्छे नहीं थे लेकिन वो बचपन से ही पेंटिंग बनाने में काफ़ी माहिर थे, उनके बारे में रिसर्च करने वाले बताते हैं कि उन्होंने जब बोलना स्टार्ट किया था तब उनकी ज़ुबान से पहले शब्द पीज़-पीज़ निकला था जो स्पेनिश वर्ड लेपिज़ का शॉर्ट फ़ॉर्म है जिसका मतलब पेंसिल होता है।

Picasso जब बड़े हुए तब उनका पेंटिंग की तरफ़ इंटरेस्ट देखते हुए उनके पिता ने उन्हें पेंटिंग बनाना सिखाना शुरू कर दिया और 14 साल की उम्र तक वो इतने माहिर हो गए कि अपने पिता से भी अच्छी पेंटिंग बनाने लग गए थे लेकिन वो अपनी पेंटिंग के इंटरेस्ट की वजह से अपनी पढ़ाई से दूर होते जा रहे थे। 14 साल की उम्र में Picasso को उनके पिता ने पेंटिंग सीखने के लिए मैड्रिड भेज दिया, वहाँ Picasso की पेंटिंग देखकर उन्हें एडमिशन तो मिल गया लेकिन कुछ टाइम बाद वहाँ के स्ट्रिक्ट, रूल्स और रेगुलेशन की वजह से Picasso ने वो आर्ट्स स्कूल छोड़ दिया। उसके बाद Picasso के पिता ने उन्हें पेरिस भेज दिया, पेरिस को उस समय दुनिया का सबसे बड़ा आर्ट हब माना जाता था, वहाँ उन्हें कई अलग-अलग लोगों से मिलकर अपने आर्ट को तराशने का मौका मिला और उसके बाद अपने घर आकर उन्होंने अपना आर्टवर्क बनाना शुरू किया।

उन्होंने पेरिस से आने के बाद अपनी पेंटिंग में समय के अनुसार 1904 के अलग-अलग चीज़ों को बनाया, जैसे 1901 से 1904 के बीच मे उन्होंने ज़्यादातर पिंक और ब्लू कलर पर आधारित पेंटिंग बनाई, जो अपने से नीचा दिखाए जाने वाले लोगों पर आधारित है। फिर 1904 से 1906 के बीच उन्होंने म्यूज़िकल आर्ट्स, एक्रोबेट और क्लोवन्स कि पेंटिंग बनाई, फिर 1907 से 1909 के बीच में उन्होंने Avignon की महिलाओं पर आधारित पेंटिंग्स बनाई। 1909 से 1919 तक घनवाद (Cubism) के आधार पर पेंटिंग्स बनाई, उसी दौरान 1911 में मोनालिसा की पेंटिंग चोरी होने की वजह से Picasso को अरेस्ट भी किया गया था। उसके बाद 1919 से 1929 तक उन्होंने Neoclassicism और Surrealism के आधार पर पेंटिंग्स बनाई।

Picasso हिंसा और लोगों पर होने वाले अत्याचारों के बहुत अगेंस्ट थे, 1937 में जब नाज़ी आर्मी ने स्पेन रिपब्लिक आर्मी पर बोम्ब गिराए तो अपना गुस्सा दिखाने के लिए उन्होंने Guenirca नाम की एक विशाल पेंटिंग बनाई और अपनी मर्ज़ी से स्पेन छोड़ दिया और कसम खायी की स्पेन में जब तक रिपब्लिक की स्थापना फिर से नहीं होगी तब तक वो स्पेन नहीं आयेंगे। Picasso ने अपनी पेंटिंग से बहुत दौलत कमाई, वो अपने टाइम के सबसे महँगे आर्टिस्ट थे, हालांकि आज उनकी पेंटिंग्स की जो वैल्यू है वो उस ज़माने में नहीं थी लेकिन वो बाकी के आर्टिस्ट से काफ़ी महँगे थे।

उनको अपनी लाइफ़ में कई उतार-चढ़ाव देखने पड़े, एक समय ऐसा था कि उन्हें लोगों के विरोध के कारण अपने देश से बाहर निकलना पड़ा और ऐसी सिचुएशन में उनके पास रहने के लिए घर नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी पेंटिंग्स पर काम करना बंद नहीं किया, वो 20th सेंचुरी के सबसे महान आर्टिस्ट थे। 8 अप्रैल 1973 को अपने घर मे एक डिनर पार्टी के दौरान 91 की उम्र में उनकी मौत हो गयी, उनका आर्ट्स की दुनिया में जो कॉन्ट्रिब्यूशन हैं वो बहुत लोगों को इंस्पायर करता है, उन्होंने अपनी पूरी लाइफ़ में 50 हज़ार से ज़्यादा पेंटिंग बनाई, जिसमें से बहुत-सी पेंटिंग उन्होंने दान दी और अभी उनकी जो पेंटिंग्स है उनकी वैल्यू आज के हिसाब से मिलियंस में हैं। Picasso ने अपनी पर्सनल लाइफ़ की मुश्किलों को अपने काम के दम पर लोगों की नज़रों से छुपाए रखा, जिनके काम को आगे भी ऐसे ही मास्टरपीस के नज़रिये से देखा जायेगा।

Richard Branson

अपनी किसी बीमारी के कारण हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों को Richard Branson की लाइफ़ काफ़ी इंस्पायर करेगी, न सिर्फ़ शारीरिक प्रॉब्लम बल्कि अगर वैसे भी हम देखे तो Richard ऐसे बिलेनियर हैं, जिनकी गिनती टॉप लिस्ट में तो नहीं आती लेकिन उनके अप्स एंड डाउन्स और लाइफ़ को जीने के तरीके से अपने आपको बाकी बिलेनियर्स के जितना फ़ेमस बनाने में काफ़ी सफ़ल साबित होते हैं।

Richard Branson का जन्म 18 जुलाई 1950 लंदन में हुआ, उनके पिता बैरिस्टर थे और उनकी माँ एयर होस्टेस थी, उन्हें डिस्लेक्सिया (पढ़ने-लिखने और नए वर्ड्स सीखने में परेशानी) नाम की बीमारी की वजह से 16 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उसी बीमारी के कारण स्कूल में उनकी पहचान एक मंदबुद्धि के रूप में होने लगी थी, Branson के अकोर्डिंग स्कूल छोड़ने के लास्ट डे उनके हेडमास्टर में उन्हें कहा था कि या तो वो सारी जिंदगी जेल में बितायेंगे या फिर एक मिलियनर बनेंगे लेकिन उनकी दोनों बात झूट साबित हुई क्योंकि वो एक बिलेनियर बन गए।

स्कूल छोड़ने के बाद उन्होंने क्रिसमस ट्री और बर्ड्स बेचने का काम किया लेकिन वो किसी रीज़न से फ़ैल हो गया, उसके बाद 1966 में Richard ने “Students” नाम की मैगज़ीन लॉन्च की, जिसकी पहली कॉपी 1968 में बिकी। मैगज़ीन लॉन्च करने के एक साल के अंदर Richard की नेट वर्थ 50000 पाउंड हो गयी थी। Richard उस मैगज़ीन में कई म्युज़िक रिकार्ड्स और म्यूज़िक एल्बम की एडवर्टाइज़मेंट प्रिंट करते थे और उन्होंने इस मैगज़ीन के चलते कई सेलेब्रिटीज़ के इंटरव्यू भी लिए।

अपनी मैगज़ीन में दी जाने वाली एडवर्टाइज़ेमेंट की वजह से उन्हें खुद के रिकॉर्ड शोप खोलने का आईडिया आया, जो स्टार्टिंग में काफ़ी अच्छा चला लेकिन 1971 में परचेस टैक्स न भरने की वजह से उन्हें 70000 पाउंड का फ़ाइन भरना पड़ा जिसके लिए उन्हें उनके पिता का घर गिरवी रखना पड़ा। उसके ठीक एक साल बाद 1972 में Richard ने Nik Powell के साथ मिलकर Virgin Records नाम की कंपनी बनाई, हर बिज़नेसमैन की तरह उन्हें भी स्टार्टिंग में काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा, कई परेशानियों के बाद उनकी ये कंपनी चल पड़ी, Virgin Records की सक्सेस के बाद Richard ने ट्रैवल सेक्टर में कदम रखा।

1984 में उन्होंने Virgin Atlantic Airways Limited नाम की कंपनी बनाई और 1985 में Virgin Holidays नाम की कंपनी भी बनाई, जिसमें वो लोगों को Holidays और ट्रैवल पैकेज प्रोवाइड करने की सर्विस देते हैं। 1992 में एक फ़ाइनेंसियल नुकसान के कारण उन्हें Virgin Atlantic Company को बेचना पड़ा, उनके करियर की शुरुआत म्युज़िक रिकार्ड्स बेचकर हई थी, इसीलिए 1996 में उन्होंने फिर से म्युज़िक इंडस्ट्री में कदम रखा और V2 Records नाम की कंपनी बनाई। अपने पुराने एयरलाइन्स बिज़नेस के जाने के बाद उन्होंने फिर से Euro Belgian Airlines नाम की कंपनी को एक्वायर कर लिया और उसे Virgin Express नाम दिया।

1997 में उन्होंने रेलवे के बिज़नेस में भी इन्वेस्ट किया और Virgin Rail Group नाम की कंपनी बनाई। Richard का नाम उन बिज़नेसमैन में लिया जाता है जो फ़्यूचर को ध्यान में रखते अपने समय से काफ़ी आगे का सोचते हैं। अब उन्होंने अपना ध्यान स्पेस टूरिज़्म में लगा लिया है, उसी के चलते 2004 में उन्होंने अनोउंसमेन्ट में बताया कि उन्होंने Virgin Galactic नाम की कंपनी बनाई है, जिसमें वो लोगों को फ़्यूचर में स्पेस टूरिज़्म की सर्विस प्रोवाइड करेंगे। 2008 से उन्होंने Virgin Healthcare नाम से क्लिनिक चैन भी बनानी शुरू की, जो आज सक्सेसफुल तरीके से चल रहा है, साथ ही उन्होंने लाइफ़ में कई फैलियर्स का भी सामना किया, उन्होंने Virgin Cola, Virgin Cars और Virgin Publishing नाम से बिज़नेस स्टार्ट किये लेकिन वो चल नहीं सके।

Virgin Group में आज 400 कंपनीज़ काम कर रही है, Richard 2020 के अनुसार 4 बिलियन डॉलर्स की संपत्ति के मालिक हैं, एक ऐसे इंसान जिनको अपनी बीमारी की वजह से अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़नी पड़ी और कई असफ़लताओं के बाद भी अपने आप को एक बड़े मुक़ाम पर जमाएं रखना और ज़िन्दगी को एक अलग एडवेंचर के तरीके से देखने के नज़रिए को रखने वाले Richard से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

Rowan Atkinson

अगर हम Rowan Atkinson का नाम लेंगे तो बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन जब हम Mr. Bean का नाम लेंगे तो हम में से सभी उन्हें पहचान लेंगे क्योंकि उनका नाम लेते ही हमारे चेहरे पर एक बड़ी-सी मुस्कुराहट आ जाती है। हमारे पसंदीदा टीवी शोज़ में से एक Mr. Bean Show हमारे बचपन के मूमेंट्स को काफ़ी यादगार बना देती है। आज शायद ही दुनिया में कोई ऐसा इंसान होगा को Mr. Bean के कैरेक्टर से नफ़रत करता होगा।

Mr. Bean के कैरेक्टर से मशहूर Rowan Sebastian Atkinson का जन्म 6 जनवरी 1955 को कॉन्सेट इंग्लैंड में एक मिडिल क्लास फ़ैमिली में हुआ था उनके पिता एक किसान थे और उनकी माँ एक हाउस वाइफ़ थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई न्यूकैस्टले यूनिवर्सिटी से और अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1975 में क्वीन्स कॉलेज, ऑक्सफ़र्ड से की। Rowan बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन शायद उन्हें भी नहीं पता था कि उनकी लाइफ़ उन्हें कहाँ से कहाँ पहुँचा देगी। जब वो क्वीन्स कॉलेज में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री कर रहे थे तभी उन्हें वहाँ के ऑक्सफ़र्ड प्ले हाउस में हो रहे एक प्ले को लिखने को कहा, वो प्ले 5 मिनट का था और 2 दिन का समय दिया गया और वो उस प्ले को लिखने में लग गए, उसी कैरेक्टर को लिखते-लिखते एक बहुत अजीब लेकिन फ़नी कैरेक्टर का जन्म हुआ जो कुछ बोलता नहीं था।

क्वीन्स कॉलेज में ही पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाक़ात उनके फ़्यूचर स्क्रीन राइटर Richard Curtis और कम्पोज़र Howard Goodall से हुई और उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड प्ले हाउस और एडिनबर्ग फेस्टिवल के लिए कई प्लेज़ के स्केचेज़ बनाये और उसी के चलते Rowan फ़ेमस होने लगे। Rowan ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में “The Atkins People” कॉमेडी सिरीज़ से की, जो BBC रेडियो थ्री की बनाई सिरीज़ थी। फिर 1979 में उन्होंने टीवी कॉमेडी शो “Not The 9 O’clock” न्यूज़ में भी काम किया, जिसके लिए उन्हें 1981 में बेस्ट लाइट एंटरटेनिंग परफॉर्मेन्स का अवार्ड मिला। उन्हें इन सभी किये गए काम से बहुत सक्सेस मिलती जा रही थी।

1983 में उनकी Blackadder नाम की कॉमेडी सिरीज़ आई, जो इतनी चली की उसने अगले दस सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज किया, Blackadder के बाद उन्होंने फिर से कॉमेडी सिरीज़ लिखने का काम किया। उनके फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1983 में आई “Never Say Never Again” Rowan James Bond के साथ नज़र आये थे और उसी साल उन्होंने “Dead On Time” में लीड रोल के रूप में काम किया। 1988 में उन्होंने “The Appointments Of Dennis Jennings” में काम किया और 1989 में “The Tall Guy” में काम किया, इन्ही मूवीज़ के दैरान वो अपनी राइटिंग का काम भी कर रहे थे। इन्ही सब कामों के चलते उनकी मुलाकात BBC में मेकअप आर्टिस्ट का काम कर रही Sunetra Sasty से हुई और काफ़ी साल डेट करने का बाद दोनों में 1990 में शादी भी कर ली।

शादी होने के बाद 1990 में फ़ाइनली उनके करियर में एक बड़ा बदलाव आने वाला था, जो कैरेक्टर उन्होंने कॉलेज टाइम में बनाया था, उन्होंने उसी कैरेक्टर को लेकर एक टीवी सिरीज़ स्टार्ट की जिसका नाम उन्होंने Mr. Bean रखा। जब उन्होंने ये शो शुरू किया था तब उन्हें बिल्कुल भी नहीं पता था कि इस शो की वजह से वो पूरी दुनिया के फ़ेमस सेलेब्रिटीज़ में से एक होने वाले हैं और उसी शो की वजह से वो ब्रिटेन के फ़ेमस एक्टर बन चुके थे। बाद में Mr. Bean के बहुत से पार्ट्स बने, 1997 में उन्होंने Mr. Bean नाम की मूवी भी बनाई जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई।

2001 में Rowan में “Rate Race” में, 2002 में “Scooby Doo” और 2003 में “Johnny English” और “Love Actually” नाम की मूवीज़ में काम किया और 2004 में “Keeping Mum” में काम किया। 2007 में उन्होंने Mr. Bean को लेकर “Mr. Bean’s Holiday” नाम की मूवी बनाई जो फिर से ब्लॉकबस्टर साबित हुई। वो अपने करियर की शुरुआत से ही James Bond की मूवीज़ से प्रभावित थे और उन्होंने 2003 में बनी अपनी फ़िल्म “Johnny English” का रीमेक भी बनाया, जिसे 2011 में “Johnny English Reborn” नाम से रिलीज़ किया गया, जो Rowan की Mr. Bean सिरीज़ के जितनी ब्लॉकबस्टर साबित हुई। उस मूवी का बाद उन्होंने ऑफिशियली स्टेटमेंट दिया कि वो आगे से Mr. Bean का करेक्टर नहीं निभायेंगे और Mr. Bean को लेकर अब कोई मूवी और टीवी सिरीज़ नहीं बनेगा ।

रियल लाइफ़ में Rowan बोलने में थोड़ा हकलाते हैं, इसी रीज़न की वजह से वो बताते है कि स्कूल टाइम में उनका काफ़ी मज़ाक भी बना था, लेकिन शायद किसी को पता नहीं था कि हकलाने वाला इंसान, जिसने कॉलेज तो इंजीनियर बनने के लिए जॉइन किया है लेकिन वो वहाँ से एक सक्सेसफुल राइटर बनकर सामने आएगा और आगे जाकर पूरी दुनिया को एक ऐसा कैरेक्टर देगा जो आज तक लोगों के दिल मे बसा हुआ है। 2013 में Rowan को आर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर से नवाज़ा गया, उन्होंने स्टार्ट क्या सोच कर किया था लेकिन रेगुलर मिलते गए काम को करते रहने पर उनके करियर के डॉट्स अपने आप कनेक्ट होते चले गए। आज के एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो Mr. Bean को नहीं जानता होगा, जिन्होंने असाधारण सक्सेस को पार कर लोगों को इंस्पायर किया है। मैं भी बहुत ज्यादा इंस्पायर हूँ उससे, वैसे मैं कोमेडियन नहीं हूँ।

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